हैदराबाद , 20 अप्रैल । माकपा के मसौदा राजनैतिक प्रस्ताव पर बढ़ते मतभेद के बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रकाश करात ने आज कहा कि कोई अल्पमत में हो तो भी उसे जिम्मेदारी लेने से रोकना, पार्टी की परिपाटी नहीं है।
हैदराबाद में चल रहे पार्टी कांग्रेस में मसौदा राजनैतिक प्रस्ताव पर पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी की अल्पमत की राय के विफल हो जाने की स्थिति में उन्हें पद से हटाए जाने की अटकलों के मद्देनजर करात का यह बयान महत्वपूर्ण है।
करात ने कांग्रेस से इतर संवाददाता सम्मेलन में कहा , ‘‘ हमारी पार्टी में हमेशा बहुमत और अल्पमत की राय रही है। हमारी सभी राजनैतिक चर्चा में अलग – अलग राय होना सामान्य बात है।यह नयी बात नहीं है। जब अलग – अलग राय जाहिर की जाती है तो मतदान के जरिये सामूहिक रूप से फैसला किया जाता है। इसके बाद यह पार्टी की सामूहिक राय बन जाती है। ’’
सवालों के जवाब में उन्होंने कहा , ‘‘ हमारी पार्टी में हर व्यक्ति को सही मंच पर अपनी राय जाहिर करने का अधिकार है। अल्पमत की राय वाला कोई व्यक्ति जिम्मेदारी नहीं ले सकता — यह हमारी परिपाटी नहीं है। ’’
आधिकारिक मसौदा राजनैतिक प्रस्ताव के विरोध में कुछ प्रतिनिधियों की गुप्त मतदान कराए जाने की मांग पर करात ने कहा कि यह अप्रत्याशित मांग है। पार्टी कांग्रेस में इस तरह की परिपाटी कभी नहीं रही है।
पार्टी के पूर्व महासचिव और पोलित ब्यूरो के सदस्य ने हालांकि कहा कि यह कांग्रेस पर निर्भर करेगा। कांग्रेस माकपा में निर्णय करने वाला सर्वोच्च निकाय है।
करात ने कहा , ‘‘ हमारी पार्टी कांग्रेस में अब तक किसी प्रस्ताव पर गुप्त मतदान का कोई उदाहरण नहीं है। ऐसा कभी नहीं हुआ है। यह हमारी पार्टी का दस्तूर नहीं रहा है। हमारे यहां कभी ऐसी परिपाटी नहीं रही , लेकिन यह निर्णय करने वाला सर्वोच्च निकाय है। देखते हैं कि हमारे प्रतिनिधि इस बारे में क्या बोलते हैं। ’’
मसौदा राजनैतिक प्रस्ताव पर चर्चा के दूसरे दिन कई और प्रतिनिधियों ने गुप्त मतदान की मांग का समर्थन किया। कुछ ने लिखित में यह मांग की।
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि आम तौर पर सारे मतदान हाथ दिखाकर होते हैं। इस मुद्दे पर फैसला माकपा पोलित ब्यूरो करेगा।
गुप्त मतदान की मांग महाराष्ट्र के एक प्रतिनिधि ने उठाई। उन्होंने महाराष्ट्र में हालिया जबर्दस्त किसान आंदोलन का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि माकपा की किसान शाखा अखिल भारतीय किसान सभा पार्टी लाइन से इतर सभी किसानों को एकजुट करने में कामयाब रही।
येचुरी ने कहा था कि अगर पार्टी धर्मनिरपेक्ष दलों के बीच अंतर करेगी तो भाजपा इस अवसर का फायदा उठाएगी। उनकी राय को कल और आज चर्चा के दौरान कई राज्यों के प्रतिनिधियों से समर्थन मिला।
इसमें महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि क्या माकपा को भाजपा से मुकाबला करने के लिये कांग्रेस समेत ‘ सभी धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताकतों ’ के साथ हाथ मिलाना चाहिये।
जहां करात गुट कांग्रेस के साथ किसी भी तालमेल के खिलाफ है , वहीं येचुरी गुट ने बदले हुए परिदृश्य और खासतौर पर त्रिपुरा में माकपा नीत वाम मोर्चा की हार और उत्तर प्रदेश और बिहार में हालिया लोकसभा सीटों के लिये उपचुनाव में एकजुट विपक्ष की जीत के बाद भाजपा से मुकाबला करने के लिये सभी धर्मनिरपेक्ष दलों से हाथ मिलाने का समर्थन किया है।attacknews.in