राजस्थान सरकार ने संत आसाराम की अस्थायी जमानत मंजूर करने की मांग का विरोध किया, याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली attacknews.in

नयी दिल्ली, 08 जून । उच्चतम न्यायालय ने इलाज कराने के लिए अस्थायी तौर पर सजा निलंबित करने को लेकर स्वयंभू तांत्रिक आसाराम की अपील की सुनवाई शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी है।

न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की अवकाशकालीन खंडपीठ ने मंगलवार को संबंधित पक्षों के वकीलों को बताया कि उन्हें राजस्थान सरकार की ओर से सुबह ही जवाब प्राप्त हुआ है, इसलिए मामले की सुनवाई शुक्रवार तक के लिए स्थगित की जाती है। राजस्थान सरकार ने हालांकि आसाराम की अस्थायी जमानत मंजूर करने की मांग का विरोध किया।

इसी बीच, न्यायालय ने याचिकाकर्ता को उस हलफनामे का जवाब देने की अनुमति प्रदान की।

राजस्थान उच्च न्यायालय ने आसाराम को इलाज के लिए उसकी आजीवन कारावास की सजा अस्थायी तौर पर निलंबित करने की याचिका निरस्त कर दी थी, जिसे उसने शीर्ष अदालत में चुनौती दी है।

आसाराम की ओर से पेश हो रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लुथरा ने कहा कि याचिकाकर्ता 83-84 वर्ष के वृद्ध हैं और उन्हें चिकित्सकीय सहायता की तत्काल जरूरत है। उन्हें जोधपुर के एम्स में दिया गया इलाज पर्याप्त नहीं है और उन्हें एक आयुर्वेदिक केंद्र में शिफ्ट किया जाना है। इससे पहले न्यायालय ने गत शुक्रवार को राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था।

भारत ने शुरू हुआ कैंसर के उपचार में शिमेरिक एंटीजेन रिसेप्टर टी-सेल (सीएआर-टी) थेरेपी का क्लिनिकल ट्रायल:देश सस्ता होगा उपचार जिस पर थेरेपी के लिये हर मरीज को तीन से चार करोड़ रुपये का खर्चा आता है attacknews.in

मुम्बई के टाटा अस्पताल के एडवांस्ड सेंटर फॉर ट्रीटमेंट, रिसर्च एंड एजूकेशन इन कैंसर द्वारा की गई पहली सीएआर-टी सेल थेरेपी का बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने समर्थन किया

बायोटेक्नोलॉजी विभाग/जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद-राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन ने पहले और दूसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल का समर्थन किया

नईदिल्ली 8 जून । कैंसर के उपचार में शिमेरिक एंटीजेन रिसेप्टर टी-सेल (सीएआर-टी) थेरेपी रामबाण के रूप में सामने आई है।

दुनिया भर में चलने वाले क्लीनिकल ट्रायल में आखिरी स्टेज वाले कैंसर मरीजों पर इसके सकारात्मक नतीजे निकले हैं, खासतौर से उन मरीजों पर जो गंभीर रूप से खून के कैंसर से पीड़ित हैं।

कैंसर के मरीजों के लिये इस प्रौद्योगिकी में उपचार की क्षमता है, लेकिन इस समय यह भारत में उपलब्ध नहीं है। सीएआर-टी सेल थेरेपी के लिये हर मरीज को तीन से चार करोड़ रुपये का खर्चा आता है। इसलिये चुनौती यह है कि इस प्रौद्योगिकी को सस्ती दर पर विकसित करके हर मरीज के लिये उपलब्ध कराया जाये।

इस थेरेपी के महंगा होने का मुख्य कारण यह है कि इसके बनाने की प्रक्रिया बहुत जटिल है। सीएआर-टी सेल प्रौद्योगिकी को कैंसर और अन्य रोगों के लिये विकसित करने के उद्देश्य से जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बाइरैक) और बायोटेक्नोलॉजी विभाग (डीबीटी) ने पहल की है तथा पिछले दो वर्षों में इस प्रस्ताव मांगने की विशेष प्रक्रिया शुरू की थी।

चार जून, 2021 को वह ऐतिहासिक दिन था, जिस दिन टाटा मेमोरियल अस्पताल, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुम्बई (आईआईटी-बी) के दल तथा भारत में कैंसर केयर ने पहली सीएआर-टी सेल थेरेपी (एक तरह की जीन थेरेपी) को अंजाम दिया। यह कारनामा मुम्बई के टाटा मेमोरियल सेंटर के एसीटीआरईसी के अस्थि-मज्जा प्रत्यारोपण इकाई ने कर दिखाया। सीएआर-टी सेल्स को आईआईटी-बी के जैव-विज्ञान एवं जैव-इंजीनियरिंग विभाग ने डिजाइन और उसका निर्माण किया था।

इस काम को बाइरैक-पेस (प्रोमोटिंग एकडमिक रिसर्च कंवर्जन टू एंटरप्राइज) योजना का भी समर्थन है। टीएमसी-आआईटी बॉम्बे के दल को डीबीटी/बाइरैक द्वारा उनके सीएआरटी उत्पाद के पहले और दूसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल की परियोजना को भी समर्थन दिया जा रहा है। यह समर्थन राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन के जरिये दिया जा रहा है।

यह जीन थेरेपी के शुरूआती चरण का पायलट क्लीनिकल ट्रायल है, जो “भारत में पहली बार” हो रहा है। यह आईआईटी बॉम्बे और टीएमएच, मुम्बई के बीच शानदार सहयोग की बदौलत मुमकिन हुआ है।

केंद्र सरकार के राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन-बाइरैक ने सीएआर-टी सेल के पहले और दूसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल को पहली बार मनुष्यों पर पूरा करने के लिये 19.15 करोड़ रुपये मंजूर किये हैं।

क्लीनिकल ट्रायल बाल कैंसर उपचार और स्वास्थ्य विज्ञान के डॉ. (सर्जन कमान्डर) गौरव नरूला और टीएमसी, मुम्बई की उनकी टीम कर रही है। इसके अलावा सीएआर-टी सेल को दवा के रूप में काम करने और उसके निर्माण सम्बंधी प्रक्रिया में जैव-विज्ञान और जैव-इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. राहुल पुरवार तथा आईआईटी-बी की टीम ने काम किया है। सघन प्री-क्लीनिकल परीक्षण की डिजाइन और विकास का काम टीएमसी, मुम्बई के सहयोग से आईआईटी-बी ने किया है। इसमें दो विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया था।

आईआईटी-बी के निदेशक सुभासीस चौधरी ने कहा कि यह संस्थान और देश के लिये शानदार कारनामा है। उन्होंने कहा, “आईआईटी-बी के हम सभी वैज्ञानिकों ने टाटा मेमोरियल अस्पताल के साथ कैंसर के उपचार की एक अत्यंत जटिल थेरेपी विकसित की है। अगर परीक्षण कामयाब होते हैं, तो भारत में इसे सस्ती दरों पर उपलब्ध कराके सैकड़ों जाने बचाई जा सकती हैं। यह आईआईटी-बी का अनुसंधान है और आशा है कि यह लोगों के जीवन में उम्मीद जगा देगा।”

राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन लेंटीवायरल वेक्टर निर्माण सुविधा के विकास को भी समर्थन दे रहा है। इसके जरिये उन्नत टी-सेल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिये पैकेजिंग प्लास्मिड का उपयोग किया जायेगा। इसके अलावा टी-सेल ट्रांस्डक्शन (जिसमें बाहरी डीएनए को सेल में डाला जाता है) और सीएआर-टी के निर्माण को विस्तार देने के लिये दो अन्य संगठनों का सहयोग कर रहा है। सीएआर-टी सेल प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल गंभीर खून के कैंसर, मल्टीपल मायलोमा, ग्लायोब्लास्टोमा, हेपेटोसेलुलर कार्सीनोमा और टाईप-2 डायबटीज में किया जायेगा। इस परियोजना का डीबीटी के जरिये समर्थन किया जा रहा है।

डीबीटी के बारे में

बायोटेक्नोलॉजी विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन है और भारत में जैव-प्रौद्योगिकी के विकास में तेजी लाने का काम करता है। इसमें कृषि, स्वास्थ्य, पशु विज्ञान, पर्यावरण और उद्योग में जैव-प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल और उसका विकास शामिल है।

बाइरैक के बारे में

जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद, सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम की धारा 8, अनुसूची ‘ब’ के तहत लाभ न कमाने वाला संगठन है, जिसकी स्थापना बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने की है। यह भारत सरकार की एक इंटरफेस एजेंसी है, जिसके जरिये उभरते हुये जैव-प्रौद्योगिकी उद्यमों को शक्ति सम्पन्न किया जाता है, ताकि वे रणनीतिक अनुसंधान और नवाचार का काम कर सकें तथा देश के लिये जरूरी उत्पादों का विकास कर सकें।

..थैंक यू योर ऑनर.. सीजेआई एन वी रमन के नाम छात्रा की पाती;कोरोना संकट में सुप्रीम कोर्ट और न्यायपालिका द्वारा किये गये कार्यों की सराहना की attacknews.in

नयी दिल्ली, 08 जून । “…थैंक यू योर ऑनर.. आई फील प्राउड एंड हैप्पी..।”

केरल के त्रिशूर स्थित केंद्रीय विद्यालय की पांचवीं कक्षा की छात्रा लिडविना जोसेफ ने देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमन को एक पाती लिखकर कोरोना संकट में शीर्ष अदालत और न्यायपालिका द्वारा किये गये कार्यों की सराहना की है।

न्यायमूर्ति रमन ने इसके जवाब में समाज कल्याण के प्रति उस छात्रा की चिंता की सराहना करते हुए कहा, “मैं आपकी चहुंमुखी सफलता की कामना करता हूं और आशीर्वाद देता हूं।”

सीजेआई ने लिखा है, “मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं कि आप एक चौकस, जानकार और जिम्मेदार नागरिक बनेंगी और राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान करेंगी।”

न्यायमूर्ति रमन ने लिडविना जोसेफ को प्रतीक के रूप में खुद की हस्तक्षारित संविधान की प्रति भी भेजी है।

उस छात्रा ने हस्तलिखित पाती में कहा था कि कोरोना की दूसरी लहर से नागरिकों के दो-चार होने और उनकी मौतों पर न्यायपालिका ने प्रभावकारी तरीके से हस्तक्षेप किया।

उसने लिखा है कि न्यायपालिका ने ऑक्सीजन की आपूर्ति को लेकर आदेश पारित किये और अनगिनत लोगों की जानें बचायीं।

शीर्ष अदालत के हस्तक्षेप से कोविड-19 के कारण होने वाली मौतों में कमी लाने में मदद मिली।

छात्रा ने लिखा है, “आई थैंक यू योर ऑनर फॉर दिस, नाऊ आई फील वेरी प्राउड एंड हैप्पी…।

इटावा जेल से रिहा होने के बाद हूटर रैली निकालकर शेर बनने वाला गैंगस्टर एवं सपा नेता धर्मेद्र यादव गिरफ्तारी के डर से गीदड़ बनकर चंबल के वीरान बीहड़ों में छिपा attacknews.in

इटावा , 8 जून । उत्तर प्रदेश की इटावा जेल से रिहा होने के बाद हूटर रैली निकालने वाला गैंगस्टर एवं सपा नेता धर्मेद्र यादव की सरगर्मी से तलाश कर रही पुलिस को अंदेशा है कि वह कहीं चंबल के वीरान बीहड़ों में छिपा हो सकता है।

फरार गैंगस्टर की गिरफ्तारी पर पुलिस ने 25000 का इनाम घोषित किया हुआ है। पुलिस ने हालांकि उसके उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश स्थित चंबल के बीहड़ों में शरण लेने की संभावना से इंकार नहीं किया है लेकिन इस बात की पुष्टि किसी अधिकारी के स्तर पर नहीं की जा रही है।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डा.बृजेश कुमार सिंह ने बताया कि फरार गैंगस्टर की तलाश में आठ पुलिस टीमें विभिन्न संभावित स्थानों पर सक्रिय बनी हुई है।

इन टीमों को अभी तक धर्मेंद्र यादव के बारे में कोई सही और सटीक जानकारी नहीं मिल सकी है।

पुलिस की परेशानी इसलिए बढ़ती चली जा रही है क्योंकि दो दिन से इस बात की सूचनाये सामने आ रही है कि धर्मेंद्र यादव अदालत में समर्पण करने के लिए जा रहा है लेकिन इसके बावजूद भी वह समर्पण करने के लिए नहीं आया।

इटावा जिला जेल से हूटर रैली निकालने को लेकर के इटावा के पुलिस उपाधीक्षक राजीव प्रताप सिंह को कार्य पर्यर्वेक्षण के लिए लापरवाह मानते हुए तत्काल प्रभाव से पद मुक्त कर दिया गया है जबकि सिविल लाइन थाना प्रभारी और एलआईयू इंस्पेक्टर समेत सात पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

गौरतलब है कि चार जून को इलाहाबाद उच्च न्यायालय आए जमानत मिलने के बाद रिहा हुए धर्मेंद्र यादव ने 5 जून को इटावा जेल के बाहर से अपने समर्थकों के साथ जश्न के साथ में एक हूटर रैली निकाली ।

इसके वीडियो वायरल होने के बाद अब और हड़कंप ही हड़कंप मचा हुआ है।

धर्मेंद्र औरैया जिले में समाजवादी युवजन सभा अध्यक्ष है लेकिन पंचायत चुनाव में भाग्यनगर से जिला पंचायत सदस्य के तौर पर चुनाव मैदान में उतारा गया जहां करीब 13000 वोटों से उनकी जीत हो गई लेकिन इससे पहले धर्मेंद्र यादव अपराधिक मामले में गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया था।

धर्मेंद्र यादव के खिलाफ औरैया के जिला प्रशासन ने जिला बदर की भी कार्रवाई करके रखी हुई है ।

इसके साथ ही धर्मेंद्र यादव के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट की भी कार्रवाई हुई है।

बड़वानी में प्रताडना से तंग किराये के मकान में रह रही उलफत शेख को घर के बाहर जावेद शेख द्वारा तीन तलाक कह कर भाग जाने पर प्रकरण दर्ज attacknews.in

बड़वानी 8 जून । मध्यप्रदेश के बड़वानी पुलिस ने घर के बाहर से महिला को तीन तलाक कह कर भाग जाने वाले पति के खिलाफ आज सायं प्रकरण दर्ज किया है।

बड़वानी कोतवाली के नगर निरीक्षक राजेश यादव ने बताया कि पाला बाजार निवासी महिला उलफत शेख की शिकायत पर वाहन चालक जावेद शेख के विरुद्ध प्रताड़ना तथा मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार का संरक्षण) अधिनियम 2019 की धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है।

शिकायत के मुताबिक 14 वर्ष पूर्व विवाह होने के बाद जावेद मामूली बातों पर महिला को शारीरिक तथा मानसिक रूप से प्रताड़ित करता था।

वह कुछ दिनों से वह उसके चरित्र को लेकर शंका जाहिर करते हुए उसे छोड़ देने की बात कर रहा था।

जावेद 2 महीने पूर्व अजमेर जाने का कहकर चले गया और महिला को उसके भाई व अपने दोनों पुत्रों के साथ किराए के मकान में ही रहना पड़ा।

6 जून की सायं वह अचानक आया और मकान का दरवाजा खोल बाहर से ही महिला को तीन तलाक बोल कर भाग गया।

दोनों पुत्रों द्वारा रोकने की कोशिश के बावजूद वह नहीं रुका।

आज महिला की शिकायत पर जावेद के विरुद्ध प्रकरण दर्ज कर उसकी तलाश आरंभ कर दी गई है।

केरल हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने पलटा: हत्या के प्रयास के आरोपी अ भा हिन्दू परिषद के सदस्य कारा रतीश की जमानत बहाल की बहाल attacknews.in

नयी दिल्ली, 08 जून । उच्चतम न्यायालय ने दक्षिणपंथी संगठन अखिल भारतीय हिन्दू परिषद के सदस्य तथा हत्या के प्रयास के आरोपी कारा रतीश को जमानत पर रिहा करने का मंगलवार को आदेश दिया।

न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की अवकाशकालीन खंडपीठ ने केरल उच्च न्यायालय के 18 मार्च 2021 के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसके तहत उसने रतीश को दी गयी जमानत निरस्त कर दी थी।

रतीश पर रितिन राजन की हत्या का प्रयास करने के लिए मार्च 2014 में मुकदमा शुरू किया गया था, जिसमें अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने 31 अक्टूबर 2017 को रतीश को आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी, जिसे उसने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।

उच्च न्यायालय ने मार्च 2018 में निचली अदालत से मिली सजा पर रोक लगाते हुए उसे जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था, साथ ही कुछ शर्तें भी लगायी थी।

रतीश एक बार फिर उस वक्त सुर्खियों में आया था जब एक फिल्म के सेट पर उग्र प्रदर्शन करने में उसका नाम भी शामिल किया गया।

उसके बाद राज्य सरकार और राजन ने जमानत निरस्त करने की अपील उच्च न्यायालय से की थी और गत 18 मार्च को उसकी जमानत निरस्त कर दी गयी थी, जिसे उसने शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी।

शीर्ष अदालत की अवकाशकालीन खंडपीठ ने आज रतीश की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत की दलीलें सुनने के बाद उच्च न्यायालय का आदेश निरस्त कर दिया।

मध्यप्रदेश मंत्रिमंडल के अनेक निर्णय;राज्य निर्वाचन आयोग के पदों का प्रवर्तन,SDRF मद से भुगतान स्वीकृति,मुख्यमंत्री सहायता कोष के ₹43 करोड़ से अधिक राशि का अनुमोदन attacknews.in

भोपाल 8 जून ।मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आज मंत्रालय में हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में राज्य निर्वाचन आयोग मुख्यालय के 21 पद एवं जिला स्तर के 255 पद इस प्रकार कुल-276 अस्थायी पदों का प्रवर्तन एक मार्च 2021 से 28 फरवरी 2022 तक की अवधि के लिए किये जाने का निर्णय लिया गया।

एस.डी.आर.एफ मद से भुगतान स्वीकृति

मंत्रि-परिषद ने निर्णय लिया कि कोविड-19 के संक्रमण के दौरान तात्कालिक आवश्यकता के कारण ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न राज्यों से रेल व वायुयान से मेडिकल ऑक्सीजन टैंकर के परिवहन व्यय तथा विभिन्न माध्यमों से किराये पर लिये गये क्रायोजनिक टैंकर्स के केरियर्स के किराये का भुगतान राज्य शासन द्वारा वहन किया जाये और इस भुगतान की स्वीकृति एस.डी.आर.एफ मद से की जाये।

मुख्यमंत्री सहायता कोष के 43 करोड़ रूपये से अधिक राशि का अनुमोदन

मंत्रि-परिषद ने प्रदेश को मेडिकल ऑक्सीजन उत्पादन के क्षेत्र में आत्म-निर्भर बनाने के लिए ऑक्सीजन संयंत्रों की स्थापना, रेमडेसिविर इंजेक्शन और लीपोसोमल एमफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की आवश्यकता को देखते हुए सीधे क्रय करने के दृष्टिगत आपदा प्रबंधन अधिनियम के अंतर्गत गठित कार्यकारिणी समिति द्वारा दिए गये निर्णयानुसार 43 करोड़ 78 लाख रूपये की व्यवस्था मुख्यमंत्री सहायता कोष से करने के निर्णय पर कार्योत्तर अनुमोदन दिया।

गैरतगंज में आई.टी.आई. स्थापना की स्वीकृति

तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार विभाग के अन्तर्गत नये शासकीय आईटीआई की स्थापना विधानसभा क्षेत्र रायसेन के अंतर्गत विकासखण्ड गैरतगंज में स्वीकृत की गई है। इस आईटीआई की स्थापना, संचालन एवं उन्नयन के लिये 14 करोड़ 13 लाख रूपये संभावित व्यय होगा। इस आईटीआई के लिए कुल 30 पदों के सृजन की मंजूरी दी गई।

सूचकांक में छूट

मंत्रि-परिषद ने निर्णय लिया कि नर्मदा घाटी विकास परियोजनाओं में सूचकांक में छूट उन निविदाओं के लिये दी गई है, जिनकी स्वीकृति विचाराधीन है। अन्य परियोजनाओं के लिये जिनकी निविदाएँ प्राप्त नहीं हुई है या आमंत्रित नहीं की गई है, उनके लिये सूचकांक में आवश्यक छूट का प्रस्ताव मंत्रि-परिषद में यथासमय प्रस्तुत किये जायेंगे।

सिंचाई परियोजना

मंत्रि-परिषद ने मोहगांव मध्यम सिंचाई परियोजना की 2950 हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र के लिए 134 करोड़ 59 लाख रूपये की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति दी।

मध्यप्रदेश सरकार ने नगरीय निकायों के विभिन्न करों के अधिभार में 100% तक की छूट देने का निर्णय लिया,यह छूट ब्याज, स्टॉम्प ड्यूटी, मूल कर, मूल उपभोक्ता प्रभार अथवा मूल भू-भाटक/किराये पर लागू नहीं होगी attacknews.in

भोपाल 8 जून ।नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह ने बताया है कि वैश्विक महामारी कोरोना के कारण रोजगार-धंधे सहित अन्य क्षेत्रों में आयी गिरावट के कारण नागरिकों द्वारा नगरीय निकायों के करों एवं उपभोक्ता प्रभारों के भुगतान में कठिनाई महसूस की जा रही है।

उन्होंने कहा है कि इन परिस्थितियों के मद्देनजर विभिन्न करों के अधिभार में छूट देने का निर्णय लिया गया है। श्री सिंह ने बताया है कि कोरोना की प्रथम लहर के दौरान भी इस तरह की छूट नागरिकों को दी गयी थी।

संपत्तिकर के ऐसे प्रकरण जिनमें कर तथा अधिभार की राशि 50 हजार रूपये तक बकाया होगी उनमें मात्र अधिभार में 100 प्रतिशत की छूट मिलेगी। संपत्तिकर के ऐसे प्रकरण जिनमें कर तथा अधिभार की राशि एक लाख रूपये तक बकाया होगी उनमें मात्र अधिभार में 50 प्रतिशत और संपत्तिकर के ऐसे प्रकरण जिनमें कर तथा अधिभार की राशि एक लाख रूपये से अधिक बकाया होगी उनमें मात्र अधिभार में 25 प्रतिशत की छूट मिलेगी।

31 जुलाई तक कर जमा करने पर अप्रैल से जून तक का नहीं लगेगा अधिभार

कोविड-19 संक्रमण की रोकथाम के दृष्टिगत प्रदेश के अधिकांश जिलो में अप्रैल और मई, 2021 में कोरोना कर्फ्यू व विभिन्न प्रकार के प्रतिबंध लगाए गए हैं। इसके कारण प्रदेश के शहरों में निवासरत नागरिकों को नगरीय निकायों के विभिन्न करों एवं उपभोक्ता प्रभार आदि का भुगतान समय पर करने में कठिनाई हुई है और इसके परिणामस्वरूप उक्त करों एवं उपभोक्ता प्रभारों पर अधिभार (सरचार्ज) आदि देय हो गए हैं।

नागरिकों के हितों को दृष्टिगत रखते हुए राज्य शासन द्वारा निर्णय लिया गया है कि ऐसे नागरिक जो 31 जुलाई, 2021 तक नगरीय निकायों को कर एवं उपभोक्ता प्रभार आदि का भुगतान करेंगे, उन्हें 3 माह अप्रैल से जून, 2021 तक की अवधि के अधिभार (सरचार्ज) नहीं देने होंगे।

नगरीय निकायों द्वारा व्ययन की गयी परिसंपत्तियों के भू-भाटक/किराये के ऐसे प्रकरण जिनमें अधिभार सहित कुल देय राशि 20 हजार रूपये तक बकाया होगी उनमें मात्र अधिभार में 100 प्रतिशत की छूट, नगरीय निकायों द्वारा व्ययन की गयी परिसंपत्तियों के भू-भाटक/किराये के ऐसे प्रकरण जिनमें अधिभार सहित कुल देय राशि 20 हजार से 50 हजार रूपये तक बकाया होगी उनमें मात्र अधिभार में 50 प्रतिशत और नगरीय निकायों द्वारा व्ययन की गयी परिसंपत्तियों के भू-भाटक/किराये के ऐसे प्रकरण जिनमें अधिभार सहित कुल देय राशि 50 हजार से अधिक बकाया होगी उनमें मात्र अधिभार में 25 प्रतिशत की छूट मिलेगी।

जल उपभोक्ता प्रभार/जलकर के ऐसे प्रकरण जिनमें कर तथा अधिभार की राशि 10 हजार रूपये तक बकाया होगी उनमें मात्र अधिभार में 100 प्रतिशत की छूट, जल उपभोक्ता प्रभार/जलकर के ऐसे प्रकरण जिनमें कर तथा अधिभार की राशि 10 हजार से अधिक तथा 50 हजार तक बकाया होगी उनमें मात्र अधिभार में 75 प्रतिशत की छूट और जल उपभोक्ता प्रभार/जलकर के ऐसे प्रकरण जिनमें कर तथा अधिभार की राशि 50 हजार से अधिक बकाया होगी उनमें मात्र अधिभार में 50 प्रतिशत की छूट दी जायेगी।

छूट ऐसे करदाता/नागरिकों को प्राप्त होगी जो 31 अगस्त 2021 तक लंबित देय राशि का भुगतान करेंगे। यह छूट मात्र अधिभार पर लागू होगी तथा ब्याज, स्टॉम्प ड्यूटी, मूल कर, मूल उपभोक्ता प्रभार अथवा मूल भू-भाटक/किराये पर लागू नहीं होगी।

मध्यप्रदेश के निजी स्कूलों में निःशुल्क प्रवेश के लिये आवेदन 10 जून से प्रारंभ,अंतिम तिथि 30 जून तक, ऑनलाइन प्रवेश के लिये लाटरी 6 जुलाई को, विगत सत्र में पात्र रहे बच्चों को भी मिलेगा निःशुल्क प्रवेश का अवसर attacknews.in

कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों को ऑनलाइन लॉटरी में प्राथमिकता

भोपाल 8 जून ।शिक्षा का अधिकार कानून के तहत, सत्र 2021-22 में प्रायवेट स्कूलों की प्रथम कक्षा में निःशुल्क प्रवेश के लिये ऑनलाइन आवेदन 10 जून 2021 से किए जा सकेंगे। ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 30 जून 2021 निर्धारित की गई है। इस संबंध में आर.टी.ई पोर्टल www.educationportal.mp.gov.in/Rte Portal पर ऑनलाइन आवेदन-पत्र का प्रारूप उपलब्ध कराया गया है।

पात्रतानुसार निजी विद्यालय में निःशुल्क प्रवेश के लिए आवेदकों का चयन, ऑनलाइन लॉटरी के माध्यम से 6 जुलाई 2021 को किया जायेगा। इस वर्ष की निःशुल्क प्रवेश प्रक्रिया में कोविड-19 से माता-पिता या अभिभावक की मृत्यु के कारण अनाथ हुए बच्चों को ऑनलाइन लॉटरी में प्राथमिकता दी जायेगी। संचालक, राज्य शिक्षा केन्द्र श्री धनराजू एस ने इस संबंध में समय-सारणी जारी करते हुए सभी ज़िला कलेक्टर्स एवं अन्य अधिकारियों को विस्तृत निर्देश दिये हैं। निर्देश और समय-सारणी आर.टी.ई पोर्टल पर भी उपलब्ध हैं।

समय-सारणी के अनुसार, वंचित समूह एवं कमजोर वर्ग के आवेदक अपना आवेदन ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से 10 से 30 जून 2021 तक जमा कर पंजीयन कर सकते हैं। फार्म के साथ पात्रता संबंधित कोई भी एक दस्तावेज अपलोड किया जाना होगा। ऑनलाइन आवेदन के बाद आवेदकों को इसी अवधि में दस्तावेजों का सत्यापन संबंधित संकुल केन्द्र वाले स्कूल में अधिकृत सत्यापनकर्ता अधिकारी से करवाना होगा। आवेदक ने आर.टी.ई. में निःशुल्क प्रवेश के लिये जिस केटेगरी या निवास क्षेत्र के माध्यम से प्रवेश चाहा है, उस केटेगरी और निवास प्रमाण का सत्यापन, संबंधित मूल प्रमाण-पत्र से किया जायेगा। लाटरी के पूर्व ही दस्तावेज सत्यापन हो जाने से आवेदकों को स्कूल आवंटित होने के बाद दस्तावेजों की त्रुटि या अभाव में, एडमिशन निरस्त होने की समस्या उत्पन्न नहीं होगी।

ऑनलाइन आवेदन करने में कोई समस्या या कठिनाई होने की स्थिति में संबधित विकासखंड के बीआरसी कार्यालय में संपर्क किया जा सकता है। एन.आई.सी. द्वारा 6 जुलाई 2021 को पारदर्शी तरीके से ऑनलाइन लॉटरी के माध्यम से छात्रों को निजी स्कूलों में सीट का आवंटन किया जायेगा। लॉटरी प्रक्रिया के बाद आवंटित सीट की जानकारी आवेदक को उसके पंजीकृत मोबाइल नंबर पर एसएमएस के माध्यम से दी जायेगी। ऑनलाइन लॉटरी की सूची आर.टी.ई. पोर्टल पर भी उपलब्ध रहेगी। साथ ही स्कूल आवंटन की जानकारी बीआरसीसी कार्यालय के सूचना पटल पर भी दर्शित की जायेगी।

किसी आवेदक को आवेदन प्रारुप प्राप्त करने अथवा जमा करने में कोई दिक्कत हो या उन स्कूलों की जानकारी चाहिए हों, जहाँ सीटें खाली हैं, तो आर.टी.ई. पोर्टल, जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय, सर्व शिक्षा अभियान के ज़िला परियोजना कार्यालय अथवा विकासखण्ड स्रोत केन्द्र कार्यालय में संपर्क किया जा सकता है।

नर्सरी, के.जी.-1 और के.जी-2 कक्षाओं में प्रवेश के लिये न्यूनतम आयु 3 से 5 वर्ष और कक्षा-1 मे प्रवेश के लिये न्यूनतम आयु 5 वर्ष से अधिकतम 7 वर्ष तक निर्धारित की गयी है। आयु के संबंध में मूल प्रति से मिलान न करने की स्थिति में अथवा मूल प्रति प्रस्तुत न करने की स्थिति में आवेदक को अपात्र माना जायेगा।

सत्र 2021-22 में प्रवेश के लिये आवेदक की आयु की गणना 16 जून 2021 की स्थिति में की जायेगी। आवेदक द्वारा जन्म प्रमाण-पत्र में अंकित तिथि ही ऑनलाइन आवेदन में दर्ज की जाये।

सत्र 2021-22 में नि:शुल्क प्रवेश के लिये समय-सारणी

क्र. गतिविधियाँ समय-सीमा

1.पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन एवं त्रुटि सुधार के लिये विकल्प

10 से 30 जून तक

2.ऑनलाइन आवेदन के बाद पोर्टल से पावती 2 प्रति में डाउनलोड कर मूल दस्तावेजों से निकट के सत्यापन केन्द्र (शासकीय जनशिक्षा केन्द्र) में सत्यापनकर्ता अधिकारियों से सत्यापन कराना।

सत्यापन अधिकारी द्वारा मूल दस्तावेजों से सत्यापन किया जायेगा एवं सत्यापन अधिकारी द्वारा मोबाइल एप के माध्यम से सत्यापन किया जायेगा। आवेदक का सत्यापन केन्द्र पर ही सत्यापन एप पर दर्ज किया जायेगा।

सत्यापन पंजीयन के बाद आवेदक के पंजीकृत मोबाइल नम्बर पर पात्र या अपात्र होने संबंधी एसएमएस भेजा जायेगा। सत्यापन के बाद यदि आवेदक को अपात्र किया गया है, तो एसएमएस में अपात्र किये जाने का कारण भी प्रदर्शित होगा।

14 जून से 1 जुलाई, 2021 तक

3.रेण्डम पद्धति से ऑनलाइन लॉटरी द्वारा स्कूल का आवंटन एवं चयनित आवेदकों को एसएमएस द्वारा सूचना

6 जुलाई, 2021

4.जिस बच्चे को ऑनलाइन लॉटरी के माध्यम से स्कूल आवंटन हुआ है, उसके द्वारा पोर्टल से आवंटन-पत्र डाउनलोड कर आवंटित स्कूल में प्रवेश के लिये उपस्थित होकर प्रवेश प्राप्त करना। प्रवेश लेते समय ही संबंधित अशासकीय स्कूल द्वारा मोबाइल एप के माध्यम से एडमिशन रिपोर्टिंग करने पर पोर्टल द्वारा आवेदक के पंजीकृत मोबाइल पर एसएमएस प्राप्त होना। एडमिशन लेने के 15 दिवस में बच्चे का आधार सत्यापन करना अनिवार्य है।

6 जुलाई से 16 जुलाई, 2021 तक

  1. द्वितीय चरण लॉटरी के लिये रिक्त सीटों को पोर्टल पर प्रदर्शित किया जाना।

19 जुलाई, 2021

6.द्वितीय चरण के लिये स्कूलों की च्वाइस को अपडेट किया जाना

19 जुलाई से 25 जुलाई, 2021

7.द्वितीय चरण से ऑनलाइन लॉटरी द्वारा स्कूल का आवंटन

28 जुलाई, 2021

8.जिस बच्चे को ऑनलाइन लॉटरी के माध्यम से स्कूल आवंटन हुआ है, उसके द्वारा पोर्टल से आवंटन-पत्र डाउनलोड कर आवंटित स्कूल में प्रवेश के लिये उपस्थित होकर प्रवेश प्राप्त करना। प्रवेश लेते समय ही संबंधित अशासकीय स्कूल द्वारा मोबाइल एप के माध्यम से एडमिशन रिपोर्टिंग दर्ज करना अनिवार्य है। संबंधित अशासकीय स्कूल द्वारा एडमिशन रिपोर्टिंग करने पर पोर्टल द्वारा आवेदक के पंजीकृत मोबाइल पर एसएमएस प्राप्त होना। एडमिशन लेने के 15 दिवस में बच्चे का आधार सत्यापन करना अनिवार्य है।

28 जुलाई से 7 अगस्त, 2021 तक

सत्र 2020-21 की रिक्त सीटों पर निःशुल्क प्रवेश के लिये जानकारी

कोविड-19 के कारण शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधान के तहत सत्र 2020-21 के प्रवेश नही हो पाये थे, परन्तु आरटीई प्रावधान के तहत जो बच्चे आयु अनुरूप सत्र 2020-21 के लिये पात्र थे, उन पात्र बच्चों को इस योजना का लाभ हो सके, इसे ध्यान में रखते हुए जिन आवेदकों द्वारा सत्र 2020-21 के लिये आवेदन किये जायेंगे, उनकी आयु की गणना 16 जून 2020 की स्थिति से की जायेगी।

सत्र 2020-21 के लिए आवेदन करने की स्थिति में आवेदक/अभिभावक के लिये यह स्पष्ट किया गया है कि उक्त सत्र में बच्चे को आवटित कक्षा नोशनल (Notional) होगी। यानी प्रवेशित बच्चा, वास्तविक रूप से प्रवेश की अगली कक्षा में पढ़ेगा।

सत्र 2020-21 की कक्षाओं में प्रवेश हेतु समय सारणी

क्र. गतिविधियाँ समय-सीमा

1.पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन एवं त्रुटि सुधार के लिये विकल्प

7 से 20 जुलाई, 2021 तक

2.ऑनलाइन आवेदन के बाद पोर्टल से पावती 2 प्रति में डाउनलोड कर मूल दस्तावेजों से सत्यापन केन्द्रों में सत्यापनकर्ता अधिकारियों से सत्यापना करना।

सत्यापन अधिकारी द्वारा मूल दस्तावेजों से सत्यापन किया जायेगा और सत्यापन अधिकारी द्वारा मोबाइल एप के माध्यम से सत्यापन किया जायेगा। आवेदक का सत्यापन केन्द्र पर ही सत्यापन एप पर दर्ज किया जायेगा।

सत्यापन पंजीयन के बाद आवेदक के पंजीकृत मोबाइल नम्बर पर पात्र/अपात्र होने संबंधी एसएमएस भेजा जायेगा। सत्यापन के बाद यदि आवेदक को अपात्र किया गया है, तो एसएमएस में अपात्र किये जाने का कारण भी प्रदर्शित होगा।

8 से 21 जुलाई, 2021 तक

3.रेण्डम पद्धति से ऑनलाइन लॉटरी द्वारा स्कूल का आवंटन एवं चयनित आवेदकों को एसएमएस द्वारा सूचना

26 जुलाई, 2021

4.जिस बच्चे को ऑनलाइन लॉटरी के माध्यम से स्कूल आवंटन हुआ है, उसके द्वारा पोर्टल से आवंटन-पत्र डाउनलोड कर आवंटित स्कूल में प्रवेश के लिये उपस्थित होकर प्रवेश प्राप्त करना। प्रवेश लेते समय ही संबंधित अशासकीय स्कूल द्वारा मोबाइल एप के माध्यम से एडमिशन रिपोर्टिंग दर्ज करना अनिवार्य है। संबंधित अशासकीय स्कूल द्वारा एडमिशन रिपोर्टिंग करने पर पोर्टल द्वारा आवेदक के पंजीकृत मोबाइल पर एसएमएस प्राप्त होना। एडमिशन लेने के 15 दिवस में बच्चे का आधार सत्यापन करना अनिवार्य है।

26 जुलाई से 7 अगस्त, 2021 तक

चुनाव सुधारों की प्रक्रिया तेज : हलफनामे में गलत जानकारी देने पर 2 साल सजा का प्रावधान,6 साल चुनाव लड़ने पर रोक, पेड न्यूज’ बनेगा अपराध, मतदान के दिन विज्ञापनों पर रोक का भी प्रस्ताव attacknews.in

नयी दिल्ली, आठ जून । मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा ने कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी देने के लिए दो साल की जेल के प्रावधान समेत कई चुनाव सुधारों से संबंधित प्रस्तावों पर तेज गति से कदम उठाए जाएं।

चंद्रा ने बताया, ‘‘मैंने कानून मंत्री को लिखा है कि इन प्रस्तावों पर तेज गति से कदम उठाए जाएं और आशा करता हूं कि इन पर मंत्रालय की ओर से जल्द विचार किया जाएगा।’’

निर्वाचन आयोग ने जिन चुनावों सुधारों के प्रस्ताव दिए है उनमें एक मुख्य प्रस्ताव चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी देने पर छह महीने जेल की सजा को बढ़ाकर दो साल करने के प्रावधान से संबंधित है। दो साल की सजा होने पर संबंधित उम्मीदवार के चुनाव लड़ने पर छह साल तक की रोक लग जाएगी।

चंद्रा का कहना है, ‘‘मौजूदा समय में छह महीने की जेल का प्रावधान है जिससे किसी को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता।’’

आयोग ने यह प्रस्ताव भी दिया है कि ‘पेड न्यूज’ को जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत अपराध बनाया जाए और इसके लिए ठोस प्रतिरोध के प्रावधान किए जाए।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने याद दिलाया कि आयोग ने चुनाव प्रचार के खत्म होने और मतदान के दिन के बीच वाले समय ‘साइलेंट पीरियड’ के दौरान अखबारों में राजनीतिक विज्ञापनों पर रोक लगाने का भी प्रस्ताव दिया है ताकि मतदाता प्रभावित नहीं हो और खुले मन से अपने मताधिकार का उपयोग करे।

इस कदम के लिए जन प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन की जरूरत होगी।

मतदान से 48 घंटे पहले प्रचार के संदर्भ में कानूनों के बदलावों के लिए प्रस्ताव देने के मकसद से गठित समिति ने सिफारिश की थी कि मतदान वाले दिन अखबारों में विज्ञापन दिए जाने पर रोक लगाई जाए।

फिलहाल, मतदान संपन्न होने से पहले 48 घंटों के दौरान प्रचार सामग्री दिखाने पर इलेक्ट्रानिक मीडिया को प्रतिबंधित किया गया है। परंतु समिति ने सिफारिश की है कि अखबारों को भी इस रोक के दायरे में लाया जाए।

चंद्रा ने कहा कि एक और प्रस्ताव मतदाता सूची को आधार से जोड़ने का है ताकि एक से अधिक स्थान पर मतदाता सूचियों में नाम पर रोक लग सके।

कानून मंत्री प्रसाद ने हाल ही में लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा था कि चुनाव आयोग का प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन है और इसके लिए चुनाव कानूनों में संशोधन करना होगा।

कोविड-19 टीकाकरण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों का समाधान यहां विशेषज्ञों ने किया हैं कि, कोरोना का टीका कौन लगवा सकता है और कौन नहीं? attacknews.in

क्या एलर्जी वाले लोगों को टीका लगाया जा सकता है?

क्या गर्भवती महिलाएं कोविड 19 का टीका लगवा सकती हैं? स्तनपान कराने वाली माताएं भी लगवा सकती हैं?

क्या टीका लगवाने के बाद मुझमें पर्याप्त एंटीबॉडी बन जाती हैं?

क्या वैक्सीन का इंजेक्शन लगने के बाद रक्त का थक्का बनना सामान्य है?

अगर मुझे कोविड संक्रमण हो गया है, तो कितने दिनों के बाद मैं टीका लगवा सकता हूं?

ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो कोविड टीकाकरण के बारे में लोग अक्सर उठाते हैं। डॉ. वी के पॉल, सदस्य (स्वास्थ्य), नीति आयोग, और डॉ. रणदीप गुलेरिया, निदेशक, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ने रविवार 6 जून को डीडी न्यूज पर एक विशेष कार्यक्रम में कोविड-19 टीकों के बारे में लोगों की विभिन्न शंकाओं का समाधान किया।

सही तथ्यों और सूचनाओं की जानकारी के लिए इसे पढ़ें, और संक्रमण से सुरक्षित रहें।

इसके अलावा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी अक्सर पूछे जाने वाले अन्य प्रश्नों के भी उत्तर दिये हैं

क्या एलर्जी वाले लोगों को टीका लगाया जा सकता है?

डॉ. पॉल: अगर किसी को एलर्जी की गंभीर समस्या है, तो डॉक्टरी सलाह के बाद ही कोविड का टीका लगवाना चाहिए। हालांकि, अगर यह केवल मामूली एलर्जी – जैसे सामान्य सर्दी, त्वचा की एलर्जी आदि का सवाल है, तो टीका लेने में संकोच नहीं करना चाहिए।

डॉ. गुलेरिया: एलर्जी की पहले से दवा लेने वालों को इन्हें रोकना नहीं चाहिए, टीका लगवाते समय नियमित रूप से दवा लेते रहना चाहिए। यह भी जानना महत्वपूर्ण है कि टीकाकरण के कारण उत्पन्न होने वाली एलर्जी के प्रबंधन के लिए सभी टीकाकरण स्थलों पर व्यवस्था की गई है। अतः हम सलाह देते हैं कि यदि आपको गंभीर एलर्जी हो, तो भी आप दवा लेते रहें और जाकर टीकाकरण लगवाएं।

क्या गर्भवती महिलाएं कोविड-19 का टीका लगवा सकती हैं?

डॉ पॉल: हमारे वर्तमान दिशानिर्देशों के अनुसार गर्भवती महिलाओं को टीका नहीं लगाया जाना चाहिए। इसका कारण यह है कि डॉक्टरों और वैज्ञानिक समुदाय द्वारा टीका परीक्षणों से उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर अभी गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण की सिफारिश करने का निर्णय नहीं लिया जा सका है। हालांकि, भारत सरकार नए वैज्ञानिक जानकारी के आधार पर कुछ दिनों में इस स्थिति को स्पष्ट करेगी।

यह पाया जा रहा है कि गर्भवती महिलाओं के लिए कई कोविड-19 टीके सुरक्षित पाए जा रहे हैं; हमें उम्मीद है कि हमारे दो टीकों के लिए भी रास्ता खुल जाना चाहिए। हम जनता से थोड़ा और धैर्य रखने का अनुरोध करते हैं, विशेष रूप से यह देखते हुए कि टीके बहुत कम समय में विकसित किए गए हैं, और गर्भवती महिलाओं को आमतौर पर सुरक्षा चिंताओं के कारण प्रारंभिक परीक्षणों में शामिल नहीं किया जा रहा है।

डॉ. गुलेरिया: कई देशों ने गर्भवती महिलाओं के लिए टीकाकरण शुरू कर दिया है। अमरीका के एफडीए ने फाइजर और मॉडर्ना के टीकों को इसके लिए मंजूरी दे दी है। कोवेक्सीन और कोविशील्ड से संबंधित आंकड़े भी जल्द आएंगे; कुछ डेटा पहले से ही उपलब्ध है, और हम आशा करते हैं कि कुछ दिनों में, हम पूर्ण आवश्यक आंकड़े प्राप्त करने और भारत में भी गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण को मंजूरी देने में सफल होंगे।

क्या स्तनपान कराने वाली माताएं कोविड-19 टीका लगवा सकती हैं?

डॉ पॉल: इस बारे में बहुत स्पष्ट दिशानिर्देश है कि टीका स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए बिल्कुल सुरक्षित है। किसी प्रकार के भय की कोई आवश्यकता नहीं है। टीकाकरण से पहले या बाद में स्तनपान न कराने की कोई आवश्यकता नहीं है।

क्या टीका लगवाने के बाद मुझमें पर्याप्त एंटीबॉडी बन जाती हैं?

डॉ. गुलेरिया: यह समझना महत्वपूर्ण है कि हमें टीकों की प्रभावशीलता का आकलन केवल उससे उत्पन्न होने वाली एंटीबॉडी की मात्रा से नहीं करना चाहिए। टीके कई प्रकार की सुरक्षा प्रदान करते हैं – जैसे एंटीबॉडी, कोशिका-मध्यस्थ प्रतिरक्षा तथा स्मृति कोशिकाओं के माध्यम से (जो हमारे संक्रमित होने पर अधिक एंटीबॉडी उत्पन्न करते हैं)। इसके अलावा, अब तक जो प्रभावोत्पादकता परिणाम सामने आए हैं वे परीक्षण अध्ययनों पर आधारित हैं, जहां प्रत्येक परीक्षण का अध्ययन डिजाइन कुछ अलग है।

अब तक उपलब्ध आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि सभी टीकों के प्रभाव – चाहे कोवेक्सीन यो, कोविशील्ड हो या स्पूतनिक वी हो कमोबेश बराबर हैं। इसलिए हमें यह नहीं कहना चाहिए कि यह टीका या वह टीका, जो भी टीका आपके क्षेत्र में उपलब्ध है, कृपया आगे बढ़ें और अपना टीकाकरण कराएं ताकि आप और आपका परिवार सुरक्षित रहे।

डॉ. पॉल: कुछ लोग टीकाकरण के बाद एंटीबॉडी परीक्षण करवाने की सोच रहे लगते हैं। लेकिन इसकी आवश्यकता नहीं है क्योंकि अकेले एंटीबॉडी किसी व्यक्ति की प्रतिरक्षा का संकेत नहीं देते। ऐसा टी-कोशिकाओं या स्मृति कोशिकाओं के कारण होता है; जब हम टीका लगवाते हैं तो इनमें कुछ परिवर्तन होते हैं, वे मजबूत हो जाते हैं और प्रतिरोधक क्षमता प्राप्त कर लेते हैं। और टी-कोशिकाओं का एंटीबॉडी परीक्षणों से पता नहीं चलता क्योंकि वे अस्थि मज्जा में पाए जाते हैं। अतः हमारी अपील है कि टीकाकरण से पहले या बाद में एंटीबॉडी परीक्षण करने की प्रवृत्ति में न पड़ें। जो टीका उपलब्ध है उसे लगवाएं, दोनों खुराक सही समय पर लें और कोविड उपयुक्त आचरण का पालन करें। साथ ही, लोगों को यह गलत धारणा भी नहीं बनानी चाहिए कि यदि आपको कोविड-19 हो चुका है तो वैक्सीन की आवश्यकता नहीं है।

क्या वैक्सीन का इंजेक्शन लगने के बाद रक्त का थक्का बनना सामान्य है?

डॉ पॉल: इस जटिलता के कुछ मामले सामने आए हैं, खासकर एस्ट्रा-जेनेका वैक्सीन के संबंध में। यह जटिलता यूरोप में हुई, जहां यह जोखिम उनकी जीवनशैली, शरीर और आनुवंशिक संरचना के कारण उनकी युवा आबादी में कुछ हद तक मौजूद पायी गई। लेकिन, मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमने भारत में इन आंकड़ों की व्यवस्थित रूप से जांच की है और पाया है कि रक्त के थक्के जमने की ऐसी घटनाएं यहां लगभग नगण्य हैं – इतनी नगण्य कि किसी को इसके बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। यूरोपीय देशों में, ये जटिलताएं हमारे देश की तुलना में लगभग 30 गुना अधिक पाई गईं है।

डॉ. गुलेरिया: यह पहले भी देखा गया है कि सर्जरी के बाद रक्त का थक्का बनना भारतीय आबादी में अमेरिका और यूरोपीय आबादी की तुलना में कम होता है। वैक्सीन प्रेरित थ्रोम्बोसिस या थ्रोम्बोसाइटोपेनिया नाम का यह दुष्प्रभाव भारत में बहुत दुर्लभ है, जो यूरोप की तुलना में बहुत कम अनुपात में पाया जाता है। इसलिए इससे डरने की जरूरत नहीं है। इसके लिए उपचार भी उपलब्ध हैं, जिन्हें जल्दी निदान होने पर अपनाया जा सकता है।

अगर मुझे कोविड संक्रमण हो गया है, तो कितने दिनों के बाद मैं टीका लगवा सकता हूं?

डॉ. गुलेरिया: नवीनतम दिशानिर्देशों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जिस व्यक्ति को कोविड-19 का संक्रमण हुआ है, वह ठीक होने के दिन से तीन महीने बाद टीका लगवा सकता है। ऐसा करने से शरीर को मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने में मदद मिलेगी और टीके का असर बेहतर होगा।

दोनों विशेषज्ञों – डॉ पॉल और डॉ गुलेरिया – ने जोर देकर आश्वस्त किया कि हमारे टीके आज तक भारत में देखे गए म्यूटेंट पर प्रभावी हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर चल रही अफवाहों को भी झूठी और निराधार बताया कि टीके लगने के बाद हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है या लोग टीके लगवाने के बाद मर जाते हैं जैसी कि ग्रामीण क्षेत्रों और दूरदराज के इलाकों में कुछ लोगों की गलत धारणा है।

मध्यप्रदेश में सोमवार को मिले 571 कोरोना के नए मरीज, 32 की मृत्यु:अबतक संक्रमितों की संख्या 7,85,767 और मृतकों की संख्या 8369 हुई attacknews.in

भोपाल, 07 जून ।मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले में राहत मिली है।प्रदेश भर में जांच किये गये 75 हजार से अधिक सैंपलों में मात्र 571 संक्रमित मिले हैं।

इसके साथ ही इस संक्रमित बीमारी से आज 32 लोगों की जान चली गयी।

राज्य के स्वास्थ्य संचालनालय की ओर से देर शाम जारी बुलेटिन के अनुसार आज 75,034 सैंपल की जांच में 571 लोग पॉजीटिव मिले है और 74463 लोगों की रिपोर्ट निगेटिव पाये गये।

हालाकि 144 सैंपल को रिजेक्टर कर दिया गया।

आज संक्रमण दर 0़ 7 प्रतिशत रही।

इस तरह राज्य में अब तक 7,85,767 व्यक्ति संक्रमित हो चुके हैं और इनमें से 7,68,538 व्यक्ति संक्रमण से निजात पाकर घर पहुंच चुके हैं।

वर्तमान स्थिति में एक्टिव केस (उपचाररत मरीज) की संख्या 6660 है।

आज 32 लोगों की मृत्यु दर्ज किए जाने के साथ ही अब तक 8369 संक्रमितों की मौत हुयी है।

वहीं आज राज्य भर से 1782 लोग संक्रमण से मुक्त होकर घर रवाना हुए।

राज्य के इंदौर में सबसे अधिक मामले 202 दर्ज किए गए।

इसके बाद भोपाल में 131, जबलपुर में 54, ग्वालियर में 12, उज्जैन में 10, रतलाम में 15, सागर में 8, रीवा में 7, खरगोन में 12, बैतूल में 12 और धार में 6 मामले दर्ज किए गए।

मध्यप्रदेश के लिए राहत की बात है कि कोरोना का कहर अब हर दिन कम होता जा रहा है।

प्रदेश की सरकार कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को ध्यान में रखते हुए उससे निपटने के लिए अभी से तैयारी में जुटी है।

कमलनाध का आरोप,मध्यप्रदेश के जनसम्पर्क विभाग को सरकार बेचने जा रही है, निजी कंपनी को शर्तों में मीडिया को खरीदने की भी दी गई जिम्मेदारी,विभाग की हजारों नौकरियां खतरे में attacknews.in

जनसम्पर्क विभाग को पंगु बनाकर, लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की निष्पक्ष आवाज़ को दबाने, उसे खरीदने की घृणित तैयारी कर रही है शिवराज सरकार ?

शिवराज सरकार की मीडिया की स्वतंत्र आवाज़ को दबाने-ख़रीदने की कोशिश कभी सफल नहीं होगी, देश के इतिहास में मीडिया की आवाज़ को आज तक कभी भी कोई ना दबा पाया है और ना ही ख़रीद पाया है ? – पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ

भोपाल 7 जून ।मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जारी अपने एक बयान में बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि मध्‍यप्रदेश की वर्तमान शिवराज सरकार मीडिया पर शिकंजा कसने, मीडिया की आवाज़ को दबाने, उसे ख़रीदने की खुलेआम अधिकारिक तैयारी कर रही है। लेकिन उसे यह नहीं पता कि मीडिया की स्वतंत्र आवाज़ को दबाने, ख़रीदने की उसकी कोशिश कभी सफल नहीं होगी। देश के इतिहास में आजतक मीडिया की आवाज़ को कभी कोई ना दबा पाया है और ना ख़रीद पाया है ?
इसके लिये जनसंपर्क विभाग को पंगु बनाकर, उसका सारा काम एक निजी एजेंसी को सौंपने की तैयारी गुपचुप तरीक़े से, ज़ोर-शोर से की जा रही है। सरकार ने इस निजी एजेंसी के लिए काम की जो सूची संबंधित प्रस्ताव में बनायी है। उसमें मीडिया को खरीदना भी शामिल किया गया है ?

उन्होंने कहा कि,प्रदेश में सौदेबाज़ी, बोली व ख़रीद फ़रोख़्त कर सत्ता पर क़ाबिज़ वर्तमान शिवराज सरकार वैसे तो पहले दिन से ही मीडिया पर शिकंजा कसने, उसे दबाने की कोशिश में लगी हुई है। लेकिन देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि किसी पीआर एजेंसी को ठेका देने की आधिकारिक शर्तों में मीडिया को खरीदने की बात शामिल की गई है ?

उन्होंने कहा कि,प्रदेश सरकार के जनसंपर्क संचालनालय ने इस वर्ष मार्च में पीआर मैनेजमेंट और कंटेट क्रिएशन के लिए एक निजी एजेंसी को ठेका देने का प्रस्‍ताव जारी किया है।प्रस्ताव की शर्तों के तहत कम से कम 50 करोड़ रुपये सालाना का कारोबार करने वाली कंपनी इस काम के लिए आवेदन कर सकती है। अगर कंपनी का टर्नओवर कम है तो अधिकतम तीन कंपनियां मिलकर एक कंसोर्शियम बना कर आवेदन कर सकती हैं।

उन्होंने कहा कि,निजी एजेंसी को यह काम देने के बाद जनसंपर्क संचालनालय का तकरीबन पूरा काम, जनसंपर्क विभाग से हटकर इस कंपनी के पास चला जाएगा ? कंपनी को ठेका मिलने के बाद पूरे प्रदेश में तैनात योग्‍य जनसंपर्क अधिकारियों के पास असल में कोई काम ही नहीं बचेगा ? अखबारों की कतरन काटना, मुख्‍यमंत्री और सरकार की नीतियों के लिए विज्ञापन और विज्ञप्ति तैयार करना, इंवेंट आयोजित करना, मीडिया संस्थानो से संपर्क करना, मीडिया में प्रकाशित समाचारों की समीक्षा तक का काम निजी एजेंसी को दिया जा रहा है ? इस निर्णय से जनसंपर्क विभाग में तैनात कर्मचारी व अधिकारियों की नौकरी पर भी संकट आ जायेगा और विभाग में पहले से ही खाली पदों पर योग्‍य युवाओं की भर्ती का रास्‍ता भी बंद हो जाएगा ?

उन्होंने कहा कि निजी कंपनी को काम देने के प्रस्‍ताव की शर्तों पर यदि गौर किया जाये तो इसमें प्रदेश सरकार खुद को एक कॉर्पोरेट की तरह पेश कर रही है ? प्रस्‍ताव में बार-बार यह उल्लेखित किया गया है कि यह निजी एजेंसी सरकार की ब्रांडिंग और मार्केटिंग करेगी ? ब्रांडिंग और मार्केटिंग तो रोज़ उपयोग में आने वाले घरेलू उत्‍पादों की, की जाती है, न कि जनता का प्रतिनिधित्‍व करने वाली सरकारो की ?

आपने बताया कि,यही नहीं प्रस्‍ताव में यह भी लिखा गया है कि यह एजेंसी नेगेटिव न्‍यूज को मॉनीटर करेगी और कोशिश करेगी कि निगेटिव न्‍यूज ही न छपे ? यानि सरकार के घोटाले, भ्रष्टाचार, असफलताएँ, नाकामी, जनता की समस्‍याओ को मीडिया में आने से रोकने का काम भी इस निजी एजेंसी का ही रहेगा ?

उन्होंने कहा कि मुझे प्राप्त जानकारी व प्रमाण सहित शिकायतों में इस प्रस्‍ताव का सबसे चौंकाने वाला बिंदु यह सामने आया है कि इस एजेंसी को मीडिया को खरीदने के काम का भी उल्लेख इसमें शामिल किया गया है ? इस बिंदु में स्पष्ट रूप से यह लिखा गया है कि “निजी एजेंसी की यह टीम मीडिया प्‍लानिंग और मीडिया मैनेजमेंट/ मीडिया को खरीदने में जनसंपर्क निदेशालय की मदद करेगी “ ? शायद भारत के इतिहास में इससे पहले किसी भी सरकार ने इतनी बेशर्मी से मीडिया को खरीदने की खुल्‍लम-खुल्‍ला आधिकारिक कोशिश आज तक नहीं की है ?

उन्होंने कहा कि,शिवराज सरकार का यह कदम जनसंपर्क विभाग को अपने राजनैतिक हितों व स्वार्थों के लिए एक प्राइवेट कंपनी में बदल देने का व लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की निष्पक्ष आवाज़ को पूरी तरह से कुचल देने का कुत्सित प्रयास स्पष्ट रूप से प्रतीत हो रहा है ? साथ ही यह कदम पत्रकारिता और जनसंपर्क संस्‍थानों में पढ़ रहे योग्‍य युवाओं को भविष्‍य में मिलने वाले सम्‍मानजनक रोजगार की संभावनाएं खत्‍म करने वाला भी है ?
प्रदेश के जनसंपर्क विभाग और स्वतंत्र, निष्पक्ष मीडिया संस्‍थानों के लिए भी यह खतरे की घंटी है ?

अजमेर की सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में नजराना (चढ़ावा) को लेकर दरगाह कमेटी, अंजुमन सैयद जादगान एवं अंजुमन शेख जादगान के बीच विवाद गहराया,मामला पुलिस की चौखट तक पहुंचा attacknews.in

अजमेर 07 जून । राजस्थान में अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में नजराना (चढ़ावा) को लेकर फिर विवाद सामने आया हैं।

दरगाह में नजराने को लेकर दरगाह कमेटी, अंजुमन सैयद जादगान एवं अंजुमन शेख जादगान के बीच शीत युद्ध चल रहा है और अब दरगाह कमेटी द्वारा पुलिस का दरवाजा भी खटखटाया गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार दरगाह परिसर में खादिम फैजल चिश्ती के कोरोना लॉकडाउन के बावजूद नजराना मांगने की बात सामने आई हैं। जिस पर दरगाह कमेटी ने कड़ा एतराज जताते हुए दोनों अंजुमनों को लिखित नोटिस भेज जवाब तलब किया है लेकिन फिलहाल दोनों अंजुमनों से वापसी में कोई जवाब नहीं दिया गया है लेकिन नाजिम अशफाक हुसैन ने नजराना प्राप्त करने का अधिकार दरगाह कमेटी का बताते हुए दरगाह पुलिस को पत्र की प्रति के साथ सूचना भेजी है और पूछा है कि दरगाह की सुरक्षा और पुलिस पहरे में चल रहे लॉकडाउन के बावजूद दरगाह में प्रवेश कैसे हो गया।

पिछले एक हफ्ते से दरगाह से लाइव जियारत एवं वीडियो अपलोड की बात सामने आने के बाद दरगाह कमेटी ने कड़ा एतराज दर्ज कराया था।

दोनों अंजुमन के पदाधिकारी भी दरगाह का वीडियो बनाने के सख्त खिलाफ है लेकिन अपने किसी खादिम के खिलाफ कार्यवाही नहीं की गई है।

दरगाह कमेटी ने अपने पत्र में स्पष्ट किया है कि खादिम फैजल ने दरगाह एक्ट 1955 का उल्लंघन कर अकीदतमंदों से नजराना प्राप्त करने का जो प्रयास किया है वह अधिकार सिर्फ दरगाह कमेटी को है।

दूसरी ओर दरगाह से जुड़े खादिमों का कहना है कि नाजिम का नोटिस खादिमों के अधिकार पर कुठाराघात है। दरगाह के अंदर नजराना लेने का अधिकार खादिमों का ही है।

उल्लेखनीय है कि नजराने के लिए दरगाह परिसर में अलग अलग रंग की पेटियां रखी हुई है और उसके अनुसार ही में नजराने का बंटवारा होता है लेकिन कोरोना के चलते लॉकडाउन के कारण फिलहाल दरगाह में जायरीनों के लिए प्रवेश बंद है।

छठी जेपीएससीः झारखंड उच्च न्यायालय ने झारखंड लोक सेवा आयोग की मेरिट लिस्ट को किया रद्द, नई मेरिट लिस्ट जारी करने का दिया आदेश attacknews.in

रांची, 07 जून ।झारखंड उच्च न्यायालय ने छठी जेपीएससी सिविल सेवा परीक्षा मेरिट लिस्ट को रद्द करते हुए झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) को आठ हफ्तों के भीतर नयी मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश दिया है।

उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसके द्विवेदी की अदालत में छठी जेपीएससी को लेकर 16 मामलों की सुनवाई हो रही थी। एकलपीठ सभी याचिकाओं को चार श्रेणियों में बांट कर सुनवाई कर रहा था और पिछले दिनों सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था और आज फैसला सुनाया गया।

अधिवक्ता अतृतांश वत्स ने बताया कि अदालत में सुमित कुमार ने जेपीएससी के न्यूनतम अंक के बिन्दु पर चुनौती दी थी। उस मामले में हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए मेरिट लिस्ट को निरस्त कर दिया और जेपीएससी को 8 सप्ताह के अंदर फिर से रिजल्ट निकाल कर नियुक्ति प्रक्रिया पूर्ण करने का आदेश दिया। साथ ही अन्य कई याचिका दायर थी, जो बिन्दुओं को लेकर उठायी गयी थी,उसे भी निरस्त कर दिया गया।

हाईकोर्ट में रिजल्ट को लेकर कई प्रार्थियों की ओर से दायर याचिका में अलग-अलग बिन्दु उठाये गये हैं। इसमें कहा गया है कि जेपीएससी ने अंतिम रिजल्ट जारी करने में नियमों की अनदेखी की है।

क्वालिफाइंग मार्क्स में कुल प्राप्तांक को जोड़े जाने को गलत बताया। प्रार्थियों का कहना है कि छठी जेपीएससी परीक्षा के पेपर वन (हिन्दी-अंग्रेजी) के क्वालिफाइंग अंक को कुल प्राप्तांक में जोड़ दिया गया, जबकि विज्ञापन की शर्ता के अनुसार अभ्यर्थियों को पेपर वन में सिर्फ क्वालिफाइंग अंक लाना था और इसे कुल प्राप्तांक में नहीं जोड़ा जाना था। इसके अलावा आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को गलत कैडर देने के आरोप से जुड़ी याचिका भी कोर्ट में दाखिल की गयी थी। कुछ प्रार्थियों ने आरक्षण नियम के उल्लंघन का मामला भी उठाया था। पूर्व में सुनवाई के दौरान अदालत ने छठी जेपीएससी की मुख्य परीक्षा में शामिल सभी अभ्यर्थियों की उत्तरपुस्तिका को सुरक्षित रखने का आदेश दिया था। मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थियों के अधिवक्ताओं ने जेपीएससी द्वारा जारी किये गये अंतिम परिणाम में कई खामियां बतायी थी, जबकि जेपीएससी के अधिवक्ता ने पूरी प्रक्रिया को नियमसंगत बताया था।
गौरतलब है कि छठी जेपीएससी परीक्षा का अंतिम रिजल्ट पिछले वर्ष अप्रैल में आया था और अधिकारियों की पोस्टिंग भी हो चुकी है।