बकौल केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह:उत्तरप्रदेश का देवबंद “आतंकवाद की गंगोत्री”,जहां से मुंबई हमले का मास्टरमाइंड हाफिज़ सईद जैसे लोग निकलते हैं attacknews.in

सहारनपुर, 12 फरवरी । भाजपा नेता एवं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने मंगलवार को यहां कहा कि देवबंद ‘‘आतंकवाद की गंगोत्री’’ है जहां से मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद जैसे लोग निकलते हैं।

उनके इस बयान से विवाद खड़ा हो गया है।

मंत्री ने देवबंद में यह बात तब कही जब उनसे संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों के बारे में सवाल किया गया।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने एक बार कहा था कि देवबंद आतंकवाद की गंगोत्री है।’’

मंत्री ने कहा कि ‘‘हाफिज सईद जैसे सभी बड़े आतंकवादी’’ वहीं (देवबंद) से निकलते हैं।

केंद्रीय मंत्री सीएए के समर्थन में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने सहारनपुर आए थे।

मंत्री ने सीएए विरोधी आंदोलन को देश विरोधी आंदोलन करार दिया।

उन्होंने दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र शरजील इमाम की ‘‘भारत विरोधी’’ टिप्पणियों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘यह भारत के खिलाफ है। यह खिलाफत आंदोलन की तरह है।’’

केंद्रीय मंत्री के बयान पर टिप्पणी करते हुए कांग्रेस नेता एवं पूर्व विधायक इमरान मसूद ने कहा कि गिरिराज सिंह ‘‘घृणा में इस हद तक अंधे हो चुके हैं’’ कि उन्होंने पवित्र शब्द ‘‘गंगोत्री’’ का भी ‘‘अपमान’’ किया है।

सहारनपुर से सांसद हाजी फजलुर रहमान ने भी सिंह के बयान की निन्दा की और कहा कि देवबंद स्वतंत्रता सेनानियों की ‘‘कर्मभूमि’’ रहा है।

उन्होंने कहा कि देवबंद के उलेमाओं ने स्वतंत्रता की खातिर अपने जीवन का बलिदान दिया और जेल गए।

केंद्रीय मंत्री पर हमला बोलते हुए सांसद ने कहा कि वे लोग, जिनके नेताओं ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों की मदद की और हिन्दू-मुसलमानों को बांटने की कोशिश की, वे देवबंद पर आतंकवाद का आरोप लगा रहे हैं।

“पानी” के कारण कमलनाध चुनावी राजनीति में आए और उन्होंने भविष्य में गंभीर “जलसंकट” होने का संकेत दिया attacknews.in

भोपाल, 11 फरवरी।मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज कहा कि उनके चुनावी राजनीति में आने का मूल कारण ‘पानी’ है।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ ने यहां राष्ट्रीय जल सम्मेलन में बताया की 1979 में जब वे छिंदवाड़ा जिले के सौंसर से पांढुर्णा जा रहे थे, तब रास्ते में कुछ गांव के लोग सड़क पर खड़े होकर उनका 3 घंटे से इंतजार कर रहे थे। उस समय रात के 10 बज रहे थे। श्री कमलनाथ के अनुसार उन्होंने अपनी गाड़ी रोकी और उनसे खड़े होने का कारण पूछा, तो गांव वालों ने बताया कि सड़क से आधा किलोमीटर दूर उनका गांव है। उन्हें पानी लेने के लिए 12 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। इसके कारण हमारे गांव के लड़कों के विवाह नहीं हो रहे हैं। क्योंकि लड़की वाले कहते है कि उनकी बेटी इतने दूर से पानी नहीं लाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उसी दिन उन्होंने तय किया था कि चुनावी राजनीति के जरिए लोगों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाएंगे।

श्री कमलनाथ ने कहा कि छिंदवाड़ा में आज जो स्थिति है, वह सबके सामने है।

समारोह में जल पुरुष के नाम से विख्यात और मेगसेसे पुरस्कार प्राप्त प्रोफेसर राजेन्द्र सिंह ने बताया कि वर्ष 1990 से उनके श्री कमलनाथ ने संबंध हैं।

उन्होंने कहा कि श्री कमलनाथ का पर्यावरण के प्रति कितना गहरा जुड़ाव है, इसका एक उदाहरण है गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली राज्य में फैली हुयीं अरावली पर्वत श्रंखलाएं। उन्होंने कहा कि आज यह पर्वत सुरक्षित हैं, तो इसका श्रेय मुख्यमंत्री कमलनाथ को जाता है।

श्री सिंह ने बताया कि 7 मई 1992 को अरावली पर्वत में हो रहे अवैध उत्खनन और अतिक्रमण को लेकर वे श्री कमलनाथ से मिले थे, तब वे केन्द्र में वन एवं पर्यावरण मंत्री थे। जब उनके समक्ष यह मुद्दा रखा गया, उन्होंने तत्काल अरावली पर्वत को बचाने के लिए अधिसूचना जारी करायी। उसके कारण ही वे आज तक सुरक्षित हैं और वहां चारों तरफ हरियाली है।

इसी आयोजन में मुख्यमंत्री का तरुण भारत संघ की ओर से ‘राइट टू वॉटर’ कानून बनाने की पहल करने और मध्यप्रदेश को देश का पहला राज्य बनाने के लिए अभिनंदन पत्र भेंट किया गया। अभिनंदन पत्र में कहा गया है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ की दूरदर्शी सोच के कारण 2020 में जल सुरक्षा अधिनियम बनाने की पहल की गयी है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पर्यावरण संरक्षण को लेकर उनके विचारों पर अमल की दिशा में एक अद्भुत कदम है।

इस अभिनंदन पत्र में यह भी जिक्र है कि देश के वन एवं पर्यावरण मंत्री के रूप में श्री कमलनाथ ने अरावली पर्वत को अवैध अतिक्रमण और खनन से रोकने के लिए, जो अधिसूचना जारी की थी, वह पर्यावरण के प्रति उनकी गहरी निष्ठा को अभिव्यक्त करता है।

जलसंकट भविष्य में और गंभीर होने वाला है – कमलनाथ

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज कहा कि हमारी सोच के अभाव और लापरवाही के कारण जलसंकट बढ़ रहा है, जो आगे चलकर और भी गंभीर होने वाला है। इस चुनौती का मुकाबला हम सभी को मिलकर करना होगा।

श्री कमलनाथ ने यहां जलाधिकार कानून को लेकर मध्यप्रदेश सरकार और जल जन जोड़ाे आंदोलन की ओर से संयुक्त रूप से आयोजित राष्ट्रीय जल सम्मेलन को संबोधित किया। इस अधिवेशन में 25 राज्यों के जल और पर्यावरण से जुड़े समाजसेवी और विषय विशेषज्ञ शामिल हो रहे हैं। सम्मेलन में राज्य सरकार के प्रस्तावित ‘राइट टू वॉटर’ विषय पर भी विमर्श होगा।

श्री कमलनाथ ने कहा कि पानी की उपलब्धता समाज और सरकार के सामने आने वाले समय में सबसे बड़ी चुनौती है। सब मिलकर ही इसका मुकाबला कर पाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका स्वप्न है कि हर व्यक्ति को शुद्ध जल उसके घर पर मिले। यह स्वप्न सबका हो, तो जरूर इसमें सफल होंगे

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सोच के अभाव, लापरवाही के कारण जल संकट बढ़ रहा है, जो आगे चलकर और भी गंभीर होने वाला है।

श्री कमलनाथ ने बताया कि 1982 में हुए ‘पृथ्वी सम्मेलन’ में उन्होंने इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उठाते हुए कहा था कि पर्यावरण, जंगल तभी तक सुरक्षित और जीवित हैं, जब तक हमारे पास पानी है। इसलिए पानी बचाने, जल स्त्रोतों को संरक्षित करने का काम सबसे पहले करना होगा।

मुख्यमंत्री ने बताया कि आज हमारे 65 बांध, 165 रिजर्ववायर सूखे की चपट में हैं। स्थानीय निकाय नागरिकों को 2 से 4 दिन में पानी उपलब्ध करवा पा रहे हैं। भविष्य में यह संकट और गहराएगा। इसकी चिंता हमें आज से करना होगी।

उन्होंने कहा कि हमारे पर्यावरण विद और जल संरक्षण के क्षेत्र में समर्पित भाव से काम करने वाले स्वयंसेवियों को इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाना होगी। उन्होंने कहा कि हम लोगों ने मिलकर इसकी आज से चिंता नहीं की, तो आने वाली पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी।

श्री कमलनाथ ने कहा कि ‘राइट टू वाटर’ कानून लाने का हमारा मकसद है कि जहाँ पानी को बचाने के प्रति लोगों में जागरूकता आए और वे सरकार के साथ संरक्षण के लिए सहभागी बनें। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों से उनकी अपेक्षा है कि वे इस कानून को व्यवहारिक और प्रभावी बनाने अपने महत्वपूर्ण सुझाव दें। भविष्य में भी लोगों की पानी की जरूरत पूरी होती रहे, इस पर विचार कर ऐसे उपाय सुझाएं, जिस पर बेहतर ढंग से अमल हो सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज जल संरक्षण और भू-जल स्तर में वृद्धि करने की कई नई तकनीक आ गई हैं। इन आधुनिक तकनीकों को भी हम जाने और इनका उपयोग जल को बचाने से लेकर उसे आम आदमी तक पहुँचाने के लिए करें।

राज्य के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री सुखदेव पांसे ने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में यह सरकार पर्याप्त पानी, पहुँच में पानी और पीने योग्य पानी का कानूनी अधिकार देने जा रही है। ऐसा अधिकार देने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य होगा। उन्होंने कहा कि वर्षा की एक – एक बूंद को सहेजने से लेकर उसे घर तक पहुँचाने के प्रत्येक पहलू का समावेश जल अधिकार कानून में रहेगा।

उन्होंने बताया कि पानी की रिसाइक्लिंग, वाटर रिचार्जिंग उसका वितरण एवं उपयोग भी इस कानून के दायरे में आयेगा। वर्तमान में प्रदेश की 72 प्रतिशत आबादी, 55000 गाँवाें की 01 लाख 28 हजार बसाहटों में निवास करती है। गाँवों की 98 प्रतिशत पेयजल व्यवस्था भू-जल पर आधारित है। इसीलिये गिरता हुआ भू-जल स्तर प्रतिवर्ष जल संकट को बढ़ा रहा है। उन्होंने बताया कि आने वाले पाँच सालों में हम प्रदेश के प्रत्येक घर में नल के माध्यम से 55 लीटर प्रति व्यक्ति शुद्ध एवं स्वच्छ जल पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

जल पुरुष एवं मेगसेसे पुरस्कार प्राप्त प्रो. राजेन्द्र सिंह ने मुख्यमंत्री को बधाई दी कि उन्होंने जल अधिकार कानून बनाने की पहल कर पूरे देश को यह सोचने पर मजबूर किया है कि वे जल संरक्षण और इसके बेहतर उपयोग के लिए काम करें। सभी राज्य सरकारों को मध्यप्रदेश की इस पहल का अनुसरण करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जलाधिकार कानून बनाने की पहल करके मुख्यमंत्री ने समाज में विश्वास पैदाकर उनके अंदर मालिकाना हक का भाव जाग्रत किया है कि जल संसाधन हमारा है और हमारे लिए है। यह एक अवसर है जब हम सब मिलकर जल का उपयोग अनुशासित होकर करें।

इस मौके पर राज्य के मुख्य सचिव एस.आर. मोहन्ती, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के प्रमुख सचिव संजय शुक्ला तथा देश भर से आए जल एवं पर्यावरण विशेषज्ञ उपस्थित थे।

मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने वाली कांग्रेस पार्टी को दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुसलमानों ने नहीं दिया हाथ का साथ, कांग्रेस के 67 प्रत्याशियों की जमानत जब्त attacknews.in

नयी दिल्ली, 11 फरवरी । मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप झेलने वाली कांग्रेस को दिल्ली विधानसभा चुनाव में समुदाय से निराशा ही हाथ लगी है। कांग्रेस ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में पांच मुस्लिम चेहरों को टिकट दिया था, लेकिन इन पांचों उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।

सीलमपुर से दिल्ली में कांग्रेस के कद्दावर नेता चौधरी मतीन अहमद भी जमानत नहीं बचा पाए लेकिन उन्हें पार्टी के सभी मुस्लिम प्रत्याशियों में सबसे ज्यादा वोट मिले हैं। उन्हें 15.61 फीसदी वोट मिले हैं।

2013 के विधानसभा चुनाव में अहमद ने 46.52 प्रतिशत मत हासिल करके जीत दर्ज की थी। आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवार मसूद अली खान को 12.99 फीसदी वोट मिले थे और वह चौथे नंबर पर रहे थे। मगर 2015 के विधानसभा चुनाव में कहानी पलट गई थी और आप के मोहम्मद इशराक ने 51.26 प्रतिशत मत हासिल करके जीत दर्ज की थी और कांग्रेस के अहमद तीसरे नम्बर पर चले गए थे और उन्हें 21.28 फीसदी वोट मिले थे। इस सीट से भाजपा के संजय जैन 26.31 प्रतिशत वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे।

इस बार आप के अब्दुल रहमान 56.05 प्रतिशत वोटों के साथ जीते हैं।

दक्षिण दिल्ली की ओखल विधानसभा सीट पर भी मुस्लिम समाज ने कांग्रेस का साथ नहीं दिया। इस सीट से 1993 से 2008 तक कांग्रेस के परवेज हाशमी विधायक थे और 2009 में विधानसभा से इस्तीफा देकर राज्यसभा चले गए थे। इसके बाद हुए उपचुनाव में राजद के टिकट पर आसिफ मोहम्मद खान ने यह सीट जीती थी लेकिन वह बाद में वह कांग्रेस में आ गए थे और 2013 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था। उन्होंने 36.34 प्रतिशत वोट प्राप्त कर जीत दर्ज की थी। तब इस सीट से आप से इरफानुल्ला खान 17.05 फीसदी वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे थे।

लेकिन 2015 के विधानसभा चुनाव में आप के अमानतुल्ला खान ने 62.57 प्रतिशत वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी और कांग्रेस के आसिफ मोहम्मद तीसरे नंबर पर चले गए थे और उन्हें 12.08 प्रतिशत वोट मिले थे। ओखला से दूसरे नंबर पर भाजपा के ब्रह्म सिंह (23.84 प्रतिशत मत) रहे थे।

इस बार कांग्रेस ने आसिफ को टिकट नहीं देकर हाशमी पर भरोसा जताया। हाशमी को 2.6 फीसदी वोट मिले हैं, जबकि भाजपा के सिंह को 21.97 प्रतिशत मत मिले हैं। अमानतुल्ला खान 72.49 वोट हासिल कर जीते हैं।

शाहीन बाग का इलाका ओखला विधानसभा क्षेत्र में ही आता है, जहां करीब दो महीने से संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) के खिलाफ महिलाओं सहित काफी संख्या में लोग धरने पर बैठे हुए हैं।

बल्लीमारान से 1993 से 2015 तक कांग्रेस के विधायक रहे और शीला दीक्षित सरकार में मंत्री रहे हारून यूसुफ ने 2013 में 36.18 फीसदी वोटों के साथ सीट पर कब्ज़ा किया था। इस सीट से आप की फरहाना अंजुम तीसरे नंबर पर रही थी और उन्हें 14.76 प्रतिशत वोट मिले थे। मगर 2015 में युसूफ तीसरे नंबर पर खिसक गए और उन्हें 13.80 प्रतिशत मत मिले थे, जबकि बसपा से आप में आए इमरान हुसैन ने 59.71 फीसदी वोटों के साथ जीत दर्ज की थी। हुसैन दिल्ली सरकार में मंत्री हैं।

इस बार भी कांग्रेस के टिकट पर किस्मत अज़मा रहे युसूफ को 4.73 फीसदी वोट मिले हैं और आप के हुसैन 64.65 फीसदी वोट प्राप्त कर विजय हुए हैं।

बड़े पैमाने पर मुस्लिम समुदाय के आप के साथ जाने का कारण भाजपा नेताओं की भड़काऊ बयानबाजी मानी जा रही है।

सामाजिक कार्यकर्ता फहीम बेग ने कहा कि भाजपा नेताओं की भड़काऊ बयानबाज़ी से आप के पक्ष में लोग एकजुट हुए और सभी ने विकास के लिए वोट किया। इसमें मुस्लिम भी शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि यह अग्निपरीक्षा थी कि क्या जनता विकास पर वोट करेगी या हिन्दू-मुसलमान के मुद्दे पर। लोगों ने विकास का साथ दिया और इस चुनाव में कांग्रेस के पास खोने को कुछ नहीं था।

भाजपा के मॉडल टाउन से प्रत्याशी कपिल मिश्रा, भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भड़काऊ बयान दिए थे। चुनाव आयोग ने उन पर कार्रवाई भी की थी।

मुस्तफाबाद विधानसभा सीट 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी और 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हसन अहमद जीते थे। हसन को 2013 में 38.24 प्रतिशत वोट मिले थे और आप के कपिल धर्म 13.43 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे। लेकिन 2015 के चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबले में भाजपा के जगदीश प्रधान सीट से जीत गए थे।

पिछले विधानसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस के हसन अहमद को 31.68 फीसदी और तीसरे स्थान पर रहे आप के हाजी युनूस को 30.13 प्रतिशत वोट मिले थे और प्रधान को 35.33 प्रतिशत मत मिले थे।

लेकिन इस बार मुस्तफाबाद सीट से मुस्लिम मतदाताओं ने कांग्रेस का समर्थन नहीं किया। इस बार कांग्रेस ने हसन के बेटे अली महदी को टिकट दिया है और उन्हें अब तक महज 2.89 प्रतिशत वोट मिले हैं। वहीं आप के युनूस 53.2 फीसदी वोट हासिल करके जीत गए हैं।

मटियामहल सीट पर 1993 से कभी भी कांग्रेस नहीं जीती है। यहां से अलग-अलग पार्टियों के टिकट पर 2015 तक शुएब इकबाल ही जीतते आए हैं। लेकिन कांग्रेस को इतने कम वोट कभी नहीं मिले जितने ही इस बार मिले हैं।

2013 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े मिर्जा जावेद को 27.68 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं, 2015 में कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे इकबाल को 26.75 फीसदी वोट मिले थे और आप के आसिम खान को 59.23 प्रतिशत वोट मिले थे। लेकिन इस बार फिर से मैदान में उतरे कांग्रेस के मिर्जा जावेद को 3.85 प्रतिशत वोट मिले हैं। इस बार इकबाल आप के टिकट पर मैदान में हैं और उन्हें 75.96 फीसदी वोट मिले हैं।

यही हाल चांदनी चौक और बाबरपुर विधानसभा क्षेत्रों का है, जहां अच्छी खासी संख्या में मुस्लिम आबादी रहती है। बाबरपुर से कांग्रेस की उम्मीदवार अन्वीक्षा जैन को 3.59 फीसदी और चांदनी चौक से कांग्रेस प्रत्याशी अल्का लंबा को 5.03 प्रतिशत वोट मिले हैं।

कांग्रेस के 63 प्रत्याशियों की जमानत जब्त:

दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन किया है और कुल हुए मतदान में से पार्टी को पांच फीसदी से भी कम वोट मिले हैं। कांग्रेस के 63 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई है।

पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के नेतृत्व में दिल्ली में 15 साल तक शासन करने वाली कांग्रेस लगातार दूसरी बार विधानसभा चुनाव में एक भी सीट जीतने में नाकाम रही है।

पार्टी के तीन उम्मीदवार– गांधी नगर से अरविंदर सिंह लवली, बादली से देवेंद्र यादव और कस्तूरबा नगर से अभिषेक दत्त — ही अपनी जमानत बचा पाए हैं।

यदि किसी उम्मीदवार को निर्वाचन क्षेत्र में डाले गए कुल वैध मतों का छठा भाग नहीं मिलता है, तो उसकी जमानत जब्त हो जाती है।

कांग्रेस के अधिकतर प्रत्याशियों को पांच प्रतिशत से भी कम वोट मिले हैं।

दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा की बेटी शिवानी चोपड़ा की कालकाजी सीट से जमानत जब्त हो गई।

विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष योगानंद शास्त्री की बेटी प्रियंका सिंह की भी जमानत जब्त हो गई है।

कांग्रेस प्रचार समिति के अध्यक्ष कीर्ति आज़ाद की पत्नी पूनम आजाद भी संगम विहार से अपनी जमानत नहीं बचा पाईं। उन्हें केवल 2,604 वोट यानी मात्र 2.23 फीसदी वोट ही मिले।

आप की जीत पर शाहीन बाग और जामिया नगर में जश्न

दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की शानदार जीत पर मंगलवार को सीएए विरोधी प्रदर्शनों के केन्द्र शाहीन बाग में जश्न मनाया गया। इस दौरान कई लोगों ने पार्टी की जीत को लेकर मुफ्त में भोजन और बिरयानी बांटी।

ओखला विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार अमानतुल्ला खान भाजपा उम्मीदवार ब्रह्म सिंह से अजेय बढ़त के साथ विजयी हुए । शाहीन बाग और जामिया नगर ओखला निर्वाचन क्षेत्र में आते हैं। शाहीन बाग में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ दो महीने से महिलाएं और युवा प्रदर्शन कर रहे हैं।

शाहीन बाग में रहने वाली शमीमा बानो ने कहा, ‘यह हम सभी की जीत है। हम सभी ने अमानत भाई (अमानतुल्ला खान) को अपना नेता चुना है। उन्होंने इस क्षेत्र की महिलाओं और युवाओं की हर तरह से मदद की है। उन्होंने इस इलाके के कई युवाओं को रोजगार दिलाया है।’

आम आदमी पार्टी की जीत से प्रदर्शनकारी महिलाएं खुशी से झूम उठी और एक दूसरे को लगे लगा लिया।

प्रदर्शन स्थल पर महजबीन कुरैशी ने कहा, ‘आप सच में आम आदमी के लिये विकास लेकर आई है। मेरे बच्चे नजदीकी सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं। हम सभी इलाज के लिये आम आदमी पार्टी सरकार के मोहल्ला क्लीनिक में जाते हैं।मेरी सास का बीते चार साल से घुटनों का इलाज चल रहा है।’

इसके अलावा बटला हाउस, नूर नगर, अबुल फजल एंक्लेव, जाकिर नगर और उससे लगे इलाकों में भी आम आदमी पार्टी के शानदार प्रदर्शन से खुशी की लहर दौड़ गई।

कपड़ा कारोबारी आसिम खान ने कहा, ‘हमने बीते पांच साल में जामिया नगर को बदलते देखा है। हमने आम आदमी पार्टी की ईमानदारी और पारदर्शी नीतियों को वोट दिया। जामिया ही नहीं बल्कि पूरी दिल्ली ने असली विकास को वोट दिया, जोकि अरविंद केजरीवाल हैं।’

अरविंद केजरीवाल ने I Love you बोलकर दिल्ली की जनता को धन्यवाद दिया, आप पार्टी की खुशी में कांग्रेस पार्टी मे भी जश्न attacknews.in

नयी दिल्ली, 11 फरवरी । दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आप की शानदार जीत को भारत की जीत बताते हुए कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव से एक नयी तरह की राजनीति का उभार हुआ है । स्कूल, अस्पताल बनाने वाली और लगातार सस्ती बिजली देने वाली पार्टी को लोगों ने इनाम दिया है ।

राष्ट्रीय राजधानी में आप मुख्यालय में जश्न में डूबे समर्थकों और पार्टी के कार्यकर्ताओं को संक्षिप्त संबोधन में केजरीवाल ने कहा, ‘‘आई लव यू।’’

ताजा रुझान के मुताबिक दिल्ली में 70 विधानसभा सीटों में आम आदमी पार्टी 63 पर बढ़त बनाए हुए है जबकि भाजपा सात निर्वाचन क्षेत्रों में आगे है ।

उन्होंने कहा, ‘‘यह दिल्ली के लोगों की जीत है, जिन्होंने मुझे अपना बेटा माना…हनुमानजी ने मुझे आशीर्वाद दिया । भगवान मुझे दिल्ली के लोगों की सेवा करने की और ताकत दे । ’’

केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में ‘‘काम की राजनीति’’ का जन्म हुआ और आप की जीत समूचे देश की जीत है ।

समर्थकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘भारत माता की जय ….इंकलाब जिंदाबाद । ’’

केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के लोगों ने एक नयी राजनीति को जन्म दिया है जिसमें काम करने वालों को फिर से मौका दिया गया है।

आप कार्यकर्ताओं के बीच मंगलवार को श्री केजरीवाल ने यहां जीत का श्रेय दिल्लीवासियों को देते हुए उनका आभार जताया। उन्होंने कहा कि दिल्ली की जनता ने तीसरी बार उन पर भरोसा जताया है।

उन्होंने कहा कि यह हर उस परिवार की जीत है जिसे दिल्ली में 24 घंटे बिजली मिलती है, जिसके बच्चों को अच्छी शिक्षा मिली है, जिसे अस्पतालों में अच्छा ईलाज मिला है, जिसे सस्ती बिजली मिली है।

उन्होंने कहा कि दिल्ली की जनता ने एक नयी राजनीति को जन्म दिया दिया और वह है काम की राजनीति। दिल्लीवासियों ने साफ संदेश दिया है कि वोट उसी को ,जिसने काम किया है। यही राजनीति देश को आगे ले जाने का काम करेगी, यह भारत माता की जीत है और पूरे देश की जीत है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज मंगलवार है जो हनुमान जी का दिन है। उन्होंने दिल्ली पर कृपा बरसायी है वह उनका भी धन्यवाद देते हैं। उन्होंने कहा कि प्रभु से यही कामना है कि आने वाले पांच साल भी दिशा दिखाते रहें ताकि दिल्लीवासियों की सेवा करता रहूं।

उन्होंने कहा कि अगले पांच वर्षों में दिल्ली के दो करोड़ लोगों के साथ मिलकर इसे सुंदर और स्वच्छ शहर बनायेंगे। उन्होंने पार्टी की इस जीत के लिए कार्यकर्ताओं का भी शुक्रिया अदा किया जिन्होंने दिनरात मेहनत करके पार्टी को इस मुकाम तक पहुंचाया।

श्री केजरीवाल ने अंत में अपने परिवार का भी आभार जताते हुए कहा कि उनके निरंतर सहयोग के कारण ही वह आज इस मुकाम तक पहुंचे है। इस दौरान उनके साथ उनकी पत्नी, बेटी और बेटा भी मौजूद था।

उपराज्यपाल ने दिल्ली विधानसभा को भंग किया

उपराज्यपाल अनिल बैजल ने मंगलवार को दिल्ली विधानसभा भंग कर दी।

एक अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए बताया, ‘‘उपराज्यपाल अनिल बैजल ने मंगलवार को 11 फरवरी से तत्काल प्रभाव से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की छठी विधानसभा को भंग कर दिया।’’

अधिकारी ने कहा, ‘‘अंतिम परिणाम आने के बाद सातवीं विधानसभा के गठन के लिए एक नया आदेश जारी किया जायेगा।’’

दिल्ली के जनादेश ने राष्ट्रवाद का सही अर्थ समझाया : सिसोदिया

आप के प्रमुख चेहरे मनीष सिसोदिया ने पटपड़गंज सीट से जीत हासिल करने के बाद कहा कि दिल्ली के लोगों ने अपने जनादेश के जरिए राष्ट्रवाद का सही अर्थ समझाया है।

तीसरी बार अपनी सीट बरकरार रखने वाले सिसोदिया ने कहा कि भाजपा ने “नफरत की राजनीति” की लेकिन लोगों ने खुद को बांटे जाने से इनकार कर दिया।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “मैं पटपड़गंज सीट दोबारा जीत कर खुश हूं। भाजपा ने नफरत की राजनीति की लेकिन मैं पटपड़गंज के लोगों को धन्यवाद देता हूं। आज, दिल्ली के लोगों ने ऐसी सरकार को चुना जो उनके लिए काम करती है और उन्होंने अपने जनादेश के जरिए राष्ट्रवाद का सही अर्थ समझाया।”

उपमुख्यमंत्री एवं सरकार के शिक्षा सुधार एजेंडे का नेतृत्व करने वाले सिसोदिया ने रवींद्र सिंह नेगी को करीब 3,500 मतों के अंतर से हराया।

शुरुआती रुझान में कभी सिसोदिया आगे तो कभी नेगी आगे बढ़ते हुए दिख रहे थे।

सिसोदिया को 2013 में 11,000 मतों और 2015 में 28,000 मतों के अंतर से जीत मिली थी।

भारत की आत्मा को बचाने के वास्ते खड़े होने के लिए धन्यवाद दिल्ली: प्रशांत किशोर

आम आदमी पार्टी के प्रचंड बहुमत के साथ दिल्ली की सत्ता की ओर फिर से बढ़ने के बीच प्रशांत किशोर ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी ‘‘भारत की आत्मा को बचाने के लिए उठ खड़ी हुई है।’’

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘भारत की आत्मा को बचाने के वास्ते उठ खड़े होने के लिए धन्यवाद दिल्ली।’’

किशोर के संगठन आई-पैक ने आप के प्रचार अभियान का प्रबंधन किया था।

संशोधित नागरिकता कानून को लेकर किशोर मोदी सरकार के कटु आलोचक रहे हैं। उन्हें हाल में भाजपा के सहयोगी घटक जद (यू) से निष्कासित कर दिया गया था

दिल्ली की जनता ने भाजपा के विभाजनकारी और खतरनाक एजेंडे को हराया: कांग्रेस

दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त का सामना करने वाली कांग्रेस ने मंगलवार को जनादेश स्वीकार करते हुए दावा किया कि राष्ट्रीय राजधानी की जनता ने भाजपा के ‘विभाजनकारी और खतरनाक’ एजेंडे को पराजित किया है।

पार्टी ने यह भी कहा कि वह दिल्ली में संगठन का नए सिरे से निर्माण करेगी और एक सजग विपक्ष की भूमिका निभाएगी।

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने हार की नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार की और भाजपा एवं आम आदमी पार्टी पर ध्रुवीकरण का आरोप लगाया।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा, ‘‘आप की जीत हुई, बेवकूफ बनाने तथा फेंकने वालों की हार हुई। दिल्ली के लोग, जो भारत के सभी हिस्सों से हैं, उन्होंने भाजपा के ध्रुवीकरण, विभाजनकारी और खतरनाक एजेंडे को हराया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं दिल्ली के लोगों को सलाम करता हूं जिन्होंने 2021 और 2022 में अन्य राज्यों जहां चुनाव होंगे, उनके लिए मिसाल पेश की है।’’ लोकसभा में कांग्रेस के नेता चौधरी ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘यह चुनाव द्विदलीय हो गया। शायद यही वजह रही कि कांग्रेस को उम्मीद के मुताबिक वोट नहीं मिले।’ उन्होंने कहा, ‘दिल्ली में विकास के एजेंडे की जीत हुई है। सांप्रदायिक एजेंडे की पराजय हुई है।’

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जनता ने अपना जनादेश दे दिया। जनादेश कांग्रेस के विरूद्ध भी दिया है। हम कांग्रेस और डीपीसीसी की तरफ से इस जनादेश को विनम्रता से स्वीकार करते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ हम निराश नहीं हैं। कांग्रेस को जमीनी स्तर पर और नए सिरे से मजबूत करने का संकल्प दृढ़ हुआ है। कांग्रेस के कार्यकर्ता और साथी का हम धन्यवाद करते हैं। हम नवनिर्माण का संकल्प लेते हैं।’’

सुरजेवाला ने कहा, ‘‘हम सजग विपक्ष के तौर पर दिल्ली के ढांचागत विकास और विभिन्न मुद्दों पर नजर भी रखेंगे और जनता की आवाज उठाते रहेंगे।’’ सुभाष चोपड़ा ने कहा, ‘‘ हम जनादेश के समक्ष सिर झुकाते हैं और केजरीवाल को मुबारकबाद देते हैं। कांग्रेस हारी है, लेकिन हताश नहीं है। हमने जनता के समक्ष अपने विचार रखे और 15 साल के कांग्रेस के शासन के विकास के बारे में जनता को बताया।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘ दोनों पार्टियों ने ध्रुवीकरण करने की कोशिश की और कुछ हद तक वो कामयाब भी रहे।’’

चोपड़ा ने कहा, ‘‘मैं पार्टी के कार्यकर्ताओं का धन्यवाद करता हूं। मैं इस हार की नैतिक जिम्मेदारी लेता हूं। मैंने अपनी क्षमता के हिसाब से पूरा काम किया है।’’

अरविंद केजरीवाल की आंधी ने ऐतिहासिक जीत के साथ दिल्ली विधानसभा चुनाव में लगातार दो बार 60 से अधिक सीटें जीतने वाली पहली पार्टी का इतिहास बनाया attacknews.in

नयी दिल्ली 11 फरवरी ।अरविंद केजरीवाल की आंधी में आम आदमी पार्टी दिल्ली में ऐतिहासिक जीत के साथ तीसरी बार सत्ता में आ गयी है और  केजरीवाल ने लगातार तीन बार मुख्यमंत्री बनने का शीला दीक्षित के रिकार्ड की बराबरी कर ली वही भारतीय जनता पार्टी का 22 वर्ष के बाद सत्ता में वापसी का सपना चकनाचूर हो गया जबकि कांग्रेस की झोली एक बार फिर पूरी तरह खाली रही।

आम आदमी पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 सीटें जीती थीं। इस चुनाव में उसने 60 से अधिक सीेटें जीत कर नया इतिहास रच दिया है। वह लगातार दो चुनावों में 60 से अधिक सीट जीतने वाली पहली पार्टी बन गयी है।

दिल्ली की जनता ने आप को व्यापक समर्थन देकर उसके ‘लगे रहो केजरीवाल’ के नारे पर मुहर लगा दी। चुनाव नतीजों से साफ है कि केजरीवाल के आगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा की ताकत बौनी साबित हुयी। भाजपा के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं लोक जनशक्ति पार्टी के नेता भी काम नहीं आये। भाजपा ने दिल्ली के चुनावों में पहली बार श्री कुमार के जनतादल (यू) और लोजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था लेकिन इन दोनों दलों का सुपड़ा साफ हो गया।

मंगलवार को हुयी मतगणना में आये परिणाम में भाजपा और कांग्रेस दोनों को करारा झटका लगा। गत वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सभी सात सीटें जीतनेवाली भाजपा इस चुनाव मेंं सात सीटों पर सिमट गयी और कांग्रेस लगातार दूसरी बार एक भी सीट नहीं जीत पायी।

मुख्यमंत्री केजरीवाल एवं उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया समेत आप के सभी मंत्री चुनाव जीतने में सफल रहे। श्री सिसोदिया और विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल कड़े मुकाबले के बाद अपनी सीट बचाने में सफल रहे हैं।

केजरीवाल की आंधी में नयी दिल्ली, चांदनीचौक एवं पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीटों के तहत आनेवाली सभी विधानसभा सीटों पर भाजपा के पैर पूरीतरह उखड़ गये और उसे यहां एक भी सीट नसीब नहीं हुयी। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी के संसदीय क्षेत्र उत्तर पूर्वी दिल्ली से भाजपा की कुछ लाज बची। इस संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाली चार सीटों रोहतास नगर, विश्वास नगर, करावल नगर और घोंडा से पार्टी को जीत मिली है।

इसके अलावा पूर्वी दिल्ली की गांधीनगर और लक्ष्मी नगर तथा उत्तर पश्चिमी दिल्ली की रोहिणी सीट से विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता अपनी सीट बचाने में सफल रहे।

आम आदमी से जुड़े मुद्दों और विकास के एजेंडे के साथ राजनीति में आये अरविंद केजरीवाल लगातार दूसरी बार प्रचंड बहुमत के साथ दिल्ली की सत्ता में लौटे हैं तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में यह उनका तीसरा कार्यकाल होगा।

दिल्ली विधानसभा के पिछले चुनाव (2015) में आम आदमी पार्टी (आप) को कुल 70 में 67 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।

केजरीवाल वर्ष 2013 में पहली बार मुख्यमंत्री बने थे और उस चुनाव में आप ने सिर्फ 28 सीटों पर जीत हासिल की थी और उन्होंने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। हालांकि, उनकी यह सरकार केवल 49 दिनों तक ही चल पाई थी।

नौ साल पहले 2011 में केजरीवाल अन्ना हजारे के नेतृत्व में चले ‘‘लोकपाल आंदोलन’’ के दौरान राजनीतिक फलक पर आये थे। इसके बाद जल्द ही उन्होंने आम आदमी पार्टी नाम से एक राजनीतिक पार्टी बना ली।

आम आदमी पार्टी के गठन के बाद दिल्ली की राजनीति में एक नया विकल्प सामने आया। हालांकि, केजरीवाल की महत्वाकांक्षा आप को एक राष्ट्रीय पार्टी बनाने की थी लेकिन इसमें उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिली।

केजरीवाल ने 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को चुनौती देते हुए उनके खिलाफ वाराणसी सीट से चुनाव लड़ा। लेकिन वह हार गए। उन्होंने 2017 में पंजाब और गोवा विधानसभा चुनावों में भी अपनी पार्टी की पैठ बनाने की कोशिश की। पंजाब में कुछ हद तक उन्हें कामयाबी मिली, लेकिन गोवा में उन्हें सफलता नहीं मिली।

केजरीवाल 2013 में पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने और तब वह केवल 49 दिनों तक इस पद पर रहे थे लेकिन 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की 70 सीटों में से 67 सीटों पर प्रचंड जीत दर्ज की।

केजरीवाल के करीबी लोगों का कहना है कि उन्होंने पहले सख्त रवैये के साथ पार्टी को चलाया लेकिन बाद में उन्होंने अपने गुस्से पर काबू रखना सीख लिया।

इस चुनाव में दिल्ली में 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली, 20 हजार लीटर तक मुफ्त पानी, डीटीसी की बसों में महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा और 1.4 लाख सीसीटीवी कैमरों को लगाना उनके मुख्य चुनावी मुद्दे रहे।

अपने चुनाव प्रचार के दौरान केजरीवाल ने कई बार भाजपा पर निशाना साधते हुए पूछा था कि उनका मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार कौन है।

हालांकि, उन्होंने सावधानी बरतते हुए शाहीन बाग में चल रहे सीएए विरोधी प्रर्दशनों पर स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा।

भाजपा के नेताओं ने उन्हें ‘‘आतंकवादी’’ कह कर पुकारा लेकिन केजरीवाल ने पलटवार करते हुए कहा कि मतदाता यदि ऐसा समझते है तो वे भाजपा का समर्थन करें और यदि वे उन्हें दिल्ली का बेटा समझते है तो उनकी पार्टी को वोट दे।’’

‘मफलरमैन’ के रूप में जाने जाने वाले केजरीवाल का जन्म हरियाणा के हिसार में 16 अगस्त, 1968 को गोबिंद राम केजरीवाल और गीता देवी के यहां हुआ था।

केजरीवाल अपनी सादगी के लिए जाने जाते है। उनके परिवार में उनके माता-पिता, पत्नी और दो बच्चें– बेटी हर्षिता और बेटा पुलकित हैं।

केजरीवाल ने मंगलवार को जीत के बाद अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए मंच से कहा कि आज उनकी पत्नी सुनीता का जन्मदिन है।

वह पूरी तरह से शाकाहारी है और घर में बने खाने को प्राथमिकता देते है।

सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून लागू कराने की दिशा में किए गए प्रयासों को लेकर रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किए गए केजरीवाल उस टीम अन्ना के सदस्य थे, जिसमें देश की पहली आईपीएस अधिकारी एवं पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी और वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण शामिल थे।

केजरीवाल ने आईआईटी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की थी।

वह 1989 में टाटा स्टील में नियुक्त हुए और तीन साल काम करने के बाद उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा देने के लिए 1992 में नौकरी से इस्तीफा दे दिया। इस परीक्षा में सफल होने के बाद वह भारतीय राजस्व अधिकारी (आईआरएस) बन गये। उन्होंने मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी के साथ कोलकाता में भी काम किया।

केजरीवाल ने एक एनजीओ ‘परिवर्तन’ के जरिये लोगों के साथ झुग्गी झोपड़ी में काम किया।

उन्होंने फरवरी 2006 में आयकर विभाग के संयुक्त आयुक्त पद से इस्तीफा दे दिया और वह एक पूरी तरह से सामाजिक कार्यकर्ता बन गये। उन्होंने एक अन्य एनजीओ ‘पब्लिक कॉज रिसर्च फाउंडेशन’ की शुरूआत की।

मध्यप्रदेश की नगर पालिकाओं और नगर निगमों के दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को नियमित किये जाने की घोषणा attacknews.in

भोपाल, 10 फरवरी।मध्यप्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री जयवर्द्धन सिंह ने कहा है कि नगरीय निकायों के वर्ष 2007 से 2016 तक के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों एवं सफाई कर्मचारियों को नियमित किया जाएगा तथा सामुदायिक संगठकों के नियमितिकरण का प्रस्ताव भी केबिनेट में रखा जाएगा।

आधिकारिक जानकारी के अनुसार श्री सिंह ने मध्यप्रदेश नगर निगम – नगर पालिका कर्मचारी संघ के स्नेह सम्मेलन में यह घोषणा की।

श्री सिंह ने कहा कि इस संबंध में संघ के प्रतिनिधि मंडल से चर्चा कर जल्द आदेश जारी करने की कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने, राष्ट्रीय पेंशन स्कीम का लाभ, अवकाश 290 से बढ़ाकर 340 दिन करने, सेवा समाप्ति और ईपीएफ के संबंध में भी सकरात्मक निर्णय लिये जाएंगे।

श्री सिंह ने कहा कि नगरीय निकायों में नागरिकों की समस्या का समाधान सुनिश्चित करने के लिये मानव संसाधन जरूरी है। उन्होने कहा कि निकायों के सभी रिक्त पदों की पूर्ति की जाएगी। पदों की पूर्ति में दैनिक वेतनभोगियों को प्राथमिकता दी जाएगी। नगरीय निकायों के स्थापना व्यय बढ़ाने के संबंध में भी चर्चा की जाएगी।

श्री सिंह ने कहा कि चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि के विषय में वित्तीय विभाग से चर्चा हुई है। वर्ष 2020-21 के बजट में इसमें वृद्धि की जाएगी। उन्होंने कहा कि निकायों के कर्मचारियों की समस्याओं के निराकरण के लिये हमारे घर और कार्यालय के द्वार हमेशा खुले हैं। उन्होंने कहा कि नगरीय निकायों के सभी कर्मचारी नागरिकों को बेहतर सुविधाएँ उपलब्ध करवाने के लिये पूरी तत्परता से कार्य करें।

सम्मेलन में संघ के अध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह सोलंकी तथा उज्जैन के कर्मचारी नेता संजय चौबे ने कर्मचारियों की समस्याओं से अवगत कराया। इस दौरान कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों ने विचार व्यक्त किये।

झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में …! और बरेली को मिल ही गया झुमका attacknews.in

बरेली (उत्तर प्रदेश), नौ फरवरी । अर्सा पहले आई बॉलीवुड फिल्म ‘मेरा साया’ के गीत ‘झुमका गिरा रे…’ से मशहूर हुए बरेली को आखिरकार ‘झुमका’ मिल ही गया। दरअसल बरेली में एक तिराहे की छतरी के तौर पर विशाल झुमका लगाया गया है।

केन्द्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने शनिवार शाम को इस झुमका तिराहे का लोकार्पण किया। महिलाओं की खूबसूरती में चार चांद लगाने वाला झुमका अब बरेली की शान बढ़ा रहा है।

गंगवार ने झुमका चौराहे के उद्घाटन कार्यक्रम में कहा, ‘‘संसद में अक्सर कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद मजाकिया लहजे में मुझसे पूछते थे कि बरेली में झुमका मिला या नहीं। अब आखिरकार बरेली को झुमका मिल ही गया। अब मैं उन्हें बताऊंगा कि बरेली को झुमका मिल गया है।’’

केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘झुमका चौराहा ऐसी जगह पर है, जहां तीन विधायकों के कार्यक्षेत्र आपस में जुड़ते हैं। इससे इलाके के बेहतर विकास में भी मदद मिलेगी।’’

आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को बताया, ‘‘बरेली विकास प्राधिकरण के सहयोग से बरेली में राष्ट्रीय राजमार्ग-24 स्थित जीरो प्वाइंट पर बनाये गये झुमका तिराहे पर एक विशाल झुमका लगाया गया है।’’

प्राधिकरण की यह योजना काफी पहले से थी, लेकिन धन के अभाव के कारण इस पर अमल नहीं हो पा रहा था। झुमका लगाने के लिए बरेली के लोगों से सहयोग मांगा गया। लोगों ने भी मदद के लिये हाथ बढ़ाया।

दिल्ली विधानसभा चुनाव का आखिरी आंकड़ा:62.59 प्रतिशत वोट डले attacknews.in

नयी दिल्ली 09 फरवरी ।दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए आठ फरवरी को हुए मतदान में 62.59 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।

दिल्ली के मुख्य चुनाव अधिकारी रणबीर सिंह ने रविवार को संवाददाता सम्मेलन में इसकी जानकारी दी।

शनिवार को मतदान खत्म होने के बाद श्री सिंह ने बताया था कि 57.6 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने वोट डाले हैं लेकिन उन्होंने कहा था कि कई मतदान केंद्रों पर मतदाता वोट डालने के लिए कतार में खड़े हैं इसलिए अंतिम आंकड़ा बढ़ सकता है।

उन्होंने बताया कि मई 2019 में हुए लोकसभा चुनाव की तुलना में विधानसभा में करीब दो प्रतिशत अधिक मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है। वर्ष 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में 67.49 प्रतिशत वोट डाले गये थे। पिछले वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में 60.06 फीसदी मतदाताओं ने मताधिकार का इस्तेमाल किया था।

श्री सिंह ने बताया कि 70 सीटों के लिए हुए चुनाव में कुल 672 प्रत्याशी मैदान में हैं जिनमें 593 पुरुष और 79 महिलायें शामिल हैं जबकि 23 सीटों पर कोई महिला उम्मीदवार नहीं है।

दिल्ली विधानसभा के चुनाव के लिए मतदान शनिवार को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया। रात 10 बजे तक 61.56 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था।

दिल्ली के मुख्य चुनाव अधिकारी रणबीर सिंह ने बताया था कि रात 10 बजे तक प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार 61.56 प्रतिशत मतदाताओं ने मताधिकार का इस्तेमाल किया।

उन्होंने बताया था कि जो भी मतदाता निर्धारित समय शाम छह बजे तक मतदान केन्द्र के सीमा में आ गये उन्हें वोट डालने दिया गया । वर्ष 2015 में हुए विधानसभा चुनाव 67.47 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाले थे। पिछले वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में 60.06 फीसदी मतदाताओं ने मताधिकार का इस्तेमाल किया था।

श्री सिंह ने बताया कि 70 सीटों के लिए हुए चुनाव में कुल 672 प्रत्याशी मैदान में थे जिसमें 593 पुरुष और 79 महिलायें थीं, 23 सीटों पर कोई महिला उम्मीदवार थीं। कुल मतदाता एक करोड़ 47 लाख 86 हजार 382 मतदाता हैं। मतदान संपन्न कराने के लिए 98 हजार से अधिक कर्मी तैनात किये गये थे।
उन्होंने बताया कि मतदान ड्यूटी के दौरान दो कर्मचारियों का निधन हो गया। इनमें बाबरपुर में तैनात एक मतदान अधिकारी ऊधम सिंह का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। एक अन्य कर्मी उत्तर प्रदेश होमगार्ड का जवान ज्ञान सिंह था जिसकी कल तबीयत खराब हुई थी और उसे सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां आज उसकी मृत्यु हो गयी।

श्री सिंह ने बताया कि शतायु मतदाताओं में से 60 प्रतिशत से अधिक ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि दिव्यांग और 80 वर्ष से अधिक उम्र से अधिक के मतदाताओं को डाक मतपत्र की सुविधा दी गयी थी। उन्होंने कहा कि 488 दिव्यांग मतदाताओं ने मतपत्र लिये थे जिनमें से 429 ने मतदान किया। इसी प्रकार 80 वर्ष से अधिक उम्र के 2429 मतदाताओं ने डाक मतपत्र लिये थे जिसमें से 2057 ने इसका इस्तेमाल किया।

मुख्य चुनाव अधिकारी ने बताया कि इस बार दिल्ली विधानसभा का चुनाव प्रौद्योगिकी पर आधारित था और फर्जी मतदान पर काबू किया गया। चुनाव के दौरान करीब 57 करोड़ रुपये से अधिक की नगदी, शराब आदि पकड़ी गयी। इसमें 12 करोड़ 33 लाख रुपये की नगदी, शराब दो करोड़ 43 लाख रुपये की पकड़ी गयी। बयालिस करोड़ 32 लाख रुपये की अन्य अवैध सामग्री पकड़ी गयीं।

पिछली बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में 67 प्रतिशत मतदान हुआ था।

केंद्र सरकार की ओर से राज्यों को मिलेगा 35 हजार करोड़ रुपये का GST मुआवजा,राजस्व हानि के बदले मिलेगी यह राशि attacknews.in

नयी दिल्ली, नौ फरवरी ।केंद्र सरकार माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के कारण राज्यों को राजस्व में हो रहे नुकसान की भरपाई के लिए जल्द 35,000 करोड़ रुपये जारी करेगी। एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी है।

जीएसटी के तहत राज्यों को राजस्व में 14 प्रतिशत की वृद्धि नहीं हो पाने की स्थिति में पांच साल तक मुआवजा देने व्यवस्था है।

केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच 2017-18, 2018-19 तथा चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों तक मुआवजे को लेकर किसी तरह विवाद नहीं हुआ था। हालांकि, उपकर से प्राप्त राजस्व कम रहने की वजह से केंद्र सरकार ने अगस्त से राज्यों को मुआवजे का हस्तांतरण रोक दिया है।

इसके बाद राज्यों ने केंद्र के समक्ष यह मुद्दा उठाना शुरू कर दिया था। केंद्र सरकार ने अगस्त-सितंबर के लिये दिसंबर 2019 में 35,298 करोड़ रुपये जारी किये थे।

एक अधिकारी ने कहा, ‘‘हम जल्दी ही भारत के समेकित कोष (सीएफआई) से मुआवजा मद में दो खेप में 35,000 करोड़ रुपये की एक और किस्त जारी करेंगे। पहली किस्त अक्टूबर-नवंबर के लिये होगी।’’ अधिकारी ने कहा कि 2017-18 और 2018-19 में मुआवजा उपकर से प्राप्त अतिरिक्त राजस्व को सीएफआई में जमा कर दिया गया था। अब इन्हें मुआवजा कोष में हस्तांतरित किया जाएगा।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए कहा था कि जीएसटी मुआवजा कोष की राशि का दो किस्तों में हस्तांतरण किया जाएगा।

थाईलैंड के माॅल में Live Broadcast करके 26 लोगों और कई कमांडो की अंधाधुंध हत्या करने वाले सैनिक को 17 घंटे की मुठभेड़ के बाद पुलिस ने मार गिराया attacknews.in

नाखोन रत्चासिमा, नौ फरवरी (एएफपी)। थाईलैंड के एक मॉल में गोलीबारी कर कम से कम 26 लोगों को मौत के घाट उतारने वाला बंदूकधारी आखिरकार मारा गया।

पुलिस और हमलावर के बीच यह मुठभेड़ करीब 17 घंटे तक चली, जिसमें थाईलैंड की विशिष्ट पुलिस इकाइयों के कमांडो ने हमलावर को मार गिराया।

थाईलैंड के प्रधानमंत्री प्रयुत चान-ओ-चा ने रविवार को बताया कि एक मॉल में भीषण गोलीबारी करने वाले हमलावर ने किसी ‘‘निजी परेशानी’’ के चलते यह हमला किया।

प्रयुत चान-ओ-चा ने बताया कि एक 13 वर्षीय बच्चे सहित हमले में 26 लोग और कई सुरक्षा कर्मी भी मारे गए हैं।

प्रयुत ने कहा, ‘‘ यह थाईलैंड में अप्रत्याशित है और मैं चाहता हूं कि ऐसा दोबारा कभी ना हो।’’

उन्होंने यह बयान उस अस्पताल के बाहर दिया, जहां घायलों का इलाज जारी है। घायलों में से कम से कम दो के मस्तिष्क की सर्जरी की जा रही है।

प्रयुत ने बताया कि बंदूकधारी के हमले का मकसद एक घर की बिक्री से जुड़ा है।

हमलावर ने पूर्वोत्तर थाईलैंड के नाखोन रत्चासिमा शहर स्थित एक मॉल में शनिवार को गोलीबारी की थी। हमलावर का नाम सार्जेंट मेजर जकरापंत थोम्मा था, जो एक सैनिक था।

हमलावर ने थाईलैंड के एक प्रमुख बैरेक और सैन्य वाहन से एम60 मशीन गन, राइफलें और बारूद चोरी किया था।

प्रधानमंत्री ने बताया कि हमलावर ने बैरेक शास्त्रागार में सेंध लगा ली थी।

प्रयुत ने कहा, ‘‘ यह लापरवाही नहीं थी। हम शस्त्रागार डिपो को खाली नहीं छोड़ते… लोग हमेशा उसकी सुरक्षा में वहां तैनात रहते हैं।’’

इससे पहले, बंदूकधारी ने फेसबुक पर अपनी तस्वीर पोस्ट कर ‘‘क्या मुझे आत्मसमर्पण करना चाहिए’’ और ‘‘ कोई भी मौत से नहीं बच सकता’’ जैसी बातें लिखी थीं।

फेसबुक वीडियो में (बाद में जिसे हटा दिया गया) हमलावर सेना का हेलमेट पहने हुए खुली जीप में सवार दिख रहा था और कह रहा था, ‘‘ मैं थक गया हूं… मैं अब उंगलियों को और नहीं दबा सकता।’’

फेसबुक के एक प्रवक्ता ने इस पूरे वाकये पर कहा, ‘‘ हमने अपनी सेवा से बंदूकधारी का अकाउंट हटा दिया है और हम इस घटना संबंधी हर सामग्री को जल्द से जल्द हटाने के लिए लगातार काम करेंगे।’

थाईलैंड के नेशनल पुलिस प्रमुख जनरल चाकथिप चाईचिंडा ने रविवार थाईरथ टेलीविजन पर लाइव बताया कि अभियान समाप्त हो गया है, अपराधी को मार गिराया गया है। उन्होंने बताया कि देश के प्रधानमंत्री प्रयुत चान-ओ-चा बहुत जल्द घटना स्थल पर पहुंच सकते हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार मारे गये बंदूकधरी की पहचान जकरापंथ थोम्मा नाम के सैनिक के तौर पर हुई है। मंत्रालय ने जानकारी दी है कि शनिवार को की गई इस गोलीबारी में 21 लोगों की मौत हो गई है और कम से कम 63 अन्य घायल हुए हैं।

स्वास्थ्य मंत्री अनुटिन चर्नविराकुल ने जानकारी दी कि हमलावर ने अंधाधुंध गोलीबारी कर 21 लोगों की हत्या कर दी है जिनमें एक पुलिसकर्मी भी शामिल है। गोलीबारी में विशेष बल के दो जवान घायल भी हुए हैं।

इस बीच थाइरथ टीवी ने आज पुलिस सूत्रों का हवाला देते हुए बताया कि शॉपिंग मॉल में हुई गोलीबारी में 25 लोगों की मौत हुई है।

दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार पिछले चुनाव से कम हुआ मतदान, शाम 7 बजे तक 57.68 प्रतिशत मतदाताओं ने डाले वोट attacknews.in

नयी दिल्ली, 08 फरवरी । दिल्ली विधानसभा के चुनाव के लिए मतदान शनिवार को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया। शाम सात बजे तक 57.68 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर लिया था और अभी कई मतदान केन्द्रों पर मतदान जारी है।

दिल्ली के मुख्य चुनाव अधिकारी रणबीर सिंह ने बताया कि शाम सात बजे तक प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार 57.68 प्रतिशत मतदाताओं ने मताधिकार का इस्तेमाल किया और इसके बाद 100 से अधिक केन्द्रों पर मतदान जारी रहा ।

उन्होंने बताया कि जो भी मतदाता निर्धारित समय शाम छह बजे तक मतदान केन्द्र के सीमा में आ गये हैं उन्हें वोट डालने दिया जायेगा। वर्ष 2015 में हुए विधानसभा चुनाव 67.47 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाले थे। पिछले वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में 60.06 फीसदी मतदाताओं ने मताधिकार का इस्तेमाल किया था।

श्री सिंह ने बताया कि 70 सीटों के लिए हुए चुनाव में कुल 672 प्रत्याशी मैदान में थे जिसमें 593 पुरुष और 79 महिलायें थीं, 23 सीटों पर कोई महिला उम्मीदवार थीं। कुल मतदाता एक करोड़ 47 लाख 86 हजार 382 मतदाता हैं। मतदान संपन्न कराने के लिए 98 हजार से अधिक कर्मी तैनात किये गये थे।

उन्होंने बताया कि मतदान ड्यूटी के दौरान दो कर्मचारियों का निधन हो गया। इनमें बाबरपुर में तैनात एक मतदान अधिकारी ऊधम सिंह का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। एक अन्य कर्मी उत्तर प्रदेश होमगार्ड का जवान ज्ञान सिंह था जिसकी कल तबीयत खराब हुई थी और उसे सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां आज उसकी मृत्यु हो गयी।

श्री सिंह ने बताया कि शतायु मतदाताओं में से 60 प्रतिशत से अधिक ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि दिव्यांग और 80 वर्ष से अधिक उम्र से अधिक के मतदाताओं को डाक मतपत्र की सुविधा दी गयी थी। उन्होंने कहा कि 488 दिव्यांग मतदाताओं ने मतपत्र लिये थे जिनमें से 429 ने मतदान किया। इसी प्रकार 80 वर्ष से अधिक उम्र के 2429 मतदाताओं ने डाक मतपत्र लिये थे जिसमें से 2057 ने इसका इस्तेमाल किया।

मुख्य चुनाव अधिकारी ने बताया कि इस बार दिल्ली विधानसभा का चुनाव प्रौद्योगिकी पर आधारित था और फर्जी मतदान पर काबू किया गया। चुनाव के दौरान करीब 57 करोड़ रुपये से अधिक की नगदी, शराब आदि पकड़ी गयी। इसमें 12 करोड़ 33 लाख रुपये की नगदी, शराब दो करोड़ 43 लाख रुपये की पकड़ी गयी। बयालिस करोड़ 32 लाख रुपये की अन्य अवैध सामग्री पकड़ी गयीं।

पिछली बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में 67 प्रतिशत मतदान हुआ था।

दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों के लिए मतदान का विश्लेषण:

दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों के लिए कड़े सुरक्षा बंदोबस्त के बीच शनिवार सुबह आठ बजे मतदान शुरू हुआ जो सायं 6 बजे तक चला ।

दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. रणबीर सिंह ने कहा कि मतदान निष्पक्ष और शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए सुरक्षाकर्मियों के अलावा पर्याप्त संख्या में अन्य कर्मचारियों को तैनात किए जाने के साथ ही पुख्ता इंतजाम किए गये थे।

डॉ सिंह के अनुसार मतदान निष्पक्ष संपन्न कराने के लिए 1000024 कर्मचारी चुनावी ड्यूटी पर तैनात किए गये । सुरक्षा इंतजामों में दिल्ली पुलिस के 38 हजार 874 और होम गार्ड के 19 हजार जवान तैनात किए गये थे। इसके अलावा बड़ी संख्या में अर्द्धसैनिक सुरक्षा बल के जवान भी तैनात रहे ।

इस बार कुल एक करोड़ 47 लाख 86 हजार 382 मतदाता थे जिनमें से 132 मतदाता 100 या इससे अधिक आयु के थे। वयोवृद्ध मतदाताओं को ‘वीआईपी’ मतदाता के रूप में वोट डालने की सुविधा मुहैया कराई गयी । वयोवृद्ध मतदाताओं में 68 पुरुष और 64 महिला मतदाता थे। सबसे वृद्ध मतदाता ग्रेटर कैलाश की चितरंजन पार्क निवासी 110 वर्षीय महिला कालीतारा मंडल थी।

कुल मतदाताओं में पुरुषों की संख्या 81 लाख पांच हजार 236 और महिला मतदाताओं की संख्या 66 लाख 80 हजार 277 हैं। किन्नर मतदाता 869 हैं। सभी मतदाताओं को मतदाता पहचान पत्र जारी किए गये थे।

प्रवासी मतदाताओं की संख्या 498 और सेवा से जुड़े मतदाताओं की संख्या 11 हजार 608 है। अस्सी वर्ष से अधिक के मतदाताओं की संख्या दो लाख चार हजार 830 ,दिव्यांग मतदाता 50 हजार 473 और व्हील चेयर मतदाताओं की संख्या 3875 थी। दिव्यांग मतदाताओं को मतदान में सुविधा के लिए नौ हजार 997 वालंटियर तैनात किए गये थे।

कुल मतदाताओं में 18 से 25 आयु वर्ग के 17 लाख 34 हजार 565 मतदाता , जिनमें पुरुष 10 लाख 823, महिला सात लाख 33 हजार 514 और अन्य 228 थे। पच्चीस से 40 वर्ष आयु वर्ग के 62 लाख 36 हजार 46 मतदाताओं में पुरुष 3426905 और महिला 28 लाख नौ हजार 141 थे। इस वर्ग में अन्य मतदाता 418 थे। चालीस से 60 वर्ग आयु के 49 लाख 62 हजार 823 मतदाताओं में 27 लाख 28 हजार 303 पुरुष और 22 लाख 34 हजार 342 महिला मतदाता थे जबकि अन्य 178 रहे । साठ वर्ष से ऊपर 18 लाख 52 हजार 948 मतदाताओं में पुरुष नौ लाख 49 हजार 623 और महिलाएं नौ लाख तीन हजार 280 तथा अन्य 45 थे।

कुल मतदान केंद्रों की संख्या 13570 थी जो 2688 स्थानों पर स्थित थे। संवेदनशील मतदान केंद्रों की संख्या 3141 थी। खर्चे से जुड़े संवेदनशील पाकेट की संख्या 102 और चुनाव संपन्न कराने के लिए 34 हजार 222 बीयू, 18 हजार 765 सीयू और 20 हजार 385 वीवीपैट का इस्तेमाल किया गया ।

चुनाव में कुल 672 उम्मीदवार हैं जिनमें पुरुष 593 और महिला प्रत्याशी 79 हैं। तेईस विधानसभा सीटों पर कोई भी महिला प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं है।
आम आदमी पार्टी (आप) ने सभी 70 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 66 और कांग्रेस ने भी इतनी ही सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं।

विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा का श्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली पार्टी जनता दल यूनाइटेड और श्री चिराग पासवान की अगुवाई वाली लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के साथ समझौता है। कांग्रेस का श्री लालू प्रसाद के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ गठबंधन है। सुश्री मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाजपार्टी (बसपा) ने 68 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए हैं।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने तीन-तीन उम्मीदवार उतारे हैं। श्री शरद पवार के नेतृत्व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) पांच सीटों पर चुनाव लड़ रही है। पंजीकृत राजनीतिक दलों के 243 और 148 निर्दलीय उम्मीदवार हैं।

सबसे कम मतदाता चांदनी चौक में एक लाख 25 हजार 684 और सर्वाधिक मटियाला में चार लाख 23 हजार 682 हैं। सबसे कम क्षेत्र वाली विधानसभा सीट बल्लीमारान 2.50 वर्ग किलोमीटर और सर्वाधिक क्षेत्रफल वाली नरेला 143.42 वर्ग किलोमीटर है।

नयी दिल्ली सीट जहां से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लगातार तीसरी बार चुनावी मैदान में हैं, सबसे अधिक 28 उम्मीदवार हैं। श्री केजरीवाल की मुख्य टक्कर भाजपा के सुनील यादव और कांग्रेस के रमेश सभरवाल से है। सबसे कम चार प्रत्याशी पटेल नगर सीट से हैं।

दिल्ली मेट्रो और दिल्ली परिवहन निगम ने मतदान कर्मियों और मतदाताओं की सुविधा के लिए विशेष व्यवस्थायें की हैं।

मतगणना 11 फरवरी को होगी जिसके लिए 27 जगहों पर मतगणना केंद्र बनाये गए हैं।

विश्व की सबसे अच्छी राजधानी बनाएंगे दिल्ली को: अमित शाह

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली को स्वच्छ हवा एवं पानी तथा हर गरीब को घर दे कर विश्व की सबसे अच्छी राजधानी बनाने का वादा आज दोहराया और लोगों से इसके लिए अधिक से अधिक मतदान करने की अपील की।

दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मतदान के बीच श्री शाह ने अपने ट्वीट में कहा कि दिल्ली को स्वच्छ हवा, स्वच्छ पीने का पानी और हर गरीब को अपना घर देकर इसे विश्व की सबसे अच्छी राजधानी सिर्फ एक दूरदर्शी सोच एवं मजबूत इरादों वाली सरकार ही बना सकती है।

उन्होंने कहा, “मैं दिल्ली की जनता से अपील करता हूँ कि झूठ और वोटबैंक की राजनीति से दिल्ली को मुक्त करने के लिए मतदान अवश्य करें।”

Exit poll : दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल को बहुमत;भाजपा का दावा पार्टी 48 सीटों पर जीतेगी,विपक्ष EVM को दोष देने का बहाना ढूंढ लें attacknews.in

नयी दिल्ली 08 फरवरी । दिल्ली विधानसभा चुनाव के ज्यादातर एग्जिट पोल में आम आदमी पार्टी (आप) सत्ता में वापसी करती दिखाई दे रही है जबकि भारतीय जनता पार्टी को दूसरे नम्बर पर और कांग्रेस को अधिकतम चार सीट मिलने का अनुमान व्यक्त किया गया है।

दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों के लिए शाम छह बजे मतदान समाप्त होने के बाद विभिन्न चैनलों और संस्थाओं के एग्जिट पोल में आप की सत्ता में वापसी की बात कही गयी है।

टाइम्स नाऊ ने आप को 44 , भाजपा को 26 और कांग्रेस को कोई सीट नहीं दी है। रिपब्लिक टीवी और जन की बात ने आप को 48 से 61 , भाजपा को 9 से 21 और कांग्रेस को शून्य से एक सीट मिलने का अनुमान व्यक्त किया है।

न्यूज एक्स और नेता एप ने आप को 53 से 57 , भाजपा को 11 से 17 और कांग्रेस को शून्य से 2 सीटें मिलने की बात कही है।

सुदर्शन टीवी ने आप को 40 से 45 , भाजपा को 24 से 28 और कांग्रेस को 2 से 3 सीट दी हैं।

आधिकारिक आंकडों के अनुसार 6 बजे तक विधानसभा चुनाव में 57 प्रतिशत मत पड़े।

अभी दिल्ली में आप की सरकार है और पिछले चुनाव में उसे 67 सीटों के साथ जोरदार बहुमत मिला था। भाजपा को केवल 3 जबकि कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी।

सभी एग्जिट पोल फेल होंगे : मनोज तिवारी

दिल्ली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के सम्पन होने के बाद आये एग्जिट पोल को ख़ारिज करते हुए शनिवार को दावा किया कि सभी एग्जिट पोल विफल साबित होंगे और दिल्ली विधानसभा चुनावों में भाजपा 48 सीटें जीतेगी।

श्री तिवारी ने ट्वीट कर कहा, “सभी एग्जिट पोल फेल होंगे। भाजपा 48 सीटों के साथ दिल्ली में सरकार बनाएगी। विपक्ष ईवीएम को दोष देने के लिए बहाना खोज लें।”

सुप्रीम कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण को मौलिक अधिकार नहीं माना और न ही राज्यों को इसे लागू करने के लिए बाध्य बताया,, महत्वपूर्ण आदेश में इसके पैमाने तय किये attacknews.in

नयी दिल्ली, 08 फरवरी । उच्चतम न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण  निर्णय में कहा है कि पदोन्नति में आरक्षण न तो मौलिक अधिकार है, न ही राज्‍य सरकारें इसे लागू करने के लिए बाध्‍य है।

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने अपने एक निर्णय में कहा है कि पदोन्नति में आरक्षण नागरिकों का मौलिक अधिकार नहीं है और इसके लिए राज्य सरकारों को बाध्य नहीं किया जा सकता। इतना ही नहीं, न्‍यायालय भी सरकार को इसके लिए बाध्य नहीं कर सकता।

शीर्ष अदालत ने कहा कि संविधान के अनुच्‍छेद 16(4) तथा (4ए) में जो प्रावधान हैं, उसके तहत राज्‍य सरकार अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) के अभ्‍यर्थियों को पदोन्‍नति में आरक्षण दे सकते हैं, लेकिन यह फैसला राज्‍य सरकारों का ही होगा। अगर कोई राज्‍य सरकार ऐसा करना चाहती है तो उसे सार्वजनिक सेवाओं में उस वर्ग के प्रतिनिधित्व की कमी के संबंध में डाटा इकट्ठा करना होगा, क्योंकि आरक्षण के खिलाफ मामला उठने पर ऐसे आंकड़े अदालत में रखने होंगे, ताकि इसकी सही मंशा का पता चल सके, लेकिन सरकारों को इसके लिए बाध्‍य नहीं किया जा सकता।

पीठ का यह आदेश उत्‍तराखंड उच्च न्यायालय के 15 नवंबर 2019 के उस फैसले पर आया, जिसमें उसने राज्‍य सरकार को सेवा कानून, 1994 की धारा 3(7) के तहत एससी-एसटी कर्मचारियों को पदोन्‍नति में आरक्षण देने के लिए कहा था, जबकि उत्‍तराखंड सरकार ने आरक्षण नहीं देने का फैसला किया था।

यह मामला उत्‍तराखंड में लोक निर्माण विभाग में सहायक इंजीनियर (सिविल) के पदों पर पदोन्नति में एससी/एसटी के कर्मचारियों को आरक्षण देने के मामले में आया है, जिसमें सरकार ने आरक्षण नहीं देने का फैसला किया था, जबकि उच्च न्यायालय ने सरकार से इन कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण देने को कहा था। राज्य सरकार ने इस फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि सहायक अभियंता के पदों पर पदोन्नति के जरिये भविष्य में सभी रिक्त पद केवल एससी और एसटी के सदस्यों से भरे जाने चाहिए।

शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के दोनों फैसलों को अनुचित करार देते हुए निरस्त कर दिया है।

भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में बोडो समझौते ने लिखी शांति और विकास की नई इबारत:नरेन्द्र मोदी ने उग्रवादियों से की मुख्यधारा में आने की अपील attacknews.in

गुवाहाटी, 07 फरवरी ।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को यहां कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों में बोडो समझौता शांति और विकास की नयी इबादत लिखेगा और उन्होंने इसके साथ ही देश के सभी उग्रवादी और नक्सली समूहों से हिंसा का मार्ग छोड़ देश की मुख्यधारा में आने की अपील की।

सरकार और बोडो संगठनों के बीच हुए तीसरे समझौते को लेकर जश्न मनाने उमड़े भारी जनसैलाब को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा, “ मैं बंदूक की शक्ति में विश्वास करने वाले उन सभी लोगों से बोडो युवाओं से सीखने की अपील करता हूं कि वे हिंसा का मार्ग के छोड़कर देश की मुख्यधारा में आयें और जीवन का आनंद उठायें।”

श्री मोदी ने कहा, “ आज असम सहित पूरे पूर्वोत्तर के लिए 21 वीं सदी में एक नयी शुरुआत, एक नयी सुबह, एक नयी प्रेरणा का स्वागत करने का दिन है।”

श्री मोदी ने कहा,“ बोडो समझौते के तहत, बीटीएडी के भीतर आने वाले क्षेत्र की सीमा को ठीक करने के लिए एक आयोग का भी गठन किया जाएगा। इस क्षेत्र को 1,500 करोड़ रुपये का विशेष विकास पैकेज मिलेगा, जिससे कोकराझार, चिरांग, बक्सा और उदलगुरी जैसे जिलों को काफी फायदा पहुंचेगा।”

श्री मोदी की यह असम यात्रा बोडो समझौते के बाद हुई है। यह तीसरा मौका है, जब इस तरह की कोई समझौता हुआ है। इससे पहले दो समझौते 1993 और 2003 में हुए थे। तीसरा समझौता 27 जनवरी को नयी दिल्ली में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के सभी चार गुटों के नेताओं के साथ किया गया था। ये चारों गुट पहले एक अलग बोडोलैंड राज्य की मांग कर रहे थे।

समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 30 जनवरी को गुवाहाटी में आयोजित एक समारोह के दौरान एनडीएफबी के 1615 सदस्यों ने एके सीरीज़ राइफल, एम 16 राइफल, 4803 राउंड गोला बारूद, 14 ग्रेनेड, एक 2 इंच मोर्टार सहित 178 हथियारों को सुरक्षा बलों को सौंप दिया था।

प्रधानमंत्री ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नाम लिये कहा कि लोग उन्हें डंडे से मारने की बात करते हैं लेकिन उन्हें माताओं और बहनों का आशीर्वाद प्राप्त है, जो उनकी रक्षा करता है।

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का विरोध शुरू होने के बाद प्रधानमंत्री की यह पहली असम यात्रा है।

श्री मोदी ने सीएए के मुद्दे पर कहा, “ मैं असम के लोगों को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि सीएए से कोई बाहरी व्यक्ति देश में नहीं आएगा, इस कानून को लेकर बहुत सी भ्रांतियां कई ऐसे लोगों द्वारा फैलायी जा रही हैं। ”

श्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार असम समझौते का खंड 6 बहुत जल्द ही लागू करेगी। उन्होंने कहा,“ जैसे ही हमें कमीशन की रिपोर्ट मिलेगी, हम असम समझौते का खंड 6 लागू कर देंगे। हम इसमें कोई देर नहीं करेंगे।”

प्रधानमंत्री ने कोकराझार के लोगों द्वारा मोटर साइकिल रैली निकाले जाने और मिट्टी के दीये जलाने की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक दिन कई शहीदों के बलिदान के बाद आया है।

श्री मोदी ने कहा, “आज असम ही नहीं पूरे पूर्वोत्तर के लिए एक नया दिन है। आज का दिन यह संकल्प करने का है कि विकास और विश्वास को अपनाया जाए और हिंसा को दूर किया जाए। ”

इस मौके पर उन्होंने पिछली गैर-भाजपा सरकारों पर हमला करते हुए कहा कि इससे पहले किसी ने पूर्वोत्तर के लोगों की समस्या का समाधान नहीं किया और अशांति को जारी रहने दिया।

उन्होंने कहा, “इस रुख ने क्षेत्र के लोगों को केंद्र से अलग-थलग रखा और उनका भारतीय लोकतंत्र एवं संविधान में विश्वास खत्म हो गया।

उन्होंने कहा, “बोडो समझौते से नई उम्मीदों, नए सपनों, नए हौसले का संचार हुआ है… लोगों के सहयोग के कारण ही स्थाई शांति का मार्ग प्रशस्त हुआ है।”

उन्होंने कहा, “कश्मीर, पूर्वोत्तर के अन्य हिस्सों, और नक्सली इलाकों में जो लोग अभी भी बम, बंदूक और बुलेट थामे हुए हैं… वापस आइए… मुख्य धारा में शामिल होइए। वापस लौट आइए और जीवन का जश्न मनाइए।”

उन्होंने कहा कि अब पूर्वोत्तर की शांति एवं विकास के लिए एक साथ मिलकर काम करने का वक्त है। गौरतलब है कि इस समझौते से अशांत राज्य में सदा के लिए शांति कायम होने की उम्मीद की जा रही है।

उन्होंने नये नागरिकता कानून के लागू होने को लेकर क्षेत्र के लोगों की चिंताओं को भी दूर करने का प्रयास किया।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘झूठी अफवाहें फैलाई जा रही है कि सीएए लागू होने के बाद बाहर के लाखों लोग यहां आ जाएंगे। मैं असम के लोगों को आश्वस्त करता हूं कि ऐसा कुछ भी नहीं होगा।’’

वह नए नागरिकता कानून के लागू होने के बाद पहली बार असम आए थे। इससे पहले सीएए विरोधी प्रदर्शनों को देखते हुए प्रधानमंत्री ने दो बार… पिछले साल दिसंबर में और इस साल जनवरी में… गुवाहाटी की यात्रा रद्द की थी।

उन्होंने कहा कि 1993 और 2003 में हुए बोडो समझौते असम के बोडो वर्चस्व वाले इलाकों में स्थायी शांति नहीं ला पाए थे।

मोदी ने कहा, ‘‘नया बोडो समझौता समाज के सभी समुदायों और वर्गों की जीत है। कोई भी हारा नहीं है। इस समझौते पर हस्ताक्षर के बाद अब कोई मांग नहीं बची है।’’

सरकार ने असम के सबसे खतरनाक उग्रवादी समूहों में से एक नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के सभी धड़ों, ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (एबीएसयू), यूनाइटेड बोडो पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (यूबीपीओ) के साथ 27 जनवरी को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसके तहत उन्हें राजनीतिक एवं आर्थिक लाभ देने की बात कही गई थी, लेकिन अलग राज्य या केंद्र शासित प्रदेश बनाने की नहीं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उच्च शक्ति वाली समिति के रिपोर्ट सौंपने के बाद असम समझौते की उपधारा छह को लागू करने के लिए केंद्र तेजी से काम करेगा।

इस उपधारा में असम के लोगों की सांस्कृतिक, सामाजिक, भाषाई पहचान एवं संपदा को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए संवैधानिक, विधायी एवं प्रशासनिक संरक्षण देने का उल्लेख है।

उन्होंने कहा, “पूर्वोत्तर कभी सिर्फ आर्थिक सहायता लेने वाला राज्य माना जाता था, लेकिन अब वह विकास का इंजन है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार बनने के बाद 14वें वित्त आयोग के तहत क्षेत्र के आठ राज्यों के लिए केंद्र का कुल आवंटन बढ़कर तीन लाख करोड़ रुपये के आश्चर्यनजक स्तर पर पहुंच गया, जबकि 13वें वित्त आयोग के तहत यह राशि 90,000 करोड़ रुपये था।

मोदी ने कहा कि पूर्वोत्तर में लंबे समय तक सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (अफस्पा), 1958 लागू रहा लेकिन अब त्रिपुरा और राज्य के कई अन्य हिस्से इससे मुक्त हो गए हैं।

कांग्रेस के सहयोग से पहली बार मुख्यमंत्री बनने वाले अरविंद केजरीवाल के लिये इस बार इतना आसान नहीं है शीला दीक्षित का रिकार्ड बराबरी करके तीसरी दफा दिल्ली की कुर्सी पर काबिज होने का रास्ता attacknews.in

नयी दिल्ली, 7 फरवरी ।पहली बार कांग्रेस पार्टी के सहयोग से मुख्यमंत्री बनने वाले आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल दिल्ली विधानसभा के इस चुनाव में अपनी पार्टी को जिताने के लिए हरेक हथकंडे अपना रहे हैं और यदि वह अपनी पार्टी को जिताकर मुख्यमंत्री बनने में सफल होते हैं तो वह अब तक सबसे अधिक बार यह पद संभालने के शीला दीक्षित के रिकाॅर्ड की बराबरी करेंगे।

इस चुनाव में वैसे भाजपा कड़ी टक्कर देती हुई दिख रही है और वह सत्ता के करीब भी है लेकिन आठ फरवरी को होने वाले चुनाव में अगर आप पार्टी जोड़तोड़ से जीतती है तो श्री केजरीवाल लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री पद संभालेंगे। इससे पहले शीला दीक्षित लगातार तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री बनी थीं। वह लगातार पंद्रह वर्ष तक दिल्ली की मुख्यमंत्री पद पर रहीं। श्री केजरीवाल दो बार से इस पद पर हैं लेकिन उनका पहला कार्यकाल केवल 49 दिन का ही था।

शीला दीक्षित ने जहां मुख्यमंत्री के रुप में तीन कार्यकाल पूरे किए वहीं भारतीय जनता पार्टी की ओर से एक ही कार्यकाल में तीन मुख्यमंत्री बने। दिल्ली में 1993 में विधानसभा का गठन होने के बाद हुये चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली और मदन लाल खुराना दिसंबर 1993 में मुख्यमंत्री बने। हवाला कांड में नाम आने पर फरवरी 1996 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और उनकी जगह साहिब सिंह वर्मा ने यह पद संभाला।

भाजपा ने 1998 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सुषमा स्वराज मुख्यमंत्री बनी। इस चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा और सुषमा स्वराज इस पद पर दो माह भी पूरा नहीं कर सकीं।

वर्ष 1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद शीला दीक्षित ने दिसंबर 1998 में मुख्यमंत्री पद संभाला। उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने अगले दो चुनाव जीते और शीला दीक्षित दिसंबर 2003 में दूसरी बार तथा नवंबर 2008 में तीसरी बार मुख्यमंत्री बनीं और दिसंबर 2013 तक इस पद पर रहीं। वर्ष 2013 में हुये चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रुप में उभरी लेकिन बहुमत से दूूर रह गयी।

पहली बार चुनाव में उतरी आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनायी और दिसंबर 2013 में श्री केजरीवाल मुख्यमंत्री बने। लोकपाल को लेकर मतभेद उभरने पर उन्होंने फरवरी 2014 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया और दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया।

वर्ष 2015 में हुये विधानसभा चुनाव में आप को जबर्दस्त सफलता हासिल हुयी। उसने सत्तर सदस्यीय विधानसभा में 67 सीटें जीतीं और श्री केजरीवाल फरवरी 2015 में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। आप उनके नेतृत्व में यह विधानसभा चुनाव लड़ रही है और इस चुनाव के लिए पार्टी ने “अच्छे बीते पांच साल लगे रहो केजरीवाल” का नारा दिया है।