जकार्ता, 01 सितंबर । भारत ने 18वें एशियाई खेलों में प्रतियोगिताओं के अंतिम दिन शनिवार को मुक्केबाज़ अमित पंघल और ब्रिज पेयर के स्वर्ण, महिला स्क्वैश टीम के रजत पदक तथा पुरूष हाॅकी टीम के कांस्य पदक के साथ एशियाई खेलों के 67 वर्षाें के इतिहास में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर डाला।
भारत ने 1951 में नयी दिल्ली में अपनी मेजबानी में हुये पहले एशियाई खेलों में 15 स्वर्ण, 16 रजत और 20 कांस्य सहित 51 पदक जीते थे जो इन खेलों से पहले तक उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। भारत ने जकार्ता-पालेमबंग में हुये 18वें एशियाई खेलों में 15 स्वर्ण, 24 रजत और 30 कांस्य सहित कुल 69 पदक जीतकर 67 साल पहले के नयी दिल्ली के प्रदर्शन को पीछे छोड़ दिया। भारत ने हालांकि अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया लेकिन वह पदक तालिका में आठवें स्थान पर ही रह गया।
अमित पंघल ने मुक्केबाजी में जीता गोल्ड
भारतीय मुक्केबाज़ 22 साल के अमित पंघल ने 18वें एशियाई खेलों में शनिवार को पुरूषों के 49 किग्रा लाइटफ्लाई भार वर्ग में ओलंपिक चैंपियन उज्बेकिस्तान के हसनब्वॉय दुस्मातोव को 3-2 से हराकर भारत को इन खेलों के मुक्केबाजी मुकाबलों में पहला स्वर्ण पदक दिला दिया।
हरियाणा के युवा मुक्केबाज़ ने ओलंपिक चैंपियन काे हराकर अपने करियर की सबसे बड़ी बाउट जीत ली। पांचों जजों ने हालांकि विभाजित फैसला सुनाया लेकिन अमित ने 28-29, 29-28, 29-28, 28-29, 30-27 से बाउट और स्वर्ण पदक जीत लिया। 18वें एशियाई खेलों में यह मुक्केबाजी में भारत का दूसरा पदक है। इससे पहले विकास कृष्णन ने 75 किग्रा भार वर्ग में कांस्य पदक जीता था।
भारतीय मुक्केबाजी संघ के अध्यक्ष अजय सिंह ने सेना के मुक्केबाज़ अमित को जब स्वर्ण पदक पहनाकर गले लगाते हुये बधाई दी तो अमित की आंखों में आंसू आ गये। राष्ट्रगान बजने के समय भी अमित की आंखों से लगातार आंसू निकल रहे थे।
स्वर्ण पदक जीतने के बाद अमित ने कहा,“ यह अविश्वसनीय जीत है। ओलंपिक चैंपियन को एशियाई खेलों के फाइनल में हराना सपना पूरा होने जैसा है और यह जीत इसलिये भी बड़ी हो जाती है कि मैंने अपने पदार्पण एशियाई खेलों में स्वर्ण जीता।” भारत ने पिछले इंचियोन एशियाई खेलों में एक स्वर्ण और चार कांस्य सहित पांच पदक जीते थे लेकिन इस बार उसके हाथ मुक्केबाजी में दो ही पदक लगे। भारत ने इन खेलों में 10 मुक्केबाजों को उतारा था।
प्रणव और शिवनाथ ने ब्रिज में जीता गोल्ड
भारत के प्रणब बर्धन और शिबानाथ सरकार की जोड़ी ने 18वें एशियाई खेलों में शनिवार को ब्रिज स्पर्धा के पुरूष युगल वर्ग में स्वर्ण पदक दिला दिया।
ब्रिज के इस खेल में मिले स्वर्ण के साथ भारत ने एशियाई खेलों में सर्वाधिक 15 स्वर्ण जीतने के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की बराबरी कर ली है। भारत ने आखिरी बार 1951 में एशियाई खेलों के पहले संस्करण में 15 स्वर्ण पदक जीते थे।
60 वर्षीय बर्धन और 56 साल के सरकार की शीर्ष रैंक टीम ने पुरूष युगल ब्रिज स्पर्धा के स्वर्ण पदक मुकाबले में सर्वाधिक 384 अंकों के साथ स्वर्ण अपने नाम किया जो शनिवार के दिन मुक्केबाजी में अमित पंघल के बाद भारत का दूसरा स्वर्ण पदक रहा। इन खेलों में ताश के खेल में यह भारत का कुल तीसरा पदक है। इससे पहले पुरूष टीम और मिश्रित टीमों ने दो कांस्य दिलाये हैं।
इस स्पर्धा का रजत पदक चीन के लिक्शिन यांग और गांग चेन ने जीता 378 अंकों जबकि कांस्य पदक हांगकांग के मैक फाई क्वोक तथा लाइ वाई कित (374) और इंडोनेशियाई के 71 साल के हेंकी लासुत और 72 वर्षीय फ्रेड एडी मनप्पो (374) की टीमों को मिला।
ब्रिज की महिला युगल स्पर्धा में हेमा देवरा और मरियाने करमाकर की भारतीय टीम 349 अंकों के साथ सातवें नंबर पर रही। वहीं मिश्रित युगल में किरन नदार और बाचीराजू सत्यनारायण की टीम 333 अंकों के साथ पांचवें और हिमानी खांडेवाल तथा राजीव खांडेवाल की टीम 327 अंक लेकर सातवें पायदान पर रही
स्वप्ना ने हेप्टाथलन में जीता गोल्ड
महिलाओं की हेप्टाथलन स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचने वाली भारत की स्वप्ना बर्मन पदक वितरण समारोह के खत्म होने के बाद सीधे एक दाढ़ी वाले अधेड़ उम्र के आदमी के पास गयीं और अपना स्वर्ण पदक उनके हाथों में देकर उनके पैर छुए।
55 वर्षीय यह आदमी कोई और नहीं बल्कि स्वप्ना के कोच सुभाष सरकार हैं। पीठ पर बैग टांगे सुभाष सरकार पदक को अपनी हथेली पर देखकर भावुक हो गए। इससे चंद मिनट पहले सुभाष अपने कोचिंग करियर के स्वर्णिम क्षणों को साधारण से दिखने वाले अपने फोन में कैद करने की कोशिश कर रहे थे। गले में तिरंगा लपेटे हुए स्वप्ना पोडियम पर शीर्ष पर खड़ीं थीं और राष्ट्रगान की धुन बज रही थी। स्वप्ना और सुभाष दाेनों के लिए यह पल कभी न भुला देने वाले होंगे। एशियाई खेलों की हेप्टाथलन स्पर्धा में भारत का यह पहला पदक है।
महिला टीम ने स्क्वैश में जीता गोल्ड
भारतीय महिला टीम को शनिवार को हांगकांग से 0-2 से पराजित होकर 18वें एशियाई खेलों की स्क्वैश प्रतियोगिता में रजत पदक से संतोष करना पड़ा।
भारत की तरफ से जोशना चिनप्पा और सुनयना कुरुविला को अपने मैच गंवाने पड़े और इसी के साथ भारत के हाथ से स्वर्ण पदक जीतने का मौका निकल गया। भारत ने इन खेलों में स्क्वैश में एक रजत और चार कांस्य सहित कुल पांच पदक जीते।
भारत का इस मुकाबले में पहले मैच में युवा खिलाड़ी सुनयना काे उतारनेे का दांव पूरी तरह विफल रहा। वह हांगकांग की शीर्ष खिलाड़ी लोक जी हो से अपना मैच 31 मिनट में 1-3 से हार गयीं। उन्होंने यह मैच 8-11, 6-11, 12-10, 3-11 से गंवा दिया।
यदि भारत ने इस मुकाबले में दीपिका पल्लीकल को उतारा होता तो फाइनल की कहानी अलग होती। पहला मैच हारने के बाद जोशना चिनप्पा पर मनोवैज्ञानिक दबाव आ गया और वह एनी ची विंग के खिलाफ अपना मैच मात्र 20 मिनट में 3-11, 9-11, 5-11 से हार गयीं। भारतीय महिलाओं ने शुक्रवार को सेमीफाइनल में प्रबल दावेदार मलेशिया को 2-0 से पराजित किया था लेकिन वह इस कामयाबी को फाइनल में नहीं दोहरा सकीं।
भारतीय महिला टीम ने 2010 के ग्वांग्झू खेलों में कांस्य पदक और 2014 के इंचियोन खेलों में रजत पदक हासिल किया था। भारतीय पुरूष टीम को भी कांस्य पदक हाथ लगा।attacknews.in