नई दिल्ली 21 मई। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के 5 साल पहले अमेरीकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने एक रिपोर्ट तैयार की थी।
फ्रीडम ऑफ इन्फॉर्मेशन ऐक्ट के तहत सार्वजनिक की गई इस रिपोर्ट से काफी चौकाने वाली बातें सामने आई हैं।
इस रिपोर्ट में साल 1989 से पहले ही चरमपंथियों द्वारा उनकी हत्या किए जाने या राजनीतिक परिदृश्य से उनके अचानक गायब हो जाने की आशंका जताई गई थी।
रिपोर्ट में साथ उनकी हत्या से भारत और इसके कूटनीतिक संबंधों पर पडऩे वाले असर का भी विश्लेषण किया गया था।
‘इंडिया आफ्टर राजीव’ नाम से तैयार की गई 23 पेज की रिपोर्ट पर मार्च 1986 में सीआईए के अन्य अधिकारियों से प्रतिक्रिया मांगी गई थी।
सीआईए ने हाल ही में इस गुप्त रिपोर्ट को सार्वजनिक किया है। इस रिपोर्ट का पूरा शीर्षक उपलब्ध नहीं है क्योंकि इसे सार्वजनिक करने का फैसला करने से पहले सीआईए ने कई हिस्से मिटा दिए थे।
जनवरी 1986 तक सीआईए को मिली सूचनाओं के आधार पर इस रिपोर्ट को तैयार किया गया था।
रिपोर्ट में उपलब्ध पहली पंक्ति में लिखा गया है कि प्रधानमंत्री राजीव गांधी का कार्यकाल 1989 में समाप्त होने से पहले ही उनकी हत्या की संभावना है। इस रिपोर्ट के तैयार होने के पांच साल बाद ही राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरमबदुर में 21 मई 1991 में हत्या कर दी गई थी।
‘की जजमेंट’ नाम के शीर्षक वाले एक हिस्से में राजीव गांधी के अचानक नेतृत्व से हट जाने की संभावना पर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक परिस्थितियों में होने वाले बदलाव का विश्लेषण किया गया है। ]
साथ ही इसके भारत-अमरीका, भारत-यूएसएसआर और अन्य क्षेत्रों पर होने वाले प्रभाव का भी विश्लेषण तैयार किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक अगर राजीव गांधी की किसी कश्मीरी मुस्लिम और सिख द्वारा हत्या की जाती है, तो सुरक्षा के व्यापक इंतजाम (उत्तर भारत में सेना और अर्धसैनिकों की तैनाती) के बावजूद सांप्रदायिक हिंसा फैलने की संभावना है। रिपोर्ट में इसके बाद का हिस्सा मिटा दिया गया है।
रोचक बात यह है कि इसमें पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और वीपी सिंह के नाम का भी उल्लेख है। इसमें लिखा है कि राजीव गांधी की हत्या पर ये दोनों ही उनका स्थान ले सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि राजीव गांधी की हत्या के बाद नरसिम्हा राव 1991 में प्रधानमंत्री बने थे।
रिपोर्ट में ‘द थ्रेट ऑफ असेसिनेशन’- स्टेबिलिटी इन जियोपार्डी शीर्षक वाले एक हिस्से कहा गया है कि हमारी नजर में आने वाले कई सालों के भीतर एक हत्या की प्रबल संभावना है। संभवत: यह सिख चरमपंथियों और कश्मीर मुस्लिम द्वारा हो सकता है।attacknews.in