कई बार विवादित बयानों के लिए चर्चा में रहे दिग्विजय सिंह के खिलाफ RSS के द्वितीय सरसंघचालक ‘गुरुजी’ को लेकर की गई टिप्पणी पर FIR दर्ज attacknews.in


( विशाल शर्मा)

नयी दिल्ली, 09 जुलाई । मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के अधिवक्ता राजेश जोशी ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिव गोळवलकर ‘गुरुजी’ को लेकर सोशल मीडिया पर एक फर्जी बयान साझा किये जाने को लेकर पुलिस रिपोर्ट दर्ज करायी है।

इंदौर के सुदामा नगर निवासी श्री जोशी ने शनिवार रात करीब साढ़े 11 बजे तुकोगंज थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए, 469, 500 और 505 के तहत प्राथमिकी दर्ज करायी।

श्री जोशी ने पुलिस रिपोर्ट में कहा है कि विश्व के सबसे बड़े निस्वार्थ समाजसेवी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विरुद्ध विद्वेषपूर्ण तरीके से दलितों, पिछड़ों, मुसलमानों और हिन्दुओं में शत्रुता, घृणा एवं वैमनस्यता पैदा कर आपस में उकसाने एवं वर्ग संघर्ष के उद्देश्य से जानबूझकर किए गए पोस्ट से उनकी, आरएसएस के स्वयंसेवकों और हिन्दू समाज की धार्मिक आस्था आहत हुई है।

कल अपराह्न करीब चार बजे मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री सिंह ने ट्विटर पर एक कथित अखबारी कतरन को साझा करते हुए लिखा,” गुरु गोलवलकर जी के दलितों पिछड़ों और मुसलमानों के लिए व राष्ट्रीय जल जंगल व ज़मीन पर अधिकार पर क्या विचार थे अवश्य जानिए।”

कथित अखबारी कतरन में गुरु गोलवलकर को उद्धृत करते हुए छापा गया है – “मैं सारी जिन्दगी अंग्रेज़ों की गुलामी करने के लिए तैयार हूँ लेकिन जो दलितों, पिछड़ों और मुसलमानों को बराबरी का अधिकार देती हो, ऐसी आजादी मुझे नहीं चाहिए।”

इस पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने गहरी आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि कांग्रेस नेता झूठ के सहारे सामाजिक विद्वेष फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।

संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने श्री सिंह के ट्वीट का जवाब देते हुए ट्विटर पर उन्हें संबोधित करते हुए लिखा, “श्री गोलवलकर गुरुजी के संदर्भ में यह ट्वीट तथ्यहीन है तथा सामाजिक विद्वेष उत्पन्न करने वाला है। संघ की छवि धूमिल करने के उद्देश्य से यह झूठा फोटोशॉप करके चित्र लगाया हैं। श्री गुरुजी ने कभी भी ऐसे नहीं कहा। उनका पूरा जीवन सामाजिक भेदभाव को समाप्त करने में लगा रहा।”

श्री सिंह के इस ट्वीट पर आम लोगों ने भी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और उनके ट्वीट को उनकी गरिमा और राजनीतिक हैसियत के प्रतिकूल करार दिया है।

वकील राजेश जोशी द्वारा इंदौर के तुकोगंज पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई FIR में उन्होंने कहा कि, दिग्विजय सिंह के द्वारा गोलवलकर गुरूजी की एक तस्वीर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर साझा करते हुए, उन्हें मुस्लिम विरोधी और दलित विरोधी बताया था।

इसके परिणामस्वरूप, सिंह के ऊपर भारतीय दण्ड संहिता की धाराओं 153A, 469, 500 और 505 के तहत एफआईआर दर्ज की गई।

दिग्विजय सिंह इस से पहले भी कई बार अपने विवादित बयानों के लिए चर्चा में रहे हैं।

दिग्विजय सिंह ने एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के अवसर पर मुंबई में हुए 26/11 आतंकवादी हमले में शहीद ATS चीफ हेमंत करकरे की मृत्यु को लेकर भी विवादित बयान दिया था, जिसमें उन्होंने उनकी मृत्यु को हिंदूवादी संगठनों से जोड़ने की कोशिश की थी।

हालांकि, कांग्रेस भी उनके इस बयान से पलड़ा झाड़ते हुए नज़र आई थी, कुछ समय बाद दिग्विजय सिंह भी अपने दिए बयान से पलट गए थे।

दिग्विजय सिंह के विवादित बयानों का सिलसिला यहीं नहीं थमा, इसके बाद 2017 में सिंह ने भारत में बैन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (IRF) संगठन के एक कार्यक्रम में ज़ाकिर नाइक के साथ मंच साझा किया और ज़ाकिर नाइक द्वारा किए गए कार्यों की सराहना भी की, यह तक कि उन्हें “मैसेंजर ऑफ पीस” भी बताया |

ज्ञात हो, 2008 में हुए बाटला हाउस एनकाउंटर को भी दिग्विजय सिंह नकली बता चुके हैं, जिसमें स्वर्गीय मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए थे, साथ ही एनकाउंटर में मारे गए आतंकवादियों को दिग्विजय सिंह ने मासूम बताया था।
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पार्टी के नाम और सिंबल को लेकर काका भतीजे में छिड़ी  जंग


मुंबई 05 जुलाई ।शरद पवार और अजित पवार के बीच पार्टी के नाम और सिंबल को लेकर घमासान जारी है।

दोनों ही गुट पार्टी के नाम और सिंबल को लेकर आमने-सामने हैं और निरंतर बैठकों का दौर जारी है।

अजित पवार की बुलाई बैठक में विधायकों और समर्थकों का पहुंचना शुरू हो गया था। वहीं, शरद पवार ने 1 बजे नरीमन पॉइंट पर वाई.बी. चव्हाण सेंटर में सभी विधायकों, सांसदों और जिले से लेकर तालुका स्तर तक सभी अधिकारियों और इकाइयों के पार्टी कार्यकर्ताओं को एकत्रित होने का कहा था।

इस महत्वपूर्ण बैठक से पहले सुप्रिया सुले और अनिल देशमुख ये.बी. चोहान सेंटर पहुंचे। दूसरी और, अजित पवार भी मजबूत दिखाई दे रहे हैं और उनकी बुलाई बैठक में 30 विधायक एकत्रित हुए।”

राष्ट्र-चिंतन: मोदी के लिए भस्मासुर हैं जेपी नड्डा ? मोदी के 2024 मिशन के खलनायक साबित होंगे नड्डा □ विष्णुगुप्त

नरेन्द्र मोदी के अभियान 2024 के लिए नड्डा भस्मासुर साबित होंगे, खलनायक साबित होंगे, कमजोर कड़ी साबित होंगे? नड्डा के अंहकार, जातिवादी मानसिकताएं, अति महत्वाकांक्षाएं अब मोदी और भाजपा के लिए भारी नुकसान के कारण बन रहीं हैं। दिल्ली नगर निगम और हिमाचल में भाजपा की हार को नड्डा की कारस्तानी मानी जा रही है।


भाजपा के वर्तमान केन्द्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के संबंध में दो उदाहरणों को देखिये। पहला उदाहरण यह है, जब कद छोटा होता है, अनुभव छोटा होता है, निम्न और सीमित होता है, प्रबंधन कौशल औसत के नीचे होता है तथा प्रतिद्वंदी-प्रतिस्पर्द्धा में फिसड्डी होता है तब कोई करिशमा और चमत्कार करने या फिर कुशल नेतृत्व देने की उम्मीद ही नहीं बनती है।

दूसरा उदाहरण यह है, एक बार जंगल का राजा एक बंदर को चुन लिया गया। जंगल के परमपरागत राजा शेर को यह स्वीकार नहीं हुआ, स्वीकार भी कैसे होता,यह उसकी शक्ति के खिलाफ थी और उसके लिए अपमानजनक बात थी। उसने बंदर को राजा चुनने में मुख्य भूमिका निभाने वाले शियार के बच्चे को उठा लिया। शियार शिकायत लेकर राजा बंदर के पास पहुंचा, बंदर बोला मैं कुछ कर रहा हूं, बंदर की शक्ति शेर से टकराने की तो नहीं थी, वह कैसे टकराता, उसने एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर दौड लगाने की भूमिका निभानी शुरू कर दी, यह देख कर शियार बोला, आप यहां उछल-कूद कर रहे हैं वहां शेर हमारे बच्चे को खा रहा होगा, इस पर शियार बोला कि हम उछल-कूद कर प्रयास तो कर रहे हैं अब शेर से मैं कैसे टकरा सकता हूं?

इन दोनों उदाहरणों का साफ संदेश है कि अक्षम और अनुभवहीन व्यक्ति को कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल जाती है तो फिर वह उस जिम्मेदारी के साथ न्याय तो कर ही नहीं सकता और इसके अलावा जिम्मेदारी से संबंधित कोई प्रेरणादायी उदाहरण प्रस्तुत कर सकता है, प्रतिपर्द्धी को पराजित करने की बात दूर रही।

सत्ताधरी पार्टी का केन्द्रीय अध्यक्ष होना एक बहुत बडी बात है और बहुत बड़ी उपलब्धि है। पर नड्डा अपनी जिम्मेदारी के साथ न्याय नहीं कर पा रहे हैं, नड्डा की घोर स्वच्छंता और जातिवादी मानसिकताएं भाजपा के उपर हावी हो रही हैं और भाजपा के लिए नुकसानकुन भी साबित हो रही हैं। दिल्ली के नगर निगम चुनाव में अरविन्द केजरीवाल की जीत और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की जीत की कसौटी पर नड्डा खलनायक के तौर पर ही सामने हैं।                

नड्डा अक्षम और अनुभवहीन क्यों और कैसे हैं? नड्डा हिमाचल प्रदेश जैसे छोटे राज्य की राजनीति के अनुभव रखते थे। छोटे प्रदेश की राजनीति और बड़े प्रदेश की राजनीति का अनुभव में जमीन-आसमान का अंतर होता है, विशेषकर केन्द्रीय राजनीति की कसौटी पर छोटे राज्य की राजनीति कोई उल्लेखनीय नहीं होती है। छोटे प्रदेश की राजनीति में भी नड्डा की राजनीति कोई बेहद ईमानदार, कर्मठ और प्रेरणादायी नहीं रही है। उनकी राजनीति ऐसी नहीं रही थी कि उन्हें केन्द्रीय राजनीति में इस तरह के प्रभावशाली और सर्वश्रेष्ठ पद को सुशोभित करने का पात्र समझ लिया जाये। ये हिमाचल प्रदेश में मंत्री थे। मंत्री के रूप में इनकी छवि कर्मठ और बेहद ईमानदार की नहीं रही थी। जब ये मंत्री थे तभी हिमाचल प्रदेश में भाजपा सत्ता में कमजोर हुई थी।

केन्द्रीय मंत्री के तौर पर इनका कामकाज औसत ही था। ये चरणवंदना संस्कृति के राजनीतिज्ञ हैं, इन्होंने चरणवंदना की शक्ति पहचानी। ये कभी हिमाचल प्रदेश का मुख्यमंत्री बनना चाहते थे। इनके लिए अवसर था। धूमल विधान सभा चुनाव हार चुके थे। लेकिन ये मुख्यमंत्री नहीं बन सके। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बन गये।

इन्होंने यह खबर उड़ायी थी कि ब्राम्हण होने के कारण उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया। भाजपा के लोग कहते हैं कि इन्होंने हिमाचल प्रदेश में भाजपा के ठाकुरों की राजनीतिक शक्ति को जमींदोज करने की कसमें खायी थी। जयराम ठाकुर की हार के बाद नड्डा के प्रतिज्ञा पूरी हो गयी।          

हिमाचल प्रदेश में भाजपा की हार के लिए नड्डा को ही भस्मासुर और खलनायक माना जा रहा है। नड्डा पर सरेआम आरोप लग रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के भाजपा नेताओं से पूछ लीजिये आपको पता लग जायेगा, नड्डा के खिलाफ भाजपा नेताओं की भस्मासुर वाली प्रतिक्रिया आपको सुनने के लिए मिल जायेगी। नड्डा ही नहीं बल्कि अनुराग ठाकुर भी  भस्मासुर की श्रेणी में थे।

आपको याद होना चाहिए कि हिमाचल प्रदेश में भाजपा के कमजोर होने और सत्ता से बाहर होने के खतरे का अहसास काफी पहले से किया जा रहा था। मीडिया और भाजपा में हमेशा इस बात को लेकर चर्चा हो रही थी। जयराम ठाकुर ईमानदार मुख्यमंत्री थे। लेकिन नड्डा के हस्तक्षेप और विरोधियों के संरक्षण देने के कारण लाचार थे। वे गुटबाजी पर लगाम लगा नहीं पा रहे थे। गुटबाजी पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी केन्द्रीय नेतृत्व को थी। लेकिन केन्द्रीय नेतृत्व ने समय पर विरोधियों को सबक सिखाने या फिर उनकी शिकायतों को दूर करने की जिम्मेदारी नहीं निभायी। इसका दुष्परिणाम क्या हुआ, यह भी देख लीजिये। कोई एक नहीं बल्कि 22 बागी चुनाव में खडे हो गये। ये बागी भाजपा को हराने में बड़ी भूमिकाएं निभायी। बागियों पर नियंत्रण करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आगे आना पड़ा था। तब तक बहुत देर हो चुकी थी। नरेन्द्र मोदी ने एक बागी को बैठने के लिए खुद कॉल किया था। यह पहला अवसर था जब प्रधानमंत्री ने किसी बागी को बैठने के लिए खुद कॉल किया था, इसके पहले नरेन्द्र मोदी बड़े से बड़े बागी को मनाने की परवाह तक नहीं की थी। वह बागी चुनाव में खड़ा रहा, इतना ही नहीं बल्कि उसने नड्डा के खिलाफ भी बहुत वीभत्स भड़ास निकाली थी।

हिमाचल प्रदेश में चुनाव में मंत्रियों को हराने की परम्परा है, इसलिए जयराम ठाकुर सभी मंत्रियों का टिकट काटना चाहते थे। लेकिन केन्द्रीय नेतृत्व ने बात नहीं मानी। जयराम ठाकुर मंत्रिमंडल के एक मंत्री को छोड़कर सभी मंत्री हार गये।                      

दिल्ली नगर निगम की हार के लिए भी नड्डा का ब्राम्हणवादी दृष्टिकोण रहा है। दिल्ली नगर निगम चुनाव का टिकट फाइनल नड्डा ने ही किया था। नड्डा ने दिल्ली प्रदेश के कुचर्चित संगठन महामंत्री सिद्धार्टन के साथ मिल कर टिकट बांटा था। कोई एक दो नहीं बल्कि लगभग पचास टिकट ब्राम्हण जाति को दिया था। 250 में 50 टिकट ब्राम्हणों को मिला था। यानि कि भाजपा का हर पाचवां उम्मीदवार ब्राम्हण था। इसका संकेत गलत गया। खासकर पिछडी और कमजोर राजनीति में यह प्रश्न काफी मुखर था। इस प्रश्न का लाभ अरविंद केजरीवाल खूब उठाया। भाजपा का परमपरागत वोट भी भाजपा के ब्राम्हणवाद के खिलाफ चला गया। दिल्ली में हार पर प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता का इस्तीफा तो ले लिया गया पर दिल्ली और हिमाचल प्रदेश में हार पर नड्डा नैतिक जिम्मेदारी लेकर इस्तीफा क्यों नहीं दिया ? यह प्रश्न आज भाजपा के समर्पित कार्यकर्ताओं में खूब घूम रहा है।                

उत्तराखंड में भी ब्राम्हण बनाम ठाकुर की राजनीति में भाजपा का नाश करने की पूरी कोशिश की गयी। ठाकुर जाति के बर्चस्व को समाप्त कर ब्राम्हण राजनीति स्थापित करने की पूरी कोशिश की गयी। पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत और फिर तीरथ सिंह रावत की हवा खराब की गयी। लेकिन कांग्रेस अपनी करतूतों के कारण हार गयी। अब पुस्कर सिंह धामी के खिलाफ भाजपा के केन्द्रीय कार्यालय से अनोली-बालोनी ब्राम्हण लॉबी सक्रिय है। उस बा्रम्हण लॉबी व नेता को नड्डा का संरक्षण और समर्थन भी प्राप्त है। भाजपाई और गैर भाजपाई ब्राम्हण पत्रकार भी उत्तराखंड में ठाकुरों की राजनीति को जमींदोज कर ब्राम्हण मुख्यमंत्री बनवाने के लिए अति सक्रिय है। यह सब मीडिया के लोगों को मालूम है।        

भाजपा का केन्द्रीय कार्यालय स्वच्छंदता का प्रतीक बन गया है और जातिवाद का ही नहीं बल्कि मोदी विरोधियो का अड्डा भी बन गया है। विष कन्याओं, प्रोफेशनरों और जातिवादी तथा मोदी विरोधियों को भाजपा केन्द्रीय कार्यालय में विशेष सुविधाएं मिलती है। मीडिया विभाग में जाकर कोई इसका अध्ययण कर सकता है। गुजरात में नड्डा की कारस्तानी और जातिवादी हस्तक्षेप इसलिए नहीं चल सका कि नरेन्द्र मोदी और अमित शाह खुद चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी संभाली थी।            

भाजपा कभी मध्य प्र्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ और महाराष्ट में हार चुकी थी। हरियाणा में भी भाजपा को बहुमत नहीं मिला था। अभी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ और राजस्थान में विधान सभा चुनाव होने वाले हैं। फिर 2024 में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। इसलिए नरेन्द्र मोदी खुशफहमी में नहीं रहें, किसी संगठन के भरोसे नहीं रहें। अन्यथा 2024 में बहुमत से वंचित भी हो सकते हैं। नड्डा निसंकोच भाजपा और मोदी के लिए भस्मासुर और खलनायक साबित हो सकते हैं।

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विष्णुगुप्त

VISHNU GUPT
COLUMNIST
NEW DELHI

राहुल की जिद के आगे बेबस हुए दिग्गी-कमल;राहुल गांधी ने कमल नाथ और दिग्विजय सिंह को मिलाया गले attacknews.in

सोयतकलां (आगर मालवा) 5 दिसम्बर । मध्य प्रदेश और राजस्थान की सीमा पर स्थित डोंगरगांव में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का प्रदेश में अंतिम पड़ाव रहा।


यहां नुक्कड़ सभा में राहुल गांधी ने पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ और दिग्विजय सिंह को गले मिलाया।

यह घटनाक्रम उस समय हुआ जब मंच संचालन कर रहे कांग्रेस नेता ने संबोधन के लिए कमल नाथ को बुलाया।

तभी राहुल गांधी भी कमल नाथ और दिग्विजय सिंह के बीच पहुंचे और कहा पहले आप गले मिलो। इस पर दोनों नेता मुस्कुरा दिए। तो राहुल फिर बोले नहीं पहले आप गले मिलो, गले मिलो। फिर दोनों नेता हाथों में हाथ डालकर एक साथ आए।

इसके बाद राहुल गांधी भी साथ आए और तीनों ने सभा में मौजूद लोगों का अभिवादन किया।

दरअसल कमल नाथ और दिग्विजय सिंह के बीच खींचतान और मन मुटाव जैसी बातें सामने आती रहती हैं। भाजपा नेता भी कई बार इस बात को हवा दे चुके हैं। ऐसे में भारत जोड़ो यात्रा के मध्य प्रदेश में समापन के मौके पर नुक्कड़ सभा में दोनों नेताओं को गले मिलाना चर्चा का विषय बना हुआ है। attacknews.in

विपक्षी दलों का प्रधानमंत्री पद का चेहरा बनने के लिए नीतीश कुमार कभी भी बिहार में भाजपा का साथ छोड़कर महागठबंधन की सरकार बना लेंगे;अस्पताल के वार्ड में लिखी गई उठापटक की पटकथा!attacknews.in

जेडीयू-बीजेपी में तनातनी के बीच बिहार के CM नीतीश कुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से संपर्क किया

पटना/नईदिल्ली 8 अगस्त।बहुत ही बड़ी रणनीति के तहत बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्ष का प्रधानमंत्री पद के लिए सर्वमान्य चेहरा बनने के लिए सोनिया गांधी और लालू प्रसाद यादव को साधकर एनडीए से अलग होने की तैयारी कर ली हैं और कभी भी बिहार में महागठबंधन की सरकार बनाकर विपक्षी दलों का नेतृत्व कर सकते हैं ।

दिन बुधवार और तारीख थी छह जुलाई। यही कोई सुबह 11:00 बजे का वक्त था। पटना के पारस अस्पताल के बाहर अचानक सुरक्षा इंतजाम चाक-चौबंद होने लगे। पुलिस प्रशासन से लेकर सुरक्षा एजेंसियों का पूरा अमला चंद मिनट में अस्पताल को अपने घेरे में ले चुका था।

इतनी सतर्कता के बीच अचानक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पारस अस्पताल के ग्राउंड फ्लोर पर बने वीवीआइपी वार्ड में लालू यादव से मिलने पहुंचते हैं।

वार्ड में ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछा जाता है कि क्या लालू यादव को सरकारी खर्चे पर दिल्ली भेजा जाएगा। सवाल सुनते ही नीतीश कुमार ने कहा…यह कोई पूछने वाली बात है। लालू जी को तो सिंगापुर लेकर जाना था इलाज के लिए। फिलहाल दिल्ली एम्स में उनकी सभी जाचें होंगी और इलाज होगा। उसके बाद डॉक्टर तय करेंगे कि आगे क्या किया जाना है।

इसके बाद बिहार में सियासी अटकलों के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से फोन पर बात करने का दावा किया जा रहा है. बताया गया है कि दोनों नेताओं के बीच मौजूदा राजनीतिक हालात पर चर्चा हुई।

बताया जा रहा है कि आने वाले 48 घंटे बिहार में गठबंधन राजनीति के लिए बेहद अहम हैं. जेडीयू एक बार फिर महा गठबंधन के साथ फिर से सरकार बना सकता है. बीजेपी को छोड़कर सभी दलों ने विधायक दल की बैठक बुलाई है।

सूत्रों के मुताबिक, सांसदों और विधायकों की बैठक में अहम फैसला हो सकता है. 2017 में महागठबंधन से अलग होकर जेडीयू एनडीए में शामिल हुई थी. 2015 के विधानसभा चुनाव के बाद महागठबंधन बना था, तब उसके साथ जदयू भी थी.

कांग्रेस प्रभारी पटना रवाना

इस बीच बिहार कांग्रेस प्रभारी पटना रवाना हो गए हैं. आरसीपी सिंह के इस्तीफे के बाद जेडीयू ने पार्टी सांसदों की बैठक बुलाई है, जिसके बाद सूबे की राजनीति में अटकलों का दौर तेज हो गया है. पार्टी ने सभी सांसदों को सोमवार शाम तक पटना आने को कहा है. इस बैठक में जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह भी मौजूद रहेंगे.

कई पार्टियों ने बुलाई बैठक

इसके अलावा मंगलवार को कांग्रेस ने भी विधायक दल की बैठक बुलाई है. जबकि आरजेडी ने भी अपने विधायकों से पटना में रहने को कहा है. इन सारे घटनाक्रमों से अटकलें लगाई जा रही हैं कि बिहार की राजनीति जल्द ही करवट लेने वाली है.

हालांकि जेडीयू यह भी कह रही है कि वह नरेंद्र मोदी कैबिनेट का हिस्सा नहीं बनेगी लेकिन दोनों पार्टियां साथ हैं. मगर राजनीतिक घटनाक्रम को देखते हुए अटकलें तेज हो गई हैं कि दोनों पार्टियों के बीच सब ठीक नहीं है.

पिछले महीने सीएम नीतीश कुमार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह में भी नहीं आए थे. कल 7 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली नीति आयोग की बैठक से भी सीएम नीतीश कुमार नदारद रहे.

भाजपा-जद यू की दोस्ती टूटने की नौबत…

बिहार में चल रही भाजपा-जद यू की दोस्ती टूटने की नौबत किनारे पर है। बिहार में तेज हुई सियासी हलचल के बीच बड़े फेरबदल की भी संभावनाएं जताई जा रही हैं। साथ ही जेडीयू और भाजपा की राहें भी अलग होने के आसार हैं।

शनिवार को ही पूर्व केंद्रीय मंत्री ने भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच जदयू से इस्तीफा दे दिया था। बिहार में आरसीपी सिंह और कुमार के बीच बीते कुछ समय से मतभेद की खबरें हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, बीते साल केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में सिंह बगैर कुमार की सहमति के केंद्रीय मंत्री बन गए थे।जारी सियासी उथल-पुथल के बीच आज राज्य के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने का वक्त मांगा है. बीते कुछ दिनों की सियासी घटनाओं के कारण शुरू हुए प्रतिक्रियाओं के दौर के बीच उपमुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री से मिलने का वक्त मांगा है. मुलाकात के दौरान राज्य की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा होने की संभावना है. इधर, कांग्रेस ने भी अपने विधायकों की एक बैठक पटना में बुलाई है.

गौरतलब है कि इन दिनों बीजेपी और जेडीयू के बीच खूब खींचतान हो रही है. लेकिन दोनों पार्टियां इस बात को स्वीकार नहीं कर रहीं हैं. जेडीयू ने अपनी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी बीजेपी के साथ अनबन की अटकलों को खारिज करते हुए उसके साथ सब कुछ ठीक होने का दावा किया है, लेकिन यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वह फिर से केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं होगी.

जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन ने रविवार को पटना में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अनुपस्थिति के बारे में सवालों को खारिज करते हुए कहा, ”आपको मुख्यमंत्री से इस बारे में पूछना चाहिए.

नीति आयोग की बैठक में नीतीश की अनुपस्थिति को लेकर आधिकारिक तौर पर कोई स्पष्टीकरण अब तक नहीं आया है पर मुख्यमंत्री के करीबी सूत्रों के अनुसार कोरोना वायरस से संक्रमण के बाद की अपनी शारीरिक कमजोरी का हवाला देते हुए नीतीश ने उक्त बैठक में शामिल होने पर असमर्थता जताई. हालांकि, इस वजह से कयासों का गौर निकल पड़ा है.

उधर विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने अपने विधायकों को अगले कुछ दिनों के लिए पटना में रहने का आदेश दिया है, जिससे अटकलें लगाई जा रही हैं कि राज्य में एक और महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम होने वाला है.

ललन ने बीजेपी के साथ सबकुछ ठीक होने का दावा करते हुए राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनावों में जेडीयू के समर्थन का हवाला दिया. उन्होंने कहा, ”हमारे पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह ने व्हीलचेयर पर मतदान केंद्र पहुंचकर मतदान किया जेडीयू अध्यक्ष ने कहा, ”बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग)के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का इससे मजबूत प्रदर्शन नहीं हो सकता.

अश्विनी चौबे ने कहा की बिहार में कोई संकट नही है;

अश्विनी चौबे केंद्रीय मंत्री,ने बिहार के राजनीतिक हालात पर कहा की कोई संकट नही है,गठबंधन है और रहेगा,अफवाहों का बाजार गर्म है,नीतीश दिल्ली नही आए कुछ कारण हो सकते है लेकिन गठबंधन बरकरार रहेगा।

नीतीश कुमार ने सोनिया गांधी को मिलाया फोन?

इधर नीतीश कुमार ने भारतीय जनता पार्टी से तकरार की खबरों के बीच विधायकों और सांसदों की बैठक बुलाई ।

उन्होंने रविवार को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी बात की। खास बात है कि जनता दल यूनाइटेड के नेता पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कैबिनेट में शामिल होने के बात से इनकार कर चुके हैं।

कांग्रेस हो रही सक्रिय!-

रविवार को दिल्ली में पीएम मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की बैठक हुई थी, जिसमें राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी समेत कई बड़े नाम शामिल हुए थे। खास बात है कि इस मीटिंग से कुमार गायब रहे थे। जबकि, खबरें हैं कि वह प्रदेश की राजधानी पटना में आयोजित दो कार्यक्रमों में शामिल हुए थे।विधायक दल की बैठक बुलाई है।

बिहार विधानसभा में दलीय स्थिति :

कुल सदस्य 243
भाजपा 77
जदयू 45
हम 4
निर्दलीय 1
कुल 127
महागठबंधन
राजद 80
कांग्रेस 19
भाकपा माले 12
भाकपा 2
माकपा 2
एआईएमआईएम 01
-कुल 115

अस्पतालों के वार्डों में लिखी गई राजनीतिक उठापटक की पटकथा!

दिन बुधवार और तारीख थी छह जुलाई। यही कोई सुबह 11:00 बजे का वक्त था। पटना के पारस अस्पताल के बाहर अचानक सुरक्षा इंतजाम चाक-चौबंद होने लगे। पुलिस प्रशासन से लेकर सुरक्षा एजेंसियों का पूरा अमला चंद मिनट में अस्पताल को अपने घेरे में ले चुका था।

इतनी सतर्कता के बीच अचानक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पारस अस्पताल के ग्राउंड फ्लोर पर बने वीवीआइपी वार्ड में लालू यादव से मिलने पहुंचते हैं।

वार्ड में ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछा जाता है कि क्या लालू यादव को सरकारी खर्चे पर दिल्ली भेजा जाएगा। सवाल सुनते ही नीतीश कुमार ने कहा…यह कोई पूछने वाली बात है। लालू जी को तो सिंगापुर लेकर जाना था इलाज के लिए। फिलहाल दिल्ली एम्स में उनकी सभी जाचें होंगी और इलाज होगा। उसके बाद डॉक्टर तय करेंगे कि आगे क्या किया जाना है।
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लोकसभा चुनाव के पहले ही बिखर गया विपक्ष;राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति चुनाव से विपक्ष में उभरा मतभेद, कांग्रेस-टीएमसी में घमासान तेज attacknews.in

नयी दिल्ली 8 अगस्त । राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया खत्म हो चुकी है लेकिन कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बीच जुबानी जंग शुरू होने के साथ विपक्षी दलों में कड़वाहट बढ़ती दिख रही है।

इन चुनावों में विपक्षी दलों के उम्मीदवारों की हार अपेक्षित थी, लेकिन कई लोगों को तब हैरानी हुई जब विपक्ष के बीच राजनीतिक मतभेद उजागर हो गया। विश्लेषकों का कहना है कि दोनों मुख्य विपक्षी दलों के वाकयुद्ध में उतरने और टीएमसी के उपराष्ट्रपति चुनाव से दूरी बनाने के फैसले से 2024 के आम चुनाव की लिए तैयारी कर रहे विपक्ष के मनोबल पर असर पड़ा है और उनकी राजनीतिक संभावना को भी नुकसान पहुंचने की आशंका है।

कांग्रेस और टीएमसी राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष का साझा उम्मीदवार तय करने के लिए श्रेय लेने की होड़ में थी लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव के दौरान दोनों के मतभेद उजागर हो गए।

कांग्रेस की वरिष्ठ नेता मार्गरेट आल्वा को विपक्ष ने सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के जगदीप धनखड़ के खिलाफ उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए मैदान में उतारा, लेकिन ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी ने घोषणा की कि पार्टी चुनाव से दूर रहेगी क्योंकि उम्मीदवार पर फैसला करने से पहले कोई उचित परामर्श नहीं हुआ।

आल्वा की पहली प्रतिक्रिया कठोर थी , जिसमें उन्होंने कहा कि यह अहंकार या क्रोध का समय नहीं है, बल्कि साहस, नेतृत्व और एकजुटता का समय है। हालांकि, उन्हें उम्मीद थी कि बनर्जी साथ देंगी और उनका समर्थन करेंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

हार के बाद कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सार्वजनिक टिप्पणी में टीएमसी को लेकर नाराजगी प्रकट की। रमेश ने ट्वीट कर कहा कि मार्गरेट आल्वा ने एक उत्साही अभियान चलाया और यह बहुत बुरा है कि टीएमसी ने उनका समर्थन नहीं किया। उन्होंने कहा कि भारत को अपनी पहली महिला उपराष्ट्रपति के लिए इंतजार करना होगा।

आल्वा ने चुनाव में उनका समर्थन नहीं करने को लेकर तृणमूल कांग्रेस पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा का प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से समर्थन करके, कुछ दलों और उनके नेताओं ने अपनी विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाया है।

आल्वा ने कहा कि यह चुनाव विपक्ष के लिए साथ मिलकर काम करने, अतीत को भुलाने और विश्वास बहाल करने का अवसर था।

आल्वा ने कहा, ‘‘चुनाव संपन्न हो गया। हमारे संविधान की रक्षा करने, लोकतंत्र को मजबूत बनाने और संसद की गरिमा बहाल करने के लिए संघर्ष जारी रहेगा।’’

वहीं, टीएमसी नेता साकेत गोखले ने एक टीवी चैनल पर कहा कि कांग्रेस टीएमसी की सहयोगी नहीं है और वे समान विचारधारा वाली पार्टियां थीं।

उन्होंने उपराष्ट्रपति चुनाव के बाद कहा, ‘‘कांग्रेस ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ पश्चिम बंगाल में टीएमसी के खिलाफ लड़ाई लड़ी। जिस तरह से विपक्षी उम्मीदवार का फैसला किया गया था, उसके कारण हमने दूर रहने का फैसला किया।’’

टीएमसी के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने रविवार को धनखड़ को उनकी जीत पर बधाई दी और कहा, ‘‘आशा और कामना है तथा आग्रह है कि आप उन सभी लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरेंगे, जिन्होंने आपको वोट दिया और समर्थन किया और जो अनुपस्थित रहे या मतदान या समर्थन नहीं किया। जय हिंद!’’

विपक्षी दलों में मतभेद ही नहीं उजागर हुए बल्कि इन दलों को चुनावों में ‘क्रॉस वोटिंग’ का भी सामना करना पड़ा।

राष्ट्रपति चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने विपक्षी दलों के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का समर्थन करने के बजाय राजग उम्मीदवार का साथ दिया।

असम, झारखंड और मध्य प्रदेश विधानसभाओं में बड़ी संख्या में विपक्षी दलों के विधायकों ने भाजपा के नेतृत्व वाले राजग की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया।

उपराष्ट्रपति चुनाव में, शिशिर अधिकारी और उनके बेटे दिब्येंदु अधिकारी ने अपनी पार्टी टीएमसी के मतदान से दूर रहने का फैसला करने के बावजूद मतदान किया।

राजग उम्मीदवार मुर्मू और धनखड़, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनावों में आराम से जीत गए और विपक्ष को अपेक्षित संख्या से भी कम समर्थन मिला।

राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई ने कहा कि चुनावों के परिणाम पहले से ही स्पष्ट थे, लेकिन विपक्षी दलों के बीच एकजुटता की कमी ने सत्तारूढ़ राजग को चुनौती देने वाली पार्टियों के लिए 2024 की राह को और कठिन बना दिया है।

किदवई ने कहा, ‘‘विपक्षी दलों में दरार उजागर हो गई है। इसने विपक्ष के लिए 2024 को लेकर बहुत सारी समस्याएं पैदा कर दी हैं क्योंकि इसने दो प्रमुख विपक्षी दलों के बीच संवाद की कमी को उजागर किया है तथा दोनों दलों के बीच एक-दूसरे के नेताओं को अपने पाले में करने का दौर फिर से शुरू होने की खबर है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस स्थिति में पहुंचने के लिए दोनों दल जिम्मेदार हैं। कांग्रेस को यह समझना चाहिए कि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी उसकी सबसे बड़ी ताकत है और इसी तरह टीएमसी को यह समझने की जरूरत है कि कांग्रेस देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी बनी हुई है।’’

इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुए, राजनीतिक टिप्पणीकार और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के प्रोफेसर संजय के पांडे ने कहा कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनावों में जो हुआ वह विपक्षी दलों के लिए ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों की आलोचना की सार्वजनिक टिप्पणियों ने कोई मदद नहीं की और असल में मतभेदों को बढ़ाया।

पांडे ने कहा ,उनकी एकजुटता से परिणाम पर कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन 2024 के चुनावों के लिए एक संदेश जाता।

उन्होंने कहा, ‘‘इससे पता चलता है कि उनमें से कोई भी एकता के बारे में चिंतित नहीं है, बल्कि केवल उन्हें अपने हित से मतलब है।’’
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राहुल गांधी ने अरुणाचल से एक लड़के के लापता होने के मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बुज़दिल कहा attacknews.in

नयी दिल्ली, 20 जनवरी । कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अरुणाचल प्रदेश के एक किशोर का चीन के सैनिकों द्वारा अपहरण किए जाने संबंधी भाजपा सांसद तापिर गाव के दावे को लेकर बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि इस मामले पर प्रधानमंत्री की चुप्पी से साबित होता है कि उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।

उन्होंने यह भी कहा कि वह इस किशोर के परिवार के साथ खड़े हैं।

गौरतलब है कि अरुणाचल प्रदेश से सांसद तापिर गाव ने बुधवार को कहा था कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने राज्य में भारतीय क्षेत्र के अपर सियांग जिले से 17 वर्षीय एक किशोर का अपहरण कर लिया है।

उन्होंने ट्वीट कर यह भी कहा कि अपहृत किशोर की पहचान मिराम तरोन के रूप में हुई है। उन्होंने दावा किया कि चीनी सेना ने सियुंगला क्षेत्र के लुंगता जोर इलाके से किशोर का अपहरण किया।

इस मामले पर राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘गणतंत्र दिवस से कुछ दिन पहले भारत के एक भाग्य विधाता का चीन ने अपहरण किया है। हम मिराम तरोन के परिवार के साथ हैं और उम्मीद नहीं छोड़ेंगे, हार नहीं मानेंगे।’’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘प्रधानमंत्री की बुज़दिल चुप्पी ही उनका बयान है- उन्हें फ़र्क़ नहीं पड़ता!’’

भारतीय सेना ने अरुणाचल से लापता लड़के का पता लगाने के लिए पीएलए से मदद मांगी

इधर भारतीय सेना ने चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) से लापता एक लड़के मिराम टैरोन का पता लगाने और स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार उसे वापस करने के लिए सहायता मांगी है। रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

अरुणाचल प्रदेश के सांसद तापिर गाव ने बुधवार को कहा था कि पीएलए ने मंगलवार को राज्य के अपर सियांग जिले में भारतीय क्षेत्र से 17 वर्षीय एक लड़के का अपहरण कर लिया। 

रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने बृहस्पतिवार को कहा कि जब भारतीय सेना को टैरोन के लापता होने के बारे में सूचना मिली तो उसने तुरंत हॉटलाइन के स्थापित तंत्र के माध्यम से पीएलए से संपर्क करके सूचित किया कि जड़ी-बूटी इकट्ठा करने निकला एक लड़का रास्ता भटक गया है और उसका पता नहीं चल रहा है।

सूत्रों ने कहा कि पीएलए से उनके क्षेत्र में किशोर का पता लगाने और स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार उसे वापस करने के लिए सहायता मांगी गई है।

गाव ने बुधवार को कहा कि घटना उस स्थान के पास घटी जहां से सांगपो नदी अरुणाचल प्रदेश में भारत में प्रवेश करती है। सांगपो को अरुणाचल प्रदेश में सियांग और असम में ब्रह्मपुत्र कहा जाता है। सांसद ने यह भी कहा कि उन्होंने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री निशिथ प्रमाणिक को घटना से अवगत करा दिया है और उनसे इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। सितंबर 2020 में पीएलए ने अरुणाचल प्रदेश के अपर सुबनसिरी जिले से पांच युवकों का अपहरण कर लिया था और लगभग एक सप्ताह के बाद उन्हें छोड़ा था। ताजा घटना ऐसे समय में हुई है जब भारतीय सेना का अप्रैल 2020 से पूर्वी लद्दाख में पीएलए के साथ गतिरोध जारी है। गतिरोध को हल करने के लिए भारत और चीन के बीच 14 दौर की सैन्य स्तर की वार्ता हो चुकी है। कई दौर की वार्ता के बाद गतिरोध वाले कुछ स्थानों से सैनिकों की वापसी हुई लेकिन पूर्वी लद्दाख में हॉट स्प्रिंग्स, देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया अभी बाकी है।

महात्मा गांधी पर अपमानजनक टिप्पणी मामले में अब ठाणे पुलिस ने कालीचरण महाराज को किया गिरफ्तार attacknews.in

ठाणे (महाराष्ट्र), 20 जनवरी । महाराष्ट्र के ठाणे शहर की पुलिस ने महात्मा गांधी के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में हिंदू धर्मगुरु कालीचरण महाराज को छत्तीसगढ़ से गिरफ्तार कर लिया है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

नौपाड़ा थाने के एक अधिकारी ने बताया कि कालीचरण महाराज को बुधवार रात छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से गिरफ्तार किया गया, जहां वह ऐसे ही एक मामले में जेल में बंद था। उसे ट्रांजिट रिमांड पर ठाणे लाया जा रहा है और बृहस्पतिवार शाम तक स्थानीय अदालत में पेश किया जाएगा।

इससे पहले, पिछले साल 26 दिसंबर को छत्तीसगढ़ की राजधानी में आयोजित एक कार्यक्रम में महात्मा गांधी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां करने के आरोप में रायपुर पुलिस ने कालीचरण महाराज को गिरफ्तार किया था। वहीं, 12 जनवरी को महाराष्ट्र के वर्धा की पुलिस ने उसे इसी तरह के एक मामले में गिरफ्तार किया था।

नौपाड़ा थाने के अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रपिता के खिलाफ कथित टिप्पणी को लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता एवं महाराष्ट्र के मंत्री जितेंद्र अव्हाड की शिकायत के आधार पर कालीचरण के खिलाफ दर्ज मामले में रायपुर से उसे गिरफ्तार किया गया।

इससे पहले, पुणे पुलिस ने भी 19 दिसंबर 2021 को वहां आयोजित ‘शिव प्रताप दिन’ कार्यक्रम में कथित रूप से भड़काऊ भाषण के मामले में कालीचरण महाराज को गिरफ्तार किया था। छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा मुगल सेनापति अफजल खान को मारे जाने की घटना की याद में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था।

Video:छत्तीसगढ़ में कांग्रेसियो द्वारा ही मुस्लिम वोटरों को पक्का करने के लिए हिंदू धर्म सभा का आयोजन करके कालीचरण महाराज को षड्यंत्र से फंसा दिया;राहुल गांधी भी इसमें शामिल attacknews.in

लखनऊ 31 दिसम्बर । इस्लाम त्याग कर हिंदू धर्म ग्रहण कर वसीम रिजवी से जितेन्द्र नारायण सिंह त्यागी बनने के बाद हिंदुत्व पर अपने विचार रखने के साथ आज एक वीडियो जारी करते हुए संत कालीचरण महाराज के साथ कांग्रेस पार्टी द्वारा षड्यंत्र कर फंसाने का रहस्योद्घाटन करते हुए कांग्रेस पार्टी पर हिंदुओं को बदनाम करने और मुसलमानों का वोट बैंक सुरक्षित रखने का आरोप लगाया है।

श्री त्यागी ने बताया कि,छत्तीसगढ़ में धर्म सभा का आयोजन कांग्रेस पार्टी द्वारा ही किया गया और महात्मा गांधी पर टिप्पणी के कालीचरण महाराज भाषण के समय बैठे कांग्रेसियो ने आपत्ति क्यों नहीं ली,और अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नाटकीय अंदाज में उन्हें गिरफ्तार करवा दिया ।

इस संबंध में प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इस घटनाक्रम की निष्पक्ष जांच का अनुरोध करते हुए बताया कि,छत्तीसगढ़ में एक धर्म संसद हुई जिसमें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को भी आना था उक्त धर्म संसद का आयोजन एक वरिष्ठ कांग्रेसी द्वारा कराया गया जिसमें श्री कालीचरण जी को आमंत्रित
किया गया साजिश के तहत ऐसा प्रतीत होता है कि श्री कालीचरण जी के साथ साजिश करते हुए श्री राहुल गांधी द्वारा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री जी के माध्यम से श्री कालीचरण जी से महात्मा गांधी के संबंध में अभद्र भाषा का प्रयोग कराया
गया क्योंकि उक्त प्रोग्राम महात्मा गांधी से संबंधित नहीं था जब श्री कालीचरण महात्मा गांधी के विरुद्ध बोल रहे थे तो धर्म संसद में उपस्थित कांग्रेसियों द्वारा कोई भी आपत्ति नहीं की गई और ना ही उन्हें बोलने से रोका गया प्रोग्राम की समाप्ति के बाद उक्त प्रकरण तूल दिया गया और श्री कालीचरण को मुद्दा बनाकर और फंसा कर उनके विरुद्ध एफ आई आर दर्ज करा दी गई और फिर सभी नियमों की अनदेखी करते हुए उन्हें मध्य प्रदेश से बिना किसी नोटिस के तथा बिना प्रदेश के पुलिस विभाग को सूचित किए गिरफ्तार कर हिंदुत्व के ऊपर सवाल खड़े किए गए हैं।

Grievance Status

pgportal.gov.in

Jitendra narayan singh tyagi
Received By Ministry/Department

सेवा में
आदरणीय प्रधानमंत्री जी
भारत सरकार

विषय :- छत्तीसगढ़ में हुए धर्म संसद में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री एवं राहुल गांधी द्वारा साजिश करके श्री कालीचरण जी से महात्मा गांधी के विरुद्ध अभद्र भाषा का प्रयोग करवाते हुए हिंदुत्व के खिलाफ माहौल बनाकर श्री कालीचरण जी को गिरफ्तार करवा के देश में हिंदुत्व को अपमानित करने की साजिश की सीबीआई जांच कराए जाने के संबंध में...

महोदय

निवेदन यह है कि जैसा कि आप अवगत होंगे कि छत्तीसगढ़ में एक धर्म संसद हुई जिसमें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को भी आना था उक्त धर्म संसद का आयोजन एक वरिष्ठ कांग्रेसी द्वारा कराया गया जिसमें श्री कालीचरण जी को आमंत्रित किया गया, साजिश के तहत ऐसा प्रतीत होता है कि श्री कालीचरण जी के साथ साजिश करते हुए श्री राहुल गांधी द्वारा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री जी के माध्यम से श्री कालीचरण जी से महात्मा गांधी के संबंध में अभद्र भाषा का प्रयोग कराया गया क्योंकि उक्त प्रोग्राम महात्मा गांधी से संबंधित नहीं था जब श्री कालीचरण ,महात्मा गांधी के विरुद्ध बोल रहे थे तो
धर्म संसद में उपस्थित कांग्रेसियों द्वारा कोई भी आपत्ति नहीं की गई और ना ही उन्हें बोलने से रोका गया ।प्रोग्राम की समाप्ति के बाद उक्त प्रकरण तूल दिया गया और श्री कालीचरण को मुद्दा बनाकर और फंसा कर उनके विरुद्ध एफ आई आर दर्ज करा दी गई और फिर सभी नियमों की अनदेखी करते हुए उन्हें मध्य प्रदेश से बिना किसी नोटिस के तथा बिना
प्रदेश के पुलिस विभाग को सूचित किए गिरफ्तार कर हिंदुत्व के ऊपर सवाल खड़े किए गए हैं।

श्री राहुल गांधी पहले से ही हिंदू और हिंदुत्व को आतंकवादी बता कर कट्टरपंथी मुस्लिम समाज के वोटों की राजनीति करते रहे और भगवा हिंदुत्व का प्रचार आतंकियों के रूप में करते रहे इस कारण इस प्रकरण की उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच अति आवश्यक है ताकि पर्दे के पीछे की कांग्रेसी भूमिका उजागर हो सके।

अतः आपसे अनुरोध है के उपरोक्त प्रकरण में सीबीआई के माध्यम से निष्पक्ष जांच कराएं और श्री कालीचरण के बयान भी निष्पक्ष रुप से लिए जाएं ताकि उपरोक्त मामले की असलियत असलियत देश और दुनिया के सामने निष्पक्ष रुप से आ सके।

धन्यवाद
भवदीय
जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी
पूर्व अध्यक्ष सेंट्रल वक्फ बोर्ड उत्तर प्रदेश लखनऊ
निवासी 394/13 ए कश्मीरी मोहल्ला सहआदतगंज लखनऊ
Mukul Dixit,Under Secretary (Public)
Public Wing 5th Floor, Rail Bhawan New Delhi

वाह रे लोकतंत्र! बिहार में मरने वाले उम्मीदवार ने जीता पंचायत चुनाव;अधिकारियों को तब पता चला जब वे जीतने का प्रमाणपत्र सौंपने के लिए आवाज लगाते रहे attacknews.in

जमुई (बिहार), 27 नवंबर । बिहार के जमुई जिले में एक मृत व्यक्ति ने अपनी ही मौत से पैदा हुयी “सहानुभूति” के कारण पंचायत चुनाव में जीत दर्ज की है। चुनाव बुधवार को हुए थे।

यह हास्यास्पद त्रासदी जिले में तब सामने आई जब अधिकारी 24 नवंबर को हुए चुनाव में विजय हासिल करने वाले उम्मीदवारों को प्रमाण पत्र सौंप रहे थे।

इस दौरान, खैरा ब्लॉक के अंतर्गत दीपकरहर गांव में वार्ड संख्या दो पर जीत दर्ज करने वाले सोहन मुर्मू कहीं नहीं मिले। खैरा के प्रखंड विकास अधिकारी (बीडीओ) राघवेंद्र त्रिपाठी ने कहा, “पूछताछ करने पर पता चला कि मतदान संपन्न होने से एक पखवाड़े पहले छह नवंबर को ही मुर्मू की मौत हो गई थी।”

दीपकरहर झारखंड की सीमा से लगते क्षेत्र में स्थित है जहां मुख्य रूप से आदिवासी लोग रहते हैं। बीडीओ ने कहा, “मुर्मू ने अपने प्रतिद्वंद्वी को 28 मतों से पराजित किया। मुर्मू के परिजनों ने कहा कि मुर्मू बीमार थे और चुनाव जीतना उनकी अंतिम इच्छा थी, इसलिए वे चुप रहे। गांव के किसी व्यक्ति ने भी हमें इसकी जानकारी नहीं दी। ऐसा लगता है कि उन सभी ने मुर्मू की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए उन्हें वोट दिया।”

मृतक के परिजनों और ग्रामीणों के भोलेपन के कारण अधिकारियों का काम बढ़ गया है। त्रिपाठी ने कहा, “जीत का प्रमाण पत्र किसी को भी नहीं दिया जा सकता। हम राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर इसकी जानकारी देंगे और अनुरोध करेंगे कि संबंधित वार्ड के चुनाव रद्द कर फिर से चुनाव कराया जाए।”

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इनसे लोकतंत्र को सबसे बड़ा खतरा बताया attacknews.in

नयी दिल्ली 26 नवंबर । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परिवार आधारित राजनीतिक दलों को लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा करार देते हुए शुक्रवार को कहा कि भ्रष्टाचार में लिप्त घोषित लोगों का महिमामंडन युवाओं को गलत रास्ते पर चलने के लिए उकसाता है।

श्री मोदी ने यहां संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में सविधान दिवस के अवसर पर आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत के हर हिस्से में परिवार आधारित राजनीतिक दलों का वर्चस्व बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा है। इसके लिए देशवासियों को जागरूक करने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वह एक ही परिवार के कई सदस्यों के राजनीति में आने के खिलाफ नहीं है लेकिन यह योग्यता के आधार पर होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि यह परिवार आधारित राजनीतिक दल अपना लोकतांत्रिक चरित्र खो चुके हैं, तो इनसे लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं की रक्षा करने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। परिवार आधारित राजनीतिक दल पीढ़ी दर पीढ़ी चलते हैं और यह लोकतंत्र की रक्षा नहीं कर सकते। ऐसे राजनीतिक दल लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ा खतरा है । उन्होंने कहा कि ऐसे राजनीतिक दल बहुत बड़ी चिंता का विषय है।

योगी आदित्यनाथ की चेतावनी:तालिबान का समर्थन करने वालों के साथ सख्ती से निपटा जाएगा,दंगा भड़काने का प्रयास करेगा तो उसकी आने वाली कई पीढ़ियां भूल जाएंगी कि दंगा कैसे होता है attacknews.in

कैराना (शामली), आठ नवंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को स्पष्ट शब्दों में कहा कि ‘‘तालिबानी मानसिकता’’ कतई स्वीकार नहीं होनी चाहिये और आगाह किया कि राज्य में तालिबान का समर्थन करने वालों के साथ सख्ती से निपटा जाएगा।

दंगों को राजनीतिक नहीं बल्कि देश की अस्मिता से जुड़़ा मुद्दा बताते हुए योगी ने कहा, ‘‘अगर कोई हमारी अस्मिता को ठेस पहुंचाने, दंगा भड़काने का प्रयास करेगा तो उसकी आने वाली कई पीढ़ियां भूल जाएंगी कि दंगा कैसे होता है।’

योगी ने शामली में 425 करोड़ रुपए की लागत से बनी विभिन्न विकास परियोजना का लोकार्पण और शिलान्यास करने के बाद अपने संबोधन में किसी का नाम लिये बगैर कहा, ‘जो लोग अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर नहीं चाहते थे, जो लोग कश्मीर में अनुच्देद 370 को समाप्त करने का विरोध करते थे। यह लोग कब खुश होते हैं… जब मुजफ्फरनगर में दंगा होता है, जब कैराना से पलायन होता है और जब अफगानिस्तान में तालिबान का शासन होता है। तब उनके नारे लगते हैं लेकिन हम तालिबानीकरण कतई स्वीकार नहीं होने देंगे।’

उन्होंने कोई संदर्भ दिये बगैर कहा, ‘उत्तर प्रदेश की धरती पर जो भी तालिबान का समर्थन करेगा, उससे सख्ती से निपटा जाएगा। तालिबानी मानसिकता नहीं स्वीकार होनी चाहिए। यह समाज को मध्य युग में ले जाने की चेष्टा है।…जो लोग केवल और केवल एक मजहबी जुनून के साथ जीते हैं, वे इन तालिबानी कृत्यों का समर्थन कर रहे हैं। इसे उत्तर प्रदेश की धरती पर कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा।’

मुजफ्फरनगर दंगा और कैराना से पलायन के संदर्भ में योगी ने कहा, ‘हमारे लिए यह राजनीति का नहीं बल्कि प्रदेश और देश की आन, बान और शान पर आने वाली आंच और अस्मिता का मुद्दा है। अगर कोई हमारी अस्मिता को ठेस पहुंचाने का प्रयास करेगा, दंगा भड़काने का प्रयास करेगा तो उसकी आने वाली कई पीढ़ियां भूल जाएंगी कि दंगा कैसे होता है।’

योगी ने पूर्ववर्ती सपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा, ‘पहले यहां के नौजवानों को झूठे मुकदमों में फंसा कर उनकी जिंदगी तबाह करने का काम होता था। हमारे वरिष्ठ नेताओं हुकुम सिंह, संजीव बालियान और सुरेश राणा के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए जाते थे। उन्हें प्रताड़ित किया जाता था। महीनों जेल में डाला जाता था। दंगाइयों को मुख्यमंत्री के आवास पर बुलाकर सम्मानित किया जाता था।’

मुख्यमंत्री ने दावा किया, ‘हमने सत्ता में आने के बाद अपराध और अपराधियों के प्रति कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति अपनायी है और कभी कैराना से व्यापारियों और नागरिकों को पलायन पर मजबूर करने वाले अपराधी अब खुद भागने को मजबूर हैं। अगर किसी ने व्यापारी या निर्दोष व्यक्ति को गोली मारने की कोशिश की तो, उस गोली ने उसके सीने को चीरा और उसे परलोक पहुंचा दिया।’’

सपा पर निशाना साधते हुए योगी ने आरोप लगाया, ‘जिन लोगों के लिए वोट बैंक सर्वोपरि है, वे मुजफ्फरनगर के दंगाइयों और कैराना के आतताइयों को सम्मानित करते थे। मुजफ्फरनगर में दो निर्दोष नौजवान मारे गए, निर्दोष हिंदुओं के घर जलाए जा रहे थे, तब जातिवाद की राजनीति करने वालों को नजर नहीं आ रहा था।’’

उन्होंने कांग्रेस और सपा के नेताओं का नाम लिये बिना उन पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘कहा गया है धर्म चक्र परिवर्तनाय। यह धर्म चक्र है जिसे (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी ने ऐसा घुमा दिया है कि जो लोग कल तक मंदिर जाने में संकोच करते थे, आज उनका टीका तिलक इतना बड़ा लगा होता है जैसे वे ही सबसे बड़े हिंदू हैं।’

मुख्यमंत्री ने इस मौके पर 250 करोड़ रुपये की लागत से गठित होने वाली पीएसी बटालियन की आधारशिला रखी। इस बटालियन में 1278 जवान रहेंगे।

समाजवादी पार्टी ने डा अम्बेडकर और संत रविदास का अपमान किया;मायावती ने सपा पर दलित और पिछड़े वर्ग के संतों और महापुरुषों का तिरस्कार करने के लगाए आरोप attacknews.in

लखनऊ, आठ नवंबर । बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने समाजवादी पार्टी (सपा) पर शुरू से ही दलित और पिछड़े वर्ग के संतों और महापुरुषों का तिरस्कार करने का आरोप लगाते हुए सोमवार को कहा कि ऐसे में सपा से इन विभूतियों के अनुयायियों के प्रति आदर की उम्मीद करना बेमानी है।

मायावती ने सिलसिलेवार ट्वीट में आरोप लगाया, ‘सपा शुरू से ही दलितों तथा पिछड़े वर्गों में जन्मे महान संतों, गुरुओं एवं महापुरुषों का तिरस्कार करती रही है, जिसका खास उदाहरण फैजाबाद जिले में से बनाया गया नया आम्बेडकर नगर जिला है। भदोही को नया जिला संत रविदास नगर बनाने का भी इन्होंने (सपा ने) विरोध किया तथा इसका नाम तक भी सपा सरकार ने बदल दिया।’

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘इसी प्रकार उत्तर प्रदेश के अनेक संस्थानों व योजनाओं आदि के नाम जातिवादी द्वेष के कारण बदल दिए गये। ऐसे में सपा से उनकी व उनके मानने वालों के प्रति आदर-सम्मान एवं सुरक्षा की उम्मीद कैसे की जा सकती है? चाहे अब यह पार्टी इनके वोट की खातिर कितनी भी नाटकबाजी क्यों ना कर ले।

उद्धव ठाकरे अब उत्तरप्रदेश जाकर दिखाएं;नारायण राणे ने कहा:”यह कहने के लिए मानहानि के मामले दर्ज किए जा रहे हैं कि योगी आदित्यनाथ को चप्पल से पीटा जाना चाहिए” attacknews.in

मुंबई, 28 अगस्त । केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने शनिवार को कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को ‘‘मानहानि के मामलों’’ का सामना करने के लिए जल्द ही उत्तर प्रदेश का जाना होगा।

राणे अपनी ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ के तहत तटीय महाराष्ट्र स्थित अपने गृह जिले सिंधुदुर्ग में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे।

भाजपा नेता ने कहा, ‘‘उद्धव ठाकरे के खिलाफ कथित तौर पर यह कहने के लिए मानहानि के मामले दर्ज किए जा रहे हैं कि (उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री) योगी आदित्यनाथ को चप्पल से पीटा जाना चाहिए। अब उन्हें अनुभव होगा कि उत्तर प्रदेश जाने पर कैसा महसूस होता है।’’

राणे ने कहा, ‘‘वह (उद्धव ठाकरे) किस तरह के मुख्यमंत्री हैं? वह सिर्फ घर पर बैठकर कार्यक्रम में सम्मिलित होते हैं। उन्हें बाहर जाना चाहिए और स्थानों का दौरा करना चाहिए।’’

राणे ने इस हफ्ते की शुरुआत में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ टिप्पणी की थी जिससे विवाद पैदा हो गया था। इस संबंध में राणे को गिरफ्तार भी किया गया था और कुछ घंटे बाद उन्हें रिहा कर दिया गया था।

इस बीच नारायण राणे की पत्नी नीलम राणे ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार उनके पति को गिरफ्तार करेगी।

उन्होंने एक मराठी समाचार चैनल कहा, ‘‘मैंने शिवसेना से इस तरह की हरकत की कभी उम्मीद नहीं की थी जिस पार्टी को मेरे पति ने अपने जीवन के 40 साल दिए। अगर वे अपने पूर्व नेता के खिलाफ इस तरह से काम कर रहे हैं तो मुझे नहीं पता कि मैं क्या कहूं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं भी हैरान थी जब शिवसेना के कुछ कार्यकर्ताओं ने तब यहां (मुंबई में) मेरे घर पर हमला किया जब हम सभी एक रैली के लिए निकले थे। केवल बहू और मेरे नाती-पोते थे। वे एक घर पर हमला कैसे कर सकते हैं।’’

बिहार में सतारुढ़ नीतीश कुमार की पार्टी में गुटबाजी की सियासत गर्माई;जदयू के पोस्टर में राष्ट्रीय अध्यक्ष और उपेंद्र कुशवाहा की तस्वीर नहीं, मामले ने पकड़ा तूल attacknews.in

पटना 08 अगस्त । जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नवनियुक्त राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं बिहार के मुंगेर से सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के दो दिन पूर्व किए गए भव्य स्वागत की तर्ज पर पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री बनने के बाद आरसीपी सिंह के 16 अगस्त को पहली बार पटना आने पर लगाए गए पोस्टर में राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ ही पार्टी संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष की तस्वीर नहीं रहने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है।

राजनीतिक जानकार नवनियुक्त अध्यक्ष ललन सिंह और पार्टी संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की तस्वीर नहीं लगाए जाने को मुख्यमंत्री के दो चहेते नेताओं के अब आमने-सामने आने की बात कह रहे हैं। इसी से लगता है कि नवनियुक्त अध्यक्ष श्री सिंह और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पार्टी दो गुटों में बंटती हुई दिख रही है।

माना जा रहा है कि जेडीयू में दोनों नेता एक नई सियासत की कहानी लिखने की तैयारी में जुट गए हैं. वहीं, दूसरी ओर 16 अगस्त को आरसीपी सिंह पटना आने वाले हैं. इसके लिए पटना में जगह-जगह पर जेडीयू की ओर से पोस्टर लगाए गए हैं लेकिन हैरानी की बात है कि पोस्टर से ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा की तस्वीर को गायब कर दिया गया है।

हालांकि पोस्टर से दोनों बड़े नेताओं की तस्वीर का गायब होना महज संयोग नहीं हो सकता है. कयास लगाया जा रहा है कि कहीं न कहीं जेडीयू में दो फाड़ हो गया है।पार्टी के इकलौते केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया है।इसका प्रमाण पटना स्थित पार्टी कार्यालय में देखा जा सकता है।

एक तरफ दिख रहे नीतीश तो दूसरी ओर आरसीपी सिंह

16 अगस्त को आरसीपी सिंह पटना आ रहे हैं। केंद्रीय मंत्री बनने के बाद यह उनका पहला पटना दौरा होगा लेकिन इस दौरे से पहले ही उन्होंने जिस तरह के तेवर दिखाए हैं उसके बाद पार्टी में अंदरूनी विवाद उभरकर सामने आ रहा है।पार्टी कार्यालय के बाहर लगे पोस्टर में एक तरफ नीतीश कुमार नजर आ रहे हैं तो दूसरी तरफ आरसीपी सिंह की तस्वीर है।

इसके अलावा तस्वीर में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा, बिहार सरकार के मंत्री विजेंद्र यादव, शिक्षा मंत्री विजय चौधरी, श्रवण कुमार, मदन सहनी, शीला देवी, सुमित सिंह, सुनील सिंह सहित कई नेताओं की तस्वीरें हैं।

माना जा रहा है कि जिस तरह से आरसीपी को पार्टी अध्यक्ष पद से हटाया गया और ललन सिंह के स्वागत में जिस तरह से पटना में कार्यक्रम का आयोजन किया गया, उसके बाद केंद्रीय मंत्री कहीं न कहीं नाराज हैं।

उपेंद्र कुशवाहा से मिले ललन सिंह, कहा- किसी की छाती पर सांप लोट रहा तो हम क्या करें?

इधर राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने रविवार को संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के घर जाकर उनसे मुलाकात की।

मुलाकात के बाद ललन सिंह ने मीडिया के सवालों का जवाब दिया।इस सवाल पर कि राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने के बाद ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा में तल्खियां आ गई हैं , ललन सिंह ने कहा कि विरोधी का काम ही कुछ ना कुछ कहना, लेकिन मेरे और उपेंद्र कुशवाहा में कोई अंतर नहीं है।

ललन सिंह ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा के साथ लोक दल से ही काम कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि हमारी मुलाकात से अगर किसी की छाती पर सांप लोट रहा है तो इसमें हम कुछ नहीं कर सकते हैं।हम दोनों को मिलकर ही पार्टी को मजबूत करना है।जेडीयू का सिर्फ एक ही नेता है और वह हैं नीतीश कुमार।पार्टी मजबूत होगी तो नेता भी मजबूत होंगे और साथ ही हम सब मजबूत होंगे।

ललन सिंह को उपेंद्र कुशवाहा ने बताया कर्मठ

इस मुलाकात के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने भी ट्वीट कर तस्वीर शेयर की है।तस्वीर में दोनों एक-दूसरे को प्रणाम करते दिख रहे हैं।उपेंद्र कुशवाहा ने मुलाकात के बाद रविवार को ट्वीट कर लिखा, “जनता दल (यूनाइटेड) के कर्मठ और समर्पित साथी, राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह जी से मेरे पटना स्थित आवास पर मुलाकात हुई.”

बता दें कि ललन सिंह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से पहले भी उपेंद्र कुशवाहा से मुलाकात की थी. उस समय भी इस मुलाकात को लेकर तरह-तरह की चर्चा हो रही थी. हालांकि इसपर जब सवाल किया गया तो ललन सिंह ने कहा कि यह दूसरी मुलाकात क्यों है. हम तो लगातार मिल रहे हैं।