Home / State / कमलनाध का आरोप,मध्यप्रदेश के जनसम्पर्क विभाग को सरकार बेचने जा रही है, निजी कंपनी को शर्तों में मीडिया को खरीदने की भी दी गई जिम्मेदारी,विभाग की हजारों नौकरियां खतरे में attacknews.in

कमलनाध का आरोप,मध्यप्रदेश के जनसम्पर्क विभाग को सरकार बेचने जा रही है, निजी कंपनी को शर्तों में मीडिया को खरीदने की भी दी गई जिम्मेदारी,विभाग की हजारों नौकरियां खतरे में attacknews.in

जनसम्पर्क विभाग को पंगु बनाकर, लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की निष्पक्ष आवाज़ को दबाने, उसे खरीदने की घृणित तैयारी कर रही है शिवराज सरकार ?

शिवराज सरकार की मीडिया की स्वतंत्र आवाज़ को दबाने-ख़रीदने की कोशिश कभी सफल नहीं होगी, देश के इतिहास में मीडिया की आवाज़ को आज तक कभी भी कोई ना दबा पाया है और ना ही ख़रीद पाया है ? – पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ

भोपाल 7 जून ।मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जारी अपने एक बयान में बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि मध्‍यप्रदेश की वर्तमान शिवराज सरकार मीडिया पर शिकंजा कसने, मीडिया की आवाज़ को दबाने, उसे ख़रीदने की खुलेआम अधिकारिक तैयारी कर रही है। लेकिन उसे यह नहीं पता कि मीडिया की स्वतंत्र आवाज़ को दबाने, ख़रीदने की उसकी कोशिश कभी सफल नहीं होगी। देश के इतिहास में आजतक मीडिया की आवाज़ को कभी कोई ना दबा पाया है और ना ख़रीद पाया है ?
इसके लिये जनसंपर्क विभाग को पंगु बनाकर, उसका सारा काम एक निजी एजेंसी को सौंपने की तैयारी गुपचुप तरीक़े से, ज़ोर-शोर से की जा रही है। सरकार ने इस निजी एजेंसी के लिए काम की जो सूची संबंधित प्रस्ताव में बनायी है। उसमें मीडिया को खरीदना भी शामिल किया गया है ?

उन्होंने कहा कि,प्रदेश में सौदेबाज़ी, बोली व ख़रीद फ़रोख़्त कर सत्ता पर क़ाबिज़ वर्तमान शिवराज सरकार वैसे तो पहले दिन से ही मीडिया पर शिकंजा कसने, उसे दबाने की कोशिश में लगी हुई है। लेकिन देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि किसी पीआर एजेंसी को ठेका देने की आधिकारिक शर्तों में मीडिया को खरीदने की बात शामिल की गई है ?

उन्होंने कहा कि,प्रदेश सरकार के जनसंपर्क संचालनालय ने इस वर्ष मार्च में पीआर मैनेजमेंट और कंटेट क्रिएशन के लिए एक निजी एजेंसी को ठेका देने का प्रस्‍ताव जारी किया है।प्रस्ताव की शर्तों के तहत कम से कम 50 करोड़ रुपये सालाना का कारोबार करने वाली कंपनी इस काम के लिए आवेदन कर सकती है। अगर कंपनी का टर्नओवर कम है तो अधिकतम तीन कंपनियां मिलकर एक कंसोर्शियम बना कर आवेदन कर सकती हैं।

उन्होंने कहा कि,निजी एजेंसी को यह काम देने के बाद जनसंपर्क संचालनालय का तकरीबन पूरा काम, जनसंपर्क विभाग से हटकर इस कंपनी के पास चला जाएगा ? कंपनी को ठेका मिलने के बाद पूरे प्रदेश में तैनात योग्‍य जनसंपर्क अधिकारियों के पास असल में कोई काम ही नहीं बचेगा ? अखबारों की कतरन काटना, मुख्‍यमंत्री और सरकार की नीतियों के लिए विज्ञापन और विज्ञप्ति तैयार करना, इंवेंट आयोजित करना, मीडिया संस्थानो से संपर्क करना, मीडिया में प्रकाशित समाचारों की समीक्षा तक का काम निजी एजेंसी को दिया जा रहा है ? इस निर्णय से जनसंपर्क विभाग में तैनात कर्मचारी व अधिकारियों की नौकरी पर भी संकट आ जायेगा और विभाग में पहले से ही खाली पदों पर योग्‍य युवाओं की भर्ती का रास्‍ता भी बंद हो जाएगा ?

उन्होंने कहा कि निजी कंपनी को काम देने के प्रस्‍ताव की शर्तों पर यदि गौर किया जाये तो इसमें प्रदेश सरकार खुद को एक कॉर्पोरेट की तरह पेश कर रही है ? प्रस्‍ताव में बार-बार यह उल्लेखित किया गया है कि यह निजी एजेंसी सरकार की ब्रांडिंग और मार्केटिंग करेगी ? ब्रांडिंग और मार्केटिंग तो रोज़ उपयोग में आने वाले घरेलू उत्‍पादों की, की जाती है, न कि जनता का प्रतिनिधित्‍व करने वाली सरकारो की ?

आपने बताया कि,यही नहीं प्रस्‍ताव में यह भी लिखा गया है कि यह एजेंसी नेगेटिव न्‍यूज को मॉनीटर करेगी और कोशिश करेगी कि निगेटिव न्‍यूज ही न छपे ? यानि सरकार के घोटाले, भ्रष्टाचार, असफलताएँ, नाकामी, जनता की समस्‍याओ को मीडिया में आने से रोकने का काम भी इस निजी एजेंसी का ही रहेगा ?

उन्होंने कहा कि मुझे प्राप्त जानकारी व प्रमाण सहित शिकायतों में इस प्रस्‍ताव का सबसे चौंकाने वाला बिंदु यह सामने आया है कि इस एजेंसी को मीडिया को खरीदने के काम का भी उल्लेख इसमें शामिल किया गया है ? इस बिंदु में स्पष्ट रूप से यह लिखा गया है कि “निजी एजेंसी की यह टीम मीडिया प्‍लानिंग और मीडिया मैनेजमेंट/ मीडिया को खरीदने में जनसंपर्क निदेशालय की मदद करेगी “ ? शायद भारत के इतिहास में इससे पहले किसी भी सरकार ने इतनी बेशर्मी से मीडिया को खरीदने की खुल्‍लम-खुल्‍ला आधिकारिक कोशिश आज तक नहीं की है ?

उन्होंने कहा कि,शिवराज सरकार का यह कदम जनसंपर्क विभाग को अपने राजनैतिक हितों व स्वार्थों के लिए एक प्राइवेट कंपनी में बदल देने का व लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की निष्पक्ष आवाज़ को पूरी तरह से कुचल देने का कुत्सित प्रयास स्पष्ट रूप से प्रतीत हो रहा है ? साथ ही यह कदम पत्रकारिता और जनसंपर्क संस्‍थानों में पढ़ रहे योग्‍य युवाओं को भविष्‍य में मिलने वाले सम्‍मानजनक रोजगार की संभावनाएं खत्‍म करने वाला भी है ?
प्रदेश के जनसंपर्क विभाग और स्वतंत्र, निष्पक्ष मीडिया संस्‍थानों के लिए भी यह खतरे की घंटी है ?

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