नयी दिल्ली, दो जनवरी । अपने बचपन के कोच रमाकांत आचरेकर को भावभीनी श्रृद्धांजलि देते हुए चैम्पियन क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने कहा ,‘‘ आचरेकर सर की मौजूदगी से स्वर्ग में भी क्रिकेट धन्य हो गया होगा ।’’
आचरेकर का 87 वर्ष की उम्र में बढती उम्र से जुड़ी बीमारियों के कारण आज मुंबई में निधन हो गया ।
उनके सबसे काबिल शिष्य ने एक बयान में कहा ,‘‘ उनके कई छात्रों की तरह मैने भी क्रिकेट का ककहरा सर के मार्गदर्शन में सीखा ।’’
उन्होंने कहा ,‘‘ मेरी जिंदगी में उनके योगदान को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता । उन्होंने वह नींव बनाई जिस पर मैं खड़ा हूं ।’’
आधुनिक क्रिकेट के महानतम बल्लेबाज तेंदुलकर को आचरेकर सर मुंबई के शिवाजी पार्क में कोचिंग देते थे ।
आचरेकर ने खुद एक ही प्रथम श्रेणी मैच खेला लेकिन तेंदुलकर के कैरियर को संवारने में उनका बड़ा योगदान रहा । वह अपने स्कूटर से उसे स्टेडियम लेकर जाते थे ।
तेंदुलकर ने कहा ,‘‘ पिछले महीने मैं सर से उनके कुछ छात्रों के साथ मिला और हमने कुछ समय साथ बिताया । हमने पुराने दौर को याद करके काफी ठहाके लगाये ।’’
उन्होंने कहा ,‘‘ आचरेकर सर ने हमें सीधा खेलने और जीने का महत्व बताया । हमें अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाने और अपने अनुभव को हमारे साथ बांटने के लिये धन्यवाद सर ।’’
उन्होंने आगे लिखा ,‘‘ वेल प्लेड सर । आप जहां भी हैं, वहां और सिखाते रहें ।’’
क्रिकेट जगत को सचिन तेंदुलकर जैसा खिलाड़ी देने वाले मशहूर कोच रमाकांत आचरेकर का बुधवार को निधन हो गया ।
वह 87 वर्ष के थे । उनके एक परिजन के अनुसार पिछले कुछ दिनों से वह बढती उम्र से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे थे।
उनकी रिश्तेदार रश्मि दलवी ने फोन पर बताया ,‘‘ आचरेकर सर अब हमारे बीच नहीं रहे । उन्होंने आज शाम को आखिरी सांस ली ।’’
आचरेकर ने अपने कैरियर में सिर्फ एक प्रथम श्रेणी मैच खेला लेकिन उन्हें सर डॉन ब्रेडमैन के बाद दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेटर तेंदुलकर को तलाशने और तराशने का श्रेय जाता है ।
क्रिकेट को अलविदा कह चुके तेंदुलकर के नाम बल्लेबाजी के लगभग सारे रिकार्ड है । उन्होंने टेस्ट में सर्वाधिक 15921 और वनडे में सबसे ज्यादा 18426 रन बनाये हैं ।
आचरेकर उनके बचपन के कोच थे और तेंदुलकर ने अपने कैरियर में उनकी भूमिका का हमेशा उल्लेख किया है । आचरेकर यहां शिवाजी पार्क में उन्हें क्रिकेट सिखाते थे ।
तेंदुलकर ने पिछले साल एक कार्यक्रम में अपने कैरियर में आचरेकर के योगदान के बारे में कहा था ,‘‘ सर मुझे कभी ‘वेल प्लेड’ नहीं कहते थे लेकिन मुझे पता चल जाता था जब मैं मैदान पर अच्छा खेलता था तो सर मुझे भेलपुरी या पानीपुरी खिलाते थे ।’’
आचरेकर को 2010 में पद्मश्री से नवाजा गया था ।
तेंदुलकर के अलावा वह विनोद कांबली, प्रवीण आम्रे, समीर दिघे और बलविंदर सिंह संधू के भी कोच रहे ।
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