नयी दिल्ली, 31 मई । राजनीतिक सुर्खियों से दूर रहे भाजपा के कई नेताओं को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में शामिल किया गया है और इसे एक तरह से उनकी सियासी वापसी कहा जा सकता है।
अर्जुन मुंडा और रमेश पोखरियाल निशंक (दोनों पूर्व मुख्यमंत्री) को कैबिनेट में जगह मिली है जबकि कई वर्ष तक राजनीतिक नेपथ्य में रहे पार्टी के वरिष्ठ सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल एवं फग्गन सिंह कुलस्ते को भी मंत्री पद की जिम्मेदारी दी गयी है।
पांच बार सांसद रहे पटेल अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री थे लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में उन्हें नजरअंदाज किया था जबकि छह बार सांसद रहे कुलस्ते को भी शामिल नहीं किया था।
सबसे उल्लेखनीय नाम तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे मुंडा और पोखरियाल का है। मुख्यमंत्री के तौर पर मुंडा का आखिरी कार्यकाल 2010 से 2013 तक था जबकि पोखरियाल 2011 में अनौपचारिक ढंग से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद से हटा दिये गये थे।
दोनों पहले मोदी सरकार के सदस्य नहीं थे।
2014 में झारखंड में विधानसभा चुनाव हारने के बाद आदिवासी नेता मुंडा पार्टी में हाशिये पर चले गये थे।
भाजपा ने इसके बाद रघुबर दास को राज्य का मुख्यमंत्री चुना।
मुंडा (50) ने इस बार खूंटी लोकसभा सीट से महज 1,000 मतों के अंतर से चुनाव जीता।
राज्य में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं और मुंडा को आदिवासी कल्याण विभाग के इनाम से नवाज कर भाजपा को आंकड़ों में मजबूत अनुसूचति जाति की बड़ी आबादी को अपने पाले में करने की उम्मीद है।
कई आरोप लगने के बाद पोखरियाल की जगह बी सी खंडूरी को मुख्यमंत्री बनाया गया। भाजपा ने उन्हें राज्य की राजनीति से दूर ही रखा गया और 2014 में लोकसभा चुनाव में चुनाव मैदान में उतारा।
उन्होंने 2014 के चुनाव में जीत हासिल की हालांकि उन्हें मंत्री पद नहीं मिली। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के सत्ता में वापसी करने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद का दावेदार समझा जा रहा था।
अब उन्हें केंद्र में मानव संसाधन विकास मंत्रालय दिया गया है जो इस बात के संकेत हैं कि पार्टी को पोखरियाल की जरूरत है। ज्योतिषशास्त्र और पारंपरिक चिकित्सा सहित प्राचीन भारतीय विधाओं में दक्ष पोखरियाल सरकार के शिक्षा एजेंडा को आगे बढ़ायेंगे।
समझा जाता है कि उमा भारती की जगह भरने के लिये भाजपा मध्य प्रदेश से सांसद पटेल को लेकर आयी क्योंकि दोनों ही पिछड़ी जाति के ‘लोध समुदाय’ से आते हैं।
पटेल वाजपेयी सरकार में मंत्री थे लेकिन 2006 में वह भाजपा से अलग होकर अपनी पार्टी बनाने वाली भारती के साथ चले गये।
जमीनी स्तर के नेता माने जाने वाले पटेल अपनी राजनीतिक गुरु उमा भारती की तरह ही फिर से भाजपा में शामिल हो गये लेकिन केंद्र सरकार में वापसी के लिये उन्हें एक दशक का इंतजार करना पड़ा।
उन्हें संस्कृति एवं पर्यटन जैसे अहम विभाग का स्वतंत्र प्रभार दिया गया है।
मध्य प्रदेश के ही आदिवासी नेता कुलस्ते को मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में शामिल किया गया था हालांकि बाद में उन्हें हटा दिया गया।
इसी तरह की किस्मत उत्तर प्रदेश के जाट नेता संजीव बालियान की रही। इस बार उन्होंने रालोद प्रमुख एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री अजित सिंह को हराया है।
कुलस्ते और बालियान दोनों को राज्य मंत्री बनाया गया है। attacknews.in