जब स्कूल शिक्षा विभाग ने इसकी पड़ताल की तो पता चला कि बच्चा कभी सरकारी स्कूल में गया ही नहीं, लिहाजा दबाव के चलते फर्जी तरीके से सरकारी स्कूलों में उनके नाम दर्ज कर दिए गए हैं।
40 हजार बच्चों की हुई गलत फीडिंग
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अजीत सिंह ने बताया कि लगभग 40 हजार स्कूली बच्चों की गलत फीडिंग कर दी गई है, जिसके चलते शिक्षा विभाग में नीचे से लेकर ऊपर तक हड़कंप मचा हुआ है। वजह ये है कि स्कूल में रजिस्टर्ड जिन बच्चों के नाम मेप्ड कर समग्र पोर्टल में फीड किए गए हैं, वास्तव में उन स्कूलों में उतने बच्चे हैं ही नहीं।
तकनीकी फॉल्ट के कारण गलत दर्ज हुए नाम !
सरकारी स्कूलों ने बिना मिलान किए डबल फीडिंग कर दी, जिसमें कुछ बच्चों ने सरकारी स्कूल में नाम दर्ज करा लिया और फिर प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन ले लिया। तकनीकी फॉल्ट के कारण एक स्कूल के बच्चे दूसरे स्कूल में दर्ज कर दिए गए। जहां कम बच्चे थे पोर्टल में उन स्कूलों में अधिक बच्चे दर्ज बताए जा रहे।
भोपाल के जिला शिक्षा अधिकारी धर्मेन्द्र शर्मा का कहना है कि मेरी जानकारी में ऐसा कुछ भी नहीं आया है। अगर कोई लिखित में इसकी शिकायत करे, तो मैं इस मामले में जरूर कार्रवाई करूंगा। लेकिन अगर ऐसा हुआ है तो यह बहुत गलत है। मैं इस पूरे मामले को अपनी तरफ से दिखवाता हूं।
इस फर्जीवाड़े के बारे में तीन बच्चों के केस के जरिए हम आपके समझाने की कोशिश करते हैं:-
पहला केस :- छात्र- आयुष राहुलकर, जिसका समग्र आईडी क्रमांक-186779182 है और तीसरी कक्षा में पढ़ता है, ब्लू स्टार मिडिल स्कूल रोशनपुरा में अध्ययन करता है, लेकिन समग्र आईडी में महाराणा प्रताप हायर दर्ज है।
ये स्कूल सैकंडरी बताया जा रहा है, जबकि यह स्कूल 9वीं कक्षा से संचालित है। इतना ही नहीं समग्र आईडी में चाइल्ड ट्रेकिंग करने पर आयुष का स्कूल प्राईमरी स्कूल पत्रकार कॉलोनी बताया जा रहा है। इस तरह समग्र आईडी में गड़बड़ी के चलते विभाग की कार्यप्रणाली में सवाल खड़ा हो रहा है।
दूसरा केस : – छात्रा- क्षमा विश्वकर्मा, समग्र आईडी 190770511, पहली कक्षा की छात्रा है, जो मदर टेरेसा मुगालिया छाप में पढ़ रही है, लेकिन स्कूल का नाम महर्षि मुगालिया दिखाया जा रहा है।
तीसरा केस :- छात्रा- राधिका परिहार, समग्र आईडी 158769118, मदर टेरेसा मुगालिया छाप में चौथी कक्षा की छात्रा है, जिसका नाम महर्षि वाल्मिकी विद्या आश्रम की छात्रा के तौर पर दर्ज है। इस छात्रा का एडमिशन आईटीई के तहत हुआ था, जिसके चलते आरटीई के तहत जो राशि मिलती है, वह नहीं मिल रही।