नयी दिल्ली 15 जून । लोक जनशक्ति पार्टी में तेज राजनीतिक घटनाक्रमों के बीच सांसद चिराग पासवान को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाने के प्रयास तेज हो गए हैं ।
पार्टी के संसदीय दल के प्रमुख चुने जाने के बाद श्री पासवान के चाचा पशुपति कुमार पारस अपने सभी सांसद समर्थको के साथ आज पटना जाने की संभावना हैं ।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने श्री पारस को संसदीय दल के प्रमुख बनाने के सांसदों के प्रस्ताव को कल ही मंजूरी दे दी थी । लोजपा के छह सांसदों में से चार ने श्री पारस को संसदीय दल का प्रमुख बनाने का पत्र लिखा था ।
पार्टी सूत्रों के अनुसार श्री पारस के साथ सांसद प्रिंस राज , चंदन सिंह, वीना देवी और महमूद अली कैसर पटना जायेंगे । लोजपा की वही राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई जाएगी, जिसमे श्री पासवान को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिए जाने की संभावना है। श्री पारस को ही पार्टी का राष्टीय अध्यक्ष बनने के संकेत दिए गए हैं ।
श्री पारस ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सराहना की है और उन्हें विकास पुरुष बताया है। उनका मानना है कि पार्टी के अधिकांश नेता और कार्यकर्ता श्री पासवान की कार्यशैली से नाराज है।
पार्टी तोड़ी नहीं बल्कि लोजपा के अस्तित्व को बचाने के लिए मजबूरी में लिया फैसला – पारस
इससे पहले लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में टूट के बाद स्व.रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस ने कहा कि उन्होंने पार्टी तोड़ी नहीं बल्कि उसके अस्तित्व को बचाने के लिए मजबूरी में 6 में से 5 सांसदों ने बड़ा फैसला लिया है।
श्री पारस ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि रविवार को देर शाम लोजपा के 6 में से 5 सांसदों की बैठक हुई जिसमें उन्हें सर्वसम्मति से संसदीय दल का नेता चुना गया । इसके बाद सभी सांसद रात 8:30 बजे लोकसभा अध्यक्ष से मिले और उन्हें पत्र सौंपकर नए नेता चुने जाने के बारे में जानकारी दी ।
स्व.रामविलास पासवान के छोटे भाई ने कहा कि उन्होंने पार्टी तोड़ी नहीं बल्कि बचाई है । यह पार्टी के अस्तित्व को बचाने के लिए मजबूरी में लिया गया फैसला है ।
लोजपा नेता ने कहा,” हम तीनों (रामविलास पासवान, पशुपति कुमार पारस, रामचंद्र पासवान) भाइयों में बहुत प्रेम था यह पूरी दुनिया जानती है । 28 नवंबर 2000 में लोजपा का गठन बड़े भाई रामविलास पासवान ने किया था तब से पार्टी बहुत अच्छे ढंग से चल रही थी । कहीं किसी को कोई शिकवा शिकायत नहीं थी लेकिन मेरा दुर्भाग्य था कि मेरे बड़े भाई और छोटे भाई दोनों हमको छोड़कर चले गए। मैं अकेला रह गया। बहुत अकेला महसूस कर रहा हूं ।”