Home / अपराध / तिहाड़ जेल के इतिहास में पहली बार 2 तख्त पर निर्भया के बलात्कारी 4 दरिंदें एकसाथ फांसी पर आधा घंटे तक लटकते रहे जब तक प्राण पखेरू नहीं उड़ गये attacknews.in

तिहाड़ जेल के इतिहास में पहली बार 2 तख्त पर निर्भया के बलात्कारी 4 दरिंदें एकसाथ फांसी पर आधा घंटे तक लटकते रहे जब तक प्राण पखेरू नहीं उड़ गये attacknews.in

नयी दिल्ली 20 मार्च । देश को झकझोर देने वाले निर्भया सामूहिक दुष्कर्म एवं हत्या मामले के चारों दोषियों विनय शर्मा (26), मुकेश सिंह(32), अक्षय ठाकुर (31) और पवन गुप्ता (25) को शुक्रवार तड़के पांच बजकर 30 मिनट पर यहां तिहाड़ जेल में फांसी दी गई।

तिहाड़ जेल के महानिदेशक संदीप गोयल ने बताया कि चारों दोषियों को ठीक 5:30 बजे फांसी पर लटकाया गया और करीब 6 बजे यानी आधे घंटे बाद चारों को डॉक्टरों द्वारा मृत घोषित कर दिया गया। जेल प्रशासन सूत्रों के अनुसार चारों दोषियों को एक साथ फांसी पर लटकाया गया और इसके लिए जेल नंबर-3 की फांसी कोठी में दो तख्तों पर चारों को लटकाने के लिए चार हैंगर बनाए गए थे। इनमें से एक का लीवर मेरठ से आए जल्लाद पवन ने खींचा तथा दूसरे लीवर को जेल स्टाफ ने खींचा।

जेल के महानिदेशक संदीप गोयल ने कहा, ‘‘डॉक्टरों ने शवों की जांच की और चारों को मृत घोषित कर दिया।’’

जेल अधिकारियों ने बताया कि चारों दोषियों के शव करीब आधे घंटे तक फंदे पर झूलते रहे जो जेल नियमावली के अनुसार फांसी के बाद की अनिवार्य प्रक्रिया है।

शुक्रवार तड़के चारों को इनके सेल से जगाया गया हालांकि, चारों में से कोई भी सोया नहीं था। इसके बाद सुबह की जरूरी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद इनसे नहाने को कहा गया। इसके बाद इनके लिए चाय मंगाई गई लेकिन किसी ने चाय नहीं पी। इसके बाद उनसे आखिरी इच्छा पूछी गई और फिर सेल से बाहर लाने से पहले चारों को काला कुर्ता-पजामा पहनाया गया तथा हाथ पीछे की ओर बांध भी दिए गए थे।

फांसी के बाद निर्भया की मां आशा देवी ने कहा कि आज वह बहुत खुशी महसूस कर रही हैं क्योंकि उनकी बेटी को आखिरकार इंसाफ मिल गया।

उन्होंने कहा कि निर्भया की मां होने के नाते आज वह गर्व महसूस कर रही है। सात साल पहले जो घटना हुई उससे लोग और देश शर्मसार हुआ था लेकिन आज न्याय मिला है।

निर्भया के पिता ने कहा कि देर से ही सही उनको न्याय मिला। उन्होंने कहा कि उन्होंने एक पिता होने का कर्त्तव्य निभाया है। इंसाफ के लिए दर दर की ठोकरें खाई है लेकिन आखिरकार इंसाफ मिला।

राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने ट्वीट कर कहा कि आज एक उदाहरण पेश किया गया लेकिन यह बहुत पहले हो जाना चाहिए था। उन्होंने कहा, “अब लोगों को पता चलेगा कि आप तारीख आगे बढ़ा सकते है लेकिन सजा मिलेगी।”

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा कि 7 साल के लंबे इंतजार के बाद आज न्याय की जीत हुई। उन्होंन कहा, “निर्भया की मां ने न्याय के लिए दर-दर की ठोकर खाईं। सारा देश सड़कों पर उतरा, अनशन किया, लाठी खाई। ये सारे देश की जीत है और अब हमें देश में एक कठोर सिस्टम बनाना है। विश्वास है बदलाव आएगा, जरूर आएगा। सत्यमेव जयते।”

चारों दोषियों के शव को दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए आठ बजे भेजा गया और उसके बाद सभी प्रक्रिया पूरी होने के बाद शव को परिजनों को सौंपाने की भी प्रक्रिया की गई । हालांकि यह अभी साफ नहीं है कि परिजन शव लेने आएंगे या नहीं। अगर परिजन शव नहीं लेंगे तो दिल्ली पुलिस की ओर ओर से अंतिम संस्कार किया जायेगा।

फांसी की खबर मिलते ही जेल के बाहर मौजूद लोगों ने तालियां बजाते और भारत माता की जय के नारे लगाते हुये तथा मिठाइयां बांटकर खुशी का इजहार किया।

सुरक्षा के मद्देनजर जेल के बाहर इस दौरान बड़ी संख्या में पुलिस और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया था।

तिहाड़ जेल में पहली बार चार लोगों को एक साथ फांसी दी गई। यह देश की सबसे बड़ी जेल है जहां 16 हजार से अधिक कैदियों के रहने की जगह है।

उल्लेखनीय है कि पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया के दोषियों की ओर से फांसी टलवाने के लिए दायर याचिका गुरुवार को खारिज कर दी थी। जिसके बाद दोषियों के वकील ने फांसी की सजा पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की जिसे शीर्ष अदालत ने भी खारिज कर दिया और उसके बाद तय समय पर फांसी दे दी गई।

चारों दोषियों ने फांसी से बचने के लिए अपने सभी कानूनी विकल्पों का पूरा इस्तेमाल किया और बृहस्पतिवार की रात तक इस मामले की सुनवाई चली।

सामूहिक बलात्कार एवं हत्या के इस मामले के इन दोषियों को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद तीन बार सजा की तामील के लिए तारीखें तय हुईं लेकिन फांसी टलती गई। अंतत: आज सुबह चारों दोषियों को फांसी दे दी गई।

आखिरी पैंतरा चलते हुए एक दोषी ने दिल्ली उच्च न्यायालय और फांसी से कुछ घंटे पहले उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

फांसी से कुछ घंटों पहले पवन कुमार गुप्ता ने राष्ट्रपति द्वारा दूसरी दया याचिका खारिज किए जाने को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया।

अभूतपूर्व रूप से देर रात ढाई बजे सुनवाई शुरू हुई और एक घंटे तक चली। उच्चतम न्यायालय की एक पीठ ने उसकी याचिका खारिज करते हुए फांसी का रास्ता साफ कर दिया।

न्यायालय ने गुप्ता और अक्षय सिंह को फांसी से पहले अपने परिवार के सदस्यों से मुलाकात करने की अनुमति देने पर भी कोई आदेश देने से इनकार कर दिया।

सात साल लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अपनी बेटी को आखिरकार न्याय मिलने से राहत महसूस कर रहे निर्भया के माता-पिता ने कहा कि वे ‘‘भारत की बेटियों के लिए अपनी लड़ाई’’ जारी रखेंगे।

गौरतलब है कि साल 2012 में दक्षिणी दिल्ली के वसंत कुंज इलाके में चलती बस में 23 वर्षीय पैरा-मेडिकल छात्रा के साथ 6 लोगों ने सारी हदें पार करते हुए उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया था।

चलती बस में निर्भया के साथ छह व्यक्तियों ने सामूहिक बलात्कार करने के बाद उसे बुरी तरह पीटा, घायल कर दिया और सर्दी की रात में चलती बस से नीचे सड़क पर फेंक दिया था। 16 दिसंबर 2012 को हुई इस घटना ने पूरे देश की आत्मा को झकझोर दिया था और निर्भया के लिए न्याय की मांग करते हुए लोग सड़कों पर उतर आए थे।

करीब एक पखवाड़े तक जिंदगी के लिए जूझने के बाद अंतत: सिंगापुर के अस्पताल में निर्भया ने दम तोड़ दिया था।

इस मामले में मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह सहित छह व्यक्ति आरोपी बनाए गए। इनमें से एक नाबालिग था।

मामले के एक आरोपी राम सिंह ने सुनवाई शुरू होने के बाद तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। नाबालिग को सुनवाई के बाद दोषी ठहराया गया और उसे सुधार गृह भेज दिया गया। तीन साल तक सुधाार गृह में रहने के बाद उसे 2015 में रिहा कर दिया गया।

इस मामले में लंबी कानूनी लड़ाई चली और यह निचली अदालतों से होकर उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय तथा राष्ट्रपति के पास पहुंचा।

अदालत ने इस आधार पर तीन बार मौत का वारंट रोका कि दोषियों ने अपने सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल नहीं किया था और एक के बाद एक ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी।

निर्भया को इलाज के लिए देश से बाहर सिंगापुर भी ले जाया गया था लेकिन वह नहीं बच पाई थी।

प्रधानमंत्री ने निर्भया के दोषियों की फांसी को न्याय की जीत करार दिया, नेताओं ने किया स्वागत:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्याकांड के दोषियों को शुक्रवार तड़के फांसी पर लटकाए जाने को न्याय की जीत करार दिया और कई अन्य मंत्रियों एवं महिला अधिकार समूहों ने भी इसका स्वागत किया।

इस घटना के समय दिल्ली पुलिस के प्रमुख रहे नीरज कुमार ने इस मामले को अपने 37 साल के करियर का ‘‘सबसे अहम मामला’’ करार दिया है।

प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘ न्याय की जीत हुई है। महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करना सबसे महत्वपूर्ण है।’’ मोदी ने कहा, ‘‘हमारी नारी शक्ति हर क्षेत्र में आगे बढ़ी है और हमें ऐसे राष्ट्र का निर्माण करना है जहां ध्यान महिला सशक्तिकरण, समानता और अवसर प्रदान करने पर हो।’’

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने निर्भया सामूहिक बलात्कार मामले के चारों दोषियों को फांसी दिए जाने पर कहा कि इससे अपराधियों को सख्त संदेश जाएगा कि वे कानून से भाग नहीं सकते ।

ईरानी ने संवाददाताओं से कहा,‘‘ मैंने इतने साल में निर्भया की मां का संघर्ष देखा है। हालांकि न्याय पाने में समय लगा लेकिन आखिरकार न्याय हुआ। यह लोगों को भी संदेश है कि वे आप कानून से भाग सकते हैं लेकिन आप हमेशा के लिए इससे बच नहीं सकते । मुझे खुशी है कि न्याय हुआ। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मैं आज के दिन का दिल की गहराइयों से स्वागत करती हूं कि आखिरकार निर्भया को न्याय मिला। दोषियों को फांसी हर अपराधी को यह संदेश है कि एक न एक दिन कानून आपको पकड़ लेगा।’’

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज का दिन यह संकल्प लेने का दिन है कि हम अब और कोई निर्भया कांड नहीं होने देंगे।

केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘‘ सात साल बाद आज निर्भया के दोषियों को फांसी हुई। आज संकल्प लेने का दिन है कि अब दूसरा निर्भया मामला नहीं होने देंगे। पुलिस, अदालत, राज्य सरकार, केन्द्र सरकार सबको संकल्प लेना है कि हम सब मिलकर सिस्टम की ख़ामियों को दूर करेंगे और भविष्य में किसी बेटी के साथ ऐसा नहीं होने देंगे।’’

केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने निर्भया मामले के दोषियों को फांसी दिये जाने पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि यह आत्मावलोकन का समय है कि क्या फांसी की सजा पाने वाले दोषियों को मामले को खींचने के लिए इस तरह प्रणाली को तोड़ने-मरोड़ने की अनुमति दी जा सकती है।

राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने ट्वीट किया, ‘‘उम्मीद है कि न्याय मिलने के बाद निर्भया की आत्मा को आखिरकार शांति मिली होगी। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद उसके माता-पिता ने अपनी बेटी के लिए न्याय की लड़ाई जीत ली। चारों लोगों को एक युवा मेडिकल छात्रा पर बर्बर अपराध के लिए अंतत: दोषी ठहराया गया और आज सुबह फांसी दी गई।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस मामले ने हमें कानून प्रणाली में खामियों को भी दिखाया जिसका चारों दोषियों ने फायदा उठाया। आज जब हम जानते हैं कि आखिरकार दोषियों को फांसी दी गई तो मैं उम्मीद करती हूं कि यह दूसरे लोगों को अपराध के लिए रोकने का काम करेगा और भविष्य में किसी मामले में न्याय देने के लिए इतना लंबा वक्त नहीं लगना चाहिए।’’

शर्मा ने कहा, ‘‘इतने साल में आशा देवी (निर्भया की मां) ने अपनी बेटी को न्याय दिलाने की लड़ाई में कभी उम्मीद नहीं खोई। अंतत: निर्भया को न्याय मिला, यह उसके माता-पिता और हम सबके लिए लंबा दुखदायी इंतजार रहा। न्याय प्रणाली को लेकर हमारे मन में चल रहा संशय दूर हो गया है।’’

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने भी ट्वीट किया ‘‘यह पूरे देश की जीत है। अब हमें एक मजबूत व्यवस्था बनानी होगी।’’

उन्होंने ट्वीट किया ‘‘सत्यमेव जयते।’’

स्वाति ने कहा कि सात साल के इंतजार के बाद न्याय की जीत हो गई।

निर्भया कांड के समय दिल्ली पुलिस के प्रमुख रहे नीरज कुमार ने कहा कि इस मामले के साथ उनकी प्रतिष्ठा दांव पर थी क्योंकि इस घटना ने पूरे देश का ध्यान खींचा था।

उन्होंने ‘ कहा कि यदि यह मामला किसी तर्कसंगत निष्कर्ष पर नहीं पहुंचता तो उनका ‘‘पूरा पेशेवर करियर शून्य हो जाता’’।

खतरनाक आतंकवादी आफताब अंसारी के प्रत्यर्पण जैसे कई मामलों की कमान संभल चुके कुमार ने कहा, ‘‘मेरी पहली प्रतिक्रिया थी कि यह घटना अमानवीय है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘… हर कोई मेरा इस्तीफा चाहता था और हर व्यक्ति चाहता था कि मैं पद छोड़ दूं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मैंने जिम्मेदारी ली।’’

कुमार ने कहा, ‘‘ जब तत्कालीन मुख्यमंत्री (शीला दीक्षित) ने मेरे इस्तीफे की मांग की तो यह मीडिया को संकेत था कि वह मुझे निशाना बनाए। हालांकि तत्कालीन उपराज्यपाल (तजिंदर खन्ना) ने मुझे पूरा समर्थन दिया क्योंकि उन्हें लगता था कि हमने कुछ गलत नहीं किया।’’

हालांकि ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया’ ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा रोकने के लिए मृत्यदंड समाधान नहीं है। उसने निर्भया कांड के चार दोषियों को फांसी पर लटकाए जाने को भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर एक ‘‘काला धब्बा’’ करार दिया।

निर्भया के सामूहिक बलात्कार के बाद उसका उपचार करने वाले सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सकों ने कहा कि निर्भया एक ‘‘बहादुर युवती’’ थी और दोषियों को फांसी देकर कानून ने अपना काम किया है।

एक चिकित्सक ने कहा कि निर्भया के साथ जो किया गया था, उसे देखकर अस्पताल की अधिकतर रेजीडेंट डॉक्टर सदमे में आ गई थीं।

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Dr.Sushil Sharma Admin/Editor

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