राहुल गांधी की शैक्षणिक योग्यता: बिना एम.ए किये एम.फिल कैसे कर लिया attacknews.in

नयी दिल्ली 13 अप्रैल । केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की शैक्षणिक डिग्री को लेकर उठे विवाद के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की डिग्री पर सवालिया निशान लगाया है ।

श्री जेटली ने आज अपने ब्लाग में लिखा है कि राहुल गांधी की शैक्षणिक योग्यता की ‘सार्वजनिक रुप से जांच’ की जाय तो कई सवालों के जवाब नहीं मिलेंगे । उन्होंने आगे लिखा है कि भाजपा के उम्मीदवार की शैक्षणिक योग्यता पर सवाल तो उठाया जायेगा लेकिन इस बात को पूरी तरह भूला दिया जायेगा कि राहुल गांधी की शैक्षणिक योग्यता क्या है क्योंकि उसकी सार्वजनिक जांच किये जाने पर उठे सवालों के जवाब नहीं मिलेंगे क्योकि उन्होंने बिना एमए किये ही एमफिल किया है ।

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राबड़ी देवी ने जद यू का राजद में विलय के मामले में प्रशांत किशोर की लालू प्रसाद यादव के साथ बहस की चुनौती स्वीकारी attacknews.in

पटना 13 अप्रैल । बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में जनता दल यूनाईटेड (जदयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री और एक साल बाद विधानसभा चुनाव में तेजस्वी प्रसाद यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किये जाने की शर्त पर जदयू और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विलय के कथित प्रस्ताव को लेकर मचे घमासान के बीच जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर (पीके) की राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से बहस करने की चुनौती स्वीकार करते हुए आज कहा कि वह रांची जेल प्रशासन से इसकी अनुमति लेकर आएं।

राजद अध्यक्ष श्री यादव की पत्नी राबड़ी देवी ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘’श्री किशोर ने श्री यादव से मुलाकात कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री और उसके बदले मेरे छोटे बेटे तेजस्वी को 2020 के विधानसभा चुनाव में राज्य के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने की शर्त पर जदयू और राजद का विलय करने का प्रस्ताव दिया था। राजद ने उनके इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था क्योंकि श्री कुमार जनता के बीच अपनी विश्वसनीयता खो चुके है।“

उन्होंने कहा कि इस मामले से जुड़े इन सब सच्चे तथ्यों का जिक्र राजद अध्यक्ष की आत्मकथा ‘गोपालगंज टू रायसीना : माई पॉलिटिकल जर्नी’ में भी किया गया है।

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राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव को अनिल अंबानी और आम जनता तथा चोरों और ईमानदार लोगों के बीच होना बताया attacknews.in

कोलार/चित्रदुर्ग/के आर नगर (कर्नाटक), 13 अप्रैल । भ्रष्टाचार के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को आरोप लगाया कि “चौकीदार 100 प्रतिशत चोर है’’ और लोकसभा चुनाव अनिल अंबानी और आम जनता के बीच तथा चोरों और ईमानदार लोगों के बीच लड़ाई है।

गांधी ने राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस-जदएस गठबंधन के लिए प्रचार करते हुए उस दिन यह बात कही जब प्रधानमंत्री भी कर्नाटक में रैली कर रहे थे।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा , ‘‘सारे चोरों के उपनाम मोदी क्यों हैं।’’

उन्होंने कहा कि वह चौकीदार की तरह नहीं बनना चाहेंगे, बल्कि जनता की आवाज बनेंगे।

राफेल विमान सौदे का मुद्दा उठाते हुए कोलार में रैली के दौरान उन्होंने कहा, “चौकीदार 100 फीसदी चोर है” और आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने 30 हजार करोड़ रुपये चुराए और उसे अपने ‘‘चोर दोस्त’’ अनिल अंबानी को दे दिया।

राहुल ने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, “आपने 30,000 करोड़ रुपये चुराए और अपने चोर दोस्त को दे दिये। आपने 100 फीसदी रुपये चुराए। ‘चौकीदार’ चोर है। नीरव मोदी, मेहुल चौकसी, ललित मोदी, माल्या, अनिल अंबानी और नरेंद्र मोदी- एक पूरा गिरोह है, चोरों का एक पूरा दल है।”

मोदी खुद को एक ‘‘चौकीदार’’ बताते हैं जो भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं करता है।

उन्होंने मोदी उपनाम का मजाक उड़ाते हुए कहा, ‘‘मेरा एक सवाल है। सभी चोरों का उपनाम मोदी क्यों है। नीरव मोदी हो, ललित मोदी हो या नरेंद्र मोदी हो? पता नहीं कितने और मोदी आएंगे।’’

उन्होंने कहा कि मोदी अब किसानों, रोजगार और भ्रष्टाचार के बारे में बात नहीं करते। “उनके उलट, हम झूठ नहीं बोलते।”

चित्रदुर्ग की रैली में गांधी ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में अनिल अंबानी और आम जनता के बीच, चोरों और ईमानदार लोगों के बीच तथा झूठे वादों और सच के बीच की लड़ाई है।

गांधी ने इस दौरान पार्टी की ‘न्याय’ योजना का भी जिक्र किया जिसके तहत पांच करोड़ परिवारों को सालाना 72 हजार रुपये की रकम उनके खातों में देने का वादा किया गया है। पार्टी ने लोकसभा चुनावों के लिये अपने घोषणा-पत्र में भी इसका जिक्र किया है।

गांधी ने कहा कि कांग्रेस सत्ता में आई तो पहला काम संसद, विधानसभाओं और सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण उपलब्ध कराया जाएगा।

के आर नगर में रैली को संबोधित करते हुए गांधी ने कांग्रेस और जेडीएस के कार्यकर्ताओं को मिलकर काम करने को तथा मोदी, भाजपा और संघ को हराने के लिए राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन की जीत सुनिश्चित करने को कहा।

उनकी यह अपील कांग्रेस और जेडीएस के कार्यकर्ताओं में कई विधानसभा क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर विवाद की खबरों के बीच आई है।

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अमित शाह ने सपा – बसपा और कांग्रेस का वोट बैंक देश के घुसपैठियों को बताया जिन्हें यह बाहर निकालना नहीं चाहते attacknews.in

बदायूं/शाहजहांपुर (उप्र), 13 अप्रैल । भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने शनिवार को सपा—बसपा—कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि ये तीनों ही दल घुसपैठियों को नहीं निकालना चाहते हैं क्योंकि वे उनका ‘वोट बैंक’ हैं।

शाह ने बदायूं में विजय संकल्प रैली में कहा, ‘भारतीय जनता पार्टी घुसपैठियों को निकालना चाहती है लेकिन सपा-बसपा और कांग्रेस उन्हें नहीं निकालना चाहते हैं क्योंकि ये उनका वोट बैंक हैं।’

उन्होंने कहा कि आतंकवाद और नक्सलवाद को कोई मुंहतोड़ जवाब दे सकता है तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ही दे सकती है। ये सपा-बसपा और कांग्रेस के बस की बात नहीं है।

शाह ने कहा कि सरकार बनने का बाद मुस्लिम महिलाओं के लिए ‘ट्रिपल तलाक’ को खत्म कर दिया जाएगा।

उन्होंने सपा—बसपा और कांग्रेस पर एक बार फिर भ्रष्टाचार को लेकर निशाना साधते हुए कहा, ’12 लाख करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार सपा-बसपा और कांग्रेस के राज में हुआ है लेकिन हमारी सरकार में एक भी भ्रष्टाचार नहीं हुआ।’

भाजपा अध्यक्ष ने कहा, ‘मायावती कहती हैं कि हम गरीबों के लिए काम करेंगे जबकि बसपा ने सभी धनवानों को टिकट दिया है और वो कभी गरीबों का भला नहीं करेंगे।’

उन्होंने कहा कि एक ओर भारतीय जनता पार्टी है जो मोदी के नेतृत्व में काम कर रही है और दूसरी तरफ एक गठबंधन बना है। ‘मैं गठबंधन वालों से पूछता हूं कि आप का नेता कौन है? कोई नहीं बताता है कि नेता कौन है।’

भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि आठ करोड़ घरों में मोदी सरकार ने शौचालय पहुंचाया और मां बेटियों की सुरक्षा के लिए बड़ा कदम उठाया।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा का गुंडाराज चलता था। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पलायन होता था, लेकिन अब पलायन करवाने वाले खुद पलायन कर रहे हैं।

शाह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार विकास के रास्ते पर चलती है। घोषणा पत्र में मोदी ने कहा है कि सरकार बनती है तो 60 साल से ऊपर के किसानों को पेंशन दी जाएगी। व्यापारियों को भी 60 साल के ऊपर पेंशन योजना से लाभ दिया जाएगा और 2022 तक हर गरीब को घर दे दिया जाएगा।

शाहजहांपुर में शाह ने विजय संकल्प रैली में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, ’55 वर्षों तक राहुल गांधी और उनकी कंपनी ने शासन किया… 20 वर्षों तक बुआ-भतीजे (अखिलेश—मायावती) ने राज किया लेकिन गरीबों का इन लोगों ने कुछ नहीं किया।’

उन्होंने कहा, कि पांच साल के अंदर काम हुआ है। वो (कांग्रेस) बोलते रहे गरीबी हटाओ लेकिन मोदी सरकार ने यह काम शुरू कर दिया।

भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि आज पूरे देश के अंदर ‘मोदी-मोदी’ का नारा सुनाई देता है क्योंकि देश की जनता ने तय कर लिया है कि वो फिर से मोदी को देश के प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहती है।

उन्होंने कहा कि हर गरीब के दिल से दुआ निकली है कि मोदी एक बार फिर से प्रधानमंत्री बनेंगे। ये परिवर्तन सिर्फ पांच साल में आया है।

शाह ने कहा कि उत्तर प्रदेश को सपा-बसपा की सरकारों ने गुंडों के हवाले कर दिया था लेकिन आज योगी सरकार ने गुंडों को सीधा कर दिया है। अब उत्तर प्रदेश में कानून का राज है।

उन्होंने कहा कि अब उत्तर प्रदेश के अंदर भू-माफिया नहीं हैं। पलायन कराने वाले खुद पलायन कर गए हैं।

बसपा सुप्रीमो मायावती पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा कि दलितों के आधार पर सत्ता हथियाने वालों को कभी दलित का पैर धोते हुए नहीं देखा होगा लेकिन मोदी जी ने संतों के पैर धोने के साथ दलितों के पैर भी धोये।

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने देश को सुरक्षित करने का काम किया है। दस साल तक यूपीए की सरकार थी। कोई भी देश में घुसकर कुछ भी कर देता था लेकिन मनमोहन सरकार मौन रहती थी।

शाह ने कहा, ‘जब मोदी सरकार ने पाकिस्तान से बदला लिया तो पाकिस्तान और बुआ-भतीजा (अखिलेश—मायावती) के घर मातम था ।’

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नरेन्द्र मोदी ने कहा: कांग्रेस ने न्याय को चुनावी वादा दिया हैं, पहले यह बताएं- सिख विरोधी दंगे, दलितों के खिलाफ हिंसा, भोपाल गैस कांड के पीड़ितों के साथ न्याय कौन करेगा, और तो और कमलनाथ तो गरीबों की योजनाओं के पैसों को चुनाव में खर्च कर रहे हैं attacknews.in

थेनी, 13 अप्रैल । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस के चुनावी वादे ‘न्याय’ पर पार्टी को घेरते हुए जानना चाहा कि कांग्रेस के शासन के दौरान हुए 1984 के सिख विरोधी दंगों,दलितों के खिलाफ हिंसा और भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के साथ न्याय कौन करेगा।

मोदी ने यहां एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस और बेईमानी खास दोस्त हैं लेकिन कभी कभार वे गलती से सच्चाई बयां कर जाते हैं।

उन्होंने कहा,‘‘अब वे कह रहे हैं ‘अब होगा न्याय’भले ही वे इसकी मंशा नहीं रखते हों,उन्होंने स्वीकार कर लिया है कि उन्होंने 60 वर्ष तक अन्याय किया है।’’

मोदी ने जानना चाहा, ‘‘मैं कांग्रेस पार्टी से जानना चाहूंगा कि 1984 के सिख विरोधी दंगों में न्याय कौन करेगा?’’

‘‘…कौन दलित विरोधी दंगों के पीड़ितों के साथ न्याय करेगा,कौन एमजी रामचंद्रन जी की सरकार के साथ न्याय करेगा,जिसे कांग्रेस ने केवल इस लिए बर्खास्त कर दिया क्योंकि एक परिवार को वे नेता पसंद नहीं थे।’’

उन्होंने कहा,‘‘…भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के साथ न्याय कौन करेगा, जो भारत की सबसे खराब पर्यावरण आपदा थी।’’

प्रधानमंत्री ने इंगित किया कि इस प्रकार की अप्रिय घटनाएं कांग्रेस के शासन के दौरान हुईं। उन्होंने कहा,‘‘मैं एमजीआर और जयललिता जी को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। भारत को इन दो महान नेताओं पर गर्व है जिन्होंने गरीबों के लिए काम किया और जिंदगी उनके प्रति समर्पित कर दी।उनकी सामाजिक कल्याण योजनाओं ने लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला।

भारी भीड़ को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा,‘‘ याद रखिए कि तमिलनाडु को समृद्ध बनाने के लिए द्रमुक और कांग्रेस के इस खेल को समाप्त करना होगा। हमें अपने श्रीलंकाई तमिल भाइयों की समृद्धि के लिए काम करना जारी रखना होगा और भ्रष्ट परिवारों के वंशवादी शासन को समाप्त करना होगा।’’

अन्नाद्रमुक श्रीलंका में 2009 में युद्ध के दौरान तमिल नागरिकों की हत्या को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाने का आरोप द्रमुक और कांग्रेस पर लगाती आई है। मोदी ने एक तरह से उनकी बात का समर्थन किया है।

उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कहा कि देश गवाह है कि पिता वित्त मंत्री बना और बेटे ने देश को लूटा। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी ने द्रमुक पर बरसते हुए कहा कि वह पड़ोसी राज्य केरल में किसे समर्थन देंगे कांग्रेस को अथवा माकपा को।

तमिलनाडु में द्रमुक सेक्यूलर प्रोग्रेसिव एलाएंस की अगुवाई कर रहा है जिसमें कांग्रेस तथा वाम दल शामल हैं।

प्रधानमंत्री ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि द्रमुक, कांग्रेस और उनके महामिलावटी मित्र विश्वपटल पर दर्ज भारत की तरक्की को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं और इसलिए उनसे नाराज हैं।

मोदी ने द्रमुक-कांग्रेस गठजोड़ पर तंज कसते हुए कहा कि जो घोर शत्रु थे उन्होंने हाथ मिला लिए हैं बावजूद इसके कि बीते वक्त में राष्ट्रीय पार्टी दक्षिण भारत की अपनी सहयोगी पार्टी को अपमानित कर चुकी है।

प्रधानमंत्री ने यहां एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा,‘‘आज भारत विश्वपटल पर तेजी से पहचान बना रहा है। कांग्रेस, द्रमुक और उनके महामिलावटी मित्र यह स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए वे मुझसे नाखुश हैं।’’ मोदी लगातार विपक्ष के ‘महागठबंधन’ को ‘महामिलावटी’ संबोधित करते आ रहे हैं।

उन्होंने द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन के उस प्रयास पर भी व्यंग्य किया जिसमें उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने का प्रस्ताव रखा था। मोदी ने कहा कि विपक्ष में से किसी ने भी इसका अनुमोदन नहीं किया क्योंकि वे सभी प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं और इस पद पर आसीन होने का सपना देख रहे हैं।

मोदी ने कहा,‘‘कुछ दिन पहले द्रमुक प्रमुख ने नामदार को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश किया था लेकिन कोई इसे स्वीकारने के लिए तैयार ही नहीं था, यहां तक कि उनके महामिलावटी मित्र भी नहीं क्योंकि वे तो खुद प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं और इस पद पर आसीन होने का सपना देख रहे हैं। ’’

उन्होंने कहा कि अतीत की कड़वाहट के बावजूद कांग्रेस और द्रमुक ने हाथ मिला लिए हैं। मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय पार्टी दक्षिण की अपनी सहयोगी पार्टी का अपमान कर चुकी है। उनका स्पष्ट तौर पर इशारा द्रमुक सरकार की विदाई पर था।

मोदी ने कहा कि लोगों को गुमराह करने के लिए ,मोदी को हराने के लिए सभी भ्रष्ट लोग एकजुट हो गए हैं।उन्होंने कहा कि द्रमुक को अपनी रैलियों में लोग जुटाने के लिए हथकंडे अपनाने पड़ रहे हैं।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस,द्रमुक और उनके महामिलावटी मित्र भारत के विकास के लिए कभी काम नहीं कर सकते।

मोदी ने कहा,‘‘थेनी की यह भूमि देश की सेवा करने वाले वीर लोगों के लिए जानी जाती है। अब आप को फैसला करना है हमारे वीर सशस्त्र बलों द्धारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक और हवाई हमले पर प्रश्न करने वालों से आप कैसे पेश आएंगे।

प्रधानमंत्री ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर हमला करते हुए कहा कि उन्हें उनके गठबंधन के नेता ही प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार स्वीकार नहीं कर रहे हैं, क्योंकि वे सभी खुद इस पद पर आसीन होना चाहते हैं।

श्री मोदी ने अखिल भारतीय अन्ना द्रमुक मुनेत्र कषगम-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गठबंधन द्वारा आयोजित चुनावी रैली को संबोधित करते हुए शनिवार को यहां कहा, “कुछ दिन पहले द्रविड़ मुनेत्र कषगम के अध्यक्ष एम. के. स्टालिन ने ‘नामदार’ को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर प्रस्तावित किया था, लेकिन कोई इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हुआ। यहां तक कि उनके ‘महा मिलावटी’ दोस्त भी इस पर रजामंद नहीं हुए क्योंकि वे सभी प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं।”

उन्होंने कहा कि कांग्रेस, द्रमुक तथा उनके अन्य ‘महा मिलावटी’ दोस्त कभी भी देश का विकास नहीं कर सकते हैं। उन्होंने पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम पर तंज कसते हुए कहा कि जब पिता देश का वित्त मंत्री बना तो बेटे (कार्ति चिदम्बरम) ने देश को लूटा।”

उन्होंने कहा, “जब वे लोग सत्ता में थे, तो हमेशा लूटने में व्यस्त थे। अब सभी भ्रष्ट लोग इकट्ठा होकर मुझे हराने का प्रयास कर रहे हैं।”

प्रधानमंत्री ने कांग्रेस और बेईमानी सबसे अच्छे दोस्त हैं लेकिन गलती से पार्टी ने सच बोल दिया है। उन्होंने कहा, “अब वे लोग कह रहे हैं कि ‘अब होगा न्याय’ यानी वे लोग यह मान रहे हैं कि अभी तक उन्होंने ‘न्याय’ नहीं किया है।”

उन्होंने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमल नाथ पर गरीबों के पैसे चुनाव प्रचार पर खर्च करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मध्य प्रदेश सरकार उनके (कांग्रेस के) लिए एटीएम मशीन बन गयी है। उन्होंने कहा, “वे लोग गरीबों और बच्चों के कल्याण के लिए खर्च होने वाले पैसे को चुनाव प्रचार में खर्च कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “यह ‘तुगलक रोड स्कैंडल’ के नाम से विख्यात हो गया है और यह सभी लोग जानते हैं कि नयी दिल्ली स्थित तुगलक रोड पर कांग्रेस का कौन नेता रहता है।”

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सर्वाधिक रिकार्ड प्रत्याशी लड़ने का इतिहास आंध्रप्रदेश की नालगोंडा लोकसभा सीट के नाम दर्ज हैं, यहाँ 480 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा और बेलेट को बुकलेट में छापना पडा था attacknews.in

सर्वाधिक रिकार्ड

नयी दिल्ली 13 अप्रैल । लोकतंत्र में चुनाव लड़ने की आजादी के कारण आंध्र प्रदेश के नालगोंडा लोकसभा सीट पर एक बार रिकार्ड 480 उम्मीदवारों के चुनाव मैदान में उतरने से न केवल चुनाव आयोग के लिए नयी मुसिबत पैदा कर दी थी बल्कि इसमें सुधार के लिए उसे कई कदम उठाने को मजबूर किया था।

आन्ध्र प्रदेश के नालगोंडा सीट पर (अब तेलंगना) में 1996 के आम चुनाव में 480 उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने की वजह से मतदान के लिए बैलेट पेपर की जगह ‘बैलेट बुक’ का इस्तेमाल करना पड़ा था। इस चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के धर्म भिक्षम ने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी इन्द्रसेन रेड्डी को पराजित किया था। श्री भिक्षम को कुल 282904 वोट तथा श्री रेड्डी को 205579 मत पड़े थे। कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही थी। चुनाव में 851118 वोट डाले गये थे।

इस चुनाव के लिए कुल 537 लोगों ने नामांकन पत्र दाखिल किया था जिनमें से 35 के नामांकन पत्र को खारिज कर दिया गया था जबकि 22 ने अपने नामांकन पत्र वापस ले लिये थे। शेष बचे 480 उम्मीदवारों में 60 महिलायें भी शामिल थी। इन प्रत्याशियों में से 306 अनुसूचित जाति के तथा 80 अनुसूचित जनजाति के थे। तीन उम्मीदवार राष्ट्रीय दलों के तथा तीन निबंधित पार्टियों के थे। शेष उम्मीदवार निर्दलीय थे। चुनाव लड़ने वाले कुल उम्मीदवारों में से 131 को 100 से कम मत मिले थे जबकि 161 प्रत्याशियों को 200 से कम मत प्राप्त हुए। इतना ही नहीं 70 उम्मीदवारों को 300 से कम वोट डाले गये। कुल 30 उम्मीदवार ऐसे थे जो 1000 से अधिक मत प्राप्त करने में कामयाब रहे। इस चुनाव में 477 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गयी थी ।
इस चुनाव के बाद कई आधार पर चुनाव लड़ने पर रोक लगायी गयी थी और जमानत की राशि को बढ़ाया गया। इस चुनाव तक लोकसभा चुनाव के लिए सामान्य उम्मीदवारों को 500 रुपये तथा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के प्रत्याशी को 250 रुपये जमानत की राशि जमा करनी होती थी। सामान्य श्रेणी के लिए यह राशि बढ़ाकर 25000 रुपये तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए 12500 रुपये कर दी गयी।

वर्ष 1996 के चुनाव में ही कर्नाटक की बेलगाम सीट पर 456 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में जनता दल के के. एस. हेमप्पा ने भाजपा के बाबा गौड़ा पाटिल को पराजित किया था। श्री हेमप्पा को 224479 वोट तथा श्री पाटिल को 153842 वोट मिले थे। कांग्रेस के के. पी. बासाप्रभु तीसरे स्थान पर रहे थे। चुनावी मैदान में उतरे 151 उम्मीदवारों को 100 से कम वोट आये थे जबकि 123 उम्मीदवारों को 200 से कम मत मिले थे। कुल 66 प्रत्याशी 300 से कम, 28 उम्मीदवार 400 से कम तथा इतने ही उम्मीदवार 500 से कम वोट पाने में सफल हुये थे । सिर्फ 30 उम्मीदवार 1000 से अधिक मत लाने में कामयाब हुये थे। इस चुनाव में अधिकतर प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गयी थी ।

इसी चुनाव में राष्ट्रीय राजधानी के पूर्वी दिल्ली सीट से 122 उम्मीदवारों चुनाव लड़ा था जिसमें बी एल शर्मा प्रेम निर्वाचित हुये थे और कांग्रेस को दूसरा स्थान मिला था। इस चुनाव में 94 उम्मीदवारों को 100 से कम वोट मिले थे।

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अब तक के लोकसभा चुनावों के इतिहास में सर्वाधिक मतों से जीतने का रिकॉर्ड माकपा के अनिल बसु के नाम है, पश्चिम बंगाल की आरामबाग सीट से 5 लाख 92 हजार 502 मतों से जीते थे attacknews.in

नयी दिल्ली 13 अप्रैल । लोकसभा के अब तक हुये चुनावाें में सबसे बड़ी जीत का रिकार्ड मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के अनिल बसु के नाम है जो उन्होंने 2004 के चुनाव में बनाया था।

सात बार लोकसभा सदस्य रहे श्री बसु ने 2004 में पश्चिम बंगाल के आरामबाग सीट से अपने निकटतम उम्मीदवार भारतीय जनता पार्टी के स्वप्न कुमार नंदी को 5,92,502 मतों से हराया था। पिछले लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक मतों के अंतर से जीत दर्ज करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस रिकार्ड के पास तक पहुंचे थे लेकिन इसे पार नहीं कर पाये। श्री मोदी गुजरात के वडोदरा से 570128 मतों से जीते थे। वह वाराणसी से भी लोकसभा चुनाव जीते थे। उन्होंने वडोदरा सीट बाद में छोड़ दी थी।

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम भी एक आम चुनाव में सबसे अधिक अंतर से चुनाव जीतने का रिकार्ड दर्ज है। उन्होंने 1984 के आम चुनाव में उत्तर प्रदेश के अमेठी में अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी मेनका गांधी को 314878 मतों से हराकर यह रिकार्ड बनाया था।

लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष राम विलास पासवान के नाम एक ऐसा रिकार्ड है जो शायद ही कोई तोड़ पाये। वह दो बार आम चुनाव में सर्वाधिक अंतर से चुनाव जीतने का करिश्मा कर चुके हैं। श्री पासवान ने 1989 के आम चुनाव में बिहार की हाजीपुर सीट से अपने निकटतम उम्मीदवार को 504448 मतों से हराया था और उस चुनाव में सबसे अधिक मतों से जीत हासिल करने वाले उम्मीदवार बने थे। इसी तरह 1977 के आम चुनाव में उन्होंने इसी सीट पर भारतीय लोकदल के उम्मीदवार के रुप में 424545 मतों से जीत हासिल कर उस बार के चुनाव में रिकार्ड बनाया था।
चार लाख से अधिक मतों से चुनाव जीतने वालों में कांग्रेस के संतोष मोहन देव शामिल हैं। उन्होंने 1991 के आम चुनाव में त्रिपुरा की त्रिपुरा पश्चिम सीट पर 428984 मतों से जीत हासिल की थी और उस आम चुनाव में सबसे अधिक अंतर से जीत हासिल करने का रिकार्ड बनाया था।

अन्य चुनावों की बात की जाये तो 2009 में हुये पंद्रहवें लोकसभा चुनाव में नगालैंड पीपुल्स फ्रंट के. सी. डब्ल्यू चांग ने नगालैंड सीट पर 483021 मतों से जीत हासिल कर पहले स्थान पर रहे थे। इसी सीट पर 1999 में कांग्रेस के के. असुंगवा संगताम ने अपने निकटतम उम्मीदवार को 353598 मतों से हराया जो उस आम चुनाव में सबसे अधिक अंतर से चुनाव जीतने का रिकार्ड बना । वर्ष 1998 में हुये लोकसभा चुनाव में इस तरह का रिकार्ड भाजपा के वल्लभ भाई रामजी भाई कठीरिया ने बनाया था। उन्होंने गुजरात की राजकोट सीट पर 354187 मताें से जीत दर्ज की थी। वर्ष 1996 के आम चुनाव में द्रमुक के एनवीएन सोमू ने तमिलनाडु की मद्रास उत्तर सीट पर 389617 मतों से जीत हासिल कर पहले स्थान पर रहे थे।

वर्ष 1962 के बाद से हुये विभिन्न लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक मतों से चुनाव जीतने का रिकार्ड दर्ज करने वाले उम्मीदवारों में गायत्री देवी एक मात्र महिला हैं। उन्होंने 1962 के आम चुनाव में जयपुर से स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार के रुप में 157692 मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी और उस आम चुनाव में पहले स्थान पर रही थीं। इस तरह का रिकार्ड एक निर्दलीय उम्मीदवार के भी नाम है। महाराजा मार्तंड सिंह ने 1980 के आम चुनाव में मध्य प्रदेश की रीवा सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में 238351 मतों से जीत हासिल कर पहले स्थान पर रहे थे ।

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कैलाश विजयवर्गीय ने इंदौर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने से इंकार किया, भाजपा प्रत्याशी के लिए चर्चित हो रहा था नाम attacknews.in

इंदौर, 13 अप्रैल । भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के महासचिव और पश्चिम बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने मध्यप्रदेश के इंदौर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की बात पर इंकार करते हुए आज कहा कि उनके लिए पश्चिम बंगाल की जिम्मेदारी बड़ी चुनौती है।

श्री विजयवर्गीय ने यहां इंदौर लोकसभा सीट से सुमित्रा महाजन के चुनाव लड़ने से इंकार किये जाने के प्रश्न पर कहा कि श्रीमती महाजन हमारी वरिष्ठ नेता हैं। उन्होंने पार्टी द्वारा 75 वर्ष की आयु से ऊपर वाले नेताओ के चुनाव नहीं लड़ने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि, उन्होंने स्वयं चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है।

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बसपा सुप्रीमों मायावती ने अली के साथ बजरंगबली को जोड़कर एकबार फिर से दिया विवादित बयान attacknews.in

बदायूँ, 13 अप्रैल । बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को आड़े हाथे लेते हुए कहा कि अली और बजरंगबली दोनों हमारे अपने है इनमें कोई गैर नहीं है ।

सुश्री मायावती शनिवार को यहां मुजरिया में बदायूं सीट से गठबन्धन के प्रत्याशी सपा सांसद और अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव के समर्थन में आयोजित जनसभा को सम्बोधित कर रही थी।

उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि मैं योगी जी को ज़बाब देना चाहूंगी कि वो गठबन्धन के बारे में इशारा करते है, हमारे तो हमें अली  हैं ही और चाहिए भी और हमें बजरंगबली भी चाहिए। खासकर बजरंगबली तो दलित जाति से जुड़े है ,इनकी जाति कि खोज भी मुख्य मंत्री ने ही कि थी । उन्होंने कहा था कि बजरंगबली बनबासी और दलित थे हम तो योगी जी के आभारी है जिन्होंने हमारे बशंज के बारे में खास जानकारी दी। अब अली और बजरंग बली के गठजोड़ से काफी अच्छा रिज़ल्ट मिलने वाला है।

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मध्यप्रदेश में 29 अप्रैल को चौथे चरण की वोटिंग में कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर, छिंदवाड़ा, जबलपुर, सीधी, शहडोल, मंडला और बालाघाट में होगा मतदान attacknews.in

भोपाल, 13 अप्रैल । लोकसभा निर्वाचन-2019 के चौथे चरण और मध्यप्रदेश के पहले चरण में होने वाले छह संसदीय क्षेत्रों पर चुनाव में दोनों प्रमुख दलों कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेेश अध्यक्षों कमलनाथ और राकेश सिंह की साख दांव पर है।

इन सभी संसदीय क्षेत्रों सीधी, शहडोल, जबलपुर, मंडला, बालाघाट एवं छिंदवाड़ा पर नामांकन वापसी के बाद अब कुल 108 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। चौथे चरण में 29 अप्रैल को मतदान होना है। इस चरण के तहत छिंदवाड़ा से कांग्रेस प्रत्याशी और मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ एवं जबलपुर से भाजपा प्रत्याशी और प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह के भाग्य का फैसला होगा। इसी चरण में छिंदवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के लिए भी उपचुनाव होना है, जिसके लिए मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ स्वयं प्रत्याशी हैं। उनका मुकाबला भाजपा के विवेक साहू बंटी से होना है।

जबलपुर में भाजपा अध्यक्ष श्री सिंह के सामने कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ नेता विवेक तन्खा चुनावी मैदान में हैं। वहीं छिंदवाड़ा में श्री नकुलनाथ से मुकाबले के लिए भाजपा ने आदिवासी नेता और पूर्व विधायक नत्थन शाह पर भरोसा जताया है।

शहडोल में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही दलबदलू प्रत्याशियों पर ही दांव खेला है। भाजपा ने यहां से पूर्व कांग्रेस सांसद दलवीर सिंह और राजेश नंदिनी की बेटी हिमाद्री सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। हिमाद्री सिंह ने पिछले साल भाजपा नेता नरेंद्र सिंह मरावी से विवाह कर लिया था, जिसके बाद से उनके कांग्रेस छोड़ भाजपा में आने की अटकलें लगाई जा रहीं थीं। हिमाद्री सिंह ने इस साल मार्च में भाजपा का दामन थामा, जिसके कुछ ही दिन बाद उन्हें शहडोल से पार्टी ने अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया।
हिमाद्री सिंह का मुकाबला कांग्र्रेस की प्रमिला सिंह से होगा। भाजपा से विधायक रहीं प्रमिला सिंह ने पिछले साल विधानसभा चुनाव में भाजपा से टिकट नहीं मिलने के कारण पार्टी छोड़ दी थी, इसके बाद उनके कांग्रेस में आने के चलते पार्टी ने शहडोल से उन्हें चुनावी मैदान में उतार दिया।

छत्तीसगढ़ से सटी मध्यप्रदेश की बालाघाट संसदीय सीट पर कांग्रेस के मधु भगत का सामना भाजपा के ढाल सिंह बिसेन से होगा। हालांकि यहां से भाजपा के मौजूदा सांसद बोध सिंह भगत के निर्दलीय के तौर पर नामांकन दाखिल करने से यहां पार्टी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

सीधी में कांग्रेस से पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह चुनाव में अपना भाग्य आजमा रहे हैं। श्री सिंह पिछले विधानसभा चुनाव में चुरहट से भाजपा प्रत्याशी शरतेंदु तिवारी के हाथों पराजित हो गए थे, इसके बाद पार्टी ने उन्हें अब लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में उतारा है। उनका मुकाबला सीधी में मौजूदा सांसद भाजपा की रीति पाठक से होगा। हालांकि श्रीमती पाठक को भी यहां से भाजपा के कई नेताओं के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

मंडला संसदीय क्षेत्र पर भाजपा एक बार फिर पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते के भरोसे चुनावी मैदान में है। कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी कमल मरावी इस संसदीय क्षेत्र से विरोध का सामना कर रहे हैं।

इन संसदीय क्षेत्रों में कल नामांकन वापसी की अंतिम तारीख थी, जिसके बाद अब संसदीय क्षेत्र सीधी में 26, शहडोल में 13, जबलपुर में 22, मंडला में 10, बालाघाट में 23 एवं छिंदवाड़ा में 14 प्रत्याशी मैदान में हैं।

आधिकारिक जानकारी के अनुसार इन सभी संसदीय क्षेत्रों में संवीक्षा के बाद 123 अभ्यर्थी विधिमान्य पाये गये। इनमें से 15 अभ्यर्थी द्वारा नाम वापसी के बाद अब कुल 108 अभ्यर्थी निर्वाचन में हैं। वहीं छिंदवाड़ा विधानसभा उप-चुनाव में संवीक्षा के बाद 16 अभ्यर्थी विधिमान्य पाये गये। इनमें से 7 प्रत्याशियों द्वारा नाम वापसी के बाद कुल अब नौ प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे हैं।

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सुखराम के बेटे और हिमाचल प्रदेश के मंत्री अनिल शर्मा के इस्तीफा देने पर अभिनेता सलमान खान ने बने रहने और भाजपा नेतृत्व से बात करेंगे,कहा attacknews.in

शिमला, 12 अप्रैल । हिमाचल प्रदेश के उर्जा मंत्री अनिल शर्मा ने राज्य की भाजपा सरकार के मंत्रिपरिषद से शुक्रवार को त्यागपत्र दे दिया । इससे कुछ ही दिन पहले कांग्रेस ने उनके बेटे आश्रय शर्मा को प्रदेश के मंडी लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवर बनाया था ।

शर्मा के पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुख राम तथा आश्रय ने पिछले महीने भाजपा छोड़ कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया था । इसके बाद से ही अनिल शर्मा पर भारतीय जनता पार्टी का दवाब था ।

अनिल शर्मा ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के कार्यालय में त्यागपत्र भेजने के बाद बताया, ‘‘मैने मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया है क्योंकि मेरे विधानसभा क्षेत्र मंडी में मुख्यमंत्री ने कल एक जनसभा में कहा था कि ‘मेरे मंत्री (अनिल शर्मा) कहीं खो गए हैं, अगर उनके ठिकाने के बारे में किसी को पता है तो मुझे इससे अवगत करायें ।’’

शर्मा ने कहा कि ठाकुर के व्यंग्यात्मक टिप्पणियों के कारण ही वह मंत्रिपरिषद से त्यागपत्र देने के लिए मजबूर हुए हैं क्योंकि इससे संकेत मिलता है कि मुख्यमंत्री का उनमें अब भरोसा नहीं रहा ।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर मुख्यमंत्री का अपने मंत्री पर भरोसा नहीं रहता है तो केवल दो ही विकल्प बचते हैं, या तो मुख्यमंत्री को उसे स्वयं ही मंत्रिमंडल से निकाल देना चाहिए अथवा मंत्री को स्वयं इस्तीफा दे देना चाहिए । इसलिए मुझे लगा कि मंत्रिपरिषद से त्यागपत्र दे देना ही बेहतर है ।’’

प्रदेश में 2017 में हुए विधानसभा चुनाव से ठीक पहले शर्मा कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे । उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यद्यपि उन्होंने मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दिया है लेकिन वह भाजपा में बने हुए हैं । भाजपा नेता ने इससे पहले कहा था कि वह तभी मंत्रिपरिषद से इस्तीफा देंगे जब ठाकुर उन्हें कहेंगे ।

संपर्क करने पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती ने कहा कि अनिल शर्मा के इस्तीफे पर मुख्यमंत्री विचार करेंगे।

सत्ती ने बताया, ‘‘मुख्यमंत्री आज मंडी में हैं और कल वह शिमला आयेंगे और उसके बाद इस पर निर्णय करेंगे ।’’

राज्य सरकार के मंत्रियों महेंदर सिंह ठाकुर, राम लाल मरकंडा और गोविंद सिंह ठाकुर ने एक संयुक्त प्रेस बयान में अनिल शर्मा को चुनौती देते हुए कहा कि उन्हें विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर दोबारा जनादेश लेना चाहिए ।

दूसरी ओर कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने दावा किया कि अनिल शर्मा के इस्तीफे का सत्तारूढ़ दल पर न केवल मंडी में बल्कि पूरे प्रदेश के बाकी तीनो लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा ।

राजभवन के एक अधिकारी ने बताया कि राज्यपाल आचार्य देवव्रत को अनिल शर्मा का त्यागपत्र अभी नहीं मिला है।

भाजपा को उम्मीद थी कि शर्मा मंडी से पार्टी उम्मीदवार राम स्वरूप शर्मा के पक्ष में प्रचार करेंगे, जो अनिल के बेटे के आश्रय के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं । लेकिन अनिल ने प्रचार करने से इंकार कर दिया और कहा कि वह इस मसले पर मंत्रिपरिषद भी छोड़ देंगे ।

अग्निहोत्री ने अनिल शर्मा से कहा है कि मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद वह कांग्रेस उम्मीदवार के लिए चुनाव प्रचार करे । लेकिन अनिल ने कहा कि न तो वह अपने बेटे और कांग्रेस उम्मीदवार आश्रय के लिए और न ही भाजपा प्रत्याशी राम स्वरूप के लिए प्रचार करेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरा आशीर्वाद मेरे बेटे आश्रय के साथ है । यह मतदाताओं के ऊपर है कि वह किसे अपना मत देकर विजयी बनायेंगे।’’

इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि , अगर राम स्वरूप शर्मा ने मंडी में काम किया है, तो सांसद को मुख्यमंत्री की मदद लेने की बजाय काम के आधार पर वोट मांगना चाहिए।

अनिल शर्मा ने कहा कि मंडी विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने उन्हें भाजपा उम्मीदवार के तौर पर चुना है । उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए मैं न तो भाजपा से और न ही विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दूंगा । मैं भाजपा विधायक के तौर बना रहूंगा और विधानसभा क्षेत्र के लिए काम करता रहूंगा ।’’

अपने मोबाइल फोन के कुछ संदेश दिखाते हुए अनिल शर्मा ने दावा किया, ‘‘बालीवुड अभिनेता सलमान खान ने मुझे हिमाचल के मंत्री पद पर बने रहने के लिए कहा है । सलमान ने कहा कि वह (भाजपा के वरिष्ठ नेतृत्व से) बात करेंगे। हालांकि, मैने उनसे पूछा अगर आप मेरे स्थान पर होते तो आप क्या करते, आप परिवार के साथ खड़ा होते या नहीं ।’’

इस पर सलमान खान ने कहा कि वह अपने परिवार के समर्थन में खड़े होते । शर्मा के बड़े बेटे आयूष शर्मा के साथ सलमान की बहन अर्पिता की शादी हुई है ।

पिछले कुछ दिनों से शिमला में मौजूद भाजपा नेता ने बताया कि वह शुक्रवार को ही मंडी के लिए रवाना होंगे ।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का गृह जिला होने के कारण मंडी लोकसभा सीट उनके लिए नाक का विषय बन गया है । दूसरी ओर सुख राम की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है और वह अपने पोते की जीत में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे ।

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ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना संसदीय सीट से ही लडेंगे चुनाव, ग्वालियर और इंदौर का फैसला अभी नहीं attacknews.in

नयी दिल्ली, 12 अप्रैल । कांग्रेस ने शुक्रवार को लोकसभा चुनाव के लिए सात उम्मीदवार घोषित किए जिनमें प्रमुख नाम पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और मनीष तिवारी के हैं जिन्हें क्रमश: मध्य प्रदेश की गुना और पंजाब की आनंदपुर साहिब से टिकट दिया गया है।

पार्टी की ओर से जारी सूची के मुताबिक मध्य प्रदेश की गुना से सिंधिया, विदिशा से शैलेंद्र पटेल और राजगढ़ से मोना सुस्तानी, पंजाब में आनंदपुर साहिब से मनीष तिवारी और संगरूर से केवल सिंह ढिल्लन, बिहार के वाल्मीकिनगर से शाश्वत केदार तथा जम्मू-कश्मीर के लद्दाख से रिगजिन पालबार को उम्मीदवार बनाया गया है।

कांग्रेस महासचिव सिंधिया फिलहाल गुना से ही सांसद हैं। दूसरी तरफ तिवारी स्वास्थ्य कारणों के चलते पिछला लोकसभा चुनाव नहीं लड़े थे। इस बार वह आनंदपुर साहिब से अपनी किस्मत आजमाएंगे।

पार्टी अब तक कुल 386 उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है जिनमें संप्रग प्रमुख सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नाम भी शामिल हैं।

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राबड़ी देवी ने प्रशांत किशोर को भगाया नहीं होता तो बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी जद यू का लालू की पार्टी राजद में विलय हो जाता ,ऐसा दावा खुद राबड़ी ने किया attacknews.in

पटना, 12 अप्रैल । बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने शुक्रवार को दावा किया कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने उनके पति लालू प्रसाद से भेंट करके यह प्रस्ताव रखा था कि राजद और नीतीश कुमार के जद(यू) का विलय हो जाए और इस प्रकार बनने वाले नए दल को चुनावों से पहले अपना ‘प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार’ घोषित करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि अगर किशोर पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद से इस प्रस्ताव को लेकर मुलाकात करने से इनकार करते हैं तो वह ‘‘सफेद झूठ’’ बोल रहे है।

राजद की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राबड़ी देवी ने कहा, ‘‘मैं इससे बहुत नाराज हो गई और उनसे निकल जाने को कहा क्योंकि नीतीश के धोखा देने के बाद मुझे उन पर भरोसा नहीं रहा।’’

राबड़ी देवी बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष के पद पर भी हैं।

साल 2017 में नीतीश कुमार राजद और कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा के नेतृत्व वाले राजग में शामिल हो गए थे।

राबड़ी देवी ने कहा, ‘‘हमारे सभी कर्मचारी और सुरक्षाकर्मी इस बात के गवाह हैं कि उन्होंने हमसे कम से कम पांच बार मुलाकात की। इनमें से अधिकांश तो यहीं (दस सर्कुलर रोड) पर हुईं और एक-दो मुलाकात पांच नंबर (पांच देशरत्न मार्ग-छोटे पुत्र तेजस्वी यादव के आवास) पर हुईं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘किशोर को नीतीश कुमार ने इस प्रस्ताव के साथ भेजा था – ‘दोनों दलों का विलय कर देते हैं और प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा करते हैं।’ वह दिन के उजाले में आए थे न कि रात में।’’

कुमार के इस दावे, कि राजद सुप्रीमो जेल से ही किशोर से बात करते रहे हैं, पर नाराजगी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक कि हम (परिवार के सदस्य) लोगों को भी उनसे (लालू प्रसाद) फोन पर बात करने का मौका नहीं मिलता है और अनंत सिंह के दावे का क्या जो कहते हैं कि उनके जेल में रहने के दौरान ललन सिंह (मंत्री) नीतीश से टेलीफोन पर बातचीत करवाते थे।

माफिया डॉन से राजनीतिज्ञ बने मोकामा विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले अनंत सिंह पहले कुमार के निकट थे पर 2015 के चुनाव से पहले उनके रिश्ते खराब हो गए।

अनंत सिंह ने यह दावा एक स्थानीय न्यूज पोर्टल को दिए साक्षात्कार में किया था।

हाल में प्रकाशित अपनी आत्मकथा में प्रसाद ने दावा किया था कि जद (यू) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किशोर ने नीतीश कुमार के दूत के तौर पर उनसे मुलाकात की थी और यह प्रस्ताव रखा था कि मुख्यमंत्री की पार्टी को महागठबंधन में फिर से शामिल कर लिया जाए।

बीते साल सितम्बर में जद(यू) के पूर्ण सदस्य बने किशोर ने प्रसाद के इस दावे के बाद ट्विटर पर स्वीकार किया था कि उन्होंने जद(यू) की सदस्यता लेने से पूर्व प्रसाद से कई बार मुलाकात की थी। हालांकि, किशोर ने यह भी कहा कि अगर वह यह बताएंगे कि किस बात पर चर्चा हुई थी तो उन्हें (प्रसाद को) शर्मिंदगी उठानी पड़ सकती है।

1974 के ‘‘जयप्रकाश आंदोलन’’ के नेता प्रसाद और कुमार 1990 दशक के मध्य में अलग होने से पहले लंबे समय तक साथ-साथ रहे थे।

मुख्य रणनीतिकार के तौर पर कुमार को ‘‘लालू का चाणक्य’’ माना जाता था और उस समय समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद 1989 में लालू बिहार विधानसभा में मुख्य विपक्षी नेता बने थे।

उन्होंने 1990 में प्रसाद को बिहार का मुख्यमंत्री बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

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स्मृति ईरानी की शैक्षणिक योग्यता का झूठ पकड़ाया, कांग्रेस पार्टी चुनाव आयोग पहुँची और स्मृति ईरानी ने खुद को अपमानित, प्रताड़ित होने वाली बताया attacknews.in

नयी दिल्ली, 12 अप्रैल । कांग्रेस ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी पर अपने चुनावी हलफनामे में झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए शुक्रवार को कहा कि उन्हें नैतिकता के आधार पर मंत्री पद से इस्तीफा देना चाहिए और चुनाव आयोग को उनका नामांकन खारिज करना चाहिए।

दूसरी तरफ, स्मृति ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि भले ही उन्हें कितना भी अपमानित और प्रताड़ित किया जाता रहे वह अमेठी के लिये और कांग्रेस के खिलाफ मेहनत से काम करती रहेंगी।

कांग्रेस ने स्मृति ईरानी के चुनावी हलफनामे को लेकर चुनाव आयोग में प्रतिवेदन किया और उनका नामांकन खारिज करने की मांग की।

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘‘समस्या यह नहीं है कि कोई कितना पढ़ा है, लेकिन जब इस देश की प्रजातांत्रिक प्रणाली को धोखा देकर, झूठ बोलकर जनता की आंख में धूल झोंकने की कोशिश की जाती है तो दिक्कत है।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘ मंत्री ने अलग अलग चुनावी हलफनामे में अलग अलग जानकारी दी है।’’उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि एक मंत्री भी कभी ग्रेजुएट थीं। न देश के प्रधानमंत्री की डिग्री का पता है और न ही उनकी इस मंत्री की डिग्री का पता है।’’

सुरजेवाला ने कहा, ‘‘हमने कहा है कि यह कादाचार है। उनका नामांकन खारिज करना चाहिए।’’

इससे पहले कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने मशहूर सीरियल ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ के गीत की तर्ज पर कहा, ‘‘क्वालीफिकेशन के रूप बदलते हैं, नए नए सांचे में ढलते हैं। एक डिग्री आती है, एक डिग्री जाती है, बनते एफेडिएविट नए हैं… क्योंकि मंत्री भी कभी ग्रेजुएट थी।’’

उन्होंने केंद्रीय मंत्री के पिछले कुछ चुनावों के हलफनामों की प्रति जारी करते हुए कटाक्ष किया, ‘‘स्मृति ईरानी जी ने बताया कि किस तरह से ग्रेजुएट से 12वीं पास हो जाते हैं, यह मोदी सरकार में ही मुमकिन है। 2004 के लोकसभा चुनाव के अपने हलफनामे में स्मृति बीए थीं। फिर 2011 राज्यसभा के चुनावी हलफनामे में वह बीकॉम फस्ट ईयर बताती हैं। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में फिर वह बीए पास कर लेती हैं। अब फिर से उनके पास बीकॉम फर्स्ट ईयर की डिग्री हो गई है।’’

प्रियंका ने आरोप लगाया, ‘‘उन्होंने देश को झूठ बोला है, देश को बरगलाया है। यह साबित होता है कि भाजपा के नेता किस तरह से झूठ बोलते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ हमें दिक्कत नहीं है कि वह ग्रेजुएट नहीं हैं। मुद्दे की बात यह है कि मंत्री साहिबा इतने समय से गलत हलफनामा दे रही थीं।’’

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, ‘‘अगर उनमें कोई नैतिकता है तो मंत्री पद से इस्तीफा दें और उन्हें चुनाव के लिए अयोग्य ठहराए जाए।’’ कांग्रेस पर पलटवार करते हुए ईरानी ने कहा, “मैं इतना ही कहूंगी कि गत पांच वर्षों में ऐसा कोई आक्रमण नहीं है जो कांग्रेस के कुछ ‘चेले चपाटों’ ने मुझ पर न किया हो। ऐसा कोई अपशब्द नहीं है, ऐसा कोई अपमान नहीं है, महिला होने के नाते ऐसी कोई प्रताड़ना नहीं है जो मेरे साथ कांग्रेस नेताओं ने न की हो। मेरा उनको एकमात्र यही संदेश है कि आप मुझे जितना अपमानित करोगे, जितना मुझे प्रताड़ित करोगे उतना ही जमकर मैं अमेठी में कांग्रेस के खिलाफ काम करूंगी।” गौरतलब है कि स्मृति ईरानी अमेठी से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं।

कांग्रेस ने आज  आम चुनाव में ‘सेना के राजनीतिकरण’, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर वेब सीरीज एवं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के चुनावी हलफनामे में शैक्षणिक योग्यता को लेकर कथित तौर पर ‘गलत जानकारी’ देने के खिलाफ शुक्रवार को चुनाव आयोग का रुख किया और इन पर कदम उठाने का आग्रह किया।

चुनाव आयोग के समक्ष प्रतिवेदन देने के बाद पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष जिस प्रकार से सेना को सस्ती राजनीति में खींच रहे हैं वो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। इस तरह से सेना का राजनीतिकरण आजाद भारत के इतिहास में कभी नहीं हुआ। सेना को सस्ती राजनीति में खींचना सिवाय नरेंद्र मोदी और अमित शाह के किसी ने नहीं किया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने चुनाव आयोग से कहा है कि किसी भी पार्टी का नेता अगर प्रतिबंधित बात करता है तो उसे पहली बार में चुनाव प्रचार से एक दिन के लिए उस पर पाबंदी लगा दी जाए। इसके बाद जब भी ऐसा करे उस पर उतने ही दिन का प्रतिबंध लगे।’’

‘इरोज नाउ’ नामक प्लेटफॉर्म पर चल रहे प्रधानमंत्री से जुड़ी वेब सीरीज के बारे में सिंघवी ने कहा, ‘‘ हमने कहा है कि इसमें सिर्फ नरेंद्र मोदी को हीरो की तरह दिखाया गया है। हमने मांग की है कि इसे प्रतिबंधित किया जाए।’’

स्मृति ईरानी के चुनावी हलफनामे का उल्लेख करते हुए कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘‘समस्या यह नहीं है कि कोई कितना पढ़ा है, लेकिन जब (कोई) इस देश की प्रजातांत्रिक प्रणाली को धोखा देकर, झूठ बोलकर जनता की आंख में धूल झोंकने की कोशिश करती हैं तो दिक्कत है।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘ मंत्री ने अलग अलग चुनावी हलफनामे में अलग अलग जानकारी दी है। एक मंत्री भी कभी ग्रेजुएट थी। न देश के प्रधानमंत्री की डिग्री का पता और न ही उनकी इस मंत्री की डिग्री का पता नहीं है।’’

सुरजेवाला ने कहा, ‘‘हमने कहा है कि यह कादाचार है। उनका नामांकन खारिज करना चाहिए।

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पश्चिम बंगाल में मुख्य मुकाबला तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच हो गया, राष्ट्रीय नागरिक पंजी, नागरिकता विधेयक और घुसपैठ चुनावी मुद्दे बने attacknews.in

कोलकाता, 12 अप्रैल । पश्चिम बंगाल में एक-दूसरे को कड़ी चुनौती दे रही सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए लोकसभा चुनावों राष्ट्रीय नागरिक पंजी, नागरिकता (संशोधन) विधेयक और घुसपैठ प्रमुख मुद्दा हैं।

रोजगार सृजन, अल्पसंख्यकों को रिझाना, भ्रष्टाचार, केंद्र में अगली सरकार बनाने में तृणमूल कांग्रेस की भूमिका, बालाकोट हवाई हमलों की सच्चाई भी महत्वपूर्ण मुद्दे बनकर सामने आए हैं।

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह फिर से सत्ता में आने पर देशभर में खासतौर से पश्चिम बंगाल में एनआरसी और नागरिकता (संशोधन) विधेयक लागू करने पर लगातार जोर देते रहे हैं। दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जी जान से इसका विरोध करने का वादा किया है।

एनआरसी तब विवादों में आया जब दशकों से असम में रह रहे करीब 40 लाख लोगों के नाम 2018 में जारी अंतिम मसौदे से पूरी तरह हटा दिए गए।

बनर्जी लगातार दावा करती रही हैं कि एनआरसी और नागरिकता (संशोधन) विधेयक असल में भारतीय नागरिकों को ही शरणार्थी बना देगा।

शाह ने बृहस्पतिवार को राज्य में चुनावी रैलियों को संबोधित करते हुए घुसपैठ का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने बांग्लादेश के अवैध प्रवासियों को ‘‘दीमक’’ बताया।

एनआरसी, नागरिकता (संशोधन) विधेयक और घुसपैठ के मुद्दे की गूंज राज्य में जमीनी स्तर पर भी सुनाई दे रही है। बड़ी संख्या में शरणार्थियों के प्रवेश करने और विभाजन के बाद से लगातार घुसपैठ के कारण ये मुद्दे निकले हैं।

टीएमसी महासचिव पार्थ चटर्जी ने  कहा, ‘‘हम जनता के पास यह संदेश लेकर जा रहे हैं कि एनआरसी और नागरिकता (संशोधन) विधेयक लोगों पर कैसे असर डालेगा और कैसे भाजपा उन्हें इन मुद्दों पर भ्रमित करने की कोशिश कर रही है। हमें अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है और हम शरणार्थी नहीं बनना चाहते।’’

भारत-बांग्लादेश सीमा के समीप संसदीय सीटों जैसे कि राजगंज, कूचबिहार, बालुरघाट, मालदा उत्तर, मालदा दक्षिण, ब्रह्मपुर, मुर्शिदाबाद, जलपाईगुड़ी, जयनगर, बशीरहाट, बनगांव में मुस्लिम आबादी काफी तादाद में है।

टीएमसी की राज्य में अल्पसंख्यक मतदाताओं पर अच्छी पकड़ है और वह यह प्रचार कर रही है कि कैसे भाजपा एनआरसी के नाम पर मुसलमानों को निशाना बनाने की कोशिश कर रही है।

दूसरी ओर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि अगर पार्टी सत्ता में आयी तो वह अवैध मदरसों के खिलाफ कदम उठाएगी और राज्य में रिझाने वाला कोई कदम नहीं उठाएगी।

पार्टी ने सारदा और रोज वैली चिट फंड घोटालों और नारद स्टिंग ऑपरेशन के बाद भ्रष्टाचार को भी प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाया है।

वहीं, राज्य में अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही माकपा और कांग्रेस रोजगार सृजन तथा किसानों की कर्ज माफी के मुद्दों पर जोर दे रहे हैं।

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