लखनऊ/ रायपुर 24 जून । लोकसभा चुनाव में गठबंधन की हार का ठीकरा समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव पर मढ़ने के अगले दिन बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने सोमवार को सभी छोटे बड़े चुनाव अकेले दम पर लड़ने का एलान किया।
सुश्री मायावती ने ट्वीट कर कहा “ वैसे भी जगजाहिर है कि सपा के साथ सभी पुराने गिले-शिकवों को भुलाने के साथ-साथ सन् 2012-17 में सपा सरकार के बीएसपी व दलित विरोधी फैसलों, प्रमोशन में आरक्षण विरूद्ध कार्यों एवं बिगड़ी कानून व्यवस्था आदि को दरकिनार करके देश व जनहित में सपा के साथ गठबंधन धर्म को पूरी तरह से निभाया।
वैसे देखा जाये तो उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी से किनारा कर सभी छोटे बड़े चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान करने वाली बसपा प्रमुख मायावती छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनावों में जनता कांग्रेस से गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरने के बाद लोकसभा चुनावों में एकतरफा गठबंधन तोड़कर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को करारा झटका दे चुकी है।
गत वर्ष राज्य में नवम्बर में हुए विधानसभा चुनावों से पहले बसपा एवं जनता कांग्रेस ने गठबंधन किया था और बसपा ने 35 तथा जनता कांग्रेस ने 55 सीटो पर उम्मीदवार उतारे थे।गठबंधन की ओर से श्री जोगी को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित किया गया था। गठबंधन के समय इसका भी ऐलान हुआ था कि लोकसभा चुनाव भी वह मिलकर लडेंगे और उसमें बसपा ज्यादा सीटो पर उम्मीदवार उतारेंगी।
लोकसभा चुनाव 2019 और उससे पहले संसदीय सीटों पर हुए उपचुनावों के लिए सपा के साथ किए गए छह महीने पुराने गठबंधन से नाता तोड़ते हुए बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने सोमवार को कहा कि भविष्य में पार्टी सभी छोटे-बड़े चुनाव अपने बूते लड़ेगी। वहीं, सपा ने मायावती पर घबराहट में आकर सपा के खिलाफ बयानबाजी करने का आरोप लगाया।
गौरतलब है कि आम चुनाव के नतीजों के बाद मायावती ने अब तक केवल उत्तर प्रदेश की 12 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में ही अकेले चुनाव लड़ने की बात कही थी लेकिन सोमवार को उन्होंने साफ कर दिया कि उनकी पार्टी भविष्य के सभी चुनाव अकेले अपने दम पर लड़ेगी। अपने इस बयान से बसपा प्रमुख ने समाजवादी पार्टी से करीब छह महीने पुराना गठबंधन लगभग खत्म कर दिया है।
रविवार को यहां बसपा के वरिष्ठ नेताओं, सांसदों और विधायकों की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई थी, जिसके अगले ही दिन मायावती का यह बयान सामने आया है।
मायावती ने सोमवार को एक साथ तीन ट्वीट किये और समाजवादी पार्टी पर जबरदस्त हमला किया। उन्होंने अपने पहले ट्वीट में कहा, ‘वैसे भी जगजाहिर है कि हमने सपा के साथ सभी पुराने गिले-शिकवों को भुलाने के साथ-साथ 2012-17 में सपा सरकार के बीएसपी एवं दलित विरोधी फैसलों, पदोन्नति में आरक्षण के विरूद्ध कार्यों तथा बिगड़ी कानून व्यवस्था आदि के मुद्दों को दरकिनार कर देश एवं जनहित में सपा के साथ गठबंधन धर्म को पूरी निष्ठा से निभाया।’
उन्होंने लिखा, ‘‘लोकसभा चुनाव के बाद सपा का व्यवहार बसपा को यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या ऐसा करके भविष्य में भाजपा को हरा पाना संभव होगा? हमारे हिसाब से तो संभव नहीं होगा।’’
उन्होंने लिखा है, ‘‘इसलिए हमने पार्टी और आंदोलन के हित में फैसला लिया है कि बसपा भविष्य में होने वाले सभी छोटे-बड़े चुनाव अपने बूते पर लड़ेगी।’’
सपा-बसपा गठबंधन के बारे में चल रही खबरों पर मीडिया को आड़े हाथों लेते हुए बसपा प्रमुख ने कहा, ‘बसपा की ऑल इंडिया बैठक रविवार को लखनऊ में ढाई घण्टे तक चली। इसके बाद राज्यवार बैठकों का दौर देर रात तक चलता रहा, जिसमें मीडिया शामिल नहीं था। फिर भी बसपा प्रमुख के बारे में जो बातें मीडिया में फैलायी गयीं, उनमें कोई सच्चाई नहीं हैं जबकि इस बारे में प्रेसनोट भी जारी किया गया था।’
बसपा सुप्रीमो के भविष्य में सभी चुनाव अकेले लड़ने के बयान पर सपा के राष्ट्रीय महासचिव रमाशंकर विद्यार्थी ने मायावती पर सामाजिक न्याय की लड़ाई कमजोर करने का आरोप लगाया और कहा कि बसपा प्रमुख घबराहट में सपा के विरुद्ध बयानबाजी कर रही हैं।
बलिया में उन्होंने सोमवार को संवाददाताओ से बातचीत के दौरान कहा, ‘‘बसपा सुप्रीमो मायावती घबराहट में सपा के खिलाफ बयानबाजी कर रही हैं।’’
उन्होंने बसपा सुप्रीमो मायावती पर सामाजिक न्याय की लड़ाई कमजोर करने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘बसपा सुप्रीमो के सपा से गठबंधन तोड़ने के एलान के बाद से दलित समाज तेजी से सपा से जुड़ रहा है। दलित समाज अखिलेश जी में विश्वास करने लगा है, इससे बसपा सुप्रीमो घबरा गई हैं।’’
बसपा सुप्रीमो के सपा पर आरोप लगाने को लेकर पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जनता इस सच्चाई से वाकिफ है कि गठबंधन की मालकिन ने क्या किया है।
कांग्रेस प्रवक्ता द्विजेंद्र त्रिपाठी ने कहा, ‘राजनीति में अपनी बात पर कायम रहना पड़ता है। किसी भी राजनीतिक दल को अपनी बात पर कायम रहना चाहिए वरना जनता के बीच गलत संदेश जाता है।’
इस साल 12 जनवरी को सपा-बसपा ने गठबंधन कर लोकसभा चुनाव साथ लड़ने का एलान किया था। लेकिन आम चुनाव के नतीजे आने के चंद दिनों बाद ही मायावती ने 12 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव में अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा की। सोमवार को बसपा सुप्रीमो ने एलान कर दिया कि पार्टी और आंदोलन के हित में बसपा भविष्य में सभी छोटे-बड़े चुनाव अकेले अपने बूते पर ही लड़ेगी। यानी मायावती और अखिलेश की दोस्ती छह महीने की मियाद भी पूरी नहीं कर सकी।attacknews.in
Home / राजनीति / मायावती ने अखिलेश यादव की वैसी ही हालत कर दी जैसी छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी की कर दी थी,सपा के साथ गठबंधन तोड़ा, अगले सभी चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान attacknews.in
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