सीजीएसटी पूर्वी दिल्ली कमिश्नरेट ने सरकारी खजाने की 392 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी के आरोप में दो को गिरफ्तार किया
नईदिल्ली 5 मार्च । केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) आयुक्तालय, दिल्ली (पूर्व) के अधिकारियों ने फर्जी बिलिंग मामलों को जड़ से उखाड़ फेंकने के अपने सतत प्रयास में एक और सफलता हासिल की जब जांच के बाद फर्जी फर्मों के बड़े पैमाने पर चल रहे नेटवर्क का पता चला और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का फायदा उठाने का मामला सामने आया ।
नरेश ढौंडियाल नाम के शख़्स द्वारा पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट देवेंद्र कुमार गोयल की मदद से फर्जी कंपनियों का यह नेटवर्क संचालित किया जा रहा था ।
नरेश ढौंडियाल और देवेंदर कुमार गोयल दोनों ही एस्सेल ग्रुप के पूर्व कर्मचारी हैं ।वर्तमान में हालांकि वे एस्सेल समूह के साथ आधिकारिक तौर पर काम नहीं कर रहे हैं, किंतु यह लोग इस समूह को अमान्य आईटीसी पर पारित कर रहे हैं।
जांच से पता चलता है कि वास्तविक दिखने वाली फर्जी मध्यस्थ कंपनियों की एक श्रृंखला गैर-मौजूद और फर्जी फर्मों से किसी भी माल या सेवाओं की वास्तविक आपूर्ति के बग़ैर फ़र्ज़ी आईटीसी एस्सेल समूह की कंपनियों को देने के लिए बनाई गई थी ।
यह जाहिर तौर पर एस्सेल समूह को जीएसटी के अमान्य इनपुटटैक्स क्रेडिट का लाभ उठाने, आयकर से बचने के लिए तथा अपनी सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर मूल्यों को बढ़ाने हेतु अपने कारोबार को बढ़ाकर सक्षम बनाने के लिए किया गया था ।
नरेश ढोंडियाल ने एस्सेल समूह के लिए कई फर्जी मध्यस्थ कंपनियों को शामिल किया जबकि देवेंद्र कुमार गोयल, चार्टर्ड अकाउंटेंट ने ऐसी फर्जी मध्यस्थता कंपनियों के लिए विभिन्न अन्य फर्जी और गैर-मौजूद फर्मों के फर्जी इनवॉइस का इंतज़ाम किया ।
ऐसी फर्जी मध्यस्थ कंपनियों द्वारा पास किए गए कुल फर्जी इनपुटटैक्स क्रेडिट की मात्रा 92.18 करोड़ रुपये होना निर्धारित किया गया है, जबकि समूचे विशाल नेटवर्क से संबंधित अन्य फर्जी और गैर-मौजूद फर्मों द्वारा पास कुल फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट 300 करोड़ रुपये से अधिक होने की बात सामने आई है ।
इस तरह सिंडिकेट ने किसी भी वस्तु या सेवाओं की वास्तविक आपूर्ति के बिना 3,000 करोड़ रुपये की फर्जी इनवॉइस जारी कर सरकारी खजाने को 392 करोड़ रुपये से अधिक का चूना लगाया है, जिसकी मात्रा जांच में और बढ़ने की संभावना है ।
यह बताना प्रासंगिक है कि मेसर्स वर्टिलिंक मीडिया सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड ने चोरी की बात स्वीकार की है और स्वेच्छा से 2.5 करोड़ रुपये जमा किए हैं ।
नरेश ढौंडियाल और चार्टर्ड अकाउंटेंट देवेंदर कुमार गोयल ने सरकारी खजाने को चूना लगाने की नीयत से गहरी आपराधिक साज़िश रची एवं जानबूझकर सीजीएसटी अधिनियम कीधारा 132 (1) (बी) (बी) (सी) के अंतर्गत निर्दिष्ट अपराध किया जो कि धारा 132(5) के प्रावधानों के अनुसार संज्ञेय एवं ग़ैर जमानती अपराध है तथाअधिनियम की धारा 132 की उप धारा 1 के खंड (i) के तहत दंडनीय है ।
नरेश ढौंडियाल और चार्टर्ड अकाउंटेंट देवेंदर कुमार गोयल को सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 69 (1) के तहत गिरफ्तार किया गया है और 04-03.2021 को ड्यूटी मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया है, जिन्हें 18-03-2021 तक 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है । मामले में आगे की जांच की जा रही है ।
यहां यह बताना प्रासंगिक है कि जीएसटी केंद्रीय कर की शुरुआत से लेकर अब तक दिल्ली जोन ने 4,450.86 करोड़ रुपये से अधिक की जीएसटी चोरी से जुड़े विभिन्न मामलों में 30 गिरफ्तारियां की हैं ।