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भारत में कोरोना मरीजों पर दो भारतीय कंपनियों द्वारा निर्मित “टीके “(वैक्सीन) का परीक्षण शुरू,जल्द होने वाली है बहुत बड़ी उपलब्धि की घोषणा attacknews.in

नईदिल्ली 14 जुलाई ।देश में दो भारतीय दवा कंपनियां अलग-अलग स्थानों पर कोरोना वैक्सीन के इंसानों पर ट्रायल कर रही हैं और जल्द ही कोई खुशखबरी मिल सकती हैं।भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने मंगलवार को कहा कि कोविड-19 टीके का देश में मानव परीक्षण शुरू हो गया है। देश में विकसित दो टीकों के परीक्षण की कवायद में लगभग एक हजार स्वयंसेवी शामिल हो रहे हैं।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने मंगलवार को यहां संवाददाता सम्मलेन में बताया कि देश की दो दवा कंपनियां कोरोना वैक्सीन का ट्रायल अलग-अलग स्थानों पर एक-एक हजार लोगों के समूहों पर कर रही हैं। इन कंपनियों ने वैक्सीन की घातकता और अन्य दुष्प्रभाव संबंधी अध्ययन चूहों और अन्य जीवों पर पहले ही कर लिया था और इसके निष्कर्ष भारत के औषधि महानियंत्रक कार्यालय (डीजीसीआई) को सौंप दिए थे।

उन्होंने कहा कि वहां से इस महीने की शुरुआत में मंजूरी मिलने के बाद ये कंपनियां अब इंसानों पर कोरोना वैक्सीन का ट्रायल कर रही हैं। इस दिशा में राष्ट्रीय विषाणु संस्थान, पुणे में भी काम जारी हैं और वैज्ञानिक दिन-रात अथक परिश्रम कर रहे हैं। डॉ भार्गव ने कहा कि विश्व में आपूर्ति की जाने वाली दवाओं में भारत का योगदान 60 प्रतिशत है और अन्य बीमारियों के खिलाफ इस्तेमाल की जाने वाली वैक्सीन की 60 प्रतिशत आपूर्ति भारत ही करता है जिसे लेकर अन्य देश भारत के संपर्क में हैं।

आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने देश में विकसित दो टीकों का संदर्भ देते हुए कहा कि क्योंकि भारत दुनिया में सबसे बड़े टीका निर्माताओं में से एक है, इसलिए कोरोना वायरस प्रसार की कड़ी को तोड़ने के लिए टीका विकास प्रक्रिया को तेज करना देश का ‘‘नैतिक दायित्व’’ है।

भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने दो टीकों के पहले और दूसरे चरण के मानव परीक्षण की अनुमति दे दी है। इनमें से एक टीका भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड ने आईसीएमआर के साथ मिलकर विकसित किया है, जबकि दूसरा टीका जायडस कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड ने तैयार किया है।

भार्गव ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि दो भारतीय टीके हैं जिनका चूहों और खरगोशों में सफल अध्ययन हो चुका है और यह डेटा डीसीजीआई को सौंपा गया था जिसके बाद दोनों टीकों को इस महीने के शुरू में शुरुआती चरण के मानव परीक्षण की अनुमति मिल गई।

उन्होंने कहा, ‘‘इस महीने, दो भारतीय टीका कंपनियों को शुरुआती चरण के मानव परीक्षण करने की अनुमति मिल गई।’’

भार्गव ने कहा, ‘‘उन्होंने अपने स्थल तैयार रखे हैं और वे विभिन्न स्थानों पर लगभग एक हजार स्वयंसेवियों पर चिकित्सकीय अध्ययन कर रही हैं। वे दो स्वदेशी टीकों के शुरुआती चिकित्सकीय परीक्षण करने की कोशिश कर रही हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘…इनका जल्द से जल्द तेजी से विकास करना नैतिक दायित्व है क्योंकि विश्व में पांच लाख से अधिक लोगों की बीमारी से मौत हो चुकी है। इसलिए इन टीकों का तेजी से विकास करना महत्वपूर्ण हो जाता है।’’

भार्गव ने हाल में एक पत्र लिखकर कोविड-19 टीका 15 अगस्त तक लाने की परिकल्पना की थी जिससे कई विशेषज्ञ सहमत नहीं हैं।

भार्गव ने कहा कि भारत को ‘‘दुनिया की फार्मेसी’’ माना जाता है और अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली 60 प्रतिशत दवाएं भारतीय मूल की हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘महत्वपूर्ण तथ्य यह है जिसके बारे में जानकारी नहीं है, चाहे वह अफ्रीका हो या यूरोप या दक्षिण-पूर्व एशिया या कोई अन्य जगह, विश्व में 60 प्रतिशत टीकों की आपूर्ति भारत से होती है।’’

भार्गव ने कहा, ‘‘विश्व के किसी भी हिस्से में बनने वाला टीका अंतत: भारत या चीन में ही तैयार किया जाता है क्योंकि विश्व में यही दोनों देश सबसे बड़े टीका विनिर्माता हैं और प्रत्येक विकसित देश तथा टीका विकास की कोशिश कर रहा कोई भी देश इस बारे में जानता है। इसलिए वे टीका विकसित होने की स्थिति में इसके विपणन के लिए भारत के संपर्क में हैं।’’

उन्होंने कहा कि रूस ने हाल में तेज गति से टीका बनाया जो अपने शुरुआती चरणों में सफल रहा है और उन्होंने इसका विकास भी तेज कर दिया है तथा पूरी दुनिया ने इसकी तारीफ की है।

भार्गव ने कहा कि जैसा आज आपने पढ़ा होगा, अमेरिका ने एक बार फिर अपने दो टीकों को विकसित करने की गति तेज कर दी है तथा ब्रिटेन भी यह देख रहा है कि वह किस तरह मानव इस्तेमाल के लिए ऑक्सफोर्ड टीके की गति तेज कर सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत के परिप्रेक्ष्य में हमारे पास दो टीके हैं। हम इनकी गति तेज करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं और यह नैतिक दायित्व है कि इन टीकों के मामले में नियामक की ओर से मंजूरी मिलने में एक दिन का भी विलंब नहीं होना चाहिए जिससे कि हम जल्द से जल्द कोरोना वायरस प्रसार की कड़ी को तोड़ सकें।’’

उन्होंने जोर देकर कहा कि चाहे पोलियो का टीका हो, या खसरे-रुबेला का, अब भी 60 प्रतिशत टीके भारत में बनते हैं और विश्व को आपूर्ति के लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों को दिए जाते हैं, इस तरह भारत के लिए यह एक महत्वपूर्ण पहलू हो जाता है कि वह टीका विकास का काम तेज करे और पूरी दुनिया के लिए इन टीकों के विकास के लिए मिलकर काम करे।

देश दो कंपनियां कर रही हैं कोराेना वैक्सीन का इंसानी ट्रायल: आईसीएमआर

देश में दो भारतीय दवा कंपनियां अलग-अलग स्थानों पर कोरोना वैक्सीन के इंसानों पर ट्रायल कर रही हैं और जल्द ही कोई खुशखबरी मिल सकती हैं।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने मंगलवार को यहां संवाददाता सम्मलेन में बताया कि देश की दो दवा कंपनियां कोरोना वैक्सीन का ट्रायल अलग-अलग स्थानों पर एक-एक हजार लोगों के समूहों पर कर रही हैं। इन कंपनियों ने वैक्सीन की घातकता और अन्य दुष्प्रभाव संबंधी अध्ययन चूहों और अन्य जीवों पर पहले ही कर लिया था और इसके निष्कर्ष भारत के औषधि महानियंत्रक कार्यालय (डीजीसीआई) को सौंप दिए थे।

उन्होंने कहा कि वहां से इस महीने की शुरुआत में मंजूरी मिलने के बाद ये कंपनियां अब इंसानों पर कोरोना वैक्सीन का ट्रायल कर रही हैं। इस दिशा में राष्ट्रीय विषाणु संस्थान, पुणे में भी काम जारी हैं और वैज्ञानिक दिन-रात अथक परिश्रम कर रहे हैं। डॉ भार्गव ने कहा कि विश्व में आपूर्ति की जाने वाली दवाओं में भारत का योगदान 60 प्रतिशत है और अन्य बीमारियों के खिलाफ इस्तेमाल की जाने वाली वैक्सीन की 60 प्रतिशत आपूर्ति भारत ही करता है जिसे लेकर अन्य देश भारत के संपर्क में हैं।

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