Home / समाज़ / “विचार-विमर्श ”                                            शासन किसका?कैसे,किसके लिये?                                             ■डॉ सुनील जमींदार 
डॉ सुनील जमींदार

“विचार-विमर्श ”                                            शासन किसका?कैसे,किसके लिये?                                             ■डॉ सुनील जमींदार 

हमारी सरकारे निष्क्रिय, उदासीन अदूरदर्शी, ह्रदयहीन अर्ध निन्द्रित, स्व मुदित, परस्पर संवाद रहित, हंगामे बाज होती जारही हैं. ज़िसके नुमाइन्दे कुछ शक्ल दिखाने के लिये, कुछ ताली_टेबल के लिये, कुछ मुखसीले कुछ वीर – महावीर, कुछ भीड़ बढ़ाने वाले, कुछ वाकचतुर, बड़े घरानो – धन्धे बाजो के चारण-भाट अपने अपने आकाओ के गीत गाते रहते हैं, देश की जनता की कोई बात ही नही करता.
संसद – विधान सभाओ मे सार्थक बहस, विवेचना ही नही होती हैं. देश की समस्या य़ा किसी योजना पर चर्चा ही नही होती है,होता है तो ये कि प्रभाव शाली लोगो के फायदे केलिये योजनाये बना दी जाती है।

योजना का प्रपोजल उनके ही ज़िताये हुवे एम. पी., एम.एल.ए कर देते है बाकी के मिटटी के माधवनुमा लोग बतखो की तरह एक के पीछे एक अपनी अंन्तरआत्मा की आवाज को दबा कर मास्टर की विसिल पर बिल पारित करवा देते हैं. बदले में उनको, उनकी पार्टी को पारितोषिक -.टीप मिल ही जाती है.

देश के हाल यह है की कई सालो से नदी पर पुल ही नही बना है और बच्चे जान हथेली पर रख रस्सी के सहारे पुल स्कूल पढ़ने जाते है, बरसो से जारहे है… कही खाट पर मरीज को उठा कर मीलो तक पैदल जाना पड़ता है… कही पीने को पानी नही है, पानी के लिये कई कई मील तक जाना पड़ता है…. पानी ही नही उपलब्ध होता है गर्मीयो में, लोगो को गाव ही छौड कर च ले जाना पड़ता है. …. स्कूल ही नही है मीलो तक… कही बिल्डिंग ही नही है… कही कुएं से पानी नही भरने देते….. कही बारात नही निकालने देते….. महिला को डायन बता कर मार देते है… और ना जाने क्या क्या, ये सब सालो से चल रहा है पर सरकारे कुछ नही करती, उ न्हे ना कुछ दिखाई देता है ना लोगो का आर्तनाद सुनाई देता है!

ये अंधी_ बहरी सरकार और उसे चलाने वाले सालो से बस इसी तरह आते जाते रहते है, इन्हे देशवासियो के दुख – दर्द सुनाई – दिखाई नही पड़ते. दिखता है तो सिर्फ अपना स्वार्थ, अपनी सेलेरी, भत्ता, मुफत मिलने वाली सुविधा, टुर, मकान फ्लाट,बिना इंट्रेस्ट लोन… मेडिकल सुविधाये…. अपनी नालायक औलादो के लिये लाभ का पद.. या किसी सरकारी योजना से होने वाले लाभ की मलाई…. कोई बड़े ओहदा ज़िसमे बिनां मेहनत किये धन बरसता हो . जनता के लिये एक ही काम है इनके पास वो है नई नई तरकीबो से टैक्स वसूलना य़ा पूर्व में मिल रही सुविधाओ में कटौत्री करना. जनता का चिचिय़ाना इन्हे खूब भाता है. ये जनता को अपनी अौकात में रखने के लिये हमेशा तिकड़म करते रहते है.

जनता की जायज मांगो को ये सालो तक सुनते ही नही है, आश्वासन पर आश्वासन देते रहते है जब तक की अति न हो जाए।attacknews.in

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