नईदिल्ली 17 फरवरी। हर्षद मेहता, केतन पारिख,जतिन मेहता से लेकर नीरव मोदी तक ये कुछ ,ऐसे नाम हैं जिन्होंने एक ही फार्मूले से बैंकों को चपत लगायी।
रिजर्व बैंक की गाइडलाइंस के बावजूद बैंक प्रक्रिया से हटकर कैसे इतने बड़े लोन दे देते हैं, यह जांच का विषय है. और यही साबित करता है कि दशक बीत जाने के बाद भी देश की सरकारी बैंकों की वित्तीय सुरक्षा रामभरोसे है।
सरकारें बदलती रहीं लेकिन किसी ने भी बैंकिंग सिस्टम की खामियों को सुधारने के लिए ईमानदारी से काम नहीं किया. पीएनबी के लिए यह पहला मामला नहीं है. पांच साल पहले भी हीरा कारोबारी जतिन मेहता के विनसम ग्रुप ने पीएनबी को मोटी चपत लगायी थी।
नीरव मोदी ने बैंकों को चपत लगाने के लिये वही फार्मूला अपनाया जिसका सहारा केतन पारिख और हषर्द मेहता ने लिया था. इन सबने दो बैंकों के बीच होने वाले लेनदेन नियमों का फायदा उठाते हुये बैंक क्रेडिट का इस्तेमाल किया।attacknews.in
आन लाइन लेनदेन में सुरक्षा के ज्यादा इंतजाम होने के चलते नीरव मोदी ने बैंक के आफ लाइन लेनदेन की खामियों का फायदा उठाया. सवाल यह उठ रहे हैं कि जब बैंकिंग व्यवस्था में इतनी आसानी के साथ सेंधमारी की जा सकती है तो सरकार और बैंक वित्तीय सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम क्यों नहीं करते।
हषर्द मेहता व केतन पारेख की तर्ज पर ही नीरव मोदी ने लेटर आफ अंडरस्टैंडिंग, बायर क्रेडिट और लेटर आफ कंफर्ट का फायदा उठाया. पीएनबी में यह घोटाला वषोर्ं से चल रहा था और बैंक के अधिकारियों से लेकर सरकारी अमला सो रहा था. नीरव मोदी की कंपनियों को जारी अंडरटेकिंग के लिये बैंक में मार्जिन मनी को जमा ही नहीं कराया गया।attacknews.in