वाशिंगटन (अमेरिका), 20 जून ।मुंबई में 2008 में हुए आतंकवादी हमलों में संलिप्तता के मामले में पाकिस्तानी मूल के कनाडाई कारोबारी तहव्वुर राणा को प्रत्यर्पित किए जाने के भारत के अनुरोध पर राणा को लॉस एंजिलिस में पुन: गिरफ्तार किया गया।
अमेरिकी अभियोजकों ने यह जानकारी दी।
राणा (59) को अनुकंपा के आधार पर हाल में जेल से रिहा किया गया था। उसने अदालत को बताया था कि वह कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया है। इसके बाद उसे रिहा कर दिया गया था।
अभियोजकों ने बताया कि भारत ने उसे प्रत्यर्पित करने का अनुरोध किया था। इसके बाद उसे 10 जून को फिर से गिरफ्तार किया गया। भारत में राणा को भगोड़ा घोषित किया गया है।
मुंबई में हुए आतंकी हमलों में 166 लोग मारे गए थे।
अमेरिका के सहायक अटॉर्नी जॉन जे लुलेजियान ने अदालत को बताया कि भारत सरकार ने 1997 के द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि के तहत राणा को प्रत्यर्पित करने के लिए उसे गिरफ्तार किए जाने का अनुरोध किया था।
लुलेजियान ने बताया कि भारत ने अमेरिका को सूचित किया कि राणा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 और धारा 120 बी समेत कई धाराओं के तहत अभियोग चल रहा है।
राणा पर आरोप है कि उसने फर्जी दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिपोर्ट का इस्तेमाल करके धोखाधड़ी करने का षड्यंत्र रचा।
उसे 11 जून को अदालत में पेश किया गया।
कैलिफोर्निया सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट की अमेरिका डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में न्यायाधीश जैक्लीन चूलजियान ने राणा के खिलाफ मामला लंबित रहने तक उसे रिहा करने या नहीं करने के मामले पर सुनवाई के लिए 30 जून की तारीख तय की है। राणा के वकील से 22 जून तक याचिका दायर करने और संघीय सरकार को 26 जून तक इसका जवाब देने को कहा गया हैं।
राणा के खिलाफ भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी की विशेष अदालत ने 28 अगस्त, 2018 को गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।
पाकिस्तान में जन्मे कनाडाई तहव्वुर राणा को मुंबई हमलों के संबंध में अमेरिका में एक अपराध का दोषी ठहराया गया था। अमेरिकी अभियोजक 2011 में चले मुकदमे के दौरान उस पर आतंकवाद का वह आरोप साबित करने में नाकाम रहे जो उसे उन हमलों से सीधे जोड़ता था।
अभियोजकों ने बताया कि राणा आतंकवादी संगठनों की मदद करने के मामले में 14 साल की जेल की सजा काट रहा था, लेकिन उसे पिछले हफ्ते खराब सेहत और कोरोना वायरस से संक्रमित होने के कारण लॉस एंजिलिस की एक संघीय जेल से जल्दी रिहा कर दिया गया।
राणा को पाकिस्तानी आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा को मदद मुहैया कराने के सिलसिले में शिकागो में दोषी करार दिया गया था। इस आतंकवादी समूह ने भारत में हमले की योजना बनाई थी। साथ ही उसे डेनमार्क के उस अखबार पर हमला करने की साजिश में मदद करने के लिए भी गिरफ्तार किया गया था, जिसने 2005 में पैगंबर मोहम्मद के कार्टून प्रकाशित किए थे। हालांकि इस हमले को अंजाम नहीं दिया गया। इन कार्टूनों ने कई मुसलमानों को आक्रोशित कर दिया था क्योंकि इस्लाम में पैगंबर की तस्वीरों पर पाबंदी है।
न्यायाधीशों ने राणा को मुंबई में हमले करने वाले 10 लोगों की मदद करने के बेहद गंभीर आरोप से मुक्त कर दिया था।
राणा के वकील ने कहा कि उसे उसके स्कूल के सहपाठी रहे डेविड कोलमैन हेडली ने फंसाया। राणा पर आरोप है कि उसने शिकागो स्थित अपने आव्रजन कानून कारोबार की एक शाखा हेडली को मुंबई में खोलने दी और डेनमार्क में कंपनी के प्रतिनिधि के तौर पर यात्रा करने में उसकी मदद की।
अभियोजकों का कहना है कि राणा जानता था कि हेडली ने आतंकवादी के तौर पर प्रशिक्षण लिया है। हेडली ने मुंबई और ताज महल पैलेस होटल की रेकी करने की सूचना साझा की थी जहां बंदूकधारियों ने दर्जनों लोगों की हत्या कर दी थी।
राणा 11 जून को यहां अदालत में पेश हुआ था। कैलीफोर्निया में अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में डिस्ट्रिक्ट जज जैकलीन चूलजियान ने शुक्रवार को उसके मामले में सुनवाई के लिए 30 जून की तारीख तय की। उसके अटॉर्नी को 22 जून तक आवेदन देने और संघीय सरकार को 26 जून तक जवाब दाखिल करने को कहा गया है।