नयी दिल्ली, 13 मई । दिल्ली की एक अदालत ने ऑक्सीजन सांद्रकों की जब्ती के मामले में कारोबारी नवनीत कालरा को अग्रिम जमानत देने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि कालरा के खिलाफ गंभीर किस्म के आरोप हैं और पूरी साजिश को बेनकाब करने के लिए हिरासत में लेकर उससे पूछताछ किया जाना जरूरी है।
गिरफ्तारी की आशंका के चलते कालरा ने इस हफ्ते की शुरुआत में मामले में जमानत का अनुरोध करते हुए अदालत का रुख किया था। कालरा ने दावा किया कि उसके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता और वह जांच से जुड़ना चाहता है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप गर्ग ने कालरा की याचिका खारिज कर दी और कहा, ‘‘आरोपी और कई सारे सह-आरोपियों के बीच रची गयी पूरी साजिश को बेनकाब करने के लिए हिरासत में लेकर उससे पूछताछ किया जाना जरूरी है।’’
हाल में की गयी छापेमारी के दौरान कालरा के तीन रेस्त्रां ‘खान चाचा’, ‘नेगा जू’ और ‘टाउन हॉल’ से 524 ऑक्सीजन सांद्रक बरामद किए गए थे और ऐसा संदेह है कि वह अपने परिवार के साथ दिल्ली छोड़कर चला गया है।
ऑक्सीजन सांद्रक कोविड-19 के इलाज में महत्वपूर्ण चिकित्सकीय उपकरण हैं।
अदालत ने कहा, ‘‘आरोपी अब तक जांच से नहीं जुड़ा है। आरोपी के मोबाइल फोन में ग्राहकों के साथ व्हाट्सएप चैट, सह-आरोपियों के साथ बातचीत के कॉल के विवरण होंगे और उसके अकाउंट पर रोक लगाने की जरूरत है।’’
न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी द्वारा सबूतों से छेड़छाड़ किए जाने और अभियोजन के गवाहों को भी डराने-धमकाने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इसलिए उसकी अग्रिम जमानत याचिका मंजूर करने का सवाल ही नहीं उठता।’’
लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने बुधवार को अदालत को प्रयोगशाला की एक रिपोर्ट के बारे में बताया जिसमें दिखाया गया कि जब्त किए गए ऑक्सीजन सांद्रक काम नहीं कर रहे, वे खराब गुणवत्ता के हैं और उनकी काम करने की क्षमता केवल 20.8 प्रतिशत है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोप गंभीर किस्म के हैं…प्रथम दृष्टया उसके खिलाफ कई सबूत मिले हैं जैसे कि सांद्रक का निर्माण जर्मनी के तालमेल से नहीं हुआ था और चीन में इसका निर्माण हुआ। एक व्यक्ति की जरूरत को पूरा करने के लिए भी उसके पास समुचित सामग्री नहीं थी।’’
अदालत ने कहा कि कालरा ने सांद्रकों की आपूर्ति के लिए कई जरूरतमंद लोगों से अग्रिम रकम ली थी और वह आपूर्ति में भी देरी कर रहा था। उसने कीमत में बढ़ोतरी की और ना तो ग्राहकों के पैसे लौटाए ना ही उत्पाद की आपूर्ति की।
भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (जालसाजी), 188 (लोक सेवक के आदेश की अवज्ञा), 120-बी (आपराधिक साजिश) और 34 (समान इरादे से काम करना) के तहत कालरा के खिलाफ पांच मई को एक मामला दर्ज किया गया था।
ऑक्सीजन सांद्रकों की कालाबाजारी के लिए आवश्यक वस्तु कानून और महामारी कानून के तहत भी प्राथमिकी दर्ज की गयी थी।