मथुरा 03 अगस्त ।पांच अगस्त को जब मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या में भूमि पूजन के समारोह से गुंजायमान हो रही होगी उसी समय मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान स्थित केशवदेव मंदिर में भगवान केशवदेव राम रूप में भक्तों को दर्शन दे रहे होंगे।
ऐसा इसलिए भी किया जा रहा है कि मथुरा में यदि कान्हा ने जन्म लिया तो अपने सच्चे भक्त तुलसीदास की मांग पर उन्होंने यहां पर राम रूप में उन्हें दर्शन दिये थे। मशहूर भागवताचार्य संजय कृष्ण सलिल ने बताया कि तुलसीदास पहले तुलसी राम दर्शन स्थल ज्ञान गुदड़ी वृन्दावन आए थे और वहां पर उन्होंने अपने आराध्य के दर्शन करना चाहा था किंतु वहां पर उन्होंने श्रीकृष्ण को ’’ मोर मुकुट कटि काछनी, कर मुरली उर माल’’ को देखा था।
उस समय गोस्वामी तुलसीदास की प्रार्थना पर भगवान श्रीकेशवदेव ने धनुष-बाण धारण कर मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम के रूप में उन्हे अलौकिक दर्शन दिये थे।
उन्होंने यह भी कहा कि सार्वभौम राजा भगवान श्रीराम की पुण्य जन्मभूमि श्रीअयोध्या धाम में भगवान श्रीराम मंदिर के निर्माण का शुभारम्भ भारत की सनातन संस्कृति में निहित विश्व कल्याण के भाव को पुष्ट करेगा। देव-देवाधिदेव-महादेव भी जिस तिथि की प्रतीक्षा कर रहे थे, ऐसे दिव्य श्रीराम मंदिर के शिलान्यास की तिथि करोड़ों सनातन धर्मावलम्बियों के लिए परमानन्द का दिवस है।
श्री शर्मा ने कहा कि इस पावन अवसर पर संपूर्ण जन्मभूमि मंदिर प्रांगण एक प्रकार से नई नवेली दुल्हन की तरह सजाया जाएगा। केशवदेव मंदिर में केसरिया ध्वज, बन्दनवार, तोरण आदि लगाये जायेंगे।
अयोध्या में आयोजित कार्यक्रमों के अनुरूप श्रीकृष्ण-जन्मभूमि पर भी कार्यक्रम आज से शुरू हो गए हैं जो 5 अगस्त को भूमि पूजन के समापन तक चलेंगे ।
उन्होंने बताया कि आज श्रीकृष्ण‘जन्मस्थान पर विराजित अति प्राचीन श्रीअन्नपूर्णेश्वर महादेव का भव्य पूजन-अभिषेक शास्त्रोक्त विधि से किया गया। श्रीअन्नपूर्णेश्वर महादेव का भव्य सौन्दर्यीकरण हाल ही में श्रीकृष्ण-संकीर्तन मण्डल, जन्मस्थान के उदार आर्थिक सहयोग से कराया गया है ।
इसी क्रम में 4 अगस्त को भागवत-भवन स्थित श्रीराम मन्दिर के सम्मुख श्रीरामचरित मानस का अखण्ड पाठ शुरू होगा , 5 अगस्त को प्रातः 9 बजे इसका विश्राम होगा । श्रीराम मन्दिर पूजन के अभिजित मुहूर्त में जिस समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पूजन करेंगे, उस पुण्य घड़ी में श्रीकृष्ण-जन्मस्थान पर आरती का आयोजन किया जायेगा। भगवान की आरती के साथ ही संपूर्ण मंदिर परिसर ढोल-नगाड़े, घण्टे-घड़ियाल, मृदंग-झांझ, मंजीरों की मधुर ध्वनि से गुंजायमान हो उठेगा।
वास्तव में अयोध्या में श्रीराम मन्दिर के निर्माण का शंखनाद मथुरा से ही हुआ था। संस्थान की प्रबंध-समिति के सदस्य गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी के अनुसार विश्व हिन्दू परिषद द्वारा श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के क्रम में 1983 में विराट हिन्दू सम्मेलन का आयोजन श्रीकृष्ण जन्मस्थान की आरंभ से ही अहम भूमिका रही है ।इसके अलावा एकात्मता यात्रा, राम ज्योति यात्रा, राम शिला पूजन यात्रा आदि में श्रीकृष्ण जन्मस्थान की शुरूआत से ही अहम भूमिका रही है।
इस पुण्य दिवस पर सांयकाल हजारों दीप-मालाओं से संपूर्ण मंदिर प्रांगण आलोकित होगा। भगवान श्रीकृष्ण की पुण्य जन्मभूमि ऐसे दिव्य अवसर की साक्षी-सहभागी बनेगी। जो भक्त अयोध्या नहीं जा पाये हैं वे उस आनन्द को भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि पर प्राप्त कर सकेंगे। उन्होंने सभी भक्तों से आग्रह किया है कि वह कोरोना महामारी के लिए नियत दिशा-निर्देषों का पालन करते हुए श्रीकृष्ण-जन्मभूमि पर आकर इस अलौकिक/अद्भुद घड़ी के साक्षी बन सकते हैं।