नईदिल्ली 27 मई । 17वीं लोकसभा में संसद पहुंचे सांसदों ने अपना प्रोफेशन बताया है। कोई पेशे से किसान है तो कोई इंजीनियर, पोफेसर, लॉयर या टीचर लेकिन इसबार कुछ मजदूर, जज, फोटोग्राफर और सिंगर भी संसद पहुंचे इन्हीं में एक सांसद ने अपने प्रोफशन में भिक्षावृति ( भीख मांग कर गुजारा करना) होने की बात गर्व से बतायी है। ये सांसद कोई और नहीं भोपाल से भाजपा के टिकट पर चुनी गईं साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर हैं।
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने अपने इलेक्शन एफिडेविट में खुद का पेशा भिक्षावृति बताया है। ऐसा शायद इसलिए है कि साध्वी होने की वजह से उनका जीवन दूसरों से मिलने वाली भिक्षा पर ही निर्भर होता है।
गौरतलब है कि इस चुनाव में देश में जो कुछ चुनिंदा उम्मीदवार सबसे ज्यादा चर्चा और विवादों में रहे हैं, उनमें से एक साध्वी प्रज्ञा ठाकुर भी हैं, जिन्होंने मध्य प्रदेश के भोपाल में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को 3 लाख 64 हजार 822 वोटों के बड़े अंतर से हराया है।
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर पेशे से भिक्षुक भले ही हों, लेकिन ऐसा नहीं है कि उनके पास संपत्ति नहीं है। उनके पास कुल 4 लाख 44 हजार और 224 रुपये की संपत्ति है। उन्होंने जो अपने चुनावी हलफनामे में जानकारी दी है, उसके मुताबिक उनके पास 90 हजार रुपये कैश और भोपाल के दो बैंक में रकम जमा हैं। एक बैंक खाते में 88,824 रपये है, जबकि दूसरे में 11 हजार रुपये जमा हैं। उनका किसी कंपनी में कोई शेयर नहीं है। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के पास ना कोई गाड़ी है और न ही जमीन।
राम’ नाम की चांदी की प्लेट खास संपत्ति है
साध्वी के पास ‘राम’ नाम की चांदी की एक खास प्लेट है, जिसका जिक्र उन्होंने विशेष तौर पर अपने संपत्ति के ब्योरे में दिया है। इनके अलावा ज्वेलरी में उनके पास 48 हजार रुपये की सोने की एक चेन, 48 हजार रुपये का ही सोने का एक लॉकेट भी है। इसके अलावा 16 हजार रुपये कीमत वाली एक सोने की अंगूठी, 81 हजार रु का चांदी का कमंडल भी है। उनके पास सोने-चांदी की थाली भी है, चार चांदी के गिलास, एक चांदी का लोटा, पैर के दो चांदी के रिंग अलग से है। ये सारी चीजें कुल 4 लाख 44 हजार 224 रुपये की संपत्ति में शामिल है। हालांकि, उनकी कोई देनदारी हीं है।
एमए पास 39 साल की साध्वी प्रज्ञा ठाकुर जबसे भोपाल के चुनाव मैदान में बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर सामने आईं, विवादों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। पहले उन्होंने मुंबई एटीएस के पूर्व चीफ हेमंत करकरे की शहादत पर गलत टिप्पणी करके सियासी माहौल गर्माया । बाद में उन्होंने इसके लिए माफी भी मांगी। फिर उन्होंने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त कहकर सियासी तूफान खड़ा कर दिया। इसके लिए भी उन्होंने बाद में माफी मांग ली थी।
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