मुंबई, 12 नवंबर । महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने राज्य में सरकार गठन के लिए शिवसेना को समर्थन देने के फैसले पर कांग्रेस की तरफ से की गई देरी को लेकर हो रही आलोचनाओं को मंगलवार को खारिज कर दिया।
सरकार बनाने के लिए क्या कांग्रेस शिवसेना को समर्थन देने पर सहमत हुई थी, यह पूछे जाने पर चव्हाण ने कहा कि अगर ऐसा नहीं होता तो उनकी पार्टी ने सोमवार को दिल्ली में इतनी लंबी चर्चाए नहीं की होतीं।
राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के संबंध में मंगलवार को लगाई जा रही अटकलों के बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि अगर राष्ट्रपति शासन लागू भी होता है तो भी इसे हटाया जा सकता है जब दलों के पास संख्या बल हो और वे सरकार बनाने की दावेदारी कर सकते हों।
महाराष्ट्र में गैर-भाजपाई सरकार बनाने के शिवसेना के प्रयासों को सोमवार को झटका लगा था जब कांग्रेस ने अंतिम क्षण में कहा कि वह उद्धव ठाकरे नीत पार्टी को समर्थन देने के विषय पर अपनी सहयोगी राकांपा से कुछ और चर्चाएं करना चाहती है।
चव्हाण ने कहा, “शिवसेना राजग की सहयोगी थी और इसको हमारा समर्थन देने का सवाल नहीं था। पार्टी के एकमात्र मंत्री अरविंद सावंत ने कल मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। यह सही बात नहीं है कि कांग्रेस ने फैसले में देरी की।”
उन्होंने कहा कि प्रदेश कांग्रेस नेता बाद में सरकार गठन की प्रक्रिया पर चर्चा करने के लिए मुंबई में राकांपा के नेताओं से मुलाकात करेंगे।
उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि यह मुद्दा आज सुलझेगा।”
राज्य में राष्ट्रपति शासन लग सकने की अटकलों पर पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री सुशीलकुमार शिंदे ने कहा, “अगर आज राष्ट्रपति शासन लग भी जाता है, तो भी यह तब हट जाएगा जब दलों को लगेगा कि उनके पास संख्याबल है और वे सरकार बनाने का दावा कर सकते हैं।”
इस बीच शिवसेना में सूत्रों ने कहा कि पार्टी कांग्रेस-राकांपा की चर्चाओं के अंतिम निर्णय की प्रतीक्षा कर रही है।
शिवसेना के एक सूत्र ने कहा, “हमारे सभी विधायक साथ हैं और वह कांग्रेस-राकांपा की बातचीत को देख रहे हैं। वे एक बार फैसले पर पहुंच जाएं, उसके बाद हम उनके साथ शामिल होंगे।”
गहन चर्चाएं जारी रहने के बीच, कांग्रेस के मुख्य नेता अहमद पटेल, मल्लिकार्जुन खड़गे और के सी वेणुगोपाल राकांपा अध्यक्ष शरद पवार के साथ चर्चा करने के लिए मुंबई पहुंचें ।
इससे पहले सुबह में, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने फोन पर पवार से बात की और अपनी पार्टी के नेताओं को मुंबई में पवार से मुलाकात करने को कहा।
कांग्रेस के समर्थन के बिना महाराष्ट्र में सरकार नहीं बन सकती : राकांपा
इधर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस के समर्थन और ‘तीनों दलों’ के विचार-विमर्श के बिना महाराष्ट्र में सरकार नहीं बन सकती।
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शरद पवार की अगुवाई वाली राकांपा को आज मंगलवार शाम साढ़े आठ बजे तक सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए कहा है।
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता नवाब मलिक ने राकांपा के विधायकों से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा कि राकांपा ने राज्य में चल रहे राजनीतिक संकट को समाप्त करने के लिए पार्टी प्रमुख शरद पवार को ‘वैकल्पिक सरकार’ का गठन करने के लिए अधिकृत किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार गठन पर बातचीत के लिए पवार के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया गया है।’’
मलिक ने कहा, ‘‘कांग्रेस के सहयोग के बिना और तीनों दलों (राकांपा, कांग्रेस और शिवसेना) के बीच विचार विमर्श के बिना सरकार का गठन नहीं हो सकता।’’
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, मल्लिकार्जुन खड़गे और के सी वेणुगोपाल मंगलवार शाम पांच बजे पवार से मुलाकात करेंगे।
गौरतलब है कि राज्य में भाजपा के बिना सरकार बनाने की शिवसेना की कोशिशों को सोमवार को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब कांग्रेस ने अंतिम समय ने यह कहा कि उसे उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली पार्टी को समर्थन देने से पहले अपने सहयोगी दल राकांपा से साथ और विचार विमर्श करने की जरूरत है।
पार्टी के नेता आदित्य ठाकरे ने कहा था राकांपा और कांग्रेस उनकी पार्टी की अगुवाई वाली सरकार का समर्थन करने के लिए ‘सैद्धांतिक समर्थन’ देने पर सहमत हो गयी हैं लेकिन पार्टी राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा तय समयसीमा के पहले इन दलों से समर्थन पत्र नहीं ले सकी।