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उज्जैन में 4 साल पहले डाक्टर की मां अंजू राठौर की दरिंदगी के साथ नौकरानी और उसके साथियों द्वारा की गई दिल दहलाने वाली हत्या का फैसला उज्जैन कोर्ट ने सुनाया, दी गई आजीवन कारावास की सजा attacknews.in

उज्जैन 16 सितम्बर । उज्जैन में 4 साल पहले डाक्टर की मां के दिल दहलाने वाले हत्याकांड में उज्जैन न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया ।कोई कातिल कितना बेरहम हो सकता है, इसका नमूना मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में देखने को मिला था ,यहां हत्यारों ने एक डॉक्टर की बुजुर्ग मां का गला रेतने के अलावा शरीर पर भी चाकू से कई वार किए थे,हत्यारों की हैवानियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता था कि उन्होंने महिला को जो घाव दिए उनमें से गले पर दिया गया घाव करीब चार इंच गहरा था,इस पूरे मामले में हत्या घर की नौकरानी से कर दी थी केवल अमानत में खयानत करने के लिए ।

इस पूरे मामले में हत्यारों को सजा दिलाने में वरिष्ठ अभिभाषक शेखर श्रीवास्तव की प्रमुख भूमिका रही ।

न्यायलय तृतीया अपर सत्र न्यायधीश श्री अनजनी नंदन जोशी के द्वारा पुलिस थाना माधव नगर विरुद्ध रत्ना राव आदि के मामले में निर्णय दिनांक १६/०९/२०२० को घोषित करते हुए आरोपी रत्ना राव पति राजू राव अभिषेक पिता धर्मेंद्र राजपूत अभिषेक पिता अनिल तिवारी को न्यायालय द्वारा १२०-बी में आजीवन सश्रम कारावास ३०२/१२०-बी में आजीवन सश्रम करावकास + १००० रुपए अर्थदंड ३९२/१२०-बी १० वर्ष का सश्रम कारावास + १००० रुपए का अर्थदंड ४४९/१२०-बी आजीवन सश्रम कारावास + १००० अर्थदंड ४५०/१२०-बी १० वर्ष किआ सश्रम कारावास + १००० का अर्थदंड ४६०/१२०-बी आजीवन सश्रम कारावास + १००० अर्थदंड की सजा सुनाई ।

मामले की पैरवी फरियादी की और से शासन द्वारा नियुक्त किये गए विशेष लोक अभियोजक श्री शेखर श्रीवास्तव के द्वारा की गयी

पुलिस प्रकरण के अनुसार दिनांक १३/०६/२०१६ को मृतिका के पुत्र डॉक्टर अक्षय सिंह की सूचना पर कि वह रात ८ बजे उसके घर से क्लिनिक चले गया था घर पर उसकी माँ अकेली थी जब ९:१५ बजे वह घर वापस आया तो घर पर उसकी माँ खून से लथपथ घर पर पड़ी थी,गले व पेटी पर गहरी चोट के निशान थे घर में जो अलमारी थी वह टूटी थी उससे स्वर्ण आभूषण गायब थे, इस सूचना पर थाना प्रभारी श्री महेंद्र सिंह परमार द्वारा तत्काल अनुसंधान प्रारम्भ कर किया गया और शिनाख्त कर पहचान करवाई गई और लूट की सामग्री भी बरामद की तथा मामले को न्यायालय में प्रेषित किया गया और न्यायलय में लगभग ४ वर्ष विचरण चलने के उपरांत आरोपीगणो को दोषी पाकर दण्डित किया गया ।

अंजू राठौर की बेरहमी से की गई हत्या घटनाक्रम इस तरह से था:

इस हत्याकांड का खुलासा पुलिस ने एक ही दिन में कर दिया था और पुरानी नौकरानी ही मास्टर माइंड निकली है । इस हत्याकांड के पीछे उसकी ही साजिश सामने आई थी।

13 जून 2016 सोमवार रात अशोक विहार कॉलोनी में चिकित्सक की मां अंजू राठौर की हुई हत्या का पर्दाफाश पुलिस ने एक दिन में ही कर दिया था । नौ साल पुरानी नौकरानी ने ही हत्या की साजिश रची थी। उसने दो जौहरी के साथ मिलकर हत्या को अंजाम दिया।

हत्या के लिए 15 दिन तक प्रयास किया :

हत्यारों ने हत्या करने के लिए 15 दिन तक प्रयास किया और आखिर सोमवार को मौका मिल गया था और वे अपने खतरनाक मंसूबों को अंजाम देने में सफल हो गए। हत्या के बाद आरोपी शिप्रा नदी में स्नान कर पाप धोने पहुंच गए थे।

पुलिस के मुताबिक अंजू राठौर ने जेवर चमकाने के लिए जौहरी को बुलवाया था। जेवर देखकर उसकी नीयत बदल गई। बताया जाता है कि हत्या के आठ दिन पहले ही आरोपी नौकरानी रत्ना को नौकरी से निकाला था।

यह है पूरा मामला

अशोक विहार कॉलोनी में रात 9.30 बजे घर में घुसकर अंजूसिंह (50) पति दलपतसिंह राठौर को बेहरमी से मारा। हमलावरों ने शरीर पर चाकू से कई वार किए थे। गला काटने के बाद घर के पीछे वाले रास्ते से वे फरार हो गए। जिस तरह से हत्याकांड को अंजाम दिया गया था, उससे यही प्रतीत हो रहा था कि हत्यारे परिचित ही होंगे। महिला घर पर अकेली थी। पति इंदौर की निजी फॉर्मा कंपनी में मैनेजर हैं। बेटा अक्षय तीन बत्ती चौराहे पर भार्गव कॉम्प्लेक्स स्थित क्लीनिक पर किसी काम से गया था। वापस लौटने पर मां की लाश देख चीख उठा।

बहुत ही बेरहमी से की गई थी हत्या:

कोई कातिल कितना बेरहम हो सकता है, इसका नमूना इस हत्याकांड में देखने को मिला, हत्यारों ने डॉक्टर की बुजुर्ग मां का गला रेतने के अलावा शरीर पर भी चाकू से कई वार किए. हत्यारों की हैवानियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने महिला को जो घाव दिए उनमें से गले पर दिया गया घाव करीब चार इंच गहरा था।

लक्ष्मीनगर के पास अशोक विहार में रहने वाले डॉ. अक्षय सिंह राठौर रोजाना की तरह सोमवार रात को करीब आठ बजे अपने क्लीनिक गए थे. जब वो घर लौटे तो उन्हें दरवाजा खुला मिला. अंदर पहुंचे पर उन्हें उनकी 56 वर्षीया मां अंजू सिंह जमीन पर खून से लथपथ हालत में पड़ी हुई मिलीं।

घबराकर डॉक्टर चिल्लाते हुए घर से बाहर निकले और पड़ोसियों से मदद मांगी, जिसके बाद अंजू को संजीवनी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

घटना की सूचना मिलने पर एसपी एमएस वर्मा टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे, जहां फर्श पर खून बिखरा हुआ था. साथ ही घर की अलमारियों का सामान भी बिखरा हुआ था।

पुलिस ने बताया, जिस समय यह घटना हुई उस समय अंजू घर पर अकेली थीं. उनके पति काम पर गए हुए थे, वहीं उनका बेटा डॉ. अक्षय करीब सवा घंटे के लिए अपने क्लीनिक गया था. इसी सवा घंटे में आरोपियों ने हत्याकांड को अंजाम दिया।

आरोपियों ने अंजू सिंह का गला रेतने के साथ ही उनके शरीर पर चाकू से कई वार कर उसे गोद दिया. गले पर किया गया एक वार इतने निर्मम तरीके से किया गया कि उससे करीब चार इंच गहरा घाव हो गया।

पुलिस को शक था कि वारदात के दौरान एक से ज्यादा आरोपी मौजूद थे. साथ ही आशंका जताई जा रही थी कि इस हत्याकांड को किसी परिचित ने ही अंजाम दिया है।

हत्याकांड का खुलासा पुलिस ने 24 घंटे में किया था:

अशोक विहार कॉलोनी में सोमवार रात हुई महिला की हत्या का पुलिस ने 24 घंटे के भीतर ही खुलासा कर दिया था और खुलासा हुआ था कि महिला की हत्या उसकी पूर्व नौकरानी और उसके दो साथियों ने मिलकर की थी। हत्या के पीछे वजह एक अंगूठी थी जिसे मृतिका ने अपनी नौकरानी को गिरवी रखने के लिए दी थी। इसी अंगूठी को महिला ने अपनी नौकरानी से मांगा तो उसने दो साथियों के साथ मिलकर महिला की हत्या करते हुए घर से जेवरात लूट लिए। पुलिस ने महिला सहित दोनों आरोपियों को पकड़ माल बरामद किया था।

तत्कालीन एसपी एमएस वर्मा ने बताया था कि सोमवार रात करीब 9 बजे अशोक विहार कॉलोनी निवासी अंजू पति दलपत सिंह राठौर की हत्या उसकी नौकरानी रत्नाबाई निवासी गोपालपुरा व उसके साथ अभिषेक पिता धर्मेंद्र राजपूत व राहुल उर्फ अभिषेक पिता अनिल तिवारी निवासी कंचनपुरा ने की थी। आरोपी घर में रखे जेवरात लूट और फरार हो गए थे। अंजू के डेंटिस्ट पुत्र अक्षत रात को घर पहुंचे तो घटना का पता चला। वे मां अंजू राठौर को लेकर निजी अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। सूचना मिलने पर वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे। प्रथम दृष्टया ही मामला लूट व हत्या का प्रतीत हुआ। देर रात ही हत्याकांड में शामिल आरोपियों को पकड़ लिया।

उधार रुपए दिए थे

अंजू राठौर की हत्या और घर पर मिले पानी के गिलास और ट्रे से पुलिस को अंदेशा हो गया था कि हत्या में कोई परिचित शामिल है। पुलिस ने जब पुत्र अक्षय और पुत्री श्वेता से पूछताछ की तो पता चला कि अंजू राठौर ने घर में कार्य करने वाली रत्नाबाई निवासी गोपालपुरा को कुछ रुपए उधार दिए थे। श्वेता ने बताया कि शाम को मां की किसी व्यक्ति से लेन-देन को लेकर फोन पर बात भी हुई थी। यहीं से पुलिस ने नौकरानी को उसके घर से उठाया और थाने ले गई। पूछताछ में उसने हत्या की पूरी कहानी बता दी। परिजन ने बताया कि वह 8 साल से घर में काम रही थी।

हत्या के बाद नहाने गए

वारदात को अंजाम देने के बाद अभिषेक और राहुल ने लूटे जेवरात में से सोने की चेन रत्नाबाई को दी और दोनों रामघाट नहाने चले गए। यहां अभिषेक ने अपने खून से सने कपड़ उतारे और भाई विशाल से कपड़े भी मंगवाए। रामघाट से नहाकर वो घूमते हुए मक्सी रोड की ओर निकल गए। पुलिस ने दोनों को रात 3 बजे धरदबोचा और उनसे सोने की पायल, दो हार, चांदी का सिक्का, चेन, झूमकी, चांदी का मैडल और 500 रुपए नकद बरामद कर लिए।

हत्या की असलियत यूं आई सामने

पुलिस पूछताछ में रत्नाबाई ने बताया कि आठ महीने पहले उसने अंजू राठौर से उधार रुपए मांगे थे। रुपए न होने पर अंजू ने सोने की अंगूठी गिरवी रखकर रुपए लेने की बात कही। रत्नाबाई ने साथी अभिषेक की सहायता से दो हजार में अंगूठी गिरवी रखी। हालांकि अंजू को सिर्फ एक हजार में गिरवी रखना बताया। छह महीने बाद अंजू ने अंगूठी वापस मांगी। इस पर रत्नाबाई ने गोपालपुरा के अभिषेक को जौहरी बताकर अंजू से मिलवाया और कहा कि इन्हीं के पास अंगूठी रखी है और जल्द ही वापस कर देंगे। कुछ समय बाद रत्नाबाई ने अभिषेक व उसके दोस्त राहुल के साथ अंजू के घर पहुंचकर जेवरात रखकर ब्याज का काम आगे बढ़ाने की बात कही। अंजू ने विश्वास करते हुए इन्हें घर में रखे जेवरात दिखा दिए। इसी के बाद तीनों ने तीनों ने अंजू राठौर की हत्या कर जेवरात लूटने की साजिश रची। घटना के समय रत्नाबाई घर पर थी और दोनों युवकों ने हत्या को अंजाम दिया।

मालकिन ने कुत्तों को कर दिया था बंद

घर की सुरक्षा के लिए अंजू ने तीन खूंखार कुत्ते भी पाल रखे थे, लेकिन यह काम नहीं आए। दरअसल घर पर कोई व्यक्तिआता तो अंजू इन कुत्तों को एक कमरे में बंद कर मुख्य गेट खोलती थी। घटना वाली रात भी अंजू ने यही किया, लिहाजा कुत्ते भी उसकी मदद नहीं कर पाए। एसपी वर्मा ने घर में कुत्ते होने पर पड़ोसी से पूछताछ की तो किसी ने भी भौंकने की आवाज नहीं सुनी। इसको लेकर पुलिस पशोपेश में पड़ी रही।

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