नयी दिल्ली, नौ दिसंबर । दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी राजनीतिक नौटंकीबाजीअदा के कारण मशहूर है,अब इन्होंने अपनी नजरबंदी का आरोप लगाकर एक तीर से दो निशाने लगा दिए,किसान आंदोलन के भारत बंद में शामिल होने से बचने खुद की नजरबंदी का केंद्र पर अपनी पार्टी से आरोप लगवा दिया और उनके बंगले के बाहर दिल्ली की तीन नगर निगमों के महापौर और पार्षदों के धरने के आक्रोश को दबाने का चरित्र भी अपना लिया ।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास के बाहर भाजपा शासित नगर निगमों के महापौरों और नेताओं द्वारा जारी अनिश्चितकालीन धरना बुधवार को तीसरे दिन भी जारी रहा और इसमें पार्टी के सांसद मनोज तिवारी और गौतम गंभीर ने भी भाग लिया।
दिल्ली के तीन नगर निगमों-उत्तर, दक्षिण और पूर्वी दिल्ली, के महापौर जयप्रकाश, अनामिका मिथिलेश और निर्मल जैन कई महिला पार्षदों के साथ सोमवार से केजरीवाल के फ्लैगस्टाफ रोड स्थित आवास के बाहर धरना दे रहे हैं।
ये सभी दिल्ली सरकार से 13000 करोड़ रुपये की बकाया धनराशि के भुगतान की मांग कर रहे हैं।
धरने में शामिल हुए सांसद मनोज तिवारी ने कहा, “हालांकि केजरीवाल खुद को ‘आम आदमी’ कहते हैं, लेकिन वह मूल रूप से आम आदमी के खिलाफ हैं। यही कारण है कि उनकी सरकार ने नगर निगमों को 13000 करोड़ रुपये के बकाये का भुगतान नहीं किया है जबकि इस राशि से सफाई कर्मियों, डॉक्टरों, नर्सों और अन्य कर्मचारियों को वेतन भुगतान करने में मदद मिलती।”
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष अवधेश गुप्ता ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री संवेदनशील होते तो वह उन निगमों को बकाया भुगतान करते जिनके कर्मचारी कोरोना योद्धाओं के रूप में महामारी से लड़ाई लड़ रहे हैं ।
इससे पहले भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी और प्रवेश वर्मा ने मंगलवार को विरोध प्रदर्शन कर रहे नगर निगम के नेताओं से मुलाकात की थी और विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।
केजरीवाल सहित आप नेताओं ने भाजपा द्वारा शासित तीन नगर निगमों में ‘भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन’ का आरोप लगाया है और दावा किया है कि समस्त देय धनराशि का निगमों को जारी की जा चुकी है।
‘आप’ ने केजरीवाल के आवागमन पर अब भी ‘प्रतिबंध’ होने का किया दावा, दिल्ली पुलिस ने किया खारिज:
इधर आम आदमी पार्टी(आप) ने बुधवार को आरोप लगाया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवागमन पर अब भी ‘‘प्रतिबंध’’ है और उनके आवास का मुख्य द्वार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कहने पर बंद रखा गया है।
दिल्ली पुलिस ने ‘आप’ के इस दावे को खारिज किया है।
पुलिस सूत्रों ने कहा कि मुख्यमंत्री एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पूर्वाह्न करीब 11 बजे अपने आवास से निकले थे।
आप ने मंगलवार को आरोप लगाया था कि दिल्ली पुलिस ने केजरीवाल को शहर की सिंघू सीमा पर केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध कर रहे किसानों से मुलाकात के बाद नजरबंद कर दिया।
हालांकि दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस दावे को ‘‘पूरी तरह निराधार’’ बताया है।
‘आप’ के प्रवक्ता राघव चड्ढ़ा ने बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मुख्यमंत्री के आवास के चारों ओर ‘‘अघोषित आपातकाल’’ का माहौल है।
चड्ढा ने कहा, ‘‘मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ आपको बता रहा हूं कि (केंद्रीय) गृह मंत्री के इशारे पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का आवागमन अब भी प्रतिबंधित है। मुख्यमंत्री के आवास का मुख्य द्वार अब भी बंद है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘एक तरह से अघोषित आपातकाल का माहौल है। यह केवल इसलिए है, क्योंकि हमने स्टेडियमों को किसानों के लिए जेल में तब्दील करने की अनुमति नहीं दी।’’
इस बीच, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि कि मुख्यमंत्री के आने-जाने पर किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री के आवास के बाहर पुलिस की तैनाती सुरक्षा प्रोटोकॉल का हिस्सा है।’’
पुलिस सूत्रों के अनुसार, केजरीवाल एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पूर्वाह्न करीब 11 बजे अपने आवास से निकले थे।
केजरीवाल मंगलवार को घंटों चले नाटकीय घटनाक्रम के बाद अपने आवास से बाहर निकले थे।
केजरीवाल ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए दावा किया था कि केंद्र सरकार ने पूरी कोशिश की कि वह प्रदर्शनकारी किसानों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए नहीं जा पाएं।
उन्होंने कहा था, ‘‘अगर मुझे नहीं रोका जाता, तो मैं गया होता और भारत बंद में किसानों का साथ दिया होता। मुझे खुशी है कि भारत बंद सफल रहा। मैंने अंदर बैठकर प्रदर्शन कर रहे किसानों के लिए प्रार्थना की।’’
केजरीवाल ने कहा था, ‘‘हम पर स्टेडियमों को अस्थायी जेलों के तौर पर इस्तेमाल करने की अनुमति देने के लिए बहुत दबाव बनाया गया, लेकिन हमने अनुमति नहीं दी और मुझे लगता है कि इससे आंदोलन को मदद मिली। लेकिन तब से केंद्र बहुत नाराज है।’’
उल्लेखनीय है कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर विभिन्न स्थलों पर हजारों किसान प्रदर्शन कर रहे हैं।