जयपुर/पीलीबंगा (हनुमानगढ़)/पदमपुर, (श्रीगंगानगर), 12 फरवरी । कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीन नये कृषि कानूनों को लेकर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि इससे 40 प्रतिशत किसान, छोटे व्यापारी एवं मजदूर बेरोजगार हो जायेंगे तथा खेती कुछ बड़े उद्योगपतियों के हाथों में सिमट जायेगी।
श्री गांधी ने आज यहां किसान रैली को सम्बोधित करते हुए कहा कि किसान कानूनों से मंडियां खत्म होने के साथ जमाखोरी चालू होगी तथा किसान से न्याय छिन जायेगा।
उन्होंने कहा कि जब तक यह कानून वापस नहीं लिये जाते कांग्रेस किसानों के साथ खड़ी रहेगी और नये कृषि कानूनों को रद्द कराकर ही मानेगी।
श्री गांधी ने कहा कि सरकार किसानों से बातचीत करना चाहती है तो पहले उनकी जमीन और भविष्य छीनने वाले कानूनों को रद्द करे।
अंग्रेज नहीं टिक पाये तो फिर नरेंद्र मोदी कौन है-राहुल गांधी
तीन नये कृषि कानूनों के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरते हुए कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज कहा कि देश की जनशक्ति के सामने अंग्रेज नहीं टिक सके तो फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कौन हैं?
श्री गांधी ने आज यहां पदमपुर में किसान महापंचायत को सम्बोधित करते हुए कहा कि श्री मोदी जिद्द पर अड़े हैं। उन्हें किसानों की बात सुन लेनी चाहिए, ताकि देश फिर आगे बढ़ सके। उन्होंने मोदी और केंद्र सरकार पर कड़े प्रहार करने के साथ गंभीर आरोप भी लगाए।
उन्होंने कहा कि कोरोना जैसे महासंकटकाल में केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानून ला कर सिर्फ किसानों पर ही नहीं बल्कि मध्यमवर्गीय लोगों, छोटे दुकानदारों और मजदूरों पर भी चोट मारी है। यह आंदोलन किसानों का नहीं बल्कि पूरे देश का है। आंदोलन पूरे देश में फैलेगा, यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समझ लेनी चाहिए।
श्री गांधी ने कहा कि कृषि देश का सबसे बड़ा कारोबार है। देश के 40 प्रतिशत लोगों का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कृषि कारोबार से जुड़ाव है। यह कारोबार करीब 40 लाख करोड़ का है। कृषि किसी एक या दो लोगों का व्यापार नहीं है। यह लाखों-करोड़ों लोगों का व्यापार है। यह भारत माता का पवित्र कारोबार है जिसे श्री मोदी इस कारोबार को अपने दो तीन उद्योगपति मित्रों को सौंपने के लिए तीन नए कृषि कानून लाए हैं।
उन्होंने कहा कि ये कानून देश में अनाज मंडियों को खत्म करेंगे, जमाखोरी को बढ़ावा देंगे, बेरोजगारी की बजाय बेरोजगारों को खत्म करेंगे और किसानों को न्याय के हक से भी वंचित करेंगे। अगर यह कानून लागू हो गए तो फल-सब्जी एवं अनाज के कारोबार पर सिर्फ दो-तीन उद्योगपतियों का कब्जा हो जाएगा। किसान अपने ही द्वारा उगाए अनाज, सब्जी और फल को बाजार में महंगे भाव में खरीदने को मजबूर हो जाएंगे, क्योंकि आवश्यक वस्तु अधिनियम खत्म हो जाएगा। बड़े उद्योगपतियों और कारोबारियों को असीमित जमाखोरी का हक मिल जाएगा। जब बाजार में फसल आएगी तो उद्योगपति अपने गोदाम खाली कर देंगे। भाव नीचे आ जाएंगे और किसानों को उचित दाम नहीं मिलेगा। भाव नीचे होंगे तो उद्योगपति अपने गोदाम फिर भर लेंगे।
श्री गांधी ने कहा कि एक उद्योगपति के गोदामों में देश का 40 प्रतिशत अनाज आज भरा पड़ा है। इसी उदाहरण से समझ लीजिए कि आने वाले दिनों में देश में क्या हालात होने वाले हैं। उन्होंने कहा कि हरित क्रांति में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) ही कांग्रेस ने नहीं दिया बल्कि पानी, बीज और खाद भी मुहैया करवाए। दूसरी तरफ जब कोरोना महा संकटकाल में हर वर्ग प्रभावित था, ऐसे में इस संकट का सामना करते हुए देश को बचाने में लगे `शॉक आब्जॉर्बर’ पर ही केंद्र सरकार ने इन तीन कृषि कानूनों के जरिए चोट मार दी।
श्री गांधी ने कहा कि श्री मोदी ने खुद स्वीकार किया है कि कोरोना संकट में कृषि ने ही देश को बचाया। उन्होंने कृषि क्षेत्र को नए कानूनों से संकट में डाल दिया। राहुल गांधी ने कहा कि आज लाखों किसान आंदोलन कर रहे हैं। इस जनशक्ति के सामने आज नहीं तो कल केंद्र सरकार को झुकना ही पड़ेगा। देश के किसानों के सामने जब अंग्रेजी नहीं टिक सके तो फिर पीएम मोदी कौन हैं? पूरा हिंदुस्तान इन कानूनों के खिलाफ उठ खड़ा हुआ है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इन किसान महा पंचायतों में कहा कि केंद्र सरकार को किसानों की भावनाओं का आदर करना चाहिए। किसानों की मांगों को सुना जाना चाहिए। जब यह आंदोलन शुरू हुआ था तभी केंद्र सरकार को पूरी गंभीरता दिखानी चाहिए थी। किसानों के समर्थन में देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी धरने, प्रदर्शन और रैलियां हो रही हैं। प्रधानमंत्री विदेशों में घूमते रहते हैं। आज पूरी दुनिया के देशों को पता चल रहा है कि हिंदुस्तान के किसानों की क्या हालत है। अगर सरकार शुरू में ही गंभीरता दिखाते तो आज यह नोबत नहीं आती।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को भी वैसी ही संवेदनशीलता किसानों के प्रति दिखानी चाहिए जैसे कि केंद्र में कांग्रेस जीतने भूमि अधिग्रहण विधेयक अधिनियम को में लागू करके दिखाई थी। दिल्ली की सीमाओं पर लाखों किसान धरना दिये बैठे हैं। इस आंदोलन को पूरी दुनिया देख रही है। श्री गहलोत ने कहा कि किसान आंदोलनकारियों को खालिस्तानी, आतंकवादी और न जाने क्या क्या कह कर उनकी भावनाओं से खिलवाड़ किया जा रहा है। सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) आदि सब पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रभाव है।
सभा में पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा ही किसानों का साथ दिया है। अब भी किसानों की आवाज बुलंद करने के लिए राहुल गांधी यहां आए हैं। कोई चुनाव या प्रचार का यह मौका नहीं है। पांच वर्ष पूर्व राहुल गांधी ने श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिलों में जून के गर्मी के दिनों में 16 किमी की पैदल यात्रा की थी। चल रहे किसानों के आंदोलन का जिक्र करते हुए सचिन पायलट में कहा कि यह अब हर वर्ग के लोगों का आंदोलन है। सरकार को झुकना ही पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की एक ललकार पर देशभर में कांग्रेस के कार्यकर्ता उठ खड़े होंगे। गांधीवादी तरीके से आंदोलन करेंगे। सत्ता में आने से पहले भाजपा नेता विदेशी पूंजी निवेश, जीएसटी, बेरोजगारी और मंहगाई आदि मुद्दों पर खूब चिल्लाते थे। सरकार में आने के बाद भाजपा ने इन सब मुद्दों पर चुप्पी साध ली है। बेरोजगारी की बजाय बेरोजगारों को खत्म किया जा रहा है।
राजस्थान के परिप्रेक्ष्य में श्री पायलट ने कहा कि इस प्रदेश में जब जब भी अकाल संकट अथवा अन्य प्रकार की विपरीत परिस्थितियां उत्पन्न हुई,कॉन्ग्रेस हमेशा साथ खड़ी नजर आई है। अच्छे दिनों में तो सभी साथ हो जाते हैं। संकट में साथ देने वालों को ही याद रखा जाता है। आज किसान और किसानी संकट में है तो कांग्रेस हमेशा की तरह साथ खड़ी है।