विश्व में कोरोना से जान गंवाने वालों की संख्या पहुंची 58.62 लाख के पार,भारत में ही 4 लाख 28 हजार के करीब हुई मौतें attacknews.in

वाशिंगटन, 18 फरवरी । कोरोना वायरस महामारी की रफ्तार भारत सहित दुनिया के कई हिस्सों में भले ही धीमी पड़ती नजर आ रही है, लेकिन नये मामले और इससे होने वाली मौतों का क्रम अब भी बना हुआ है, जो चिंता का विषय है।


दुनिया भर में कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आकर मरने वालों की संख्या बढ़कर 58,62,560 हो गयी है तथा संक्रमितों की संख्या बढ़कर 41,96,83,838 हो गयी है।

अमेरिका की जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के कोरोना वायरस रिसोर्स सेंटर की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, अब तक विश्व भर में कोराेना वैक्सीन की कुल 10,30,46,87,211 डोज दी जा चुकी है।

दुनिया भर में कोरोना संक्रमण के शीर्ष दस देशों में अमेरिका पहले स्थान पर है, जहां इस महामारी के कुल मामलों की संख्या 7,82,69,443 और अब तक कुल 9,31,741 लोगों की मौत हो चुकी है। दूसरे स्थान पर भारत है, जहां कोविड संक्रमितों की कुल संख्या 4,27,80,235 हो गई है जबकि कोविड-19 के कारण अब तक जान गंवाने वाले लोगों का आंकड़ा बढ़कर 5,10,905 हो गया है।

इसके बाद इटली तीसरे स्थान पर है, जहां संक्रमितों की कुल संख्या 1,23,23,398 है, जबकि देश में मृतकों का आंकड़ा 1,52,282 हो गया है।

ब्राजील में कोरोना से अब तक 2,79,40,119 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 6,42,156 लोगों की मौत हो चुकी है।

फ्रांस में कोविड-19 से 2,22,23,882 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 1,37,143 लोगों की मौत हुई है।

जर्मनी में वैश्विक महामारी से अभी तक 1,33,09,040 लोग प्रभावित हुए हैं। देश में मृतकों का आंकड़ा 1,20,997 तक पहुंच गया है।

वहीं, ब्रिटेन में अभी तक करीब 1,86,28,702 लोग इस महामारी से प्रभावित हो चुके हैं, जबकि 1,60,785 लोगों की इस जानलेवा वायरस से मौत हो चुकी है।

स्पेन में कोरोना से अब तक 1,07,78,607 लोग प्रभावित हुए हैं तथा 97,710 लोगों की मौत हो चुकी है।

रूस में कोरोना के मामलों की संख्या बढ़कर 1,46,24,423 हो गई है और इस महामारी से अब तक 3,36,299 लोगों की मौत हो गयी है।

तुर्की में कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 1,32,66,265 हो गई है। देश में कोरोना संक्रमण से अब तक 91,646 लोग जान गंवा चुके हैं।

दुनियाभर में दहशत:कोविड-19 के नए स्वरूप ‘ओमीक्रॉन’ के डर से सभी देशों ने लगायी यात्रा पाबंदियां;जो लोग पहले संक्रमित होकर उबर गए हैं, वे फिर से संक्रमित हो सकते हैं attacknews.in

ब्रसेल्स/ जिनेवा , 27 नवंबर (एपी) कोविड-19 महामारी फैलने के तकरीबन दो साल बाद दुनिया बीते दिनों सामने आए वायरस के नए स्वरूपों से संभवत: अधिक खतरनाक एक और नये स्वरूप से जूझती नजर आ रही है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक समिति ने कोरोना वायरस के नये स्वरूप को ‘ओमीक्रॉन’ नाम दिया है और इसे ‘बेहद संक्रामक चिंताजनक स्वरूप’ करार दिया है। इससे पहले इस श्रेणी में कोरोना वायरस का डेल्टा स्वरूप था जिससे यूरोप और अमेरिका के कई हिस्सों में लोगों ने बड़े पैमाने पर जान गंवाई।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने नए स्वरूप के बारे में कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि यह तेजी से फैलता है।’’ नयी यात्रा पाबंदियों की घोषणा करते हुए उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘‘मैंने फैसला किया है कि हम सतर्कता बरतेंगे।’’

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि ओमीक्रॉन के वास्तविक खतरों को अभी समझा नहीं गया है लेकिन शुरुआती सबूतों से पता चलता है कि अन्य अत्यधिक संक्रामक स्वरूपों के मुकाबले इससे फिर से संक्रमित होने का जोखिम अधिक है। इसका मतलब है कि जो लोग कोविड-19 से संक्रमित हो चुके हैं और उससे उबर गए हैं, वे फिर से संक्रमित हो सकते हैं। हालांकि, यह जानने में हफ्तों का वक्त लगेगा कि क्या मौजूदा टीके इसके खिलाफ कम प्रभावी हैं।

दक्षिणी अफ्रीका में कोरोना वायरस का नया स्वरूप सामने आने के बाद अमेरिका, कनाडा, रूस और कई अन्य देशों के साथ यूरोपीय संघ ने उस क्षेत्र से आने वाले लोगों पर प्रतिबंध लगा दिया है।

व्हाइट हाउस ने कहा कि अमेरिका सोमवार से दक्षिण अफ्रीका और क्षेत्र में सात अन्य देशों से आने वाले लोगों पर प्रतिबंध लगाएगा। बाइडन ने कहा कि इसका मतलब है कि देश लौट रहे अमेरिकी नागरिकों और स्थायी निवासियों के अलावा इन देशों से न कोई आएगा और न ही कोई वहां जाएगा।

डब्ल्यूएचओ समेत चिकित्सा विशेषज्ञों ने इस स्वरूप के बारे में विस्तारपूर्वक अध्ययन किए जाने से पहले जरूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया देने के खिलाफ आगाह किया है। लेकिन इस वायरस से दुनियाभर में 50 लाख से अधिक लोगों की मौत के बाद लोग डरे हुए हैं।

ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद ने सांसदों से कहा, ‘‘हमें जल्द से जल्द हर संभव कदम उठाने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।’’ दक्षिणी अफ्रीका के साथ ही बेल्जियम, हांगकांग और इजराइल आने वाले यात्रियों में भी ओमीक्रॉन स्वरूप के मामले देखे गए हैं।

दक्षिण अफ्रीकी विशेषज्ञों ने कहा कि अभी ऐसे कोई संकेत नहीं है कि क्या इस स्वरूप से अधिक गंभीर रूप से बीमार पड़़ सकते हैं। अन्य स्वरूपों की तरह कुछ संक्रमित लोगों में कोई लक्षण नहीं देखे गए हैं। हालांकि, कुछ आनुवंशिक बदलाव चिंताजनक लगते हैं लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इससे जन स्वास्थ्य को कितना खतरा है। पहले कुछ स्वरूपों जैसे कि बीटा स्वरूप ने शुरुआत में वैज्ञानिकों को चिंता में डाला था लेकिन यह इतना ज्यादा नहीं फैला था।

नए स्वरूप ने दुनियाभर के शेयर बाजारों को तुरंत प्रभावित किया। एशिया, यूरोप और अमेरिका में प्रमुख सूचकांक गिर गये। जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्री जेन्स स्पैन ने कहा, ‘‘यह नया स्वरूप कई समस्याएं पैदा करेगा।’’ 27 देशों वाले यूरोपीय संघ के सदस्य हाल में संक्रमण के मामलों में वृद्धि का सामना कर रहे हैं।

ब्रिटेन, यूरोपीय संघ के देशों और कुछ अन्य देशों ने शुक्रवार को नयी यात्रा पाबंदियां लगायी और इनमें से कुछ देशों ने नए स्वरूप का पता चलने के कुछ घंटों के भीतर पाबंदियां लगा दी। यह पूछे जाने पर कि अमेरिका ने सोमवार तक का इंतजार क्यों किया, इस पर बाइडन ने कहा, ‘‘केवल इसलिए कि मेरे चिकित्सा दल ने यही सिफारिश की है।’’

यूरोपीय संघ आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा, ‘‘उड़ानों को तब तक स्थगित किया जाना चाहिए जब तक कि हमें इस नए स्वरूप से उत्पन्न खतरे के बारे में स्पष्ट समझ न हो और इस क्षेत्र से लौटने वाले यात्रियों को सख्त पृथक-वास नियमों का पालन करना चाहिए।’’ उन्होंने आगाह किया कि ‘‘उत्परिवर्तन से संक्रमण कुछ ही महीनों में दुनियाभर में फैल सकता है।’’

बेल्जियम के स्वास्थ्य मंत्री फ्रैंक वैंडेनब्रुक ने कहा, ‘‘यह एक संदिग्ध स्वरूप है। हम नहीं जानते कि क्या यह बहुत खतरनाक स्वरूप है।’’

अमेरिकी सरकार के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फाउची ने कहा कि ओमीक्रॉन का अभी अमेरिका में कोई मामला नहीं आया है। उन्होंने कहा, हालांकि हो सकता है कि यह अन्य स्वरूप के मुकाबले अधिक संक्रामक हो और इस पर टीके का उतना असर न हो लेकिन ‘‘हमें अभी निश्चित रूप से कुछ नहीं पता है।’’

बाइडन ने कहा कि नया स्वरूप ‘‘गंभीर चिंता’’ का विषय है और यह स्पष्ट होना चाहिए कि जब तक दुनियाभर में टीकाकरण नहीं हो जाता तब तक महामारी खत्म नहीं होगी।

दुनिया के सबसे अधिक टीकाकरण करने वाले देशों में से एक इजराइल ने शुक्रवार को एलान किया कि उसके यहां मलावी से लौटे एक यात्री में कोरोना वायरस के नए स्वरूप का पहला मामला आया है। यात्री और दो अन्य संदिग्ध लोगों को पृथक-वास में रखा गया है। इजराइल ने बताया कि तीनों ने टीके की खुराक ले रखी है लेकिन अधिकारी उनके टीकाकरण की वास्तविक स्थिति का पता लगा रहे हैं।

रात भर 10 घंटे की उड़ान के बाद दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन से एम्सटर्डम की केएलएम फ्लाइट 598 में सवार यात्रियों को शुक्रवार सुबह विशेष जांच के लिए चार घंटों तक शिफॉल हवाई अड्डे के रनवे पर रोक कर रखा गया।

ब्रिटेन ने दक्षिण अफ्रीका और पांच अन्य दक्षिणी अफ्रीकी देशों से शुक्रवार दोपहर उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया और घोषणा की कि जो कोई भी हाल में उन देशों से आया था, उसे कोरोना वायरस जांच कराने के लिए कहा जाएगा।

ब्रिटेन ने शुक्रवार से दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना, लेसोथो, इस्वातिनी, जिम्बाब्वे और नामीबिया से आने वाले लोगों पर प्रतिबंध लागू कर दिया है। हालांकि, सरकार ने दोहराया कि देश में अब तक वायरस के नए स्वरूप के किसी भी मामले का पता नहीं चला है।

जर्मनी, फ्रांस, इटली, नीदरलैंड, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, माल्टा और चेक गणराज्य, यूरोप के उन देशों में शामिल है जिन्होंने यात्रा पर कड़े प्रतिबंध लगाये हैं और पहले से ही कोविड-19 मामलों के चिंताजनक वृद्धि के बीच लॉकडाउन लगाया है।

कोरोना वायरस का नया चिंताजनक स्वरूप सामने आने के बीच डब्ल्यूटीओ ने प्रमुख बैठक टाली

इधर जिनेवा, से खबर है कि, विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने मंगलवार को होने वाले सरकारी मंत्रियों के अपने सम्मेलन को टाल दिया है। कोरोना वायरस के नये चिंताजनक स्वरूप के सामने आने के बाद स्विट्जरलैंड द्वारा नये यात्रा प्रतिबंध लागू किए जाने के मद्देनजर यह कदम उठाया गया है। जिनेवा में संगठन के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

जिनेवा स्थित डब्ल्यूटीओ मुख्यालय में होने वाले एमसी12 सम्मेलन में मत्स्य पालन के लिए सब्सिडी पर एक लंबे समय से प्रतीक्षित समझौता और कोविड-19 टीकों से जुड़े पेटेंट और अन्य बौद्धिक संपदा संरक्षण नियमों में छूट देने के प्रयास जैसे प्रमुख मुद्दों पर बातचीत होनी थी। मत्स्य पालन के लिए सब्सिडी संबंधी समझौते को दुनिया भर के समुद्रों में ज्यादा मछलियां पकड़ने से रोकने के एक प्रमुख तरीके के रूप में देखा जा रहा है,

अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर शुक्रवार को बताया कि डब्ल्यूटीओ के 164 सदस्य राष्ट्रों के राजदूत नये स्विस यात्रा प्रतिबंधों के बाद चार दिवसीय सम्मेलन को टालने पर सहमत हो गए हैं क्योंकि इन प्रतिबंधों के कारण सभी प्रतिभागी भौतिक रूप से सम्मेलन में शामिल नहीं हो पाते और ऑनलाइन बैठक को अच्छा विकल्प नहीं माना जा रहा है।

स्विस स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि दक्षिणी अफ्रीका से सभी सीधी उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, और बेल्जियम, हांगकांग और इजराइल जैसे अन्य स्थानों से आने वाले सभी लोगों को आगमन पर कोविड-19 की नेगेटिव रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी और 10 दिन के लिए पृथक-वास में रहना होगा।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पहली बार दक्षिण अफ्रीका में पाए गए चिंताजनक नए स्वरूप को अत्यधिक संक्रामक स्वरूप के तौर पर वर्गीकृत किया है और इसे ओमिक्रोन स्वरूप नाम दिया है।

कोरोना के नए स्वरूप पर नरेन्द्र मोदी ने भारत में सतर्कता के साथ ‘प्रोएक्टिव’ रहने की आवश्यकता के साथ निगरानी के दिए दिशा निर्देश attacknews.in

नयी दिल्ली, 27 नवंबर । दक्षिण अफ्रीका में कोरोना वायरस के नये स्वरूप का पता चलने और इसे लेकर दुनिया भर में पैदा हुई आशंकाओं के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके मद्देनजर ‘प्रोएक्टिव’ रहने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि लोगों को अधिक सतर्क रहने तथा मास्क पहनने व उचित दूरी सहित बचाव के सभी अन्य उपायों का पालन करने की जरूरत है।

देश में कोविड-19 की ताजा स्थिति और जारी टीकाकरण अभियान की समीक्षा के लिए प्रधानमंत्री ने शीर्ष अधिकारियों के साथ एक अहम बैठक की। लगभग दो घंटे चली इस बैठक के दौरान अधिकारियों ने प्रधानमंत्री को कोराना वायरस के नए स्वरूप ‘ओमीक्रोन’ के पाए जाने से पैदा हुई चिंताओं और विभिन्न देशों में इसके प्रभावों से अवगत कराया।

प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री ने प्रोएक्टिव रहने व बचाव के उपायों का पालन करने के साथ ही सभी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की निगरानी करने की भी आवश्यकता जताई।

पीएमओ के मुताबिक प्रधानमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि सभी अंतरराष्ट्रीय विमानों की निगरानी करने के साथ ही ‘जोखिम’ वाले देशों से आने वाले लोगों की, दिश-निर्देशों के अनुरूप जांच की जानी चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कोरोना के नए स्वरूप के खतरों के मद्देनजर अधिकारियों से अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध हटाने की योजना की समीक्षा करने को भी कहा।

डिजिटल माध्यम से हुई इस बैठक में कैबिनेट सचिव राजीव गाउबा, प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव पी के मिश्रा, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण, नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल, नीति आयोग के ही ए के भल्ला, और भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के. विजय राघवन सहित कुछ अन्य अधिकारी मौजूद थे।

भारत में एक दिन में कोविड-19 के 8,318 नए मामले आने से संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 3,45,63,749 हो गयी जबकि उपचाराधीन मरीजों की संख्या कम हो कर 1,07,019 हो गयी, जो 541 दिनों में सबसे कम है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के शनिवार सुबह आठ बजे तक अद्यतन आंकड़ों के अनुसार, 465 मरीजों के जान गंवाने से मृतकों की संख्या बढ़ कर 4,67,933 हो गयी है। कोरोना वायरस के रोज आने वाले मामले लगातार 50 दिनों से 20,000 से कम और लगातार 153वें दिन 50,000 से कम है।

देश में अब तक कोविड-19 रोधी टीके की कुल 120.96 करोड़ खुराक दी जा चुकी है।

इन सबके बीच, दक्षिण अफ्रीका में कोविड-19 के एक नये स्वरूप के आने से कई देशों की चिंताएं बढ़ गई हैं और उन्होंने बचाव के उपाय करने आरंभ कर दिए हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक समिति ने कोरोना वायरस के इस नये स्वरूप को ‘ओमीक्रॉन’ नाम दिया है और इसे ‘बेहद संक्रामक चिंताजनक स्वरूप’ करार दिया है।

कोरोना वायरस के इस नये स्वरूप के सामने आने के बाद अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, रूस और कई अन्य देशों के साथ यूरोपीय संघ ने अफ्रीकी देशों से लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया है।

कोविड के नये स्वरूप के खतरे को देखते हुए सरकार टीकाकरण के प्रति गंभीर हो जाए: राहुल

इधर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कोरोना के नये स्वरूप को गंभीर खतरा करार देते हुए शनिवार को कहा कि अब केंद्र सरकार को सभी देशवासियों का टीकाकरण करने के प्रति गंभीर हो जाना चाहिए।

उन्होंने ट्विटर पर एक चार्ट भी साझा किया और कहा कि अब तक देश में सिर्फ 31.19 प्रतिशत आबादी को ही टीके की दोनों खुराक दी गई है।

राहुल गांधी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘कोविड का नया स्वरूप गंभीर खतरा है। इस समय यह बहुत जरूरी है कि भारत सरकार हमारे देशवासियों को टीके की सुरक्षा प्रदान करने के लिए गंभीर हो जाए। टीकाकरण के खराब आंकड़ों को एक व्यक्ति की तस्वीर के पीछे लंबे समय तक नहीं छिपाया जा सकता। ’

कोरोना ने बदला अपना रूप,दक्षिण अफ्रीका में सामने आया कोविड का नया स्टेन: ब्रिटेन ने छह अफ्रीकी देशों की उड़ान पर लगाया प्रतिबंध attacknews.in

लंदन, 26 नवंबर (स्पूतनिक) ब्रिटेन ने दक्षिण अफ्रीकी देशों में कोरोना वायरस (कोविड-19) के नये स्ट्रेन के प्रसार को देखते हुए दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना, लेसोथो, इस्वातिनी, जिम्बाब्वे और नामीबिया के लिए 28 नवंबर तक उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया है।

सरकार ने यहां जारी एक बयान में कहा, “ अपराह्न शुक्रवार 26 नवंबर से दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना, लेसोथो, इस्वातिनी, जिम्बाब्वे और नामीबिया को ब्रिटेन की यात्रा लाल सूची में शामिल किया जाएगा। इन छह देशों से सीधी उड़ानें शुक्रवार दोपहर से 28 नवंबर तब तक प्रतिबंधित रहेंगी।

बयान के अनुसार शुक्रवार से गैर ब्रिटेन और आयरिश नागरिक जिन्होंने पिछले 10 दिनों में इन छह अफ्रीकी देशों की यात्रा की है के ब्रिटेन में प्रवेश की मनाही होगी। जबकि ब्रिटेन और आयरिश नागरिकों को 10 दिनों के लिए क्वारंटीन में रहना होगा।

उल्लेखनीय है कि इस सप्ताह की शुरुआत में ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने बोत्सवाना में कोरोना वायरस के नये स्ट्रेन पाये जाने को लेकर चेतावनी जारी की थी। दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रीय संक्रामक रोग संस्थान ने बाद में 22 मामलों की पुष्टि भी की थी।

कोविड-19: अमेरिका ने भारत से यात्रा पर लगाया प्रतिबंध:राष्ट्रपति जो बाइडन ने घोषणा पत्र जारी कर पिछले 14 दिन से भारत में रह रहे उन लोगों के आने पर प्रतिबंध लगाया, जो अमेरिकी नागरिक नहीं हैं attacknews.in

वाशिंगटन, एक मई । अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने शुक्रवार को एक घोषणा पत्र जारी कर पिछले 14 दिन से भारत में रह रहे उन लोगों के अमेरिका आने पर प्रतिबंध लगा दिया है, जो अमेरिकी नागरिक नहीं हैं।

यह घोषणा पत्र चार मई को लागू हो जाएगा। इसे ‘भारत में कोविड-19 के अत्यधिक मामलों के सामने आने और वहां वायरस के कई स्वरूपों के सक्रिय होने’’ के कारण जारी किया गया है।

इस बीच, ऑस्ट्रेलिया ने पिछले 14 दिन से भारत में मौजूद अपने देशवासियों के स्वदेश लौटने पर अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया है।

अमेरिका ने अपने नागरिकों, ग्रीन कार्ड धारकों, उनके गैर अमेरिकी जीवनसाथियों तथा 21 साल से कम आयु के बच्चों समेत विभिन्न वर्गों को इस यात्रा प्रतिबंध से छूट दी है।

ये यात्रा प्रतिबंध अनिश्चितकाल के लिए लागू किए गए हैं और इस संबंध में राष्ट्रपति के अगले घोषणा पत्र से ही ये समाप्त हो सकते हैं।

बाइडन ने कहा, ‘‘मैंने यह तय किया है कि यहां आने से पहले पिछले 14 दिन से भारत में रह रहे उन लोगों के प्रवेश को प्रतिबंधित करना या रोकना अमेरिका के हित में है, जो प्रवासी नहीं है या जो अमेरिकी नागरिक नहीं हैं।’’

यह फैसला स्वास्थ्य एवं मानव सेवा विभाग के तहत रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) की सलाह पर किया गया है।

बाइडन ने कहा, ‘‘विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि भारत में संक्रमण के 1,83,75,000 से अधिक मामलों की पुष्टि हो चुकी है। भारत में कोविड-19 वैश्विक महामारी बहुत तेजी से फैल रही है।’’

उन्होंने कहा कि नए वैश्विक मामलों के एक तिहाई से अधिक मामले भारत में सामने आ रहे हैं और वहां पिछले एक सप्ताह से रोजाना तीन लाख नए मामले सामने आ रहे हैं।

घोषणा पत्र में कहा गया है कि भारत में बी.1.617, बी.1.1.7, और बी.1.351 समेत वायरस के विभिन्न स्वरूपों से संक्रमण फैल रहा है।

इस यात्रा प्रतिबंध से छात्रों, शिक्षाविदों और पत्रकारों समेत विभिन्न वर्गों के लोगों को छूट दी गई है।

अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने घोषणा पत्र जारी होने के बाद बताया कि छात्रों, शिक्षाविदों, पत्रकारों और कोविड-19 प्रतिबंधों के कारण प्रभावित देशों में बुनियादी ढांचे संबंधी अहम सहयोग मुहैया कराने वाले लोगों को इस प्रतिबंध से छूट दी गई है।

इस बीच, रिपब्लिकन सांसदों ने भारत पर यात्रा प्रतिबंध लगाने के लिए बाइडन की आलोचना की।

सांसद टिम बुरचेट ने ट्वीट किया, ‘‘मेक्सिको के साथ सीमाओं को खुला रखना और हमारे सहयोगी भारत पर यात्रा प्रतिबंध लगाना तर्कसंगत नहीं है।’’

बुरचेट के अलावा जोडे अरिंगटन और लॉरेन बोएबर्ट समेत कई रिपब्लिकन नेताओं ने इन प्रतिबंधों का विरोध किया, लेकिन भारतीय अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने इसका समर्थन किया।

इस बीच, ऑस्ट्रेलिया ने देश लौटने से पूर्व 14 दिन से भारत में रह रहे अपने देशवासियों के स्वदेश आने पर अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया है और इस प्रतिबंध का पालन नहीं करने पर पांच साल कारावास की सजा या भारी जुर्माना लगाने की चेतावनी दी है।

ऑस्ट्रेलिया के स्वास्थ्य मंत्री ग्रेग हंट ने बताया कि भारत में संक्रमित होने के बाद लौटे कई लोग ऑस्ट्रेलिया में पृथक-वास में रह रहे हैं। इसी के मद्देनजर यह फैसला किया गया, ताकि संक्रमण को ऑस्ट्रेलिया में फैलने से रोका जा सके।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी की सलाह के बाद इस फैसले को 15 मई को संशोधित किया जाएगा।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने विश्व संगठन की ओर से भारत में कोविड-19 की ‘‘भयानक’’ लहर से लड़ने के वास्ते मदद करने की पेशकश की attacknews.in

संयुक्त राष्ट्र, 30 अप्रैल । संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि विश्व संगठन भारत में कोविड-19 की ‘‘भयानक’’ लहर से लड़ने के वास्ते उसका सहयोग बढ़ाने के लिए तैयार है। भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के 1.8 करोड़ से अधिक मामले आ चुके हैं और 200,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

गुतारेस ने बृहस्पतिवार को ट्वीट किया, ‘‘पूरे संयुक्त राष्ट्र परिवार के साथ मैं भारत के लोगों के साथ खड़ा हूं क्योंकि वे कोविड-19 की भयानक लहर का सामना कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र अपना सहयोग बढ़ाने के लिए तैयार है।’’

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने गुतारेस के ट्वीट का जवाब देते हुए कहा, ‘‘भारत आपकी भावनाओं और एकजुटता की सराहना करता है। संयुक्त राष्ट्र जो समर्थन दे रहा है हम उसकी भी प्रशंसा करते हैं।’’

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार भारत में कोविड-19 के 1.8 करोड़ से अधिक मामले आए हैं और 204,000 से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं।

डब्ल्यूएचओ ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि भारत में कोविड-19 के बेतहाशा मामले आने के कारण आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति और अस्पतालों की क्षमताओं में कमी को पूरा करना शीर्ष प्राथमिकता होनी चाहिए।

डब्ल्यूएचओ बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए 4,000 ऑक्सीजन सांद्रक के साथ विमानों को भेज रहा है।

डब्ल्यूएचओ की दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा, ‘‘कोविड-19 के मामले बढ़ने से स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ा दबाव पड़ा है जो इस महामारी के शुरू होने के बाद से पहले ही अत्यधिक दबाव में है। हमें तेजी से काम करने, अस्पतालों की क्षमताएं बढ़ाने और चिकित्सा आपूर्ति करने की जरूरत है जो लोगों की जान बचाने के लिए आवश्यक है।’’

वहीं, अमेरिका को उम्मीद है कि भारत को दी जाने वाली भारी भरकम कोविड-19 सहायता का समाज और दुनियाभर में उत्प्रेरक असर पड़ेगा।

विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने बृहस्पतिवार को पत्रकारों से कहा कि अमेरिका आने वाले दिनों में भारत को 10 करोड़ डॉलर से अधिक की आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति कर रहा है।

राहत सामग्री लेकर पहला विमान बुधवार को कैलिफोर्निया में अमेरिकी वायु सेना अड्डे से रवाना हुआ।

प्राइस ने नियमित संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि भारतीय लोगों की मदद करने का समाज और दुनियाभर में उत्प्रेरक असर पड़ेगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिकी सरकार के विमान आज रात को भारत पहुंचना शुरू करेंगे और अगले हफ्ते तक विमान आते रहेंगे। महामारी की शुरुआत में जब हमारे अस्पतालों को जरूरत थी तो भारत ने अमेरिका की सहायता की थी वैसे ही अमेरिका जरूरत के वक्त भारत की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है।

इस बीच, ह्यूस्टन स्थित भारतीय-अमेरिकी गैर लाभकारी संगठन सेवा इंटरनेशनल ने अटलांटा से 2,184 ऑक्सीजन सांद्रक की पहली खेप भारत में भेजी है। उसने भारत में कोविड-19 राहत प्रयासों के लिए 80 लाख डॉलर की धनराशि भी जुटाई थी।

कोरोना नाशक दवा “कोरोनील” पर विवाद:IMA ने दवा होने से नकारा;बाबा रामदेव ने कहा था- साक्ष्यों पर आधारित पुख्ता दवा को आयुष मंत्रालय ने इलाज के सहायक उपाय में स्वीकारा,WHO ने प्रमाण पत्र भी दिया attacknews.in

नयी दिल्ली 22 फरवरी । इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने योग गुरु बाबा रामदेव के अपनी आयुर्वेदिक दवा कोरोनील को कोविड -19 के लिए पहली साक्ष्य आधारित दवा होने और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा इसे प्रमाणित किये जाने संबंधी सभी दावों को सोमवार को साफ खारिज कर दिया। साथ ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन पर ऐसे दावों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रहार किया और उनकी आलोचना की।

आईएमए ने यहां जारी एक विज्ञप्ति में कहा,“इंडियन मेडिकल एसोसिएशन एक उद्यमी द्वारा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की मौजूदगी में पेश की गई गुप्त दवा के लिए डब्ल्यूएचओ सर्टिफिकेशन के स्पष्ट झूठ को बोलने के लिए हैरान है।”

आईएमए ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्पष्ट किया है कि उसने पतंजलि की कोविड-19 दवा की प्रभावशीलता की न तो समीक्षा की है और न ही इसे प्रमाणित किया है।

आईएमए ने कहा कि उक्त कोरोनावायरस दवा के सभी अनुमान झूठे हैं।

एसोसिएशन ने पतंजलि की दवा के लॉन्च समारोह में भाग लेने और इसे बढ़ावा देने के लिए डा. हर्षवर्धन की आलोचना की।

आईएमए ने बयान में कहा,“मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के कोड के अनुसार, कोई भी डॉक्टर किसी भी दवा को बढ़ावा नहीं दे सकता है।”

आईएमए ने यह भी कहा कि किसी भी दवा को उसकी रचना के ज्ञान के बिना बढ़ावा देना या जिसकी रचना का उल्लेख नहीं है, फिर से अनैतिक है।

संघ ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से दवा के नैदानिक परीक्षणों के वैज्ञानिक प्रमाण और डेटा को सार्वजनिक करने के लिए भी कहा।

आईएमए ने सवाल किया कि अगर पतंजलि की दवा – कोरोनिल – इतना प्रभावी है तो सरकार टीकाकरण कार्यक्रम पर 35 हजार करोड़ रुपये क्यों खर्च कर रही है।

गौरतलब है कि गत 19 फरवरी को पतंजलि अनुसंधान संस्थान ने दावा किया है कि वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर कोरोनील दवा कोरोना के उपचार के लिए कारगर साबित हुई है।

योगगुरु बाबा रामदेव ने शुक्रवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कोरोनील को जारी करते हुए कहा कि यह दवा वैज्ञानिक मापदंडों पर खरी उतरी है तथा इसको लेकर नौ शोध पत्र दुनिया के सबसे ज्यादा प्रभाव वाले शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं जबकि 16 पर काम जारी है।

उन्होंने कहा, “ कुछ समय पहले कोरोनील के वैज्ञानिक मापदंडों को लेकर सवाल उठाए गए थे। आयुर्वेद के शोध को लेकर संदेह किए जाते हैं लेकिन पतंजलि ने ऐसी धारणाओं को खारिज कर दिया है। अब संदेह के बादल छंट गए हैं।”

इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और पतंजलि के प्रमुख आचार्य बालकृष्ण भी मौजूद भी थे।

श्री रामदेव ने कहा कि कोरोनील दवा साक्ष्यों पर आधारित पुख्ता दवा है जिसे आयुष मंत्रालय ने कोरोना के इलाज के लिए सहायक उपाय के तौर पर स्वीकार कर लिया है और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसको प्रमाण पत्र दे दिया है।

उन्होंने कहा, “ हमने वैज्ञानिक पद्वति से कोरोनील पर अनुसंधान किए हैं। अब सारे प्रमाण पत्रों के साथ हमारे पास 250 से ज्यादा शोध पत्र हैं जिसमें अकेले कोरोना के ऊपर 25 शोध किए गए हैं।”

भारत में कोरोना मरीजों पर दो भारतीय कंपनियों द्वारा निर्मित “टीके “(वैक्सीन) का परीक्षण शुरू,जल्द होने वाली है बहुत बड़ी उपलब्धि की घोषणा attacknews.in

नईदिल्ली 14 जुलाई ।देश में दो भारतीय दवा कंपनियां अलग-अलग स्थानों पर कोरोना वैक्सीन के इंसानों पर ट्रायल कर रही हैं और जल्द ही कोई खुशखबरी मिल सकती हैं।भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने मंगलवार को कहा कि कोविड-19 टीके का देश में मानव परीक्षण शुरू हो गया है। देश में विकसित दो टीकों के परीक्षण की कवायद में लगभग एक हजार स्वयंसेवी शामिल हो रहे हैं।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने मंगलवार को यहां संवाददाता सम्मलेन में बताया कि देश की दो दवा कंपनियां कोरोना वैक्सीन का ट्रायल अलग-अलग स्थानों पर एक-एक हजार लोगों के समूहों पर कर रही हैं। इन कंपनियों ने वैक्सीन की घातकता और अन्य दुष्प्रभाव संबंधी अध्ययन चूहों और अन्य जीवों पर पहले ही कर लिया था और इसके निष्कर्ष भारत के औषधि महानियंत्रक कार्यालय (डीजीसीआई) को सौंप दिए थे।

उन्होंने कहा कि वहां से इस महीने की शुरुआत में मंजूरी मिलने के बाद ये कंपनियां अब इंसानों पर कोरोना वैक्सीन का ट्रायल कर रही हैं। इस दिशा में राष्ट्रीय विषाणु संस्थान, पुणे में भी काम जारी हैं और वैज्ञानिक दिन-रात अथक परिश्रम कर रहे हैं। डॉ भार्गव ने कहा कि विश्व में आपूर्ति की जाने वाली दवाओं में भारत का योगदान 60 प्रतिशत है और अन्य बीमारियों के खिलाफ इस्तेमाल की जाने वाली वैक्सीन की 60 प्रतिशत आपूर्ति भारत ही करता है जिसे लेकर अन्य देश भारत के संपर्क में हैं।

आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने देश में विकसित दो टीकों का संदर्भ देते हुए कहा कि क्योंकि भारत दुनिया में सबसे बड़े टीका निर्माताओं में से एक है, इसलिए कोरोना वायरस प्रसार की कड़ी को तोड़ने के लिए टीका विकास प्रक्रिया को तेज करना देश का ‘‘नैतिक दायित्व’’ है।

भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने दो टीकों के पहले और दूसरे चरण के मानव परीक्षण की अनुमति दे दी है। इनमें से एक टीका भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड ने आईसीएमआर के साथ मिलकर विकसित किया है, जबकि दूसरा टीका जायडस कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड ने तैयार किया है।

भार्गव ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि दो भारतीय टीके हैं जिनका चूहों और खरगोशों में सफल अध्ययन हो चुका है और यह डेटा डीसीजीआई को सौंपा गया था जिसके बाद दोनों टीकों को इस महीने के शुरू में शुरुआती चरण के मानव परीक्षण की अनुमति मिल गई।

उन्होंने कहा, ‘‘इस महीने, दो भारतीय टीका कंपनियों को शुरुआती चरण के मानव परीक्षण करने की अनुमति मिल गई।’’

भार्गव ने कहा, ‘‘उन्होंने अपने स्थल तैयार रखे हैं और वे विभिन्न स्थानों पर लगभग एक हजार स्वयंसेवियों पर चिकित्सकीय अध्ययन कर रही हैं। वे दो स्वदेशी टीकों के शुरुआती चिकित्सकीय परीक्षण करने की कोशिश कर रही हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘…इनका जल्द से जल्द तेजी से विकास करना नैतिक दायित्व है क्योंकि विश्व में पांच लाख से अधिक लोगों की बीमारी से मौत हो चुकी है। इसलिए इन टीकों का तेजी से विकास करना महत्वपूर्ण हो जाता है।’’

भार्गव ने हाल में एक पत्र लिखकर कोविड-19 टीका 15 अगस्त तक लाने की परिकल्पना की थी जिससे कई विशेषज्ञ सहमत नहीं हैं।

भार्गव ने कहा कि भारत को ‘‘दुनिया की फार्मेसी’’ माना जाता है और अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली 60 प्रतिशत दवाएं भारतीय मूल की हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘महत्वपूर्ण तथ्य यह है जिसके बारे में जानकारी नहीं है, चाहे वह अफ्रीका हो या यूरोप या दक्षिण-पूर्व एशिया या कोई अन्य जगह, विश्व में 60 प्रतिशत टीकों की आपूर्ति भारत से होती है।’’

भार्गव ने कहा, ‘‘विश्व के किसी भी हिस्से में बनने वाला टीका अंतत: भारत या चीन में ही तैयार किया जाता है क्योंकि विश्व में यही दोनों देश सबसे बड़े टीका विनिर्माता हैं और प्रत्येक विकसित देश तथा टीका विकास की कोशिश कर रहा कोई भी देश इस बारे में जानता है। इसलिए वे टीका विकसित होने की स्थिति में इसके विपणन के लिए भारत के संपर्क में हैं।’’

उन्होंने कहा कि रूस ने हाल में तेज गति से टीका बनाया जो अपने शुरुआती चरणों में सफल रहा है और उन्होंने इसका विकास भी तेज कर दिया है तथा पूरी दुनिया ने इसकी तारीफ की है।

भार्गव ने कहा कि जैसा आज आपने पढ़ा होगा, अमेरिका ने एक बार फिर अपने दो टीकों को विकसित करने की गति तेज कर दी है तथा ब्रिटेन भी यह देख रहा है कि वह किस तरह मानव इस्तेमाल के लिए ऑक्सफोर्ड टीके की गति तेज कर सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत के परिप्रेक्ष्य में हमारे पास दो टीके हैं। हम इनकी गति तेज करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं और यह नैतिक दायित्व है कि इन टीकों के मामले में नियामक की ओर से मंजूरी मिलने में एक दिन का भी विलंब नहीं होना चाहिए जिससे कि हम जल्द से जल्द कोरोना वायरस प्रसार की कड़ी को तोड़ सकें।’’

उन्होंने जोर देकर कहा कि चाहे पोलियो का टीका हो, या खसरे-रुबेला का, अब भी 60 प्रतिशत टीके भारत में बनते हैं और विश्व को आपूर्ति के लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों को दिए जाते हैं, इस तरह भारत के लिए यह एक महत्वपूर्ण पहलू हो जाता है कि वह टीका विकास का काम तेज करे और पूरी दुनिया के लिए इन टीकों के विकास के लिए मिलकर काम करे।

देश दो कंपनियां कर रही हैं कोराेना वैक्सीन का इंसानी ट्रायल: आईसीएमआर

देश में दो भारतीय दवा कंपनियां अलग-अलग स्थानों पर कोरोना वैक्सीन के इंसानों पर ट्रायल कर रही हैं और जल्द ही कोई खुशखबरी मिल सकती हैं।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने मंगलवार को यहां संवाददाता सम्मलेन में बताया कि देश की दो दवा कंपनियां कोरोना वैक्सीन का ट्रायल अलग-अलग स्थानों पर एक-एक हजार लोगों के समूहों पर कर रही हैं। इन कंपनियों ने वैक्सीन की घातकता और अन्य दुष्प्रभाव संबंधी अध्ययन चूहों और अन्य जीवों पर पहले ही कर लिया था और इसके निष्कर्ष भारत के औषधि महानियंत्रक कार्यालय (डीजीसीआई) को सौंप दिए थे।

उन्होंने कहा कि वहां से इस महीने की शुरुआत में मंजूरी मिलने के बाद ये कंपनियां अब इंसानों पर कोरोना वैक्सीन का ट्रायल कर रही हैं। इस दिशा में राष्ट्रीय विषाणु संस्थान, पुणे में भी काम जारी हैं और वैज्ञानिक दिन-रात अथक परिश्रम कर रहे हैं। डॉ भार्गव ने कहा कि विश्व में आपूर्ति की जाने वाली दवाओं में भारत का योगदान 60 प्रतिशत है और अन्य बीमारियों के खिलाफ इस्तेमाल की जाने वाली वैक्सीन की 60 प्रतिशत आपूर्ति भारत ही करता है जिसे लेकर अन्य देश भारत के संपर्क में हैं।