नयी दिल्ली, 25 नवंबर । कांग्रेस के संकटमोचक माने जाने वाले वरिष्ठ नेता अहमद पटेल का बुधवार को निधन हो गया। वह 71 वर्ष के थे और कुछ हफ्ते पहले कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे।
पटेल के पुत्र फैसल पटेल और पुत्री मुमताज सिद्दीकी ने ट्विटर पर एक बयान जारी कर बताया कि उनके पिता ने बुधवार तड़के तीन बज कर करीब 30 मिनट पर अंतिम श्वांस ली।
उन्होंने कहा, ‘‘ दुख के साथ अपने पिता अहमद पटेल की दुखद और असामयिक मृत्यु की घोषणा कर रहा हूं। 25 तारीख को सुबह करीब 3.30 बजे उनका निधन हो गया।’’
फैसल और मुमताज ने बताया कि लगभग एक महीने पहले उनके पिता कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे। इलाज के दौरान उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया ।
पटेल को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के विश्वस्त सहयोगियों में से एक पटेल उनके राजनीतिक सलाहकार थे।
पटेल वर्तमान में कांग्रेस के कोषाध्यक्ष थे। वह पार्टी के संकटमोचक के रूप में भी जाने जाते थे।
पटेल 1993 से पांच बार लगातार गुजरात से राज्यसभा के सदस्य थे। इससे पहले वह 1977, 1980 और 1984 में लगातार तीन बार गुजरात की भडूच लोकसभा सीट से सांसद बने।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा, कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला और कई अन्य नेताओं ने पटेल के निधन पर दुख जताया है।
मोदी ने पटेल के निधन पर शोक व्यक्त किया और कहा कि कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने में उनकी भूमिका को हमेशा याद रखा जाएगा।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि पटेल एक ऐसे कामरेड, निष्ठावान सहयोगी और मित्र थे जिनकी जगह कोई नहीं ले सकता।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पटेल के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि पटेल एक ऐसे स्तंभ थे जो सबसे मुश्किल दौर में भी पार्टी के साथ खड़े रहे।
पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने दुख जताते हुए कहा कि पटेल की कांग्रेस के प्रति प्रतिबद्धता और सेवा असीमित थी।
कांग्रेस के आधुनिक चाणक्य थे अहमद पटेल
गुजरात में तालुक स्तर से राजनीति शुरू कर अहमद पटेल कांग्रेस के लिए चाणक्य ही नहीं बने अपितु संकटमोचक बनकर पार्टी को मजबूत बनाने में अपना जीवन समर्पित कर दिया।
कांग्रेस अध्यक्ष के राजनीतिक सलाहकार रहे श्री पटेल केंद्र में मंत्री बनने के आमंत्रण को ठुकराते हुए कांग्रेस संगठन की मजबूती के लिए आजीवन काम करते रहे।
कांग्रेस के चाणक्य कहे जाने वाले अहमद पटेल ने कई मौकों पर पार्टी को संकट से उबारने का काम किया। पार्टी में महत्वपूर्ण पदों पर काम करते हुए वह हमेशा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के विश्वास पात्र बने रहे। वह वर्तमान में कांग्रेस के कोषाध्यष थे और यह जिम्मेदारी उन्हें दूसरी बार मिली थी।
आपातकाल के समय जब पूरा देश पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ था और 1977 के आम चुनाव में जब लहर श्रीमती गांधी के विरुद्ध चल रही थी, उस समय श्री पटेल ने महज 26 साल की उम्र में लोकसभा का सदस्य बनकर राजनीति में अपनी अलग पहचान स्थापित कर ली थी। उसके बाद वह कभी रुके नहीं और हमेशा कांग्रेस के संकट मोचक् के रूप में अपनी सेवाएं देते रहे।
गुजरात के भरूच जिले के अंकलेश्वर में 1949 में जन्मे अहमद पटेल प्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। वह तीन बार लोकसभा और चार बार राज्य सभा के सदस्य रहे। उन्होंने पहला चुनाव 1977 में भरूच लोकसभा सीट से लड़े और पूरे देश मे कांग्रेस के खिलाफ लहर के बावजूद 62 हज़ार 879 वोटों से चुनाव जीते थे। वह 1980 में भी इसी सीट से लड़े और 82 हज़ार 844 वोटों से जीते। जीत के अंतर का यह सिलसिला आगे बढ़ते हुए उन्होंने 1984 में तीसरी बार लोकसभा चुनाव लड़ा और एक लाख 23 हज़ार 69 वोटों से जीत दर्ज की।