नयी दिल्ली, 02 जून । नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध और समर्थकों के बीच झड़प के बाद उत्तर पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा के मामले में पुलिस ने मंगलवार को दो आरोप-पत्र दाखिल किये।
पुलिस के अनुसार क्राइम ब्रांच ने कड़कड़डूमा कोर्ट में यह आरोप-पत्र दायर किये। दोनों आरोप पत्र में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र उमर खालिद का नाम है। दिल्ली हिंसा मामले में तीन विशेष जांच टीमें गठित की गई थीं।
दिल्ली हिंसा में ‘पिंजदातोड़’ की दो लड़कियां गिरफ्तार
इससे पहले 24 मई को दिल्ली पुलिस ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के मामले में ‘पिंजदातोड़’ संगठन की दो लड़कियों को गिरफ्तार किया है।
पिंजदातोड़ ने एक बयान जारी कर शनिवार को बताया था कि उनके दो सदस्यों देवांगना और नताशा को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। दोनों को उनके घरों से गिरफ्तार किया गया है।
जेएनयू शिक्षक संघ ने लगाया छात्राओं को झूठे आरोपों में फंसाने का आरोप
इस गिरफ्तारी के विरोध में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने विश्वविद्यालय की दो छात्राओं देवांगना कलिता और नताशा नरवाल को लॉकडाउन के दौरान पुलिस द्वारा झूठे आरोपों में फंसाए जाने का आरोप लगाते हुए उन्हें तत्काल रिहा करने की मांग की थी।
शिक्षक महासंघ के अध्यक्ष डीके लोबियाल और सचिव सुजीत मजूमदार ने रविवार को यहां जारी एक विज्ञप्ति में कहा था कि दिल्ली पुलिस ने कोरोना महामारी के समय हाल ही में इन दोनों छात्राओं को पूर्वी दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून विरोधी आंदोलन के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है जबकि यह दोनों छात्राएं शांतिपूर्ण आंदोलन कर रही थी।
शिक्षक संघ ने आरोप लगाया है कि दिल्ली पुलिस उत्तर पूर्वी दिल्ली में भड़के दंगे को रोकने में न केवल विफल रही बल्कि वह मूकदर्शक भी बनी रही लेकिन उसने उल्टे इन छात्राओं को झूठे आरोप में गिरफ्तार कर लिया।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि पुलिस एक खास समुदाय के लोगों को और लोकतांत्रिक तरीके से विरोध प्रदर्शन करने वालों को कुचलने में लगातार लगी है। जेएनयू परिसर में पिछले दिनों हुए बाहरी छात्रों के हिंसा की घटना में भी पुलिस की यही भूमिका रही।
शिक्षक संघ ने कहा है कि जब पूरे देश में कोरोना महामारी से लोग परेशान हैं वैसे में पुलिस द्वारा निर्दोष छात्राओं को गिरफ्तार करना निंदात्मक कार्रवाई है इसलिए इन दोनों छात्राओं को अविलंब रिहा किया जाए और मुकदमे वापस लिए जाएं।