मध्यप्रदेश में रविवार को सामने आए कोरोन के 12 नए मामले;अबतक संक्रमितों की संख्या बढ़ कर 7,91,750 और मृतकों की संख्या 10,512 हुई attacknews.in

भोपाल, 25 जुलाई । मध्यप्रदेश में रविवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 12 नए मामले सामने आए जिसके बाद संक्रमितों की संख्या बढ़ कर 7,91,750 हो गयी है ।स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी ।

अधिकारी ने बताया कि प्रदेश में पिछले 24 घंटे में किसी भी व्यक्ति की संक्रमण से मौत नहीं हुई है। प्रदेश में अब तक इस बीमारी से मरने वालों की संख्या 10,512 है।

उन्होंने बताया कि प्रदेश में वर्तमान में 148 संक्रमित उपचाराधीन हैं ।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में कुल 7,91,750 संक्रमितों में से अब तक 7,81,090 मरीज स्वस्थ हो गये हैं।

अधिकारी ने बताया कि प्रदेश में रविवार को 4,624 लोगों को कोरोना रोधी टीके लगाए गये और इसी के साथ प्रदेश में अब तक कोरोना रोधी टीकों की 2,78,67,459 खुराक दी जा चुकी है।

दैनिक भास्कर समूह ने अरबों रुपयों की हेराफेरी के लिए कर्मचारियों के नाम पर बनाई कम्पनियां,उनका इस्तेमाल फर्जी खर्चों को दर्शाने, सूचीबद्ध कंपनियों के मुनाफे को कम दिखाने और सर्कुलर लेनदेन करने के लिए किया गया attacknews.in

नयी दिल्ली 25 जुलाई । आयकर विभाग ने कहा है कि मीडिया, बिजली, कपड़ा और रियल एस्टेट का कारोबार करने वाले 6,000 करोड़ रुपये की सम्पति वाले के व्यवसायिक समूह ने अपने कर्मचारियों के नाम पर कई कंपनियां बनाईं और उनका इस्तेमाल फर्जी खर्चों को दर्शाने, सूचीबद्ध कंपनियों के मुनाफे को कम दिखाने और सर्कुलर लेनदेन करने के लिए किया।

आयकर विभाग ने यह बयान भोपाल, इंदौर और नोएडा सहित शहरों में समूह के ठिकानों की तलाशी देने के बाद दिया है।

आयकर विभाग ने शनिवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा, “इस पद्धति का उपयोग करके छह वर्षों में 700 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गयी है। यह राशि हालांकि अधिक हो सकती है क्योंकि समूह ने कई स्तरों का उपयोग किया है और पूरे पैसों का पता लगाने के लिए जांच की जा रही है।”

2,200 करोड़ रुपये के ‘काल्पनिक लेनदेन’ की जांच कर रहे मीडिया समूह पर छापे के बाद सीबीडीटी का कहना है:

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने शनिवार को आयकर विभाग द्वारा किए गए 2,200 करोड़ रुपये के “काल्पनिक लेनदेन” का पता लगाने का दावा किया।

कई शहरों में छापेमारी इस सप्ताह की शुरुआत में दैनिक भास्कर मीडिया समूह के खिलाफ हुई है ।

इसमें कहा गया है कि 22 जुलाई को नौ शहरों जैसे भोपाल, इंदौर, दिल्ली, अहमदाबाद, नोएडा और कुछ अन्य में तलाशी अभियान जारी है और आगे की जांच जारी है।

सीबीडीटी ने यहां जारी बयान में कहा, “तलाशी अभियान के दौरान मिली भारी सामग्री की जांच की जा रही है।

” सीबीडीटी आयकर विभाग के लिए नीति तैयार करता है।हालांकि बयान में समूह का नाम नहीं था, आधिकारिक सूत्रों ने इसकी पहचान भोपाल मुख्यालय वाले दैनिक भास्कर समूह के रूप में की, जो मीडिया, बिजली, कपड़ा और रियल एस्टेट जैसे विभिन्न व्यावसायिक क्षेत्रों में शामिल है, जिसका समूह सालाना 6,000 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार करता है।“

असंबंधित व्यवसायों में लगी समूह कंपनियों के बीच 2,200 करोड़ रुपये का चक्रीय व्यापार और धन का हस्तांतरण पाया गया है।

“पूछताछ ने पुष्टि की है कि ये बिना किसी वास्तविक आवाजाही या माल की डिलीवरी के काल्पनिक लेनदेन हैं। कर प्रभाव और अन्य कानूनों के उल्लंघन की जांच की जा रही है, ”बयान में आरोप लगाया गया।

छापे के दिन मीडिया समूह ने अपनी वेबसाइट पर एक संदेश पोस्ट किया था जिसमें कहा गया था कि सरकार अपनी सच्ची पत्रकारिता से डरी हुई है।

गंगा नदी में शवों से लेकर कोरोना मौतों तक, वास्तविक संख्या को देश के सामने लाने वाले समूह पर सरकार द्वारा छापा मारा जा रहा है, यह हिंदी में एक संदेश में आरोप लगाया गया है।

“मैं स्वतंत्र हूं क्योंकि मैं भास्कर हूं, भास्कर में केवल पाठकों का ही महत्व है,” यह कहा था।

सीबीडीटी के बयान में आरोप लगाया गया है कि समूह में होल्डिंग और सहायक कंपनियों सहित 100 से अधिक कंपनियां हैं और वे अपने कर्मचारियों के नाम पर कई कंपनियों का संचालन कर रहे हैं जिनका इस्तेमाल “फर्जी” खर्चों की बुकिंग और धन की रूटिंग के लिए किया गया है।

“जांच के दौरान, कई कर्मचारियों, जिनके नाम शेयरधारकों और निदेशकों के रूप में इस्तेमाल किए गए थे, ने स्वीकार किया है कि उन्हें ऐसी कंपनियों के बारे में पता नहीं था और उन्होंने अपने आधार कार्ड और डिजिटल हस्ताक्षर नियोक्ता को अच्छे विश्वास में दिए थे।”

सीबीडीटी ने दावा किया, “कुछ रिश्तेदार पाए गए, जिन्होंने स्वेच्छा से और जानबूझकर कागजात पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन कंपनियों की व्यावसायिक गतिविधियों का कोई ज्ञान या नियंत्रण नहीं था, जिसमें उन्हें निदेशक और शेयरधारक माना जाता था।”

यह आरोप लगाया गया है कि ऐसी कंपनियों का इस्तेमाल कई उद्देश्यों के लिए किया गया है जैसे “फर्जी खर्चों की बुकिंग” और सूचीबद्ध कंपनियों के मुनाफे को “हथियाना”, निवेश करने के लिए अपनी करीबी कंपनियों में फंड को स्थानांतरित करना, सर्कुलर लेनदेन करना आदि।

“इस तरह के फर्जी खर्चों की प्रकृति जनशक्ति की आपूर्ति, परिवहन, रसद और सिविल कार्यों और काल्पनिक व्यापार देय से भिन्न होती है।

यह दावा किया गया है, “इस मोडस ऑपरेंडी का उपयोग करके आय से बचने की मात्रा, जो अब तक पता चला है, छह साल की अवधि में 700 करोड़ रुपये है।”

हालांकि, मात्रा अधिक हो सकती है क्योंकि समूह ने कई परतों का इस्तेमाल किया है और पूरे पैसे के निशान को उजागर करने के लिए जांच की जा रही है।

बयान में कहा गया है कि कर विभाग इस मामले में सूचीबद्ध कंपनियों के लिए सेबी द्वारा निर्धारित कंपनी अधिनियम की कुछ धाराओं और लिस्टिंग समझौते के खंड 49 के उल्लंघन की जांच कर रहा है।

“बेनामी लेनदेन निषेध अधिनियम के आवेदन की भी जांच की जाएगी,” यह कहा। सीबीडीटी ने कहा कि समूह की रियल एस्टेट इकाई एक मॉल का संचालन कर रही है और उसे एक राष्ट्रीयकृत बैंक से 597 करोड़ रुपये का ऋण स्वीकृत किया गया है।इसमें से 408 करोड़ रुपये की राशि एक प्रतिशत की कम ब्याज दर पर ऋण के रूप में एक सहयोगी संस्था को दी गई है।“

“जबकि रियल एस्टेट कंपनी अपने कर योग्य लाभ से ब्याज के खर्च का दावा कर रही है, इसे होल्डिंग कंपनी के व्यक्तिगत निवेश के लिए डायवर्ट किया गया है,” यह आरोप लगाया।

सूचीबद्ध मीडिया कंपनी विज्ञापन राजस्व के लिए “वस्तु विनिमय सौदे” करती है, जिससे अचल संपत्ति वास्तविक भुगतान के स्थान पर प्राप्त होती है, यह कहा।

“ऐसी संपत्तियों की बिक्री के संबंध में नकद प्राप्तियों का संकेत देने वाले साक्ष्य पाए गए हैं। यह आगे की जांच के अधीन है, ”बयान में कहा गया है।

सीबीडीटी ने कहा कि छापे के दौरान मिले “सबूत” समूह की रियल्टी शाखा द्वारा फ्लैटों की बिक्री पर नकद में धन की प्राप्ति का संकेत देते हैं।

“इसकी पुष्टि दो कर्मचारियों और कंपनी के एक निदेशक ने की है।”

“काम करने का ढंग और साथ ही पुष्टि करने वाले दस्तावेज मिल गए हैं। आउट-ऑफ-बुक नकद प्राप्तियों की सही मात्रा निर्धारित की जा रही है, ”यह कहा।

कर अधिकारियों को समूह के प्रवर्तकों और प्रमुख कर्मचारियों के आवासीय परिसरों में कुल 26 लॉकर मिले, जिनका संचालन किया जा रहा है।

लालू प्रसाद यादव की बढ़ी मुश्किलें;शुरू हुई चारा घोटाले के सबसे बड़े केस में रोजाना सुनवाई,डोरंडा कोषागार से करोडों रुपये की अवैध निकासी मामले में लालू समेत 110 आरोपियों पर लटकी तलवार attacknews.in

रांची, 25 जुलाई । अविभाजित बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भले ही इस वक्त जेल से बाहर हैं। भले ही उन्हें झारखंड हाई कोर्ट ने जमानत दे दी हो लेकिन लालू से जुड़े चारा घोटाला मामले में सबसे बड़े केस के अंदर 6 महीने में फैसला आने वाला है।

लालू प्रसाद से जुड़े चारा घोटाले के पांचवें और अंतिम मामले में 6 महीने के अंदर फैसला आने की संभावना है। चार मामलों में लालू प्रसाद को सजा हो चुकी है।

गौरतलब है कि कि 25 साल पुराने चारा घोटाले के सबसे बड़े मामले आरसी 47ए/96 की सुनवाई वर्चुअल मोड पर शुरू हो चुकी है। हर दिन एक घंटे सुनवाई के लिए निर्धारित है। इसके साथ ही डोरंडा कोषागार से लगभग 139.5 करोड़ रुपये की अवैध निकासी मामले में लालू प्रसाद समेत अन्य 110 आरोपियों की मुश्किलें बढ़ गयी हैं।

कोरोना के कारण पिछले 15 महीने में केवल 12 डेट पर सुनवाई हुई थी। लेकिन अब तीन महीने बाद मामले की सुनवाई फिर से सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसके शशि के कोर्ट में वर्चुअल मोड पर शुरू हो गयी है। फिलहाल इस मामले में सीबीआई की तरफ से स्पेशल पीपी बीएमपी सिंह बहस कर रहे हैं। इस मामले में 26 फरवरी को बचाव पक्ष की गवाही पूरी होने के बाद मामला बहस पर चला गया था।

छह महीने में पूरी करनी है सुनवाई

मार्च में राज्य के न्यायिक अफसरों का प्रमोशन और तबादला किया गया था। इसमें विशेष न्यायाधीश एसके शशि का भी नाम शामिल था। उन्हें न्यायायुक्त के पद पर पदोन्नत देते तबादला किया गया है। लेकिन चारा घोटाला कांड संख्या आरसी 47ए/96 की सुनवाई पूरी होने तक वह सीबीआई के विशेष न्यायाधीश बने रहेंगे। साथ ही न्यायायुक्त को मिलनेवाली सुविधा भी मिलेगी।

मिली जानकारी के अनुसार छह महीने में मामले की सुनवाई पूरी करनी है। न्यायिक प्रकिया के तहत सीबीआई की ओर से जारी बहस पूरी होने के बाद बचाव पक्ष को बहस करने का मौका दिया जाएगा। दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद मामला फैसला पर चला जाएगा।

170 आरोपियों पर हुआ था चार्जशीट

प्रारंभ में 170 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गयी है। पहली चार्जशीट आठ मई 2001 को 102 आरोपियों को एवं सात जून 2003 को पूरक चार्जशीट में 68 आरोपियों के खिलाफ दाखिल किया था। आरोप तय सितंबर 2005 को किया गया था। सीबीआई ने 11 मार्च 1996 को प्राथमिकी दर्ज करायी थी। इस मामले के सात आरोपी को सरकारी गवाह बनाये गये, दो आरोपियों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया। पांच आरोपी फरार चल रहे हैं।

पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने निर्दयता से कर दी पत्नी की हत्या;लापता स्वीटी की खोज में पुलिस ने किया खुलासा;शव को अपनी गाड़ी में छुपा कर गांव के सुनसान घर में जला दिया था attacknews.in

अहमदाबाद 25 जुलाई । गुजरात के वडोदरा में कई दिनो से लापता एक पुलिस अधिकारी की पत्नी की सनसनीख़ेज़ हत्या के मामले का आज ख़ुलासा हो गया और उसका पति ही उसका हत्यारा निकला।

इस मामले का ख़ुलासा करने वाली अहमदाबाद पुलिस के क्राइम ब्रांच के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आज बताया कि वडोदरा ज़िला के एसओजी के पुलिस इन्स्पेक्टर अजय देसाई ने ही गत चार जून को अपनी पत्नी स्वीटी पटेल की सोते समय गला दबा कर हत्या कर दी थी और अगले दिन शव को अपनी गाड़ी में छुपा कर अटाली गांव के एक सुनसान घर में जला दिया था।

अजय ने अपनी पहली पत्नी से अलग होने के बाद स्वीटी (उसने भी अपने पहले पति से अलग होने का रास्ता चुना था) के साथ 2016 में मंदिर में शादी की थी। उसने 2017 में एक अन्य महिला से भी शादी कर ली थी। इसको लेकर दोनो में मनमुटाव था और इसी के चलते अजय ने स्वीटी की योजनाबद्ध तरीक़े से हत्या कर दी। उसके अधजले शव को बाद में बरामद किया गया था।

गुजरात को 38 दिनों से लापता पुलिस निरीक्षक की पत्नी स्वीटी पटेल की हत्या का शक उसके पति पर ही गया था ।‌ पुलिस को हाथ लगे मानव हड्डी के जले हुए अवशेषों के डीएनए टेस्ट के बाद यह शक और गहरा गया था । इससे पहले पुलिस आरोपी पुलिस निरीक्षक अजय देसाई गांधीनगर ले आई थी तथा उसकी मोबाइल लोकेशन भी उसी स्थल की बता रही थी जहां से मानव हड्डियों के जले हुए अवशेष मिले।

गुजरात पुलिस स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के निरीक्षक अजय देसाई की पत्नी 5 जून को रात 1:00 बजे से सुबह 8:00 के बीच घर से कहीं चली गई थी। पुलिस व उसके परिजन लगातार उसकी तलाश कर रहे थे लेकिन काफी दिनों तक उन्हें कोई सुराग नहीं मिल सका। ‌गत दिनों पुलिस को दक्षिण गुजरात के दहेज के पास अटाली गांव में मानव हड्डियों के जले हुए अवशेष बरामद हुए।

पुलिस ने इनकी जांच एफएसएल से कराई साथ ही स्वीटी के दो साल के पुत्र के डीएनए से मिलाने के लिए लैब में भेजा गया।

एफएसएल रिपोर्ट में बताया गया कि पुलिस को मिले अवशेष किसी युवा के ही हैं इसके बाद पुलिस ने आरोपी अजय देसाई के मोबाइल लोकेशन की जांच की जो दहेज के अटाली गांव के आसपास का ही बता रहा है। पूछताछ के लिए अजय को पुलिस गांधीनगर ले आई थी उधर अन्य शंकास्पद लोगों के पॉलीग्राफ नारको टेस्ट भी कराए गए ।

आरोपी अजय देसाई का भी नारको टेस्ट कराया जा चुका था , पुलिस को पति अजय पर ही पत्नी की हत्या का शक था।

गृह राज्य मंत्री प्रदीप सिंह जाडेजा ने स्वीटी पटेल मामले की जांच अहमदाबाद अपराध शाखा तथा गुजरात एटीएस को सौंप दी थी।

स्वीटी पटेल का पता लगाने के लिए के लिए हाल ही में पुलिस ने उनकी फोटो गुजरात के तमाम अखबारों में निकलवाई थी, साथ ही जानकारी देने वाले को इनाम देने की घोषणा भी की,लेकिन कोई सुराग हाथ नहीं लगा था।

पुलिस में दर्ज मामले के मुताबिक वडोदरा के करजन इलाके में आई प्रवेशा सोसायटी में रहने वाले इंस्पेक्टर देसाई की पत्नी स्वीटी पटेल (उम्र 37) पांच जुलाई को रात 1:00 बजे घर छोड़कर चली गईं. इस मामले में स्वीटी के भाई जयदीप पटेल ने 11 जून को करजन पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवाई थी।

पुलिस के मुताबिक, इंस्पेक्टर देसाई और स्वीटी पटेल की 2016 में लव मैरिज हुई थी।उनका 2 साल का एक बच्चा भी है।इस मामले में पुलिस तफ्तीश में यह भी पता चला है कि स्वीटी पटेल का पासपोर्ट जून 2020 में ही एक्सपायर हो गया था, जिस वजह से वह अपने रिश्तेदारों के यहां विदेश गईं हों इसकी संभावना कम ही थी।

इस मामले में चौंकाने वाली बात है कि खुद पुलिस इंस्पेक्टर देसाई ने पुलिस में दिए अपने बयान में कहा है कि उसकी पत्नी रात को 1:00 बजे के आसपास गायब हुईं हैं, जबकि पुलिस ने अपनी जांच के दौरान आसपास के सीसीटीवी को खंगाला तो पाया कि देसाई की पत्नी स्वीटी रात को 9 से 10 के बीच में घर से बाहर जाती हुई दिख रही हैं।

बताया जा रहा है कि देसाई ने खुद के ही के समाज की दूसरी लड़की के साथ शादी की थी, जिसके बाद स्वीटी पटेल ने बार-बार अपने पति को दूसरी पत्नी को तलाक देने के लिए कहा।इसे लेकर दोनों के बीच में झगड़ा भी होता रहता था।

हालांकि जिस सोसायटी में स्वीटी पटेल और इंस्पेक्टर देसाई रहते थे उस सोसायटी के लोगों के मुताबिक, उन्होंने स्वीटी को बहुत ही कम बार अपने घर से बाहर जाते हुए देखा।साथ ही अगर कुछ भी काम है तो देसाई ही सोसायटी के बाहर आते जाते दिखते थे।सोसायटी के कई लोग तो ऐसे थे जिन्हें पता ही नहीं था कि यहां पर कोई महिला भी रहती है।

बड़वानी में तोहिब खान ने जबर्दस्ती घर में घुसकर आदिवासी लड़की के साथ किया बलात्कार,मां नर्स हैं और वह वैक्सीनेशन के कार्य से बाहर गई हुई थी attacknews.in

बड़वानी, 25 जुलाई । मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले के जुलवानिया में घर में घुसकर कक्षा 12 की एक आदिवासी छात्रा के साथ कथित तौर पर दुष्कर्म करने के मामले में आज रात्रि आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया।

जुलवानिया के थाना प्रभारी आर आर चौहान ने बताया कि 19 वर्षीय छात्रा की शिकायत पर आरोपी तोहिब खान को दुष्कर्म समेत अन्य धाराओं के अंतर्गत गिरफ्तार कर लिया गया है।

उन्होंने बताया कि छात्रा की मां नर्स हैं और वह शनिवार को वैक्सीनेशन के कार्य से बाहर गई हुई थी।

इसी बीच आरोपी ने मौका ताड़कर उसके घर में प्रवेश किया और उसके साथ कथित तौर पर दुष्कर्म किया। उसके द्वारा चिल्लाये जाने पर आसपास भीड़ इकट्ठी हो गई और उन्होंने बाहर से दरवाजे बंद कर दिए।

राजपुर के अनुविभागीय अधिकारी पुलिस पदम ंिसह बघेल ने इस बात की पुष्टि की कि भीड़ ने आरोपी की जमकर पिटाई की और उसके बाद पुलिस को सौंप दिया।

सिडनी ओलम्पिक से रोते हुए वापस आने वाली मीराबाई चानू ने तोक्यो ओलंपिक में भारोत्तोलन में रजत पदक जीतकर भारत भर में मुस्कान बिखेर दी attacknews.in

तोक्यो, 24 जुलाई । ओलंपिक की भारोत्तोलन स्पर्धा में पदक के लिये भारत का 21 वर्ष का इंतजार खत्म करने वाली मीराबाई चानू ने 49 किलो वर्ग में रजत पदक जीता तो उनकी विजयी मुस्कान ने उन सभी आंसुओं की भरपाई कर दी जो पांच साल पहले रियो में नाकामी के बाद उनकी आंखों से बहे थे ।

पांच साल पहले खेलों के महासमर में निराशाजनक पदार्पण के बाद इसी मंच से वह रोती हुई गयी थीं।

उनकी इस ऐतिहासिक जीत से भारत पदक तालिका में अभी दूसरे स्थान पर पहुंच गया, देश ने यह उपलब्धि पहले कभी हासिल नहीं की थी।

मणिपुर की 26 साल की भारोत्तोलक ने कुल 202 किग्रा (87 किग्रा + 115 किग्रा) से कर्णम मल्लेश्वरी के 2000 सिडनी ओलंपिक में कांस्य पदक से बेहतर प्रदर्शन किया। इससे उन्होंने 2016 में रियो ओलंपिक के खराब प्रदर्शन को भी पीछे छोड़ दिया जिसमें वह एक भी वैध वजन नहीं उठा सकीं थीं।

करियर की इस शानदार जीत के बाद चानू ने पत्रकारों से कहा, ‘‘मैं बहुत खुश हूं, मैं पिछले पांच वर्षों से इसका सपना देख रही थी। इस समय मुझे खुद पर गर्व महसूस हो रहा है। मैंने स्वर्ण पदक की कोशिश की लेकिन रजत पदक भी मेरे लिये बहुत बड़ी उपलब्धि है। ’’

वह पिछले कुछ महीनों से अमेरिका में ट्रेनिंग कर रही थी। 2016 का अनुभव काफी खराब रहा था और उन्होंने इसके बारे में बात करते हुए कहा था कि बड़े मंच पर अपने पदार्पण के दौरान वह कितनी घबरायी हुई थी।

यह पूछने पर कि मणिपुरी होने के नाते इसके क्या मायने है तो उन्होंने कहा, ‘‘मैं इन खेलों में भारत के लिये पहला पदक जीतकर बहुत खुश हूं। मैं सिर्फ मणिपुर की नहीं हूं, मैं पूरे देश की हूं। ’’

शनिवार को चानू पूरे आत्मविश्वास से भरी थी और पूरे प्रदर्शन के दौरान उनके चेहरे पर मुस्कान रही। और उनके कान में ओलंपिक रिंग के आकार के बूंदे चमक रहे थे जो उनकी मां ने उन्हें भेंट दिये थे।

चीन की होऊ जिहुई ने 210 किग्रा (94 किग्रा +116 किग्रा) के प्रयास से स्वर्ण पदक जीता जबकि इंडोनेशिया की ऐसाह विंडी कांटिका ने 194 किग्रा (84 किग्रा +110 किग्रा) के प्रयास से कांस्य पदक अपने नाम किया।

स्नैच को चानू की कमजोरी माना जा रहा था, लेकिन उन्होंने पहले ही स्नैच प्रयास में 84 किग्रा वजन उठाया। मणिपुर की इस भारोत्तोलक ने समय लेकर वजन उठाया।

उन्होंने अगले प्रयास में 87 किग्रा वजन उठाया और फिर इसे बढ़ाकर 89 किग्रा कर दिया जो उनके व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ 88 किग्रा से एक किग्रा ज्यादा था जो उन्होंने पिछले साल राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में बनाया था।

हालांकि वह स्नैच में अपने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को बेहतर नहीं कर सकीं और स्नैच में उन्होंने 87 किग्रा का वजन उठाया और वह जिहुई से ही इसमें पीछे रहीं जिन्होंने 94 किग्रा से नया ओलंपिक रिकार्ड बनाया।

चीन की भारोत्तोलक का इसमें विश्व रिकार्ड (96 किग्रा) भी है।

क्लीन एवं जर्क में चानू के नाम विश्व रिकार्ड है, उन्होंने पहले दो प्रयासों में 110 किग्रा और 115 किग्रा का वजन उठाया।

हालांकि वह अपने अंतिम प्रयास में 117 किग्रा का वजन उठाने में असफल रहीं लेकिन यह उन्हें पदक दिलाने और भारत का खाता खोलने के लिये काफी था।

पदक जीतकर वह रो पड़ीं और खुशी में उन्होंने अपने कोच विजय शर्मा को गले लगाया। बाद में उन्होंने ऐतिहासिक पोडियम स्थान हासिल करने का जश्न पंजाबी भांगड़ा करके मनाया।

इस उपलब्धि की उनकी खुशी मास्क से भी छुप नहीं रही थी जो पदक समारोह के दौरान और बढ गई।

खेलों के लिये बनाये गये कोविड-19 प्रोटोकॉल में पदक विजेताओं को सामाजिक दूरी बनाये रखनी थी और वे ग्रुप फोटोग्राफ के लिये एक साथ नहीं हो सके।

लेकिन तीनों पदकधारियों ने एक दूसरे को बधाई दी और फोटो भी खिंचवाई लेकिन एक अधिकारी ने उन्हें अलग होने के लिये कह दिया।

इस भारतीय ने अंतरराष्ट्रीय एरीना में हर जगह खुद को साबित किया, बस इसमें ओलंपिक पदक की कमी थी जो अब पूरी हो गयी।

वह विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण, राष्ट्रमंडल खेलों में (2014 में रजत और 2018 में स्वर्ण) दो पदक और एशियाई चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीत चुकी हैं।

भारत में ऑक्सीमीटर, ग्लूकोमीटर, बीपी मॉनिटर, नेबुलाइजर,डिजिटल थर्मामीटर सहित जरूरी चिकित्सा उपकरणों पर व्यापार मार्जिन सीमित किए जाने के बाद करीब 620 उत्पादों के दाम घटे attacknews.in

नयी दिल्ली, 24 जुलाई । सरकार द्वारा कोविड-19 के इलाज एवं रोकथाम में व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले पल्स ऑक्सीमीटर और डिजिटल थर्मामीटर जैसे पांच जरूरी चिकित्सा उपकरणों पर व्यापार लाभ या मार्जिन को 70 प्रतिशत पर सीमित करने के साथ अब तक करीब 620 ब्रांडों की कीमतों में कमी आयी है।

रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने शनिवार को बताया कि यह सीमा 20 जुलाई से लगायी गयी है।

गत 13 जुलाई को राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने औषधि मूल्य नियंत्रण आदेश (डीपीसीओ), 2013 के पैरा 19 के तहत मिले असाधारण अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए पांच चिकित्सा उपकरणों – ऑक्सीमीटर, ग्लूकोमीटर, बीपी मॉनिटर, नेबुलाइजर और डिजिटल थर्मामीटर के व्यापार मार्जिन पर सीमा लगा दी थी।

प्राइस टू डिस्ट्रिब्यूटर (पीटीडी) या वितरक को मिलने वाली कीमत के स्तर पर लाभ को 70 प्रतिशत तक सीमित किया गया था।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “इसके अनुसार, 23 जुलाई, 2021 तक इन चिकित्सा उपकरणों के कुल 684 उत्पादों/ब्रांडों की रिपोर्ट की गई है और 620 उत्पादों/ब्रांडों (91 प्रतिशत) ने अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) में कमी की जानकारी दी है।”

पल्स ऑक्सीमीटर के एक आयातित ब्रांड द्वारा अधिकतम कमी की जानकारी दी गयी है। इसमें प्रति इकाई 2,95,375 रुपये की कमी देखी गई है।

मंत्रालय ने कहा कि सभी श्रेणियों में आयातित और घरेलू ब्रांडों ने एमआरपी कम करने की जानकारी दी है।

आयातकों ने कीमतों में सबसे ज्यादा कमी पल्स ऑक्सीमीटर, ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग मशीन और नेबुलाइजर पर की है।

रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख एल मंडाविया ने ट्विटर पर लिखा, “व्यापक जनहित में, सरकार ने 20 जुलाई से प्रभावी, पांच चिकित्सा उपकरणों के लिए व्यापार लाभ को सीमित कर दिया है। इससे चिकित्सा उपकरणों की कीमतों में भारी कमी आएगी।”

मध्यप्रदेश के 24 जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी,प्रदेश के बड़े हिस्से में बारिश जारी है attacknews.in

भोपाल, 24 जुलाई । भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने शनिवार को मध्यप्रदेश के 24 जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश होने की संभावना का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। प्रदेश के बड़े हिस्से में बारिश जारी है । विभाग ने इसकी जानकारी दी ।

भारत मौसम विभाग के भोपाल केंद्र के वरिष्ठ मौसम विज्ञानी पी के साहा ने कहा कि यह अलर्ट रविवार सुबह तक के लिए है।

साहा ने कहा कि जबलपुर, रीवा, सतना, अनूपपुर, उमरिया, डिंडोरी, कटनी, नरसिंहपुर, मंडला, सागर, टीकमगढ़, विदिशा, सीहोर, राजगढ़, बैतूल, बुरहानपुर, खंडवा, खरगोन, धार, देवास, आगर-मालवा, अशोक नगर और शिवपुरी जिलों के अलग-अलग स्थानों पर भारी से भारी से बहुत भारी वर्षा हो सकती है।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा भोपाल, इन्दौर और चंबल सहित राज्य के दस संभागों में से अधिकांश में बारिश या गरज के साथ बौछारें पड़ने की संभावना है।

उन्होंने बताया कि आगर-मालवा जिले के सुसनेर में शनिवार सुबह 08.30 बजे तक गत 24 घंटे में पश्चिमी मध्यप्रदेश में सबसे अधिक 211 मिमी बारिश हुई, जबकि इस अवधि में पूर्वी मध्यप्रदेश के उमरिया शहर में सबसे अधिक 170.5 मिमी बारिश हुई।

मध्यप्रदेश के धार जिले में युवतियों को दी गई ‘तालीबानी’ सजा;बाल पकड़कर घसीटा,लात घूंसों से मारपीट,शरीर पर बेरहमी से लाठियों से प्रहार करते रहे attacknews.in

इंदौर, 04 जुलाई । मध्यप्रदेश के धार जिले के टांडा थाना क्षेत्र में दो युवती के साथ बर्बर तरीके से कई युवाओं द्वारा सार्वजनिक स्थान पर मारपीट कर ”तालीबानी” तरीके से सजा दिए जाने का एक वीडियो साेशल मीडिया पर वायरल होने के बाद इस शर्मनाक मामले ने तूल पकड़ लिया है।

इंदौर संभाग के अधीन आने वाले धार जिले के पीपलवा गांव का यह वीडियो बताया गया है। लगभग 43 सैकंड के इस वीडियो में तीन चार युवक एक युवती को बाल पकड़कर घसीटते हुए, लात घूंसों से मारपीट करते हुए और उसके शरीर पर बेरहमी से लाठियों से प्रहार करते हुए देखे जा रहे हैं।

शर्मनाक करने वाली इस घटना के वीडियो में रहम की भीख मांग रही इस युवती को बचाने कोई भी नहीं आया, जबकि आसपास दर्जनों युवक खड़े हुए दिखायी दे रहे हैं। और तो और कुछ लोग इसका वीडियो बनाते रहे। युवक जमीन पर गिर गयी युवती के साथ भी बर्बर व्यवहार करते रहे।

अलीराजपुर में युवती के साथ हुई बर्बरता का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि धार जिले के टांडा थाना के तहत ग्राम पीपलवा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है जिसमें दो युवतियों के साथ जमकर बर्बरता की गई. वहां मौजूद लोग युवतियों को जमकर लाठी-डंडों से पीटा गया और उनके साथ जानवरों जैसा बर्ताव किया गया।

बताया जा रहा है कि मारने वाले युवतियों के चचेरे भाई हैं परिवार के लोगों ने ही युवतियों के साथ बर्बरता की. इतना ही नहीं मौजूद लोगों ने इस घटना का वीडियो मोबाइल में कैद किया लेकिन किसी ने उन्हें बचाने की ज़हमत नहीं उठाई।

वीडियो में युवतियां चिल्लाती रही लेकिन इंसानों से हैवान बने लोगों का दिल नहीं पसीजा, लड़कियां उनसे रहम की भीख मांगती रही लेकिन उन्हें लाठी डंडों से पिटाई मिली. वीडियो में युवतियों को न केवल युवकों के ज़रिए पीटा जा रहा है बल्कि महिलाओं के द्वारा भी जमकर लाठियां पत्थरों और लात घुसो से पीटा गया।

वीडियो कुछ दिनों पुराना बताया जा रहा है. बर्बरता की शिकार दोनों युवतियां रिश्ते में चचेरी बहनें हैं और दोनों का रिश्ता अलीराजपुर के जोबट में हुआ है लड़कियों का आरोप है कि मौजूद लोगों ने स्कूल के पास रोककर उन्हें पूछा कि आप मामा परिवार के दो लड़कों से फोन पर बातचीत क्यों करती हो जिसके बाद लड़कियों पर जमकर डंडे बरसाए गए. महज फोन पर बात करने की बात को लेकर लोगों ने बवाल खड़ा कर दिया और दोनों को जमकर पीटा गया दोनों लड़कियां डर गई. जिस वजह से उन्होंने शिकायत तक दर्ज नहीं करवाई।

टांडा थाना प्रभारी विजय वास्कले ने बताया कि वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने नोटिस लिया और मुआयना किया. युवतियों को थाने लाए जहां पर पूछताछ करने पर उन्होंने बताया कि उनके साथ परिवार वालों के ज़रिए ही मारपीट की गई. जिसके बाद पुलिस ने परिवार के ही 7 लोगों पर मामले दर्ज कर सभी को गिरफ्तार किया।

कृषि उपभोक्ताओं को छोड़कर सभी उपभोक्ताओं के यहां लगेंगे प्रीपेड स्मार्ट बिजली मीटर,विद्युत वितरण के लिए सभी डिस्कॉम्स/विद्युत विभागों की स्थिति सुधारने “पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना” को मंजूरी दी attacknews.in

नईदिल्ली 4 जुलाई । केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने एक सुधार-आधारित और परिणाम-से जुड़ी, पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना को स्वीकृति दे दी है।

इस योजना का उद्देश्य आपूर्ति बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए डिस्कॉम्स को सशर्त वित्तीय सहायता प्रदान करते हुए निजी क्षेत्र के डिस्कॉम्स के अलावा सभी डिस्कॉम्स/विद्युतविभागों की परिचालन क्षमता और वित्तीय स्थिरता में सुधार करना है।

यह सहायता पूर्व-योग्यता मानदंडों को पूरा करने के साथ-साथ वित्तीय सुधारों से जुड़े निर्धारित मूल्यांकन ढांचे के आधार पर मूल्यांकित किए गए डिस्कॉम द्वारा बुनियादी स्तर पर न्यूनतम मानकों की उपलब्धि हासिल करने पर आधारित होगी।

योजना का कार्यान्वयन “सभी के लिए अनुकूल एक व्यवस्था” दृष्टिकोण के बजाय प्रत्येक राज्य के लिए तैयार की गई कार्य योजना पर आधारित होगा।

इस योजना का परिव्यय 3,03,758 करोड़ रुपये होगा, जिसमें केंद्र सरकार की ओर से 97,631 करोड़ रुपये का अनुमानित जीबीएस होगा।

यह प्रस्तावित है कि जम्मू और कश्मीर (जेएंडके) और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों के लिए पीएमडीपी-2015 के साथ आईपीडीएस, डीडीयूजीजेवाई की योजनाओं के तहत वर्तमान में जारी स्वीकृत परियोजनाओं को इस योजना में शामिल किया जाएगा, और उनकी जीबीएस की बचत (लगभग 17,000 करोड़ रुपये) मौजूदा नियमों और शर्तों के तहत 31 मार्च, 2022 को समाप्त होने तक पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना के कुल परिव्यय का हिस्सा होंगी।

इन योजनाओं के तहत धनराशि को आईपीडीएस के तहत और पहचान की गई परियोजनाओं के लिए और 31 मार्च, 2023 तक आईपीडीएस और डीडीयूजीजेवाई के तहत केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हेतु प्रधानमंत्री विकास कार्यक्रम (पीएमडीपी) के तहत चल रही स्वीकृत परियोजनाओं के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।

पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना का उद्देश्य पूर्व-योग्यता मानदंडों को पूरा करने और बुनियादी न्यूनतम उपलब्धि हासिल करने के आधार पर आपूर्ति बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए डिस्कॉम्स को परिणाम से जुड़ी वित्तीय सहायता प्रदान करके उनकी परिचालन क्षमता और वित्तीय स्थिरता में सुधार लाना है। यह योजना वर्ष 2025-26 तक उपलब्ध रहेगी।

योजना के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के लिए आरईसी और पीएफसी को नोडल एजेंसियों के रूप में नामित किया गया है।

योजना के उद्देश्य

2024-25 तक अखिल भारतीय स्तर पर एटी एंड सी हानियों को 12-15% तक कम करना।

2024-25 तक एसीएस-एआरआर अंतराल को घटाकर शून्य करना।

आधुनिक डिस्कॉम्स के लिए संस्थागत क्षमताओं का विकास करना।

वित्तीय रूप से टिकाऊ और परिचालन रूप से कुशल वितरण क्षेत्र के माध्यम से उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता, विश्वसनीयता और सामर्थ्य में सुधार करना।

विवरण

यह योजना एटी एंड सी हानियों, एसीएस-एआरआर अंतरालों, बुनियादी ढांचे के उन्नयन संबंधित प्रदर्शन, उपभोक्ता सेवाओं, आपूर्ति के घंटे, कॉर्पोरेट प्रशासन, आदि सहित पूर्व-निर्धारित और तय प्रदर्शन के संकेतों के मामले मेंडिस्कॉम के प्रदर्शन का वार्षिक मूल्यांकन प्रदान करती है।

डिस्कॉम को न्यूनतम 60 प्रतिशत अंकों का स्कोर करना होगा और उस वर्ष में योजना के तहत वित्त पोषण के लिए पात्र होने के लिए कुछ मापदंडों के संबंध में न्यूनतम व्यवस्थाओं को पूरा करना होगा।

इस योजना में किसानों के लिए बिजली की आपूर्ति में सुधार लाने और कृषि फीडरों के सौरकरण के माध्यम से उन्हें दिन के समय बिजली उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान दिया गया है।

इस योजना के तहत, लगभग 20,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के माध्यम से 10,000 कृषि फीडरों को अलग करने का कार्य किया जाएगा, यह उन किसानों के लिए अत्यधिक लाभकारी साबित होंगे, जो इन समर्पित कृषि फीडरों तक पहुंच प्राप्त करते हुए इनके माध्यम से विश्वसनीय और गुणवत्तापूर्ण बिजली प्राप्त कर सकेंगे।

यह योजना प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) योजना के साथ कार्य करती है, जिसका उद्देश्य सभी फीडरों को सौर ऊर्जायुक्तबनाना और किसानों को अतिरिक्त आय के अवसर प्रदान करना है।

इस योजना की एक प्रमुख विशेषता प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग के माध्यम से सार्वजनिक-निजी-साझेदारी (पीपीपी) मोड को लागू करने के लिए उपभोक्ता सशक्तिकरण को सक्षम बनाना है।इससे स्मार्ट मीटर उपभोक्ता मासिक आधार के बजाय नियमित आधार पर अपनी बिजली की खपत की निगरानी कर सकेंगे, जो उन्हें अपनी जरूरतों के अनुसार और उपलब्ध संसाधनों के संदर्भ में बिजली के उपयोग में मदद कर सकता है।

इस योजना अवधि के दौरान 25 करोड़ स्मार्ट मीटर स्थापित करने की योजना के पहले चरण में प्रीपेड स्मार्ट मीटर को मिशन मोड में स्थापित करने को प्राथमिकता दी जाएगी जिसके तहत (i) 15% एटी एंड सी हानियों के साथ 500 अमृत शहरों के सभी विद्युत खंड (ii) सभी केंद्र शासित प्रदेश (iii) एमएसएमई और अन्य सभी औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ता (iv) ब्लॉक स्तर और उससे ऊपर के सभी सरकारी कार्यालय (v) उच्च नुकसान वाले अन्य क्षेत्र। इसके पहले चरण में दिसंबर, 2023 तक लगभग 10 करोड़ प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने का प्रस्ताव है।

प्रीपेड स्मार्ट मीटर की स्थापना की प्रगति की करीबी निगरानी की जाएगी, विशेष रूप से सरकारी कार्यालयों में, ताकि समयबद्ध तरीके से उन्हें लगाने की व्यवस्था को सक्षम बनाया जा सके।

कृषि कनेक्शनों की अलग-अलग स्थिति और बस्तियों से उनकी दूरी को देखते हुए, कृषि कनेक्शनों को केवल फीडर मीटर के माध्यम से कवर किया जाएगा।

उपभोक्ताओं के लिए प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग के समयबद्ध कार्यान्वयन के साथ-साथ पीपीपी मोड में संचार सुविधा के साथ फीडर और डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर (डीटी) स्तर पर सिस्टम मीटरिंग करने का भी प्रस्ताव है।

सिस्टम मीटर, प्रीपेड स्मार्ट मीटर सहित आईटी/ओटी उपकरणों के माध्यम से उत्पन्न डेटा का विश्लेषण करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का लाभ उठाया जाएगा ताकि हर महीने सिस्टम द्वारा तैयार खाता रिपोर्ट तैयार की जा सके और इसके माध्यम से डिस्कॉम को नुकसान में कमी, मांग का पूर्वानुमान, दिन का समय (टीओडी), टैरिफ, नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) एकीकरण और अन्य संभावित विश्लेषण पर निर्णय लेने में सक्षम बनाया जा सके। यह डिस्कॉम्स की परिचालन दक्षता और वित्तीय स्थिरता बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा योगदान देगा।

योजना के तहत निधि का उपयोग वितरण क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग से संबंधित अनुप्रयोगों के विकास के लिए भी किया जाएगा। इससे देश भर में वितरण क्षेत्र में स्टार्टअप्स के विकास को बढ़ावा मिलेगा।

प्रमुख घटकः

i) उपभोक्ता मीटर और सिस्टम मीटर

ए.कृषि उपभोक्ताओं को छोड़कर सभी उपभोक्ताओं के लिए प्रीपेड स्मार्ट मीटर।

बी.25 करोड़ उपभोक्ताओं को प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग के दायरे में लाया जाएगा।

सी.प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग के लिए शहरी क्षेत्रों, केंद्र शासित प्रदेशों, अमृत शहरों और उच्च हानि वाले क्षेत्रों को प्राथमिकता देते हुए यानि 2023 तक ~10 करोड़ प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाए जाएगें, शेष को अन्य चरणों में लगाया जाएगा।

डी.ऊर्जा परिकलन को सक्षम करने के लिए सभी फीडरों और वितरण ट्रांसफार्मरों के लिए सूचनीय एएमआई मीटर प्रस्तावित, जिससे डिस्कॉम द्वारा नुकसान में कमी के लिए बेहतर योजना बनाई जा सके।

ई.प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने से डिस्कॉम को उनकी परिचालन क्षमता में सुधार करने में मदद मिलेगी और उपभोक्ता को बेहतर सेवा प्रदान करने के लिए डिस्कॉम की व्यवस्था को मजबूती प्रदान होगी।

ii) फीडर का वर्गीकरण

ए.यह योजना असंबद्ध फीडरों के लिए फीडर वर्गीकरणहेतु वित्त पोषण पर भी ध्यान केंद्रित करती है, जो कुसुम के तहत सौरकरण को सक्षम बनाएगा।

बी.फीडरों के सौरकरण से सिंचाई के लिए दिन में सस्ती/निःशुल्क बिजली मिलेगी और किसानों को अतिरिक्त आय होगी।

iii)शहरी क्षेत्रों में वितरण प्रणाली का आधुनिकीकरण

ए.सभी शहरी क्षेत्रों में पर्यवेक्षी नियंत्रण और डेटा अधिग्रहण (एससीएडीए)

बी.100 शहरी केंद्रों में डीएमएस

iv)ग्रामीण और शहरी क्षेत्र प्रणाली का सुदृढ़ीकरण

विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए प्रावधान:

पूर्वोत्तर राज्यों केसिक्किम और जम्मू एवं कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों सहित सभी विशेष श्रेणी के राज्यों को विशेष श्रेणी के राज्यों के रूप में माना जाएगा।

प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग के लिए, 900 रुपये का अनुदान या पूरी परियोजना के लिए प्रति उपभोक्ता मीटर की लागत का 15%, जो भी कम हो, “विशेष श्रेणी के अलावा” राज्यों के लिए उपलब्ध होगा। “विशेष श्रेणी” राज्यों के लिए, संबंधित अनुदान रु 1,350 या प्रति उपभोक्ता लागत का 22.5%, जो भी कम हो, होगा।

इसके अलावा, डिस्कॉम्स यदि दिसंबर, 2023 तक लक्षित संख्या में स्मार्ट मीटर स्थापित करते हैं तो उपरोक्त अनुदान के 50% के अतिरिक्त विशेष प्रोत्साहन का भी लाभ उठा सकते हैं।

स्मार्ट मीटरिंग के अलावा अन्य कार्यों के लिए, “विशेष श्रेणी के अलावा” राज्यों के डिस्कॉम्स को दी जाने वाली अधिकतम वित्तीय सहायता स्वीकृत लागत का 60% होगी, जबकि विशेष श्रेणी के राज्यों में डिस्कॉम्सके लिए, अधिकतम वित्तीय सहायता स्वीकृत लागत राशि का 90% होगी।

भारत में कोविड प्रभावित क्षेत्रों के लिए कर्ज गारंटी योजना (एलजीएससीएएस) और आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के विस्तार को स्वीकृति attacknews.in

नईदिल्ली 4 जुलाई । केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कोविड-19 की दूसरी लहर से विशेष रूप से स्वास्थ्य क्षेत्र में आई बाधाओं को देखते हुए स्वास्थ्य/चिकित्सा अवसंरचना से संबंधित परियोजनाओं के विस्तार (ब्राउनफील्ड) और ग्रीनफील्ड परियोजनाओं को वित्तीय गारंटी कवर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 50,000 करोड़ के वित्तपोषण में सक्षम बनाने के लिए कोविड प्रभावित क्षेत्रों के लिए कर्ज गारंटी योजना (एलजीएससीएएस) को स्वीकृति दे दी है।

मंत्रिमंडल ने बेहतर स्वास्थ्य से संबद्ध अन्य क्षेत्रों/ऋणदाताओं के लिए एक योजना शुरू करने को भी स्वीकृति दे दी है।बदलते हालात के आधार पर विस्तृत तौर-तरीकों को अंतिम रूप दिया जाएगा।

इसके अलावा, मंत्रिमंडल ने आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के तहत 1,50,000 करोड़ रुपये तक के अतिरिक्त वित्तपोषण को भी स्वीकृति दे दी है।

लक्ष्य :

एलजीएससीएएस : यह योजना 31 मार्च 2022 तक स्वीकृत सभी पात्र कर्जों या 50,000 करोड़ रुपये तक स्वीकृत धनराशि तक, जो भी पहले हो, पर लागू होगी।

ईसीएलजीएस : यह लगातार जारी रहने वाली योजना है। योजना 30 सितम्बर 2021 तक गारंटेड इमरजेंसी क्रेडिट लाइन (जीईसीएल) के तहत या जीईसीएल के तहत चार लाख 50 हजार करोड़ रुपये की धनराशि तक स्वीकृत कर्जों, जो भी पहले हो, पर लागू होगी।

प्रभाव :

एलजीएससीएएस: कोविड-19 की दूसरी लहर के मद्देनजर पर्याप्त स्वास्थ्य इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी देखने को मिली। ऐसे असाधारण हालात से निपटने के लिए विशेष प्रतिक्रिया के रूप में एलजीएससीएएस तैयार की गई है। स्वीकृत योजना से रोजगार के ज्यादा अवसरों के सृजन के साथ ही स्वास्थ्य इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने में मदद मिलने की उम्मीद है। एलजीएससीएएस का मुख्य उद्देश्य आंशिक रूप से कर्ज जोखिम (मुख्य रूप से निर्माण जोखिम) खत्म करना है और सस्ती ब्याज दरों पर बैंक कर्ज उपलब्ध कराना है।

ईसीएलजीएस: यह निरंतर चलने वाली योजना है और हाल में, कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के चलते अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में आए व्यवधान को देखते हुए, सरकार ने ईसीएलजीएस के दायरे को बढ़ा दिया है। इस विस्तार से ऋणदाता संस्थानों को कम लागत पर 1.5 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त कर्ज उपलब्ध कराने के लिए प्रोत्साहन के द्वारा अर्थव्यवस्था के विविध क्षेत्रों को बहुप्रतीक्षित राहत मिलने का अनुमान है, जिससे व्यावसायिक उपक्रमों के लिए अपनी परिचालन जिम्मेदारियां पूरी करना और अपने कारोबार को जारी रखना संभव होगा। मौजूदा अप्रत्याशित हालात में कामकाज जारी रखने के लिए एमएसएमई को समर्थन देने के अलावा, इस योजना से अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ने और उसके पुनर्जीवन में मदद मिलने का अनुमान है।

पृष्ठभूमि :

एलजीएससीएएस: सरकार ने कोविड-19 महामारी के चलते पैदा संकट से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं। महामारी की दूसरी लहर के चलते यह संकट और बढ़ गया है। इस लहर से स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ ही कई क्षेत्रों में आजीविकाओं और व्यावसायिक उपक्रमों पर दबाव खासा बढ़ गया है। इस लहर से स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकारी और निजी निवेश की जरूरत काफी बढ़ गई है। यह मेट्रो शहरों से लेकर श्रेणी-4 और 5 शहरों के साथ ग्रामीण इलाकों तक पूरे देश में आवश्यक है। इन आवश्यकताओं में अतिरिक्त अस्पताल बिस्तर, आईसीयू, डायग्नोस्टिक सेंटर, ऑक्सीजन सुविधाएं, टेलीफोन या इंटरनेट आधारित स्वास्थ्य परामर्श और पर्यवेक्षण, जांच सुविधाएं और आपूर्ति, वैक्सीनों के लिए कोल्ड चेन सुविधाएं, दवाइयों और वैक्सीनों के लिए आधुनिक वेयरहाउस, मरीजों के लिए आइसोलेशन सुविधाएं, सीरिंज और इंजेक्शन आदि जैसी सहायक आपूर्तियों के उत्पादन में बढ़ोतरी आदि शामिल है। प्रस्तावित एलजीएससीएएस का उद्देश्य देश में विशेष रूप से वंचित इलाकों को लक्षित करके चिकित्सा अवसंरचना में विस्तार करना है। एलजीएससीएएस 8 मेट्रोपोलिटन टियर 1 शहरों (श्रेणी एक्स शहरों) को छोड़कर शहरी या ग्रामीण इलाकों में स्थापित ब्राउनफील्ड परियोजनाओं को 50 प्रतिशत और नई यानी ग्रीनफील्ड परियोजनाओं को 100 करोड़ रुपये तक के स्वीकृत कर्ज के लिए 75 प्रतिशत तक गारंटी उपलब्ध कराई जाएगी। आकांक्षी जिलों के लिए, दोनों ब्राउनफील्ड विस्तार और ग्रीनफील्ड परियोजनाओं के लिए 75 प्रतिशत गारंटी कवर मिलेगा।

ईसीएलजीएस: हाल में भारत में कोविड-19 महामारी की फिर से मार और स्थानीय/क्षेत्रीय स्तर पर अपनाए गए रोकथाम के उपायों से नई अनिश्चितताएं पैदा हुई हैं तथा शुरुआती स्तर पर आर्थिक पुनरुद्धार प्रभावित हुआ है। इस माहौल में व्यक्तिगत कर्ज लेने वाले और एमएसएमई कर्ज लेने वालों की सबसे संवेदनशील श्रेणी है, जिनके लिए भारत सरकार ने लक्षित नीतिगत प्रतिक्रिया के रूप में ईसीएलजीएस की पेशकश की है। ईसीजीएलएस के डिजाइन से उभरती जरूरतों पर तुरंत प्रतिक्रिया के लिए लचीलापन मिलता है, जो ईसीएलजीएस 2.0, 3.0 और 4.0 की पेशकश के साथ ही 30 मई 2021 को घोषित बदलावों में नजर आया है। ये सभी 3 लाख करोड़ रुपये की सीमा के भीतर उपलब्ध थे। वर्तमान में, ईसीएलजीएस के तहत लगभग 2.6 लाख करोड़ रुपये के कर्ज स्वीकृत किए जा चुके हैं। हाल में घोषित बदलावों, आरबीआई द्वारा 04 जून 2021 को 50 करोड़ रुपये की एकमुश्त रिस्ट्रक्चरिंग की सीमा के विस्तार और कोविड के उपक्रमों पर जारी नकारात्मक प्रभाव के चलते इसमें फिर से तेजी आने का अनुमान है।

नौवहन उत्पाद निर्माता कंपनी गार्मिन ने भारत में ‘नाविक’ युक्त उपकरण लांच किया,इससै जमीनी और समुद्री,आपदा प्रबंधन, वाहनों की निगरानी और कारवां प्रबंधन, यात्रियों को दिशा सूचक सेवा मिलेगी attacknews.in

बेंगलुरु, चार जुलाई । नौवहन उत्पाद निर्माता कंपनी गार्मिन ने भारत में ‘नाविक’ युक्त उपकरण लांच किया है। यह जानकारी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने दी।

भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (आईआरएनएसएस) को ‘नाविक’ कहा जाता है। यह स्वतंत्र क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली है जिसका विकास भारत ने किया है। अंतरिक्ष एजेंसी ने गार्मिन द्वारा अपने उपकरण जीपीएसएमएपी 66 एसआर और जीपीएसएमएपी 65एस में नाविक को शामिल करने पर आभार व्यक्त करते हुए कंपनी से आह्वान किया कि वह उपग्रह नौवहन आधारित अपने सभी उपकरणों में नाविक को अभिन्न हिस्सा बनाए।

इसरो ने कहा, ‘‘नाविक सटीक जानकारी देता है और इसके सिग्नल पहाड़ी और सघन बसे शहरी इलाकों में भी उपलब्ध रहते हैं। नाविक युक्त उपकरणों से इसका लाभ मिल सकता है।’’ नाविक का विकास भारत में और इसकी सीमा से बाहर 1500 किलोमीटर के दायरे में स्थित जगहों के बारे में उपयोगकर्ताओं को सटीक जानकारी देने के लिए किया गया है।

इसरों के मुताबिक आईआरएनएसएस दो तरह की सेवाएं प्रदान करता है, पहला मानक स्थिति निर्धारण सेवा (एसपीएस) जो सभी उपयोगकर्ताओं को मुहैया कराई जाती है और दूसरी, प्रतिबंधित सेवा (आरएस) जो केवल अधिकृत उपयोगकर्ताओं को ही दी जाती है। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि प्राथमिक सेवा क्षेत्र में आईआरएनएसएस प्रणाली के 20 मीटर के दायरे के बराबर सटीक जानकारी देने का अनुमान है।

इस प्रणाली का इस्तेमाल जमीनी और समुद्री दिशा सूचक प्रणाली, आपदा प्रबंधन, वाहनों की निगरानी और कारवां प्रबंधन, यात्रियों को दिशा सूचक सेवा प्रदान करने, चालकों के लिए दृश्य व ध्वनि आधारित दिशा सूचक जैसी सेवा देने के लिए किया जा सकता है। इस प्रणाली को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘नाविक’ नाम दिया है।

केरल में फेसबुक पर मजाक ने तीन की जान ली:आनंदु बनकर महिला को जाल में फंसाने वाली निकली ननंद और भांजी,खुलासे से पहले कर ली आत्म-हत्या,नवजात शिशु की भी मौत attacknews.in

तिरुवनंतपुरम, चार जुलाई । फेसबुक पर रिश्तेदारों के बीच एक खौफनाक मजाक ने तीन लोगों की जान ले ली। मरने वालों में एक नवजात बच्चा भी शामिल है। एक परित्यक्त बच्चे के संबंध में केरल पुलिस की जांच में यह खुलासा हुआ।

केरल के कोल्लम जिले में इस साल जनवरी में जन्म के महज कुछ घंटे बाद एक नवजात बच्चा सूखे पत्तों की ढेर में मिला था। नवजात को अस्पताल में भर्ती कराया गया जिसने बाद में दम तोड़ दिया। पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि कोल्लम के कल्लूवथुक्कल गांव की निवासी रेशमा नवजात की माता है। महिला को जून में गिरफ्तार किया गया।

जांच के दौरान रेशमा ने पूछताछ में बताया कि फेसबुक पर आनंदू नामक व्यक्ति से उसकी दोस्ती हुई और व्यक्ति के साथ रहने के लिए उसने बच्चे को मरने के लिये छोड़ दिया था। हालांकि वह व्यक्ति से कभी मिली नहीं थी।

पुलिस के अनुसार महिला की शादी विष्णु नामक व्यक्ति से हुई थी। महिला ने उसे या परिवार के किसी सदस्य को कभी नहीं बताया था कि वह मां बनने वाली है। महिला के फेसबुक मित्र की जांच के दौरान पुलिस ने महिला की ननद आर्या और भांजी ग्रीष्मा को पूछताछ के लिए बुलाया।

पुलिस ने उन्हें इसलिए तलब किया क्योंकि रेशमा अपने कई फेसबुक अकाउंट में से एक को आर्या के नाम पर लिए गए सिम से चलाती थी। हालांकि इस घटना में रोचक मोड़ तब आया जब दोनों महिलाओं (आर्या और ग्रीष्मा) ने कथित रूप से नदी में कूदकर जान दे दी।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि बाद में पुलिस ने ग्रीष्मा के एक पुरूष मित्र से पूछताछ की जिसने खुलासा किया कि आर्या और ग्रीष्मा ने आनंदू नाम से एक फर्जी फेसबुक अकाउंट बनाया था और वे रेशमा से मजाक करती थीं।

पुलिस को पता चला कि कथित रूप से आत्महत्या से पहले आर्या ने अपनी सास को इस मजाक के बारे में बताया था।

आर्या के पति ने बाद में मीडिया को बताया कि वह पुलिस का शुक्रगुजार है जिसने यह पता लगाया कि उसकी पत्नी ने आखिर जान क्यों दी।

उसने बताया कि उसे इस मजाक के बारे में कोई भनक नहीं थी।

रेशमा की गिरफ्तारी की खबर सुनकर विदेश से लौटे उसके पति ने बताया कि अगर उसे किसी ने भी इस बारे में बताया होता तो शायद वह ऐसा होने से रोक सकता।

पुलिस ने बताया कि वर्तमान में कोविड-19 से संक्रमित पाये जाने के बाद रेशमा एक पृथक-वास केंद्र में न्यायिक हिरासत में है।

उतराखण्ड में कद्दावर नेताओं की नापसंद के बाद भी पुष्कर सिंह धामी को सबसे कम आयु का मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने काफी सोच-समझकर चुनाव से ठीक पहले सिसासी दांव खेला attacknews.in

देहरादून, 04 जुलाई । उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी के मौजूदा शासनकाल में तीन बार मुख्यमंत्री बनाये जाने से देश-विदेश में पार्टी के बड़े नेताओं की कार्यशैली पर भी उंगली उठने लगी हैं। राज्य में वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव होंगे।

वर्ष 2000 में गठित इस राज्य में अब तक कुल चार आम विधानसभा चुनाव हुए हैं। आम तौर पर प्रत्येक राज्य में एक विधानसभा निर्वाचन के बाद एक मुख्यमंत्री पूरे पांच वर्ष अपना कार्य करता है, लेकिन उत्तराखंड में अभी तक एक ही मुख्यमंत्री ऐसा रहा, जिसने अपने कार्यकाल पूरा किया हो। वह मुख्यमंत्री विकास पुरुष के रूप में विख्यात कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण दत्त तिवारी रहे।

इसके विपरीत कांग्रेस की वर्ष 2012 में बनी सरकार में क्रमशः विजय बहुगुणा और हरीश रावत ने यह पद संभाला। भाजपा इनसे दो कदम आगे रही। उसके शासनकाल में हर बार तीन-तीन मुख्यमंत्री बनाये गये।
इस कालखण्ड में रविवार को एक बार फिर भाजपा के प्रचंड बहुमत वाली राज्य सरकार में पुष्कर सिंह धामी ने ग्यारहवें मुख्यमंत्री के तौर पर पद संभाला है। वह मात्र 45 वर्ष के हैं, साथ ही राज्य में अब तक बने सभी मुख्यमंत्रियों में सबसे कम आयु के हैं। बस यही बात भाजपा के राज्य स्तरीय बड़े और कद्दावर नेताओं को रास नहीं आ रही है।

श्री धामी का नाम विधान मंडल दल के नेता के रूप में जब शनिवार को तय हुआ तब किसी भी स्थानीय बड़े नेता ने खुलकर उनके नाम पर आपत्ति नहीं की। इसके बावजूद दिन निकलते-निकलते निवर्तमान मन्त्रिमण्डल के सदस्य बिशन सिंह चुफाल ने श्री धामी के नाम पर अपनी खिन्नता पार्टी अध्यक्ष से व्यक्त कर दी।

विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, श्री चुफाल ने प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को फोन कर श्री धामी के नाम पर अपनी नाराजगी व्यक्त की। उनके अलावा, कभी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले निवर्तमान कैबिनेट मंत्री हरक सिंह और सतपाल महाराज के भी नाखुश होने की अटकलें चलती रहीं। इसके बाद, श्री धामी द्वारा निवर्तमान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और भुवन चंद खण्डूरी के साथ सतपाल महाराज के घर जाकर उनसे आशीर्वाद लेने के साथ सभी अटकलों पर विराम लग गया। शाम को शपथ ग्रहण कार्यक्रम में मंत्रिमण्डल में सभी कथित असंतुष्टों के शपथ लेने के साथ सुबह से चल रही सभी आशंकाएं निर्मूल साबित हो गईं।

धामी को कमान सौंपकर भाजपा ने साधे एक तीर से कई निशाने

उत्तराखंड की राजनीति के शिखर पर पहुंचे नवनियुक्त मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को यहां तक पहुंचने में अपनी मेहनत के साथ ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) का विशेष वरदहस्त प्राप्त हुआ है।

महाराष्ट्र के राज्यपाल एवं खांटी संघी भगत सिंह कोश्यारी का भी उन्हें बेहद करीबी माना जाता है और माना जा रहा है कि उन्हीं की कृपा से वे सत्ता के शीर्ष पर पहुंचे हैं। भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) उनकी राजनीति की प्रथम पाठशाला रही है।

श्री धामी मूल रूप से पिथौरागढ़ जिले में कनालीछीना के ग्राम सभा टुण्डी, तहसील डीडीहाट में जन्म 16 सितंबर 1975 को हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा उधमसिंह नगर जिले के साथ ही लखनऊ में हुई है। यहीं से उनके जीवन में राजनीतिक सफर की शुरूआत हुई। इसी दौरान वह भाजपा के प्रखर नेता भगत सिंह कोश्यारी के सम्पर्क में आये और लगातार राजनीति की सीढ़ी चढ़ते गये। संघ से बेहद अच्छे रिश्ते रखने वाले श्री धामी (45) को केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह का करीबी माना जाता है।

पुष्कर सिंह धामी को सत्ता की कमान सौंपने के फैसले से थोड़ी असहजता जरूर दिख रही है, लेकिन पार्टी ने काफी सोच-समझकर चुनाव से ठीक पहले यह सिसासी दांव खेला है।

चार महीने पहले तीरथ सिंह रावत को सत्ता की बागडोर सौंपने के बाद नए फैसले पर सवाल भले ही उठ रहे हों, लेकिन धामी पर बाजी लगाकर पार्टी ने प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं की खेमेबाजी से निपटने की एक कोशिश जरूर की ही है, लगे हाथ विपक्षी कांग्रेस की राजनीति को भी हिलाने की चाल चल दी है। मोटे तौर पर देखें तो भाजपा नेतृत्व के इस फैसले के पीछे पांच तरह के गणित लग रहे हैं।

गढ़वाल और कुमाऊं की सियासत में संतुलन:

जानकारों की मानें तो पार्टी ने 21 साल के उत्तराखंड के 11वें मुख्यमंत्री के तौर पर पुष्कर सिंह धानी का नाम आगे बढ़ाकर प्रदेश की राजनीति के सबसे अहम फैक्टर गढ़वाल-कुमाऊं के बीच बैलेंस स्थापित करने की कोशिश की है। क्योंकि, निवर्तमान सीएम तीरथ सिंह रावत और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन सिंह कौशिक दोनों गढ़वाल से आते हैं। ऐसे में बीजेपी ने मुख्यमंत्री का पद कुमाऊं को देकर दोनों जगह अपनी राजनीतिक गोटी को सेट करने का प्रयास किया है। यह कुमाऊं के लोगों के लिए चुनाव से पहले एक बड़ा संदेश है, जिस क्षेत्र की 29 सीटों में से 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 23 सीटें जीती थी।

ठाकुर-ब्राह्मण की राजनीति में संतुलन:

उत्तरखंड की राजनीति में एक और फैक्टर महत्वपूर्ण है। ठाकुर और ब्राह्मण की राजनीति। प्रदेश अध्यक्ष की कमान पहले से ही कौशिक के पास है, जो कि ब्राह्मण हैं। इसलिए धामी को सीएम बनाकर भाजपा ने एक राजपूत की जगह सिर्फ दूसरे राजपूत का चेहरा भर बदला है। राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि ‘धामी को चुनने के पीछे निश्चित रूप से इस बात को ध्यान में रखा गया है कि वो ठाकुर हैं, जिससे ठाकुर मतदाताओं का बड़ा हिस्सा चुनाव से पहले नाखुश ना हो जाएं…’ क्योंकि, तीरथ सिंह रावत भी ठाकुर हैं।

भविष्य के लिए युवा नेतृत्व पर दांव

धामी को चेहरा बनाकर बीजेपी ने न केवल आज की राजनीति को साधने की कोशिश की है, बल्कि उसने आने वाले तीन दशकों की राजनीति का एक खाका तैयार करने की कोशिश की है। 16 सितंबर, 1975 को पिथौरागढ़ जिले के कनालीछीना गांव में जन्मे पुष्कर सिंह धामी को उनकी पार्टी ने राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री के तौर पर चुना है।

भाजपा ने राजनीति के लिए मोटे तौर पर 75 वर्ष की उम्र की जो एक सीमा तय कर रखी है, उसके मुताबिक धामी के पास अभी कम से कम 30 वर्षों का सियासी करियर बचा हुआ है। ऐसे में वो प्रदेश में पार्टी को लंबे समय तक नेतृत्व दे सकते हैं और इस एक स्टैंड से पार्टी ने वरिष्ठ नेताओं की गुटबाजी से निपटने की भी चाल चली है। धामी शुरू में विधार्थी परिषद से भी जुड़े रह चुके हैं और भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं, इसलिए बीजेपो को उम्मीद है कि युवा वोटरों में उनकी अपील काफी मायने रखेगी।

कांग्रेस की राजनीति की धार कुंद करने की भी कोशिश

2017 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार के खिलाफ लड़कर राज्य की 70 में से 57 सीटें जीत ली थीं। उस चुनाव में पूर्व सीएम हरीश सिंह रावत कांग्रेस के चेहरा थे और इस समय भी वही प्रदेश में पार्टी के सबसे बड़े नेता हैं। कांग्रेस की एक और कद्दावर नेता इंदिरा हृदयेश का पिछले महीने ही निधन हो चुका है। ये दोनों नेता कुमाऊं क्षेत्र से ही आते हैं, जहां से धामी आते हैं। वो ऊधम सिंह नगर की खटीमा विधानसभा सीट से लगातार दो बार चुनाव जीतकर आए हैं। इसलिए, जिस कुमाऊं मंडल में अबकी बार कांग्रेस भाजपा को घेरने की तैयारी में थी, वहां पार्टी ने उसके खिलाफ ऐसा तीर मारा है कि कांग्रेस को अपनी रणनीति फिर से दुरुस्त करनी पड़ेगी।

सेना से जुड़ा पारिवारिक बैकग्राउंड

उत्तराखंड देश का एक सीमावर्ती राज्य है, जहां के अधिकतर युवाओं के लिए सेना में जाना पहली पसंद होती है। इस राज्य में सेना के बैकग्राउंड से जुड़े परिवारों का अपना ही सम्मान है। गौर फरमाइए कि सीएम के तौर पर नाम घोषित होने के बाद धामी ने मीडिया से अपनी पहली ही टिप्पणी में क्या कहा है, ‘पार्टी का सामान्य कार्यकर्ता हूं, एक सैनिक का बेटा हूं और पिथौरागढ़ के दूर-दराज बॉर्डर इलाके में पैदा हुआ हूं।’ यही नहीं, धामी को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का भी आशीर्वाद प्राप्त है और पूर्व सीएम और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की नजदीकियों का भी फायदा मिलने की उम्मीद है। दिलचस्प तथ्य ये है कि कोश्यारी भी कुमाऊं के ही बागेश्वर से आते हैं।

वरिष्ठ भाजपा विधायकों की नाराजगी दूर करने के बाद पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड के सबसे युवा नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली

वरिष्ठ भाजपा विधायकों की नाराजगी दूर करने के बाद पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली ।

यहां राजभवन में आयोजित एक समारोह में राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई । धामी के शपथ लेने के बाद 11 अन्य कैबिनेट मंत्रियों ने भी शपथ ली जिनमें से कुछ शनिवार से नाराज चल रहे थे ।

उत्तराखंड के 11 वें मुख्यमंत्री बने, उधमसिंह नगर जिले के खटीमा से विधायक 45 वर्षीय धामी उत्तराखंड के अब तक के सबसे युवा मुख्यमंत्री हैं ।

शपथ ग्रहण समारोह से पहले दिन भर रूठे विधायकों को मनाने की कवायद चलती रही जिसमें धामी खुद सतपाल महाराज के यहां डालनवाला स्थित आवास पर जाकर मिले और उन्हें गुलदस्ता भेंट कर समय रहते मना लिया । माना जा रहा था कि महाराज शनिवार को हुए फैसले के बाद से नाराज चल रहे थे । हांलांकि, महाराज ने अपनी नाराजगी को लेकर कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया ।

पार्टी मामलों के प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम प्रदेश पार्टी अध्यक्ष मदन कौशिक के साथ उनके यहां यमुना कॉलोनी स्थित आवास में कुछ अन्य विधायकों की नाराजगी दूर करने के प्रयास में लगे रहे जिससे शपथ ग्रहण समारोह में कोई विघ्न न आए ।

शपथ लेने के बाद संवाददाताओं द्वारा इस संबंध में पूछे जाने पर धामी ने कहा कि कहीं कोई नाराजगी नहीं है । उन्होंने उल्टा सवाल दागते हुए कहा, ‘आपको यहां कोई नाराज दिखा क्या ?’ तय समय से 10 मिनट देर से आरंभ हुए समारोह में धामी के साथ शपथ लेने वाले उनके मंत्रिमंडल में सभी पुराने चेहरों को बरकरार रखा गया है और इसमें एकमात्र परिवर्तन यही किया गया है कि सभी मंत्रियों को कैबिनेट दर्जा दिया गया है । धामी मंत्रिमंडल में कोई भी राज्य मंत्री नहीं है ।

त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत मंत्रिमंडल की तरह सतपाल महाराज को पुष्कर मंत्रिमंडल में भी नंबर दो पर रख गया है । अन्य मंत्रियों में डा. हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल, यशपाल आर्य, बिशन सिंह चुफाल, बंशीधर भगत, रेखा आर्य, स्वामी यतीश्वरानंद, अरविंद पाण्डेय, गणेश जोशी और धनसिंह रावत शामिल हैं ।

धामी मंत्रिमंडल में रेखा आर्य, धनसिंह रावत और यतीश्वरानंद का कद बढाया गया है । पिछले मंत्रिमंडल में ये राज्य मंत्री थे । शपथ ग्रहण समारोह के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और त्रिवेंद्र सिंह रावत, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक, कई विधायकों और अधिकारियों के अलावा धामी की मां बिश्ना देवी और पत्नी गीता धामी सहित अन्य परिजन भी मौजूद थे ।

उल्लेखनीय है कि पौड़ी संसदीय क्षेत्र से सांसद और निवर्तमान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार देर रात्रि मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया था। इसका कारण उनको विधायक न होना था।

संवैधानिक कारणों से राज्य सरकार का कार्यकाल एक वर्ष से कम होने के कारण विधानसभा का उपचुनाव नहीं कराया जा सकता था। इससे पूर्व, 09 मार्च को तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाकर श्री तीरथ मुख्यमंत्री बनाये गये थे।

उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत से बनी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार का कार्यकाल पूरा होने से लगभग आठ महीने पहले तीसरी बार नये मुख्यमंत्री के रूप में विधायक पुष्कर सिंह धामी को शनिवार को विधायक का चुन लिया गया।

केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और भाजपा के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम की उपस्थिति में अपराह्न तीन बजे विधानमंडल दल की बैठक पार्टी के प्रदेश कार्यालय में शुरू हुई। इसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों त्रिवेंद्र सिंह रावत, तीरथ सिंह रावत सहित भाजपा सांसद और विधायक भी उपस्थित रहे।

लगभग तीस मिनट तक चली इस बैठक में खटीमा से विधायक धामी को विधायक दल का नेता सदन चुन लिया गया।

श्री तोमर ने बैठक कक्ष के बाहर एकत्रित संवाददाताओं को इसकी जानकारी दी। श्री धामी को नेता सदन चुने जाते ही फूल-मालाओं से लाद दिया गया।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आगामी हफ्तों में दुनिया को कोरोना के डेल्टा स्वरूप के संक्रमण के लिए सतर्क किया;आने वाले महीनों में यह बेहद संक्रामक स्वरूप सबसे हावी स्वरूप बन जाएगा attacknews.in

डेल्टा स्वरूप बहुत खतरनाक है और लगातार बदल रहा है : डब्ल्यूएचओ प्रमुख

संयुक्त राष्ट्र/जिनेवा, तीन जुलाई । विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस अदहानोम गेब्रेयेसस ने आगाह किया कि दुनिया कोविड-19 महामारी के बेहद ‘‘खतरनाक दौर’’ में है जिसके डेल्टा जैसे स्वरूप अधिक संक्रामक हैं और वक्त के साथ लगातार बदल रहे हैं।

उन्होंने कहा कि जिन देशों की कम आबादी को टीके लगे हैं वहां अस्पतालों में फिर से मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। उन्होंने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘डेल्टा जैसे स्वरूप अधिक संक्रामक है और कई देशों में यह फैल रहा है। इसी के साथ ही हम इस महामारी के बहुत खतरनाक दौर में हैं।’’

गेब्रेयसस ने कहा, ‘‘कोई भी देश अभी तक खतरे से बाहर नहीं है। डेल्टा स्वरूप खतरनाक है और यह वक्त के साथ और बदल रहा है जिस पर लगातार नजर रखने की जरूरत है।’’

उन्होंने कहा कि डेल्टा स्वरूप कम से कम 98 देशों में पाया गया है और उन देशों में तेजी से फैल रहा है जहां कम और ज्यादा टीकाकरण हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘जन स्वास्थ्य और सामाजिक उपाय जैसे कि कड़ी निगरानी, जांच, शुरुआती स्तर पर बीमारी का पता लगाना, पृथक वास और चिकित्सीय देखभाल अब भी महत्वपूर्ण हैं।’’

डब्ल्यूएचओ महानिदेशक ने कहा कि मास्क लगाना, सामाजिक दूरी, भीड़भाड़ वाली जगहों से बचना और घरों को हवादार रखने की की पर्याप्त व्यवस्था अहम है। उन्होंने दुनियाभर के नेताओं से अनुरोध किया कि वे एक साथ मिलकर यह सुनिश्चित करें कि अगले साल तक हर देश की 70 प्रतिशत आबादी को कोविड-19 रोधी टीका लग जाए।

उन्होंने कहा, ‘‘महामारी को खत्म करने, लोगों की जान बचाने, वैश्विक आर्थिक बहाली तथा खतरनाक स्वरूपों को पैदा होने से रोकने का यह सबसे अच्छा तरीका है। इस सितंबर के अंत तक हम नेताओं से सभी देशों के कम से कम 10 प्रतिशत लोगों को टीका लगाने का अनुरोध कर रहे हैं।’’

डब्ल्यूएचओ ने इस हफ्ते कहा था कि सबसे पहले भारत में पहली बार पाया गया डेल्टा स्वरूप अब करीब 100 देशों में पाया जा रहा।

इससे पहले एक जुलाई को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा था कि एक अनुमान के मुताबिक कोविड-19 के डेल्टा स्वरूप के मामले अब करीब 100 देशों में सामने आ चुके हैं, इसके साथ ही उसने आगाह किया कि आने वाले महीनों में यह बेहद संक्रामक स्वरूप पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का सबसे हावी स्वरूप बन जाएगा।

डब्ल्यूएचओ ने ‘‘कोविड-19 वीकली एपिडेमियोलॉजिकल अपडेट’’ में अद्यतन आंकड़े साझा करते हुए कहा कि 29 जून 2021 तक ‘‘96 देशों में डेल्टा स्वरूप के मामले सामने आए और संभव है कि वास्तविक आंकड़ें अधिक हों क्योंकि वायरस के स्वरूप पता लगाने के लिए जिनोम श्रंखला क्षमताएं भी सीमित हैं। इनमें से अनेक देशों ने कहा है कि डेल्टा स्वरूप के कारण उनके यहां संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं और अस्पताल में भर्ती मरीजों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है।’’

डेल्टा स्वरूप के अत्यधिक संक्रामक होने के मद्देनजर डब्ल्यूएचओ ने आगाह किया है कि इस स्वरूप के अन्य स्वरूपों के मुकाबले अधिक हावी होने और आगामी महीनों में सबसे अधिक प्रभावशाली स्वरूप बन जाने का अंदेशा है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि कोरोना वायरस से लड़ाई के लिए आज के समय में जो कदम उठाए जाते हैं वे डेल्टा समेत वायरस के अन्य चिंताजनक स्वरूपों के खिलाफ भी प्रभावी हैं।

पिछले हफ्ते डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेडरोस अधानोम ग्रब्रेयेसस ने कहा था कि कोरोना वायरस के अब तक जितने भी स्वरूप की पहचान हुई है उनमें डेल्टा ‘‘सबसे अधिक संक्रामक’’ है और यह उन लोगों में तेजी से फैल रहा है जिन्हें कोविड रोधी टीका नहीं लगा है। उन्होंने कहा था कि कुछ देशों ने जन स्वास्थ्य एवं सामाजिक पाबंदियों में ढील दी है ऐसे में विश्व में संक्रमण के मामलों में बढोतरी देखने को मिली है।

हाल के आंकड़ों के मुताबिक अल्फा स्वरूप के मामले 172 देशों, क्षेत्रों में सामने आए हैं, बीटा स्वरूप के मामले 120 देशों में, गामा स्वरूप के मामले 72 देशों में और डेल्टा स्वरूप के मामले 96 देशों (जिनमें से 11 नए देश हैं) में सामने आए हैं।

बीते कई हफ्तों में यह पहली बार है जब कोविड के सर्वाधिक नए मामले भारत से सामने नहीं आए हैं। अद्यतन आंकड़ों के मुताबिक 21-27 जून के हफ्ते में संक्रमण के सर्वाधिक 5,21,298 नए मामले ब्राजील से सामने आए, इसके बाद 3,51,218 मामले भारत से सामने आए (जो पिछले हफ्ते से 12 फीसदी अधिक है), कोलंबिया में पांच फीसदी वृद्धि के साथ 2,04,132 नए मामले, रूस में 24 फीसदी वृद्धि के साथ 1,034,465 नए मामले तथा अर्जेंटीना में 11 फीसदी वृद्धि के साथ 1,31,824 नए मामले सामने आए हैं।

दक्षिण पूर्वी एशिया क्षेत्र में 5,73,000 से अधिक नए मामले सामने आए तथा 13,000 संक्रमितों की मौत हुई, इनमें पिछले हफ्ते के मुकाबले क्रमश: पांच फीसदी और 33 फीसदी की कमी आई है।

अपडेट में बताया गया, ‘‘इस हफ्ते नए मामलों में कुछ कमी आई है जिसकी वजह है कि भारत में संक्रमण के नए मामले कम हुए हैं।’’

क्षेत्र में सबसे अधिक 9038 लोगों की मौत भारत में हुई है जो पिछले हफ्ते के मुकाबले 45 फीसदी कम है।

इसमें कहा गया कि डब्ल्यूएचओ के सभी क्षेत्रों में ऐसे देश हैं जहां संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और अस्पताल में भर्ती मरीजों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है।