नयी दिल्ली, एक जनवरी ।नव नियुक्त चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने बुधवार को कहा कि सशस्त्र बल अपने आप को राजनीति से दूर रखते हैं और सरकार के निर्देशों के अनुरूप काम करते हैं।
उनकी यह टिप्पणी उन आरोपों के बीच आयी है कि सशस्त्र बलों का राजनीतिकरण किया जा रहा है।
जनरल रावत ने यह भी कहा कि सीडीएस के तौर पर उनका लक्ष्य तीनों सेवाओं के बीच समन्वय और एक टीम की तरह काम करने पर केंद्रित होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने आप को राजनीति से दूर रखते हैं। हम मौजूदा सरकार के निर्देशों के अनुसार काम करते हैं।’’
जनरल रावत ने कहा कि उनका ध्यान यह सुनिश्चित करने पर होगा कि तीनों सेनाओं को मिले संसाधनों का सर्वश्रेष्ठ और सर्वोत्तम इस्तेमाल हो।
देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने बुधवार को अपना कार्यभार ग्रहण किया ।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनरल रावत को बधाई दी और कहा, “नये साल और नये दशक की शुरुआत के साथ ही भारत को जनरल बिपिन रावत के रूप में अपना पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ मिल गया है। मैं इस जिम्मेदारी के लिए उन्हें बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। वह एक उत्कृष्ट अधिकारी हैं जिन्होंने बहुत उत्साह के साथ भारत की सेवा की है।” उन्होंने कहा कि आवश्यक सैन्य विशेषज्ञता के साथ सैन्य मामलों के विभाग का गठन और सीडीएस के पद को संस्थागत रूप दिया जाना एक ऐसा महत्वपूर्ण और व्यापक सुधार है जो हमारे देश को आधुनिक समय के युद्ध की बदलती चुनौतियों का सामना करने में मदद करेगा ”।
चीफ ऑफ स्टाफ के तौर पर जनरल रावत तीनों सेनाओं के बारे में रक्षा मंत्री के मुख्य सैन्य सलाहकार होंगे। उनकी सेना को आंवटित बजट का युक्तिसंगत इस्तेमाल सुनिश्चित करने तथा संयुक्त नियोजन और एकीकरण के माध्यम से तीनों सेनाओं के लिए खरीद, प्रशिक्षण और संचालन में बेहतर समन्वय बनाने में बड़ी भूमिका होगी। उन्हें तीनों सेनाओं के लिए रक्षा खरीद येाजना तैयार करते समय स्वदेशी हथियारों तथा रक्षा उपकरणों की खरीद को बढ़ावा देने के हर संभव प्रयास भी करने होंगे।
देश के पहले सीडीएस का कार्यभार संभालने के बाद पत्रकारों से पहली बार बातचीत में जनरल रावत ने तीनों सेनाओं के बीच बेहतर समन्वय बनाने का वादा किया। उन्होंने कहा “सीडीएस को तीनों सेनाओं के बीच बेहतर समन्वय बनाने, सशस्त्र बलों को आवंटित संसाधनों का सर्वोत्तम आर्थिक उपयोग सुनिश्चित करने और खरीद प्रक्रिया में एकरूपता लाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि सेना, नौसेना और वायु सेना एक टीम के रूप में काम करेगी और सीडीएस इन सब के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करेगा।”
उन्होंने कहा, “टीम के रूप में, हम एक ऐसे लक्ष्य की दिशा में काम करेंगे जहां 1+1+1 या तो पांच हो या सात हो लेकिन तीन नहीं हो। मेरा मतलब है कि केवल समन्वित प्रयास नहीं बल्कि इससे बहुत अधिक होना चाहिए। हमें एकीकरण के जरिये यह हासिल करना होगा।”
सशस्त्र बलों का राजनीतिकरण किये जाने के विपक्ष के आरोपों की पृष्ठभूमि में उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा, “हम खुद को राजनीति से दूर रखते हैं। हम सरकार के निर्देशों के अनुसार काम करते हैं।”
पदभार ग्रहण करने के बाद जनरल रावत ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। रक्षा मंत्री ने उन्हें उनके यशस्वी एवं सफल कार्यकाल की शुभकामनाएं दीं।
इससे पहले जनरल रावत ने नयी दिल्ली के साउथ ब्लॉक के लाॅन में तीनों सेनाओं की सलामी गारद का निरीक्षण किया। इस अवसर पर नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया और सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवाणे भी मौजूद थे। जनरल रावत ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक जाकर पुष्प चक्र चढ़ाया और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
जनरल रावत राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, वेलिंगटन स्थित रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज और उच्च कमान राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज के पूर्व छात्र रह चुके हैं। उन्होंने अमरीका के फोर्ट लीवएनवर्थ से कमान और जनरल स्टाफ विषय की पढ़ाई की है। सेना में अपने लंबे कार्यकाल के दौरान जनरल रावत सेना के पूर्वी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर थल सेना की एक बटालियन का तथा कश्मीर और पूर्वोत्तर में भी सेना की टुकडि़यों का नेतृत्व कर चुके हैं।
जनरल रावत ने कांगो गणराज्य में विभिन्न देशों की सेनाओं की एक ब्रिगेड की भी कमान संभाली है। उनके पास सेना की पश्चिमी कमान में कई सैन्य अभियानों के संचालन का अनुभव है। सेना प्रमुख नियुक्त किए जाने के पहले वे सेना उप प्रमुख के पद पर काम कर चुके थे।
सेना में 41 वर्षों से ज्यादा समय के कामकाज के अनुभव के आधार पर जनरल रावत को उनकी उत्कृट सेवाओं के लिए कई वीरता और अतिविशिष्ट सेवा पदकों से सम्मानित किया जा चुका है।