नयी दिल्ली 13 नवंबर ।केंद्रीय गृहमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह ने महाराष्ट्र में राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश को संविधान सम्मत करार दिया है और विपक्ष की आपत्तियों को खारिज करते हुए कहा है कि यदि किसी पार्टी के पास बहुमत है तो वह राज्यपाल से संपर्क कर सरकार बनाने का दावा कभी भी पेश कर सकती है।
श्री शाह ने यहां एक बयान में कहा कि महाराष्ट्र में राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश पूरी तरह से न्यायसंगत है और इसमें कहीं से भी संवैधानिक मर्यादाओं का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। ऐसे में विपक्षी पार्टियों द्वारा महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू होने पर जो प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, यह केवल और केवल कोरी राजनीति है, इसके अलावा कुछ नहीं।
उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने भाजपा और शिव सेना को बारी-बारी से समय देने के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को कल (12 नवंबर 2019) रात्रि 08:30 बजे तक का समय दिया था लेकिन सवाल उठाने वाली पार्टियों को यह याद होना चाहिए की राकांपा ने कल 11 बजे से 12 बजे के बीच में ही राज्यपाल को राज्य में सरकार बनाने को लेकर अपनी असमर्थता जता दी थी। इसके बाद राज्यपाल महोदय के पास 08:30 बजे रात्रि तक रुकने का कोई औचित्य नहीं था।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए राज्यपाल ने 18 दिनों का समय दिया। विधानसभा के गठन की अधिसूचना के बाद 18 दिनों तक राज्यपाल ने राह देखी। विधान सभा की अवधि नौ नवंबर को समाप्त हो गई। इसके पश्चात राज्यपाल को कार्रवाई करनी होती है और उन्होंने रिकॉर्ड के लिए हर एक पार्टी को लिख कर पूछा लेकिन न तो हम बहुमत लेकर राज्यपाल के पास जा पाए और न ही शिवसेना अथवा राकांपा ही बहुमत लेकर उनके पास गई। ऐसी स्थिति में राज्यपाल क्या करते। जो पार्टियां ये बातें कर रही हैं कि हमें केवल एक दिन की मोहलत दी जबकि भाजपा को दो दिन का समय दिया, वे तो आज तक सरकार बनाने का दावा नहीं कर सकीं । यदि आज भी किसी पार्टी के पास बहुमत है तो वह राज्यपाल से संपर्क कर सरकार बनाने का दावा कर सकती है। इसलिए राज्यपाल पर मौक़ा न देने के आरोप का कोई औचित्य ही नहीं है। चूंकि कोई पार्टी राज्यपाल के पास बहुमत के आंकड़े पेश नहीं कर पाई, इसलिए राष्ट्रपति शासन लगाने की जरूरत पड़ी। यदि राष्ट्रपति शासन नहीं लगता तो यह भी आरोप लगता कि राज्यपाल भाजपा की ही अस्थायी सरकार चला रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यह बात निश्चित है कि इस बात पर विपक्ष कोरी राजनीति कर रहा है। दो दिन का समय मांगने वाली पार्टियों के पास अब छः महीने का वक्त है। आज भी सभी लोग सरकार बना सकते हैं। कपिल सिब्बल जैसे विद्वान वकील द्वारा इस तरह की बचकानी दलीलें देना कि हमें मौक़ा नहीं दिया गया, निहायत ही नासमझी और तथ्यों के विपरीत है।
श्री शाह ने कहा कि भाजपा ने लोकतंत्र और किसी भी तरह जनादेश का अपमान नहीं किया है। हम महाराष्ट्र में गठबंधन में चुनाव लड़े थे, हमें जनता का स्पष्ट जनादेश भी मिला लेकिन आज अगर गठबंधन के हमारे साथी ऐसी शर्तें रख दे जो हमें स्वीकार नहीं है तो हम क्या करें। हम अकेले भी सरकार नहीं बना सकते क्योंकि हमारे पास पर्याप्त संख्याबल नहीं है भले ही हम सबसे बड़ी पार्टी हैं। राज्यपाल शासन के लगने से यदि किसी पार्टी को नुकसान हुआ है तो वह भाजपा है।
उन्होंने कहा कि यह भाजपा का संस्कार नहीं है कि हम कमरे में हुई बातों को सार्वजनिक करें क्योंकि सार्वजनिक जीवन की एक गरिमा होती है लेकिन यदि विपक्षी पार्टियां ये चाहती हैं कि वे एक प्रकार की भ्रांति खड़ा करके जनता की सहानुभूति प्राप्त कर लेंगे तो उनको देश की जनता की समझ पर भरोसा नहीं है। हम तो तैयार थे शिवसेना के साथ सरकार बनाने के लिए लेकिन शिव सेना की कुछ मांगें ऐसी थी जिसे माना नहीं जा सकता।
श्री शाह ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने खुद कम से कम 100 बार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी कई बार सार्वजनिक मंचों से यह स्पष्ट कहा कि यदि हमारी महायुति की सरकार दोबारा चुन कर सत्ता में आती है तो श्री देवेन्द्र फडनवीस ही मुख्यमंत्री बनेंगे। तब इस पर कोई सवाल नहीं उठाया गया। आज यदि इस तरह की बातें सामने आती है तो भाजपा उचित फोरम पर आगे के क़दमों पर विचार करेगी।
उन्होंने कहा,“मैं एक बार पुनः यह स्पष्ट करना चाहता हूँ कि राष्ट्रपति शासन पर विपक्षी पार्टियों की हाय तौबा केवल और केवल जनता की सहानुभूति प्राप्त करने की कोरी राजनीति का निरर्थक प्रयास भर है, इसके सिवा कुछ भी नहीं। मैं महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव नहीं चाहता।”
उन्होंने यह भी कहा कि यदि आने वाले समय में सरकार गठन पर प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाती है तो छह महीने के समाप्त होने पर राज्यपाल कानूनी सलाह लेकर उचित निर्णय करेंगे। जो लोग कहते हैं कि हमें सरकार बनाने का मौका नहीं दिया गया, राज्यपाल ने असंवैधानिक काम कर दिया है और यह लोकतंत्र का हमारा अधिकार है तो मैं उनसे यही कहना चाहता हूँ कि हमारा आपका लोकतांत्रिक अधिकार आज भी है। यदि आपके पास बहुमत है तो आप आज भी राज्यपाल के पास जाकर सरकार बना सकते हैं।
शाह ने विपक्ष को महाराष्ट्र में सरकार बनाने की दी चुनौती
केंद्रीय गृह मंत्री ने महाराष्ट्र में विपक्ष को छह माह के भीतर बहुमत हासिल कर सरकार बनाने का दावा पेश करने की चुनौती दी।
श्री शाह ने कहा, “ महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की आवश्यकता इसलिए भी पड़ी कहीं विपक्ष ये आरोप ना लगाए कि राज्यपाल भाजपा की अस्थायी सरकार को चला रहे हैं। अब सबके पास छह महीने का समय है अगर किसी के पास बहुमत है तो राज्यपाल से मिल ले।”
गृह मंत्री ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने के केंद्र के निर्णय पर विपक्ष द्वारा ‘‘कोरी राजनीति’’ करने का आरोप लगाया और कहा कि यदि किसी दल के पास संख्याबल है तब वह अब भी राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा कर सकता है ।
शाह ने अपने ट्वीट में कहा, ‘‘ राज्यपाल महोदय ने अधिसूचना के बाद सभी पार्टियों को 18 दिन का समय दिया था। महाराष्ट्र में सभी पार्टियों को पूरा समय दिया गया। अब भी अगर किसी के पास संख्या है तो वे एकत्र होकर राज्यपाल के पास जा सकते हैं।’’
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि राष्ट्रपति शासन लगने से नुकसान भाजपा का हुआ है, विपक्ष का नहीं। उन्होंने कहा, ‘‘हम शिवसेना के साथ सरकार बनाने को तैयार थे, लेकिन उनकी कुछ शर्तें ऐसी थीं जिन्हें हम मान नहीं सकते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘ राष्ट्रपति शासन पर जो हाय तौबा मची है, वह जनता की सहानुभूति प्राप्त करने का निरर्थक प्रयास है । महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन को लेकर विपक्ष की प्रतिक्रियाएं एक कोरी राजनीति हैं, इसके अलावा कुछ नहीं है। राज्यपाल महोदय ने किसी प्रकार से भी संविधान का उल्लंघन नहीं किया है।’’
शाह ने कहा, ‘‘ हम गठबंधन में चुनाव लड़े थे और हम सबसे बड़ी पार्टी थे, लेकिन साथी दल ने ऐसी शर्त रखी जो हमें स्वीकार नहीं थी।’’
गौरतलब हे कि महाराष्ट्र में पिछले महीने हुए विधानसभा चुनाव के बाद से सरकार गठन को लेकर जारी गतिरोध के बीच मंगलवार शाम राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। इससे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की रिपोर्ट पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की थी ।
राज्य में पिछले महीने हुए विधानसभा चुनाव के बाद कोई भी दल सरकार नहीं बना पाया है। भाजपा और शिवसेना ने विधानसभा चुनाव साथ साथ लड़ा था और गठबंधन को बहुमत प्राप्त हुआ था। लेकिन मुख्यमंत्री पद के मुद्दे पर मतभेद होने के चलते दोनों दल सरकार नहीं बना सके ।
शिवेसना ने इस बात पर अड़ी हुई थी कि दोनों दलों के बीच मुख्यमंत्री सहित सत्ता का 50 : 50 अनुपात बंटवारा हो। पार्टी ने दावा किया कि इस फार्मूले पर चुनाव पूर्व दोनों दलों के बीच सहमति बनी थी।
भाजपा ने हालांकि ऐसा कोई फार्मूला तय होने से इंकार किया था । इसके बाद पार्टी ने रविवार को स्पष्ट किया था कि उसके पास सरकार बनाने लायक संख्या नहीं है।
शिवसेना ने सोमवार (11 नवंबर) को दावा किया था कि राकांपा और कांग्रेस ने उसे महाराष्ट्र में भाजपा के बिना सरकार बनाने के लिये सिद्धांत रूप में समर्थन देने का वादा किया है लेकिन राज्यपाल की ओर से तय समय सीमा समाप्त होने से पहले वह समर्थन का पत्र पेश करने में विफल रही। इस बीच, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने मंगलवार (12 नवंबर) को कहा कि कांग्रेस के समर्थन और ‘तीनों दलों के विचार-विमर्श के बिना महाराष्ट्र में सरकार नहीं बन सकती।
महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में शिवसेना के पास 56 सीटें हैं जबकि राकांपा और कांग्रेस के पास क्रमश: 54 और 44 सीटें हैं। राज्य में सरकार बनाने को इच्छुक किसी भी दल या गठबंधन को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कम से कम 145 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी।