लखनऊ 6 दिसम्बर।अयोध्या की बाबरी मस्जिद विध्वंस को 25 वर्ष हो गए हों लेकिन उसके धमाके अभी भी देश के राजनीतिक गलियारों में गूंज रहे हैं।
बाबरी विध्वंस के समय केंद्र में नरसिम्हा राव की सरकार थी, आरोप लगा कि उनकी पूजा-पाठ ने बाबरी गिरवा दी।
इस आरोप का जवाब नरसिम्हा राव ने कभी नहीं दिया। इस सवाल पर अकसर वो खामोश ही रहते दिखे।
आखिर सच क्या है?
नरसिम्हा राव का हाथ बाबरी मस्जिट में था या नहीं? क्या वो चाहते थे कि बाबरी मस्जिद गिरा दी जाए? आखिर बाबरी मस्जिद के गिराए जाने व पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के पूजा करने में क्या संबंध में है?
दरअसल इस सवाल का जवाब जानने के लिए दो लोगों की यहां बात करना जरूरी है।
पहले व्यक्ति हैं वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर दूसरे नरसिम्हा राव के तत्कालीन डाक्टर श्रीनाथ रेड्डी।
जहां एक तरफ पूजा का विवाद कुलदीप नैयर की किताब बियॉन्ड द लाइंस से उठा तो इसके उलट श्री नाथ रेड्डी का दावा था कि 6 दिसंबर 1992 को वो पूरे दिन प्रधानमंत्री आवास पर थे। उन्हें नहीं लगा कि नरसिम्हा राव ये चाहते हैं कि बाबरी को गिरा दी जाए।
क्या है किताब का सच
कुलदीप नैयर की किताब बियॉन्ड द लाइंस में कहा गया है कि नरसिम्हा राव ने बाबरी मस्जिद घटना की पूरी अनदेखी की।
जब 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद गिरानी शुरू की, तभी राव पूजा पर बैठ गए।
उधर बाबरी मस्जिद गिराई जाती रही और इधर राव पूजा करते रहे। वह पूजा से तभी उठे जब मस्जिद को पूरी तरह तोड़ दिया गया।
कुलदीप नैयर ने यह दावा समाजवादी नेता मधु लिमये से मिली एक सूचना के आधार पर किया। लिमये ने नैयर को बताया कि पूजा के दौरान एक सहायक आकर राव के कान में फुसफुसाया कि मस्जिद तोड़ दी गई है। इसके कुछ देर बाद राव की पूजा खत्म हो गई।
नैयर की यह बात किताब के नरसिम्हा राव सरकार वाले अध्याय में दर्ज है।
हालांकि नरसिम्हा राव के बेटे पी जी रंगाराव ने इस पूरी तरह गलत बताते हुए कहा है कि यह बात सच हो ही नहीं सकती।
उन्होंने कहा कि राव मुस्लिमों के समर्थक थे। वह ऐसा करें यह मुमकिन ही नहीं है। कई बार उन्होंने हम लोगों से कहा कि यह नहीं होना चाहिए था। उस समय उन्होंने इस बात पर अफसोस भी जताया था कि कुलदीप नैयर जैसे बड़े पत्रकार ने ऐसी बातें लिखी हैं।
बड़ गया था नरसिंह राव का बीपी
नरसिम्हा राव जब प्रधानमंत्री थे तो उनके डॉक्टर श्रीनाथ रेड्डी की बात कुलदीप नैयर की बात का समर्थन नहीं करती है।
6 दिसंबर, 1992 को रविवार था, उस दिन नरसिम्हा राव सुबह 7 बजे सोकर उठे। अखबार पढऩे के बाद उन्होंने अगला आधा घंटा ट्रेड मिल पर वॉक कर बिताया होगा, तभी उनके निजी डॉक्टर के. श्रीनाथ रेड्डी आ गए।
रेड्डी ने राव के खून और पेशाब का नमूना लिया। उसके बाद रेड्डी अपने घर चले आए।
दोपहर बाद जब 12 बजकर 20 मिनट पर रेड्डी ने टीवी खोला, तो उन्होंने देखा हजारों कारसेवक बाबरी मस्जिद के गुंबदों पर चढ़े हुए हैं। 1 बजकर 55 मिनट पर पहला गुंबद नीचे गिरा। डॉक्टर रेड्डी ने सोचा, प्रधानमंत्री दिल के मरीज हैं, 1990 में हुए दिल के ऑपरेशन ने उन्हें करीब-करीब राजनीति से रिटायर करवा दिया था।
राव के डॉक्टर का दिलचस्प विवरण
रेड्डी प्रधानमंत्री का ब्लड प्रेशर जांचने दोबारा प्रधानमंत्री निवास पर पहुंच गए। जब तक बाबरी मस्जिद का तीसरा गुंबद भी गिर चुका था।
डॉक्टर श्रीनाथ को देखकर राव गुस्सा हो गए और आने का कारण पूछा, डाक्टर ने बताया कि उनकी फिर जांच होनी है। उनको बगल के छोटे कमरे में ले जाया गया। राव के दिल की धड़कनें तेज थी, उनकी नाड़ी तेज चल रही थी। ब्लड प्रेशर भी बढ़ा था, उनका चेहरा लाल हो गया था। उनको बीटा ब्लॉकर की अतिरिक्त डोज दी।
रेड्डी ने कहा था कि नरसिम्हा राव के शरीर की जांच से ये नहीं लगा कि उनको इस ट्रेजेडी की जानकारी हो।attacknews.in