उज्जैन 22 अप्रैल। सिंहस्थ 2016 का पहला शाही स्नान आज 22 अप्रैल को संपन्न हुआ। इसके साथ ही सिंहस्थ का आगाज हो गया। उज्जैन में इस अवसर पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी, लाखों श्रद्धालुओं ने शिप्रा में आस्था की डुबकी लगाई। शिप्रा नदी में 22 अप्रैल की सुबह धर्म आध्यात्म और आस्था का यहां संगम देखते ही बनता था।
अखाड़ों के संतों, महंतों, साधुओं का दौड़ते हुए शिप्रा में स्नान के लिए आना और अपनी अगाध आस्था प्रदर्शित करते हुए जयकारों के साथ सामूहिक स्नान का यह नजारा देखने वालों को सम्मोहित और अभिभूत कर रहा था। स्नान के लिए सभी अखाड़े अपने निर्धारित मार्गों से शिप्रा पर आए शाही स्नान के लिए पुलिस और प्रशासन द्वारा सभी व्यवस्थाएं चाक-चौबंद और शानदार थी। जूना अखाड़े द्वारा सुबह 5.11 बजे दत्त अखाड़े पर शाही स्नान का आरम्भ किया गया। इसके बाद अन्य अखाड़ों द्वारा स्नान किया गया।
पहले शाही स्नान की सुबह सिंहस्थ के लिए तैयार किए गए शिप्रा के घाटों पर एक अलग ही रौनक थी। साधु संतों के साथ-साथ श्रद्धालु स्नान के लिए आतुर थे। देखने वाले स्नान के इस विहंगम दृश्य को देखकर आल्हादित हो रहे थे। श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के साधु संतों ने सबसे पहले दत्त अखाड़ा घाट पर स्नान किया। शाही स्नान में श्री पंचायती आवाहन अखाड़ा और श्री पंचायती अग्नि अखाड़ा, श्री तपोनिधि निरंजनी अखाड़ा, श्री पंचायती आनंद अखाड़ा, श्रीपंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा, श्री पंच अटल अखाड़ा, रामघाट पर श्री निर्मोंही अणि अखाड़ा, श्री दिगम्बर निर्वाणी अखाड़ा, श्री निवा्रणी अणि अखाड़ा, दत्त अखाड़ा घाट पर श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा, श्री पंचायती नवीन उदासीन अखाड़ा और श्री निर्मल अखाड़े के साधु संतों शामिल हुए। अखाड़ों के नागा साधुओं के स्नान का शिप्रा तट पर एक विशेष आकर्षण था। स्नान में सभी अखाड़ों के प्रमुख-प्रमुख सभी संत, महंत, श्रीमहंत, महामंडलेश्वर, पीठाधीश सम्मिलित हुए। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री नरेंद्रगिरी महाराज, महामंत्री श्री हरिगिरि महाराज के अलावा जूना अखाड़े के अवधेशानंदगिरिजी महाराज व उनके साथ जोधपुर राजपरिवार, निरंजनी अखाड़े के स्वामी सत्यमित्रानन्दजी, महानिर्वाणी अखाड़े के नित्यानन्दजी के अलावा पायलेट बाबा, स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती आदि शाही स्नान में सम्मिलित हुए।
शाही स्नान में आस्था, अमृत और आत्मा का अनोखा संगम देखने को मिला। इसके सभी दृश्य अलौकिक थे। इस अलौकिकता के साथ ही शिप्रा और उसके घाटों की सुन्दरता ने दृश्य को चित्तरकर्षक बना दिया। साफ, स्वच्छ, बहती शिप्रा में उड़ते फव्वारों के साथ आस्था और आध्यात्म का यह शाही स्नान एक अनोखी ऊर्जा को समेटे हुए था। साधु, सन्तों व श्रद्धालुओं के साथ ही शिप्रा के घाटों पर शासकीय सेवक भी डुबकी लगाने से अपने आपको रोक नहीं सके।
प्रथम शाही स्नान के दौरान जिले के प्रभारी मंत्री श्री भूपेंद्रसिंह, स्कूल शिक्षा मंत्री श्री पारस जैन, प्रदेश के मुख्य सचिव श्री अंटोनी डिसा, डीजीपी श्री सुरेंद्रसिंह, जनसंपर्क विभाग के आयुक्त अनुपम राजन, संभागायुक्त उज्जैन डॉ रवींद्र पस्तौर, कलेक्टर कवींद्र कियावत, पुलिस अधीक्षक एमएस वर्मा शिप्रा के घाटों पर मौजूद थे।
शाही स्नान के लिए प्रशासन द्वारा माकूल इंतजाम किए गए थे। स्नान के दौरान शिप्रा में होमगार्ड की मोटर बोट सतत गश्त कर रही थी। अखाड़ों के आवागमन मार्ग तथा शिप्रा के घाटों पर पुलिस व पैरा मिलेट्री फोर्स के जवान अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद थे। घाटों की निरंतर सफाई की जा रही थी। सफाईकर्मी हर आवश्यक स्थान पर तैनात किये गये थे। कचरा एकत्र करने के लिये जगह-जगह डस्टबीन रखे गये थे। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिये फायर वाहन, मेडिकल एम्बुलेंस, तैराक दल शिप्रा के घाटों पर तैनात थे।
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