नयी दिल्ली, 27 जून ।भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने शनिवार को कांग्रेस और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी पर तीखा हमला करते हुए उनसे चीन से जुड़े 10 सवाल पूछे।
श्री नड्डा ने यहां पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में संवाददाताओं से कहा कि कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ या चीन के साथ सीमा विवाद की आड़ में श्रीमती गांधी देश की 130 करोड़ जनता की ओर से कांग्रेस से पूछे जा रहे मूल प्रश्नों से बचने का प्रयास न करें। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में देश सुरक्षित भी है और मजबूत भी। हमारी सेना देश की संप्रभुता और सरहदों की सुरक्षा करने में पूरी तरह से सक्षम है।
भाजपा नेता ने कहा कि देश की जनता जानना चाहती है कि कांग्रेस के शासन काल में क्या-क्या काले कारनामे हुए थे और देश की जनता से किस तरह विश्वासघात किया गया।
दो दिन पहले उन्होंने ट्वीट करते हुए राजीव गांधी फाउंडेशन (आरजीएफ)पर सार्वजनिक रूप से कुछ प्रश्न पूछे थे। आज संयुक्त लोकतांत्रिक गठबंधन (संप्रग) सरकार में वित्त मंत्री रह चुके पी चिदंबरम जो खुद जमानत पर रिहा हुए हैं, कह रहे हैं कि आरजीएफ चीनी दूतावास से लिया गया डोनेशन का पैसा लौटा देगा। यदि संप्रग सरकार के वित्त मंत्री स्वयं यह कबूल कर रहे हैं तो यह एक तरह से स्वीकारोक्ति है कि राजीव गाँधी फाउंडेशन ने देश के अहित में अनैतिक तरीके से धन लिया। इस परिवार का एक ही तरीका है-‘अथॉरिटी विदाउट रिस्पांसिबिलिटी।’ आरोप लगाकर भाग जाना और खुद के ऊपर लगे एक भी सवालों का जवाब न देना इस परिवार की आदत रही है।
श्री नड्डा ने पूछा कि चीन जैसे देशों ने 2005-2009 के बीच हर साल आरजीएफ को दान दिया। लक्जमबर्ग जैसे टैक्स हैवन्स ने आरजीएफ को हर साल 2006 से 2009 के बीच दान दिया। गैर सरकारी संगठनों और कंपनियों ने गूढ़ व्यावसायिक हितों के साथ आरजीएफ को दान दिया। उनका सीधा प्रश्न यह है कि श्रीमती गांधी की अध्यक्षता वाले आरजीएफ ने चीनी सरकार और चीनी दूतावास से पैसे क्यों लिए? यह किस बात की ओर इंगित करता है? व्यक्तिगत हित में विदेशी शक्तियों से धन स्वीकार करना राष्ट्रीय हित का बलिदान है। क्या व्यक्तिगत ट्रस्टों के लिए विदेशी शक्तियों से धन स्वीकार करके राष्ट्रीय हित के साथ खिलवाड़ करना करना शर्म की बात नहीं है?
उन्होंने पूछा पूर्वी एशिया एफटीए (फ्री ट्रेड अग्रीमेंट) के लिए क्या जल्दी थी, जिसमें चीन भी शामिल था? कांग्रेस की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन(संप्रग) सरकार के दौरान चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 1.1 बिलियन अमेरिका डॉलर से बढ़कर 36.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर कैसे हो गया? आखिर संप्रग सरकार ने ऐसा कैसे होने दिया? कांग्रेस ने भारत की आर्थिक स्थिति को कमजोर क्यों किया? क्या आरजीएफ द्वारा चीनी धन को स्वीकार करने के एवज में ऐसा होने दिया गया?
कांग्रेस पार्टी और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के बीच में वास्तव में संबंध क्या है? दोनों के बीच ‘टैक्टिक अंडरस्टैंडिंग’ क्या है? हस्ताक्षरित और अहस्ताक्षरित ‘एमओयू’ क्या है? देश जानना चाहता है।
उन्होंने कहा कि आरजीएफ ने चाइना एसोसिएशन फॉर इंटरनेशनलली फ्रेंडली कॉन्टेक्ट के साथ काम किया, जो चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग का सिर्फ एक घटक है और विभिन्न देशों की नीतियों को प्रभावित करने के काम में लाया जाता है।
चीन के सेंट्रल मिलिट्री कमीशन फाउंडेशन से कांग्रेस पार्टी का क्या रिश्ता है? श्रीमती गांधी को जवाब देना चाहिए कि आरजीएफ की सहायता से इस चीनी एजेंसी से भारत की नीतियाँ कितनी प्रभावित हुई और इसका कितना दखल बढ़ा?
उन्होंने कहा कि पीएमएनआरएफ ने 2005 से 2008 तक आरजीएफ को हर साल पैसा क्यों दिया? संप्रग सरकार ने आरजीएफ को दान देने के लिए वर्ष दर वर्ष गृह मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय जैसे केंद्रीय मंत्रालयों और सार्वजनिक उपक्रमों को क्यों मजबूर किया, उन पर क्यों दवाब बनाया गया ? क्यों श्रीमती सोनिया गांधी को अपने निजी लाभ के लिए लोगों की मेहनत से कमाए गए पैसों को निकालने में कोई शर्म नहीं आती?
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि गरीबों के नाम पर राजनीति करने वाली कांग्रेस पार्टी के आरजीएफ ने सभी प्रमुख भारतीय कॉरपोरेट्स से भारी दान लिया और इसके बदले कांग्रेस की तत्कालीन संप्रग सरकार ने कॉरपोरेट्स को बड़े-बड़े अनुबंधों को पुरस्कृत किया। श्रीमती सोनिया गांधी को जवाब देना चाहिए कि ‘क्विड प्रो क्वो’ के रूप में इतने सारे सौदे अनुबंध क्यों किये गए?
उन्होंने कहा कि क्यों कांग्रेस के एक नेता की कंपनी पीएमएनआरएफ का ऑडिट कर रही थी? उस ऑडिटर का नाम ठाकुर वैद्यनाथन एंड अय्यर कंपनी है जिसकी स्थापना श्री रामेश्वर ठाकुर ने की थी, जो कांग्रेस के एक नेता थे। वह दो बार राज्य सभा सांसद रहे, फिर केंद्रीय वित्त मंत्री रहे और चार राज्यों के राज्यपाल भी रहे। सभी मानदंडों के विरोधाभास में क्यों एक कांग्रेस नेता की कंपनी पीएमएनआरएफ का ऑडिट कर रही थी? पीएम नेशनल रिलीफ फंड में एक ट्रस्टी कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष भी है। देश जानना चाहता है कि ऐसे लोगों ऑडिटर बनाकर क्या सरकार करना चाह रही थी?
उन्होंने कहा कि आरजीएफ, एक निजी चैरिटेबल ट्रस्ट के पास 100 करोड़ रुपये से अधिक का कोष (2019 तक) कैसे आया? आरजीएफ को करोड़ों का जवाहर भवन बेमियादी लीज पर कैसे मिला? जब भारत अपने सबसे बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहा था, तब 1991 में अपने बजट भाषण में तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने इसके लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। तब से इसे नियमित रूप से भारत सरकार के मंत्रालयों से दान मिलता रहा है, फिर भी आरजीएफ को कैग द्वारा ऑडिट करने से छूट क्यों दी गई। क्यों इस फाउंडेशन को आरटीआई के दायरे में नहीं लाया गया? भारत के लोग जानना चाहते हैं कि सीएजी ऑडिटिंग के लिए अारजीएफ के अकाउंट्स ने मना क्यों किया? आखिर श्रीमती सोनिया गांधी को क्यों इसे छिपाना चाहती है? पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का इस मोनुमेंटल और संगठित लूट पर क्या कहना है?
श्री नड्डा ने कहा कि आरजीएफ न केवल घोटालों से पैसा लेता है, बल्कि अपने स्वयं के संगठनों को संदेहास्पद डोनेशन भी देता है। राजीव गांधी फाउंडेशन ने परिवार और ‘वर्ल्ड विजन’ जैसे ईसाई मिशनरी संगठनों द्वारा नियंत्रित राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट को डोनेशन क्यों दिया?
उन्होंने कहा कि कुछ महीने पहले, हमने मेहुल चोकसी पर कांग्रेस का शोर और रोना देखा था। कांग्रेस के ‘राजकुमार’ ने देश के प्रधानमंत्री के लिए सबसे अप्रिय भाषा का भी इस्तेमाल किया। यह भी हालांकि पता चला है कि मेहुल चोकसी भी राजीव गांधी फाउंडेशन के लिए एक दाता था। श्रीमती गांधी को इस बात का जवाब देना देना चाहिए, पहले तो मेहुल चोकसी से पैसे लो, फिर बैंक ऋण के माध्यम से उसकी मदद करो और अपने इस कृत्य के लिए वर्तमान प्रधानमंत्री को दोषी ठहराओ। देश जानना चाहता है कि मेहुल चोकसी से आरजीएफ का क्या संबंध है और संप्रग सरकार ने उसे कर्ज देने में किस-किस प्रकार से मदद की है?