Home / ज्योतिष / चीन की ज्योतिषी गणना में हरेक 60 साल बाद ” धातु के चूहे ” वाले वर्ष में चीन में आई है भीषण तबाही और कोरोनावायरस भी इसी तबाही में शामिल; जानिये सन् 1840 से अब तक की तबाही के बारे में attacknews.in

चीन की ज्योतिषी गणना में हरेक 60 साल बाद ” धातु के चूहे ” वाले वर्ष में चीन में आई है भीषण तबाही और कोरोनावायरस भी इसी तबाही में शामिल; जानिये सन् 1840 से अब तक की तबाही के बारे में attacknews.in

नयी दिल्ली 16 अप्रैल । कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी के कारण दुनिया भर में मची अफरातफरी के बीच चीन के बुद्धिजीवी जगत में देश की प्राचीन ज्योतिष विद्या में निहित संकेतों पर खूब चर्चा हो रही है और इस महामारी की वजह से चीन का दुनिया के निशाने पर आने का कारण ‘धातु के चूहे’ को माना जा रहा है।

चीनी ज्योतिषीय सारणी के अनुसार प्रत्येक वर्ष कुछ ना कुछ चिह्न पर आधारित होता है और चिह्नों का यह चक्र 60 वर्ष में पूरा होता है। वर्ष 2020 गेंग-ज़ी अथवा धातु के चूहे का वर्ष है और चीन में हर बार धातु के चूहे वाले वर्ष में इतिहास को झकझाेर देने वाली घटनायें हुईं हैं।

वर्ष 1840 में धातु के चूहे के वर्ष में चिंग वंश के शासनकाल में अफीम युद्ध (ओपियम वॉर) शुरू हुआ था जिसके बाद चीन में एक दशक तक का ठहराव आ गया था। साठ साल बाद धातु के चूहे का वर्ष 1900 में लौटा तो बॉक्सर विद्रोह शुरू हुआ था। तब चिंग वंश के अंत में ब्रिटेन, अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, इटली, रूस, जापान और ऑस्ट्रिया-हंगरी इन आठ देशों के गठजोड़ के उपनिवेशवाद को तियान्जिन से हटकर बीजिंग का रुख करना पड़ा था। बॉक्सर या यह वर्ष 1898 से 1901 तक चलने वाला यूरोपियाई साम्राज्यवाद और ईसाई धर्म के फैलाव के विरुद्ध एक हिंसक आन्दोलन था। इसका नेतृत्व ‘यीहेतुआन’ नाम के धार्मिक संगठन ने किया था। अमेरिका में इस बगावत पर आधारित एक फिल्म ‘55 डेज़ इन पेकिंग’ भी बनायी गयी थी।

वर्ष 1960 में धातु के चूहे का वर्ष फिर लौटा तो देश में बहुत बड़ा अकाल पड़ा था। चेयरमैन माओ त्से तुंग द्वारा 1958 में आरंभ हुई औद्योगिक एवं आर्थिक क्रांति ‘दि ग्रेट लीप फॉरवर्ड’ विफल हुई और उसी के तुरंत बाद 1960 में पड़े अकाल के कारण चीन में भूख के कारण करीब पौने चार करोड़ लोगों की मौत हुई थी। उस दौर में शिन्हुआ के एक पत्रकार यांग जिशेंग ने एक विस्तृत रिपोर्ट भी लिखी थी। दि ग्रेट लीप फॉरवर्ड की विफलता से चीन काे बहुत बड़ा आघात लगा था।
वर्ष 2020 में धातु के चूहे की वापसी के पहले चीन में कोरोना वायरस के हमले ने न केवल चीन बल्कि सारी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। चीन में कोरोना वायरस की महामारी की सबसे बुरी स्थिति बीत चुकी है लेकिन कोरोना वायरस के क्लीनिकल विशेषज्ञ दल के प्रमुख झांग वेन्हॉन्ग ने कहा है कि कोरोना के दूसरे दौर का संक्रमण नवंबर और उसके बाद फिर फैलेगा। वह याद दिलाते हैं कि 1918-20 के दौरान स्पैनिश फ्लू महामारी के दूसरे दौर का संक्रमण पहले दौर के संक्रमण से कहीं खतरनाक था। अनुमान है कि तब विश्व की एक तिहाई आबादी करीब 50 करोड़ लोग इससे संक्रमित हुए थे और करीब पांच करोड़ मौतें हुईं थीं।

वर्ष 2003 में सार्स विषाणु के खिलाफ संघर्ष में ख्याति प्राप्त करने वाले 83 वर्षीय डॉक्टर झोंग नान्शान का कहना है कि नया कोरोना वायरस संवर्द्धित है और इससे हाेने वाली मौतों का आंकड़ा सार्स से हुई मौतों की तुलना में 20 गुना तक पहुंच गया है।

चीन में कोरोना के संक्रमण का 2019 के आखिर में पता चला और उसके बाद ये दुनिया भर में फैला। इस महामारी को लेकर सूचनाओं एवं सोशल मीडिया पर चीन के शिंकजे तथा इस जनस्वास्थ्य संकट को लेकर शुरुआती कार्रवाई में देरी से अंतरराष्ट्रीय जगत में चीन के खिलाफ तगड़ा माहौल बन गया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना वायरस को कई बार चाइनीज़ वायरस कहा है। इस महामारी से प्रभावित विश्व के कई अन्य शक्तिशाली देश भी चीन की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं और उसके रवैये की खुल कर मुखालफत कर रहे हैं।

इस महामारी को लेकर वैश्विक आम धारणा का कोरोना पश्चात विश्व व्यवस्था की पुनर्स्थापना पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ेगा। इस समय दुनिया में सब कुछ थम सा गया है, केवल अमेरिका एवं चीन ही पहल कर रहे हैं। प्राचीन चीन में कागज़ के अविष्कार के पहले बांस की खपच्चियों पर लिखा जाता था और उन्हें किताबों या ग्रंथों के रूप में आधिकारिक रूप से दस्तावेजीकृत किया जाता है। उन्हें ‘ग्रीन लॉग’ कहा जाता था। चीन में कोई भी राजा अपना नाम उन पर लिखवाने में गौरव अनुभव करता था।

यदि कोरोना वायरस की महामारी के कारण 21वीं सदी में विश्व व्यवस्था में भारी परिवर्तन होता है तो सवाल यह है कि बांस की खपच्चियों पर अमेरिका का नाम लिखा जाएगा या चीन का। यह सब कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि अमेरिका और चीन अपनी अर्थव्यवस्थाओं को कैसे संभालते हैं। विश्व की पहली अर्थव्यवस्था अमेरिका और विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जापान अगर अपनी कंपनियों एवं विनिर्माण इकाइयों काे चीन से हटाते हैं तो विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन के आर्थिक अभ्युदय की प्रक्रिया को कल्पना से कहीं अधिक गहरा झटका लगेगा।

About Administrator Attack News

Dr.Sushil Sharma Admin/Editor

Check Also

Lunar Eclipse 2018:27-28 जुलाई को लगेगा सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण,जाने इसका प्रभाव Attack News

उज्जैन 26 जुलाई। 27-28 जुलाई, 2018 को 1 घंटा 43 मिनट की कुल अवधि का …

चन्द्र ग्रहण के ‘ ब्लड मून ‘ को भारत के साथ कई देशों में देखा गया Attack News

नयी दिल्ली 31 जनवरी । इस वर्ष का पहला चंद्रग्रहण आज भारत के साथ-साथ कई …

भारत में चन्द्र ग्रहण पर दिखेगा ‘ब्लड मून ‘ Attack News

हैदराबाद, 29 जनवरी । बीएम बिड़ला विज्ञान केन्द्र के निदेशक बी.जी सिद्धार्थ ने आज यहां …

सूर्य ग्रह का तुला राशि में जाकर नीच का होना शुभता और ऊर्जा की कमी रहेगी एक माह 

            भारतीय ज्योतिष में आत्मा का कारक एवं प्रत्यक्ष दिखाई …