नयी दिल्ली, 17 जुलाई । उत्तर प्रदेश पुलिस ने कानपुर के बिकरू गांव के दुर्दांत अपराधी विकास दुबे एवं उसके गुर्गों के साथ मुठभेड़ का उच्चतम न्यायालय में बचाव करते हुए शुक्रवार को कहा कि इन मुठभेड़ों को किसी भी प्रकार से फर्जी मुठभेड़ नहीं कहा जा सकता।
पुलिस की ओर से हलफनामा दायर करके शीर्ष अदालत को बताया गया है कि मुठभेड़ को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के सभी दिशानिर्देशों का पूरी तरह पालन किया गया है। पुलिस ने विकास दुबे के मामले में दावा किया है कि हिरासत में होते हुए भी पुलिस का हथियार छीनकर भागने की कोशिश कर रहे और पुलिसकर्मियों को निशाना बना रहे अपराधी पर आत्मरक्षार्थ गोली चलायी गयी थी, जिसमें दुबे मारा गया था।
कानपुर के बिकरू कांड को लेकर उच्च न्यायालय में भी याचिका दाखिल
इधर उत्तर प्रदेश में कानपुर के बिकरू गांव कांड से जुड़ी घटनाओं को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दाखिल की गयी है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसियेशन के महासचिव प्रभाशंकर मिश्रा द्वारा दाखिल जनहित याचिका में कहा गया है कि कानपुर कांड में मानवाधिकार का उल्लघंन किये जाने के साथ कार्यपालिका द्वारा न्यायपालिका को नजरअंदाज किया गया है।
कानपुर जा रहे आईपीएस अधिकारी बीच रास्ते से लखनऊ वापस
इधर उत्तर प्रदेश के कानपुर में पिछले दिनो आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद चर्चा में आये बिकरू गांव का दौरा करने जा रहे आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर और उनकी समाजसेविका पत्नी नूतन ठाकुर को बीच रास्ते से वापस लौटना पड़ा।
नूतन ठाकुर ने एक वीडियो जारी कर कहा “ वह और उनके पति अमिताभ पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार सोमवार को बिकरू गांव जा रहे थे लेकिन बीच रास्ते में उनके पति के पास पुलिस महानिदेशक कार्यालय से फोन आया जिसमें कहा गया कि वह वापस लौटें। ऊपर का आदेश है जिसके बाद उन्हे वापस लौटना पड़ा।”