नई दिल्ली 1 जून। उत्तर प्रदेश में हुए महागठबंधन और 2015 में बिहार में हुए महागठबंधन को मिली अच्छी सफलता ने कांग्रेस को गठबंधन राजनीति के प्रति और गंभीर कर दिया है।
पार्टी सूत्रों की मानें तो लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस विभिन्न क्षेत्रीय दलों के साथ 400 से 450 लोकसभा सीटों पर गठबंधन कर सकती है. कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने इस बारे में गंभीरता से काम शुरू कर दिया है।
पार्टी इसी महीने अलग-अलग दलों से बातचीत करने के लिए वरिष्ठ नेताओं के नेतृत्व में कमेटियां गठित करने जा रही है. राहुल गांधी के विदेश से लौटने के बाद इस बारे में तेजी से काम शुरू हो जाएगा।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया की परिस्थितियों के साथ राहुल गांधी ने अपनी नीतियों में लचीलापन लाने का फैसला किया है. जो राहुल गांधी आज से 5 साल पहले गठबंधन को कांग्रेस की सबसे बड़ी भूल बताते थे, वही इस समय गठबंधन के सबसे बड़े समर्थक बन कर उभरे हैं. पार्टी की कोशिश है कि जिस तरह उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी , राष्ट्रीय लोकदल के साथ कांग्रेस आ गई है . बिहार में लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय लोक दल से पार्टी के घनिष्ठ संबंध बन गए हैं. उधर महाराष्ट्र में भी शरद पवार की एनसीपी लंबे समय बाद कांग्रेस के साथ आ गई है . पार्टी को कर्नाटक में पहले ही जेडीएस का साथ मिल चुका है।
ऐसे में असम हरियाणा तमिलनाडु पश्चिम बंगाल केरल जैसे बड़े राज्यों में पार्टी स्थानीय दलों से तालमेल बनाना चाहती है. इसके अलावा राजस्थान मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ उत्तराखंड हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में पार्टी बसपा के साथ अपनी शर्तों पर गठबंधन करने को तैयार है।
इस सवाल पर की 450 सीटों पर गठबंधन करने के बाद कांग्रेस क्या 200 से 250 सीटों पर ही चुनाव लड़ेगी पार्टी के एक वरिष्ठ रणनीतिकार ने कहा सुनने में यह बुरा लग सकता है लेकिन परिस्थितियों के हिसाब से इस तरह की स्थितियां भी स्वीकार करनी पड़ेगी. महत्व इस बात का नहीं है कि आप कितनी सीटों पर चुनाव लड़ते हैं सवाल यह है कि आप ज्यादा से ज्यादा कितनी सीटें जीतेंगे।
इस बारे में पार्टी के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा अभी यह तय नहीं है कि कितनी सीटों पर गठबंधन होगा. लेकिन सिद्धांत रूप में पार्टी इस बात के लिए तैयार है कि पूरे देश में राज्यों की जरूरत और स्थानीय समीकरणों को देखते हुए कांग्रेस क्षेत्रीय दलों से समझौता करे. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की जो स्थिति है उसमें बनारस में भी मोदी के खिलाफ विपक्ष का संयुक्त प्रत्याशी आए तो अच्छा ही होगा।attacknews.in