भोपाल 29 अप्रैल । बिहार के बेगूसराय से भाकपा के प्रत्याशी कन्हैया कुमार, मध्य प्रदेश के लोकसभा चुनाव में भाजपा की उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ खड़े होने वाले कांग्रेस के भोपाल उम्मीदवार दिग्विजयसिंह के लिए प्रचार करेंगे ।
यहां भाकपा कार्यालय में सभा को संबोधित करते हुए सिंह ने खुद को पूर्व जेएनयूयू अध्यक्ष का ‘ प्रशंसक ‘ बताते हुए कहा कि उन्हें खुशी है कि कुमार 8-9 मई को उनके लिए चुनाव प्रचार करेंगे ।
सिंह ने इस धारणा को भी दूर करने की कोशिश की कि कुमार के आने से चुनावी मौसम में ‘ तुकडे-टुकडे ‘ विवाद खड़ा हो सकता है, क्योंकि ठाकुर को एक ध्रुवीय हस्ती के रूप में देखा जाता है ।
उन्हें 2016 जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) नारेबाजी विवाद में भाजपा और आरएसएस को ‘ बदनाम ‘ करने का दोषी ठहराया गया है ।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि,’ मैं एक प्रशंसक और कन्हैया कुमार का समर्थक हूं । वह एक विचारक बन गए हैं । मैं खुलकर उनका समर्थन करता हूं । मैंने अपनी पार्टी को बताया कि आरजेडी ने (बेगूसराय में अपने उम्मीदवार को फील्डिंग करके) एक बड़ी गलती की है । सिंह ने कहा कि यह सीट (बेगूसराय) सीपीआई को आवंटित की जानी चाहिए थी ।
कुमार बेगूसराय में भाजपा के केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के खिलाफ अपना पहला चुनाव लड़ रहे हैं ।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि,”मैं किसी को भी यह कहते हुए चुनौती देता हूं कि उन्होंने (कन्हैया और उसके साथियों) ने ‘ टुकडे-टुकडे ‘ नारा (2016 में जेएनयू कैम्पस में) उठाया था । उन्होंने आरोप लगाया, ‘ कट्टरपंथ के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे कुमार और अन्य लोगों को बदनाम करना भाजपा और आरएसएस का काम था ।
सिंह ने दावा किया कि 2014 के आम चुनावों में उनकी पार्टी की हार के लिए कांग्रेस और वाम दलों का ‘ अलगाव ‘ जिम्मेदार है ।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि,”मेरा मानना है कि यूपीए-1 के दौर के बाद हम (कांग्रेस) फिर से जीते क्योंकि वामपंथी हमारे साथ थे, लेकिन हम एक छोटे से मुद्दे पर अलग हो गए ।
उन्होंने कहा, संप्रग-1 सरकार (वामपंथी सहयोगियों के कारण) के दौरान मौजूद सामाजिक और आर्थिक नीतियों पर नियंत्रण यूपीए-2 सरकार के कार्यकाल के दौरान गायब था, जो कांग्रेस की हार का कारण (2014 में) था ।
सिंह ने मध्य प्रदेश कांग्रेस में अपने राजनीतिक विरोधियों पर भी तंज कसा ।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि,2003 (विधानसभा चुनाव) में कांग्रेस की करारी हार के बाद कहा गया था कि राज्य में मेरी मौजूदगी से पार्टी का वोट शेयर स्लेश होगा ।
हालांकि, मैंने देखा कि भाजपा जीत रही है और आरएसएस वर्षों से ताकतवर होता जा रहा है जबकि कांग्रेस मूक दर्शक बनी रही ।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, यही कारण है कि मैंने फिर से सक्रिय बनने का फैसला किया ।
उन्होंने पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराने में भाकपा नेताओं द्वारा दी गई ‘ मदद ‘ का स्वागत किया ।
1989 के बाद से भाजपा के गढ़ भोपाल के लिए 2008 मालेगांव बम विस्फोट मामले में आरोपी ठाकुर को चुनाव मैदान में उतारने के बाद से यह मुकाबला हाईप्रोफाइल हो गया है ।
भोपाल में चल रहे लोकसभा चुनाव के छठे चरण में 12 मई को मतदान होना है ।
मध्य प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों के लिए वोटिंग 29 अप्रैल से 19 मई तक चार चरणों में होगी ।
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