नयी दिल्ली, 02 सितंबर ।मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और देश के अन्य राज्यों में भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना के साथ ही गणेश चतुर्थी यानी गणेश जी के जन्म दिवस का दस दिवसीय महोत्सव सोमवार से शुरू हो गया।
केंद्रीय गृह मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने मुंबई में श्री सिद्धिविनायक मंदिर में भगवान गणेश का दर्शन कर पूजा अर्चना की। उन्होंने ट्वीट कर कहा,“ गणेश चतुर्थी के पावन पर्व पर आज मुंबई में श्री सिद्धिविनायक के दर्शन कर पूजा अर्चना की। विघ्नहर्ता श्री गणपति बप्पा सबका मंगल करें ,ऐसी कामना करता हूँ।”
महाराष्ट्र एवं गुजरात और मध्यप्रदेश समेत विभिन्न राज्याें में भक्तगण और श्रद्धालु छोटे, बड़े पंडाल में आरती, महाआरती, भजन और कीर्तन करते नजर आ रहे हैं। जिससे देश का माहौल गणेशमय हो गया है।
इस बार इको फ्रेंडली गणेशोत्सव के आयोजन को विशेष रुप से प्रोत्साहन दिया जा रहा है। यह महोत्सव आज से श्रद्धा और उत्साह पूर्वक राज्यभर में अनन्त चतुर्दशी तक चलेगा। महोत्सव की तैयारियां लोगों ने एक महीने पहले से ही शुरू कर दीं थी। चारों ओर सुबह से ही गण गण गणपते नमो नम:, जय गणेश-जय गणेश जय गणेश देवा…, गणपति बापा मोरया, गणपति आयो बाप्पा-रिद्धि सिद्धि लायो बाप्पा की धूम मची हुई है। कईं जगहों पर गणेशोत्सव स्पर्धाएं भी आयोजित की गईं हैं। ऐसी मान्यता है कि सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत गणपति पूजन से किये जाने पर समस्त काम निर्विघ्न रूप से पूरे हो जाते हैं।
गुजरात में नवजीवन ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी विवेक देसाई ने बताया कि अहमदाबाद में साबरमती जेल के सात कैदियों द्वारा बनायी गयी 35 इकोफ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं को ट्रस्ट के कर्मा कैफे में बेचने के लिए रखा गया । जहां से भक्तगणों ने गणेशजी की मूर्तियों को गणेशोत्सव के लिए खरीद कर आज अपने-अपने घरों, पंडालों में गणेश स्थापना की है। इस तरह का आयोजन पिछले चार वर्षों से कर्मा कैफे में किया जा रहा है।
राज्य में बड़ी संख्या में भक्तों ने मिट्टी से बनी गणपति प्रतिमाएं खरीद कर ढोल, नगाडों, बैंड-बाजों की धुन पर गुलाल उड़ाते हुए नाचते गाते दो दिन पहले से ही अपने-अपने घरों, मंदिरों, पांडालों में ले जाना शुरू कर दिया था। कच्छ-भुज, गांधीधाम, राजकोट, जूनागढ़, जामनगर, महेसाना, पालनपुर, अहमदाबाद, नडियाद, वडोदरा, दाहोद, भरूच, सूरत सहित राज्य के सभी शहरों में गणेशोत्सव की तैयारियां जोर-शोर से विशाल रंग बिरंगी रोशनी वाले सजावटी पंडाल बनाकर रविवार की रात ही पूरी कर ली गयीं। अनंत चतुर्दशी को भक्तगण गणेश की मूर्तियों को नदी, सरोवर, तालाब या समुद्र में विसर्जित करेंगे और इसके साथ ही महोत्सव का समापन होगा।