नयी दिल्ली, 11 अगस्त । कांग्रेस की सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रह चुकी सोनिया गांधी को पार्टी को संकट की स्थिति से निकालने के लिए एक बार फिर से इसकी बागडोर सौंपी गई है।
राहुल गांधी के लिए कांग्रेस का शीर्ष पद स्वेच्छा से छोड़ने के महज 20 महीने बाद सोनिया गांधी (72) को कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने शनिवार को पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किया।
दरअसल, हालिया लोकसभा चुनावों में पार्टी को मिली करारी शिकस्त के बाद राहुल ने 25 मई को कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।
सीडब्ल्यूसी के लिए सोनिया स्वभाविक पसंद थी, जो पहले भी संकट की घड़ी में पार्टी की खेवनहार रह चुकी हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक इस घटनाक्रम ने एक बार से यह जाहिर कर दिया है कि कांग्रेस नेतृत्व के लिए किस कदर नेहरू-गांधी परिवार पर निर्भर है।
कांग्रेस अध्यक्ष पद पर 19 साल तक रहीं सोनिया की उन फैसलों को लेकर सराहना की जाती है, जिसने पार्टी को लगातार दो आम चुनावों में और कई राज्य विधानसभा चुनावों में जीत दिलाई। वह 1998 से 2017 तक पार्टी की अध्यक्ष रही थीं।
वर्ष 2004 में उन्होंने पार्टी के चुनाव प्रचार का नेतृत्व किया और उसे जीत दिलाई। उन्होंने प्रधानमंत्री बनने से इनकार करते हुए इस पद पर मनमोहन सिंह को नामित करने का फैसला किया। उनके इस कदम को कई लोग एक राजनीतिक ‘मास्टरस्ट्रोक’ के तौर पर देखा गया।
सूत्रों ने बताया कि 134 साल पुरानी का नेतृत्व संभालने के सीडब्ल्यूसी के सर्वसम्मति वाले अनुरोध को स्वीकार करने का फैसला कर सोनिया ने साहस का परिचय दिया है क्योंकि वह लगातार अपने खराब स्वास्थ्य का सामना कर रही हैं।
उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी में संप्रग के रूप में गठबंधन का सफल प्रयोग किया।
वर्ष 2004 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिये चुनाव पूर्व गठबंधन बनाना उनकी सबसे बड़ी सफलताओं में से एक थी। वहीं, जब 2009 में केंद्र में अपने दूसरे कार्यकाल की शुरूआत में संप्रग लड़खड़ा रहा था, तब सोनिया ने गठबंधन की नाव पार लगाई। हालांकि, तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समानांतर कैबिनेट चलाने को लेकर उनकी अक्सर ही आलोचना की जाती है।
अब, एक बार फिर से पार्टी के खेवनहार के तौर पर ऐसे समय में उनकी वापसी हुई है, जब इस साल के आखिर में हरियाणा,झारखंड और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होना है।
पार्टी नेताओं को उम्मीद है कि उनका नेतृत्व पार्टी कार्यकर्ताओं में नयी जान फूंकेगा। यह भी महसूस किया जा रहा कि सोनिया की वापसी बंटे हुए विपक्ष को भाजपा का मुकाबला करने के लिए एकजुट होने की एक वजह देगी।
यह ठीक उसी तरह से है जब 1998 की शुरूआत में सोनिया के पार्टी की बागडोर संभालने के बाद से चीजें बदलनी शुरू हुई थीं।
वह 1997 में पार्टी की प्राथमिक सदस्य बनी थी और 1998 में इसकी अध्यक्ष बनीं। वह 1999 से लगातार लोकसभा सदस्य हैं।
Home / राजनीति / 134 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी की 72 वर्षीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के सामने पार्टी को फिर से मजबूत करने की नई चुनौतियां attacknews.in
Tags Attack News
Check Also
लोकसभा चुनाव के पहले ही बिखर गया विपक्ष;राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति चुनाव से विपक्ष में उभरा मतभेद, कांग्रेस-टीएमसी में घमासान तेज attacknews.in
लोकसभा चुनाव के पहले ही बिखर गया विपक्ष;राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति चुनाव से विपक्ष में उभरा मतभेद, कांग्रेस-टीएमसी में घमासान तेज
राहुल गांधी ने अरुणाचल से एक लड़के के लापता होने के मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बुज़दिल कहा attacknews.in
राहुल गांधी ने अरुणाचल से एक लड़के के लापता होने के मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बुज़दिल कहा
महात्मा गांधी पर अपमानजनक टिप्पणी मामले में अब ठाणे पुलिस ने कालीचरण महाराज को किया गिरफ्तार attacknews.in
ठाणे (महाराष्ट्र), 20 जनवरी । महाराष्ट्र के ठाणे शहर की पुलिस ने महात्मा गांधी के …
Video:छत्तीसगढ़ में कांग्रेसियो द्वारा ही मुस्लिम वोटरों को पक्का करने के लिए हिंदू धर्म सभा का आयोजन करके कालीचरण महाराज को षड्यंत्र से फंसा दिया;राहुल गांधी भी इसमें शामिल attacknews.in
छत्तीसगढ़ में कांग्रेसियो द्वारा ही मुस्लिम वोटरों को पक्का करने के लिए धर्म सभा का आयोजन करके कालीचरण महाराज को षड्यंत्र से फंसा दिया;राहुल गांधी भी इसमें शामिल
वाह रे लोकतंत्र! बिहार में मरने वाले उम्मीदवार ने जीता पंचायत चुनाव;अधिकारियों को तब पता चला जब वे जीतने का प्रमाणपत्र सौंपने के लिए आवाज लगाते रहे attacknews.in
वाह रे लोकतंत्र! बिहार में मरने वाले उम्मीदवार ने जीता पंचायत चुनाव;अधिकारियों को तब पता चला जब वे जीतने का प्रमाणपत्र सौंपने के लिए आवाज लगाते रहे