नयी दिल्ली, 16 फरवरी ।दिल्ली की सातवीं विधानसभा के चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) की ऐतिहासिक जीत की अगुवाई करने वाले पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के तीसरी बार मुख्यमंत्री पद के शपथ ग्रहण समारोह में मंच 2013 और 2015 की तुलना में काफी बदला हुआ नजर आया।
पिछली बार मंच पर उपस्थित रहे आप के संस्थापकों में से उनके कई ‘करीबी’ लोगों के अलावा विपक्ष का कोई नेता भी इस बार वहां मौजूद नहीं था।
इस बार शपथ ग्रहण समारोह में मंच पर मौजूद नहीं रहने वालों में श्री केजरीवाल के करीबियों में पूर्व केंद्रीय मंत्री और जाने-माने अधिवक्ता शांति भूषण, योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, कवि कुमार विश्वास और पत्रकारिता छोड़कर राजनीति में उतरे और फिर वापस पुराने पेशे में लौटे आशुतोष के अलावा कई अन्य लोग नजर नहीं आए।
आप की नींव डालने में श्री केजरीवाल के सहयोगी रहे कवि कुमार विश्वास भी मंच पर इस बार मौजूद नहीं थे। श्री केजरीवाल के भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले कुमार विश्वास का दिल्ली की तीन राज्यसभा सीटों पर उम्मीदवारों के चयन को लेकर मतभेद हो गया था और उसके बाद से वह लगातार मुख्यमंत्री के तौर तरीकों पर उंगली उठाते रहे हैं। कुमार विश्वास को बाद में पार्टी की राजस्थान इकाई के प्रमुख से भी हटा दिया गया था।
श्री यादव भी आप की स्थापना के मुख्य कर्ता-धर्ता रहे थे लेकिन बाद में उनके संबंध श्री केजरीवाल से बहुत खराब हो गए और उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया।
इसी तरह आप की स्थापना के मुख्य किरदारों में शामिल रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री शांति भूषण और उनके पुत्र प्रशांत भूषण को पार्टी से निकाल दिया गया।
पत्रकार से राजनेता बने आशुतोष प्रारंभ में श्री केजरीवाल के प्रबल प्रशंसक रहे लेकिन बाद में पार्टी या सरकार में कोई अहम पद नहीं मिलने से वह भी आप को अलविदा गये। इसके अलावा आशीष खेतान और प्रोफेसर कुमार आनंद तथा कई अन्य बड़े नेताओं ने भी पार्टी छोड़ दी।
इस बार शपथ ग्रहण समारोह में अलग नजारा यह था कि विभिन्न क्षेत्रों के 50 से अधिक लोग जिनमें सफाई कर्मचारी, ऑटो रिक्शा ड्राइवर, छात्र, शिक्षक, डाक्टर और मजदूर आदि शामिल हैं, उन्हें मुख्य अतिथि के रुप में शामिल होने का न्योता दिया था।
श्री केजरीवाल के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न्योता भेजा गया था लेकिन वह अपने लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी के दौरे पर हैं। इसके अलावा विपक्ष के किसी नेता को शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने का निमंत्रण नहीं भेजा गया था।