उज्जैन के दिव्यांग शिक्षक की गज़ल में सबसे छोटी गज़ल गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज Attack News 

           उज्जैन 21 अक्टूबर । गज़ल में सबसे छोटी ग़ज़ल* जिसका नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है यह गज़ल बहर-ए-मीर और मात्रिक बहर के नाम से भी जानी जाती है।
           यह गजल मात्र एक चरण या अर्कान फैलून(चार मात्रा) पर लिखी गई है इस ग़ज़ल में कुल नौ शेर है । ग़ज़ल पूरी तरह खरी और अपने कथ्य और शिल्प में भी अद्भुत एवं बेजोड़ है ।

           इस विश्व कीर्तिमान प्राप्त ग़ज़ल के लेखक है, श्री मोहम्मद आरिफ जो दिव्यांग होकर शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय तालोद, उज्जैन में विगत 14 वर्षों से सफलतापूर्वक शैक्षणिक सेवाएं दे रहे हैं।

             आरिफ शिक्षक के अलावा  कवि, लेखक, गीतकार, समीक्षक, लघुकथा, पर्यावरण कार्यकर्ता, किशोर अवस्था जीवन कौशल विशेषज्ञ भी है । हिंदी साहित्य जगत की  पत्र पत्रिकाओं में इनकी भी प्रकाशित होती है। 
सोोसायटी फााॅर  प्रेस क्लब उज्जैन  में गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के एशिया हेड श्री मनीष बिश्नोई ने इस बात की पुष्टि की और इसे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में मान्यता प्रदान कर श्री मोहम्मद आरिफ को सर्टिफिकेट प्रदान किया ।

दुनिया की सबसे छोटी ग़ज़ल
(विश्व रिकॉर्ड प्राप्त)

जीवन
उलझन ।
सुने
आंगन ।
घर – घर
अन बन ।
उजड़े
गुलशन ।
खोया
बचपन ।
भटका
यौवन ।
झुठे
अनसन ।
खाली
बरतन ।
सहमी
धड़कन ।
★लेखक मोहम्मद आरिफ