भारत में शनिवार देर रात कोरोना संक्रमितों की संख्या साढ़े आठ लाख पर पहुंची, रिकवरी दर 63 फीसदी से अधिक हुई,22,659 मरीजों की मौत attacknews.in

नयी दिल्ली 11 जुलाई ।देश में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण के मामले शनिवार को को 8.44 लाख के आंकड़े को पार कर गये लेकिन राहत की बात यह है कि मरीजों के स्वस्थ होने की दर करीब 63 फीसदी पहुंच गयी है और अब तक 5.32 लाख से अधिक लोग इस महामारी से निजात पा चुके हैं।

देश में आज मरीजों के स्वस्थ होने की दर बढ़कर 62.83 फीसदी पहुंच गयी जबकि मृत्यु दर महज 2.68 प्रतिशत रही। शुक्रवार को संक्रमितों के रोगमुक्त होने की दर 62.42 फीसदी रही जबकि मृत्यु दर महज 2.72 प्रतिशत रही। पिछले एक सप्ताह में मरीजों के स्वस्थ होने की दर में करीब तीन फीसदी से अधिक का इजाफा हुआ है।

देश में तीन मई को कोरोना रिकवरी दर 26.59 प्रतिशत थी जो 31 मई को बढ़कर 47.40 प्रतिशत हो गई और इसमें लगातार इजाफा हो रहा है।

‘कोविड19इंडियाडॉटओआरजी’ के आंकड़ों के अनुसार देश में कोरोना वायरस संक्रमण के 8,47,575 मामलों की आज रात तक पुष्टि हो चुकी है जबकि सुबह यह संख्या 8,20,916 थी। अब तक कुल 5,32,532 मरीज स्वस्थ हुए हैं जबकि 22,659 लोगों की इस महामारी से मौत हो चुकी है। अन्य 2,92,004 मरीजों का विभिन्न अस्पतालों में इलाज किया जा रहा है।

इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि सक्रिय मामलों की तुलना में स्वस्थ लोगों की संख्या 2.43 लाख से अधिक है। इससे यह भी साफ है कि देश में अब तक कोरोना वायरस के जितने मरीज आये हैं, उनमें से आधे से अधिक पूरी तरह बीमारी से निजात पा चुके हैं। समय पर कोरोना के संदिग्ध मामलों की जांच और उनका सही तरीके से इलाज की अहम भूमिका रही।

इस बीच, कोरोना संक्रमण के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में संपूर्ण लॉकडाउन अथवा जनता कर्फ्यू लागू किया जा रहा है। पूरे उत्तर प्रदेश में 10 जुलाई रात 10 बजे से 13 जुलाई सुबह पांच बजे तक 55 घंटों का संपूर्ण लॉकडाउन लागू करने की घोषणा की गयी है। पश्चिम बंगाल में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी को देखते हुए राजधानी कोलकाता समेत राज्य के 10 जिलों में लॉकडाउन लागू किया गया है। महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए शुक्रवार से नौ दिनों के जनता कर्फ्यू को लागू किया गया है। बिहार में 10 जुलाई से 16 जुलाई तक पूर्ण लॉकडाउन लागू किया गया है।

गुवाहाटी समेत असम के कुछ प्रमुख शहरों में लॉकडाउन की अवधि एक सप्ताह और बढ़ा दी गयी है। इस बीच कर्नाटक की येदियुरप्पा सरकार ने राजधानी बेंगलुरु में कोरोना वायरस के फैलाव को नियंत्रित करने के लिए 14 जुलाई से एक सप्ताह का पूर्ण लॉकडाउन लागू करने की घाेषणा की है। देश में संक्रमण से प्रभावित होने के मामले में दूसरे स्िाान पर स्थित तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई समेत पांच जिलाें में 31 मई तक लॉकडाउन लागू है। इसके अलावा देश के कई अन्य हिस्सों में भी कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए लॉकडाउन लगाया जा रहा है।

देश में कोरोना वायरस की जांच की गति तेजी से बढ़ाई जा रही है। फिलहाल देश के 1180 लैब कोरोना नमूनों की जांच कर रहे हैं। इन सभी लैब ने मिलकर पिछले 24 घंटे में 282511 नमूनों की जांच की। इस तरह अब तक 11307002 लोगों के स्वाब के नमूनों की जांच हो चुकी है।

दिल्ली में कोरोना के नये मामले 1781, स्वस्थ हुए 2998

राजधानी में कोरोना वायरस को मात देने वालों की संख्या में निरंतर इजाफा हो रहा है और शनिवार को लगातार चौथे दिन नये मामल़ों की तुलना में स्वस्थ होने वालों की संख्या अधिक रही।

स्वास्थ्य मंत्रालय के पिछले 24 घंटों के आंकड़ों के अनुसार नये मामले 1781 रहे , जबकि 2998 ने वायरस को शिकस्त दी।

दिल्ली में कुल संक्रमितों का आंकडा 1,10,921 पर पहुंच गया जबकि स्वस्थ होने वालों की कुल संख्या 87,692 हो गई।

नौ जुलाई को रिकार्ड 4027 मरीज ठीक हुए थे।

पिछले 24 घंटों में 34 और लोगों की मौत के साथ ही मृतकों की कुल संख्या 3334 पहुंच गयी।

इस दौरान चिंता बढ़ाने वाली बात यह रही कि निषिद्ध जोनों की संख्या छह बढ़कर 639 पर पहुंच गई।

सात जुलाई को नये मामले घटकर 1379 आए थे।

इससे पहले दिल्ली में 23 जून को 3947 एक दिन के सर्वाधिक मामले आए थे।

महाराष्ट्र और तमिलनाडु के बाद दिल्ली तीसरा राज्य है जहां संक्रमितों का आंकड़ा एक लाख से अधिक है।

महाराष्ट्र में वायरस का आंकड़ा दो लाख से भी अधिक है।

दिल्ली में सक्रिय मामल़ों की संख्या भी आज 21,146 घटकर 19,895 रह गई।

कोरोना जांच में पिछले कुछ दिनों में आई तेजी से कुल जांच का आंकड़ा 7,68,617 पहुंच गया। पिछले 24 घंटों में दिल्ली में 21,508 जांच की गई। इसमें आरटीपीसीआर जांच 9767 और रैपिड एंटीजेन जांच 11,741 थी।

तीन जुलाई को रिकार्ड 24,165 जांच की गई थी। दिल्ली में 10 लाख की जनसंख्या पर जांच का औसत भी बढ़कर 40,453 हो गया है।

दिल्ली में कुल कोरोना बेड्स 15,253 हैं जिसमें से 4502 पर मरीज हैं जबकि 10,751 खाली हैं। होम आइसोलेशन में मरीजों की संख्या भी गत दिवस के 12272 से घटकर आज 11598 मरीज रह गई।

तमिलनाडु में कोरोना मामले 1.34 लाख के पार, मृतकों की संख्या 1900 के करीब

तमिलनाडु में कोरोना वायरस (कोविड-19) का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है और 3965 रिकॉर्ड मामले सामने आने के बाद शनिवार को संक्रमितों की संख्या 1.34 लाख के पार पहुंच गयी।

राहत की बात यह है कि राज्य में संक्रमित मरीजों के स्वस्थ होने की दर 64 फीसदी पहुंच गयी है जबकि मृत्यु दर महज 1.41 प्रतिशत है।

महाराष्ट्र में कोरोना मामले 2.46 लाख के पार, रिकवरी दर 55 फीसदी

देश में कोरोना वायरस (कोविड-19) से सबसे गंभीर रूप से प्रभावित महाराष्ट्र में दिनों-दिन स्थिति भयावह होती जा रही है और पिछले 24 घंटों के दौरान रिकाॅर्ड 8139 नये मामले सामने आने के बाद संक्रमितों की संख्या शनिवार की रात बढ़कर 2.46 लाख के पार पहुंच गयी लेकिन राहत की बात यह है कि मरीजों की रिकवरी दर बढ़कर 55 फीसदी से अधिक हो गयी है।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार राज्य में अब तक 2,46,600 लोग इस महामारी की चपेट में आए हैं। वहीं इस दौरान 223 और लोगों की इससे मौत होने से मृतकों की संख्या बढ़कर 10,116 हो गयी है। इस दौरान राज्य में 4360 लोग रोगमुक्त हुए हैं जिसके बाद स्वस्थ होने वालों की कुल संख्या 1,36,985 हो गयी है।
राहत की बात यह है कि मरीजों के स्वस्थ होने की दर 55.54 फीसदी पहुंच गयी है जबकि मृत्यु दर महज 4.10 प्रतिशत है। सूत्रों के मुताबिक राज्य में कुल सक्रिय मामलों की संख्या 99203 है जिनका विभिन्न अस्पतालों में इलाज किया जा रहा है।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र पूरे देश में कोरोना संक्रमण और मौत के मामले में पहले नंबर पर है।

मर गया विकास दुबे मगर उसका खौफ गांव में अभी जिंदा हैं,पुलिस/एसटीएफ की रडार पर स्थानीय ग्रामीणों के साथ-साथ आसपास के गांव के लोग और 200 पुलिसकर्मी attacknews.in

कानपुर,11 जुलाई । दो दशकों से अधिक समय तक उत्तर प्रदेश में कानपुर के चौबेपुर और आसपास के क्षेत्र में आतंक का साम्राज्य स्थापित रखने वाला दुर्दांत हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे भले ही अतीत बन चुका हो लेकिन बिकरू गांव में उसकी मौत के 30 घंटे बाद तक पसरा सन्नाटा इस बात की तस्दीक कर रहा है कि उसका खौफ आज भी गांव वालों के जहन में जिंदा है।

दो जुलाई की काली रात को विकास और उसके गुर्गो के घात लगाकर पुलिस टीम पर हमला किया था जिसके बाद से ही गांव वालों को अंजानी मुसीबत का अहसास हो गया था। गांव में लगभग हर घर के दरवाजे उस दिन से ही बंद है। खेती किसानी का कामकाज ठप पड़ा है। सुरक्षाकर्मियों के बूटों की आवाज ही गांव के सन्नाटे को चीर रही है। ग्रामीण सिर्फ पुलिस अधिकारियों के सवालों का जवाब देने के लिये अपने घर के कपाट खोल रहे है हालांकि घर के अंदर टीवी स्क्रीनो पर उन्हे विकास और उसके गुर्गो की हश्र की पल पल की जानकारी मिल रही है।

पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अपराधी विकास दुबे के मारे जाने के बाद भी पुलिस/एसटीएफ की रडार पर बहुत सारे स्थानीय ग्रामीणों के साथ-साथ आसपास के गांव के लोग भी हैं। लगभग 500 लोग ऐसे हैं जिनके मोबाइल सर्विलांस पर लगाकर पुलिस जांच पड़ताल कर रही है तो वही 200 पुलिसकर्मी ऐसे हैं जो एसटीएफ की रडार पर हैं और एसटीएफ उनके बारे में भी जानकारी कर रही है।

बताया जा रहा है इन पुलिसकर्मियों के भी नंबर सर्विलांस पर लगे हुए हैं और सीडीआर के माध्यम से विकास और इनके संबंधों की जानकारी करी जा रही है।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि घटना के दिन से लेकर आज तक गांव के हर मकान की सघन चेकिंग चलाई गई है और गांव के हर व्यक्ति से दो से तीन बार पूछताछ भी की गई है और विकास दुबे से जुड़े लोगों की भी जानकारी गांव वालों से जुटाई जा रही है। इस दौरान गांव के कई ऐसे लोग हैं जिन पर पुलिस को अभी भी शक है जिसके चलते कुछ मकानों में पुलिस ने कड़ी नाकाबंदी कर रखी है।

जिला प्रशासन की तरफ से मिले निर्देश पर राजस्व टीम की तरफ से यह भी जानकारी करी जा रही है कि आसपास के क्षेत्र में कितने प्रॉपर्टी डीलर है जो कि अपराधी विकास दुबे से जुड़े थे और उसके माध्यम से जमीनों की खरीद-फरोख्त करते रहे हैं। प्रॉपर्टी डीलरों से यह भी जानकारी जुटाने का प्रयास कर रहे हैं कि ऐसी कौन-कौन सी संपत्तियां हैं जिनका क्रय विक्रय अपराधी विकास दुबे के देखरेख में होता आया है और जमीनों की खरीद-फरोख्त में किस माध्यम से अपराधी विकास दुबे जमीन खरीदा था और किस-किस के नाम जमीन उसने खरीद रखी है।

सीधे तौर पर जिला प्रशासन अब उन सभी लोगों की तलाश भी कर रही है जिनके माध्यम से अपराधी विकास दुबे अकूत संपत्ति के साथ साथ करोड़ों रुपए का मालिक बन बैठा है।

विकास के बाद अब करीबियों पर नजर

आठ पुलिसकर्मियों की हत्या का आरोपी विकास दुबे के पुलिस मुठभेड़ में ढेर होने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने अब उसके करीबियों की पहचान और कार्रवाई के निर्देश दिये है वहीं प्रर्वतन निदेशालय (ईडी) ने दुर्दांत के काले कारोबार के नेटवर्क की कड़ियां उधेड़ने का काम शुरू किया है।

सरकार ने अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी के नेतृत्व में शनिवार को तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया जबकि ईडी ने गैंगस्टर की संपत्ति और उसके मददगारों की जांच शुरू कर दी है।

सूत्रों ने बताया कि ईडी ने कानपुर के आईजी मोहित अग्रवाल से विकास दुबे के परिवार के सदस्यों और सहयोगियों का आर्थिक ब्यौरा मांगा है। ईडी ने विकास के परिवार के सदस्यों तथा सहयोगियों उनके खिलाफ आपराधिक मामलों की वर्तमान स्थिति की भी जानकारी मांगी है। ईडी की एक टीम तीन दिन पहले बुधवार को कानपुर पुलिस और अधिकारियों के साथ संपर्क करके औपचारिक तौर पर विकास दुबे से संबंधित एफआईआर सहित कई दस्तावेजों को लेकर लखनऊ आई थी।

उन्होने बताया कि ईडी जल्द ही विकास के परिजनो और करीबियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई कर सकती है जिसके लिये उसके पास पर्याप्त आधार है।

गैंगस्टर विकास दुबे प्रकरण की जांच के लिए बनी उत्तरप्रदेश सरकार ने गठित की एसआईटी,,ED ने भी काले कारोबार की कड़ियां उधेड़ने का काम शुरू किया attacknews.in

लखनऊ, 11 जुलाई । आठ पुलिसकर्मियों की हत्या का आरोपी विकास दुबे के पुलिस मुठभेड़ में ढेर होने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने अब उसके करीबियों की पहचान और कार्रवाई के निर्देश दिये है वहीं प्रर्वतन निदेशालय (ईडी) ने दुर्दांत के काले कारोबार के नेटवर्क की कड़ियां उधेड़ने का काम शुरू किया है।

सरकार ने अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी के नेतृत्व में शनिवार को तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया जबकि ईडी ने गैंगस्टर की संपत्ति और उसके मददगारों की जांच शुरू कर दी है।

सूत्रों ने बताया कि ईडी ने कानपुर के आईजी मोहित अग्रवाल से विकास दुबे के परिवार के सदस्यों और सहयोगियों का आर्थिक ब्यौरा मांगा है। ईडी ने विकास के परिवार के सदस्यों तथा सहयोगियों उनके खिलाफ आपराधिक मामलों की वर्तमान स्थिति की भी जानकारी मांगी है। ईडी की एक टीम तीन दिन पहले बुधवार को कानपुर पुलिस और अधिकारियों के साथ संपर्क करके औपचारिक तौर पर विकास दुबे से संबंधित एफआईआर सहित कई दस्तावेजों को लेकर लखनऊ आई थी।

उन्होने बताया कि ईडी जल्द ही विकास के परिजनो और करीबियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई कर सकती है जिसके लिये उसके पास पर्याप्त आधार है।

उधर उत्तरप्रदेश सरकार ने कानपुर नगर में घटित घटना के सम्बन्ध में शासन द्वारा सम्यक विचारोपरान्त प्रकरण की जांच विशेष अनुसंधान दल से कराने का शनिवार को निर्णय लिया गया।

अपर मुख्य सचिव (गृह एवं सूचना) अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि इस सम्बन्ध में अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में विशेष अनुसंधान दल (एसआईटी) का गठन किया गया है।

अवस्थी ने बताया कि अपर पुलिस महानिदेशक हरिराम शर्मा तथा पुलिस उपमहानिरीक्षक जे रवीन्द्र गौड़ को एसआईटी का सदस्य नामित किया गया है।

उन्होंने बताया कि विशेष अनुसंधान दल प्रकरण से जुड़े विभिन्न बिन्दुओं और प्रकरण की गहन जांच सुनिश्चित करते हुए 31 जुलाई, 2020 तक जांच रिपोर्ट शासन को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेगा।

अवस्थी ने बताया कि कानपुर नगर में घटित घटना के संबंध में जांच में उसके खिलाफ दर्ज मामले, की गयी कार्रवाई, जमानत निरस्तीकरण की दिशा में की गयी कार्रवाई जैसे बिन्दु शामिल हैं।

उन्होंने बताया कि जांच में पूरे घटनाक्रम की पृष्ठभूमि में आये कारणों जैसे अभियुक्त विकास दुबे के विरूद्ध जितने भी अभियोग प्रचलित है, उन पर अब तक क्या प्रभावी कार्यवाही की गयी? इसके तथा इसके साथियों को सजा दिलाने हेतु कृत कार्यवाही क्या पर्याप्त थी? इतने विस्तृत आपराधिक इतिहास वाले अपराधी की जमानत निरस्तीकरण की दिशा में क्या कार्यवाही की गयी …. जैसे बिन्दु प्रमुखता से शामिल हैं।

अवस्थी ने बताया कि जांच के दायरे में यह बिन्दु भी रहेगा कि अभियुक्त विकास दुबे के विरूद्ध कितनी जन-शिकायतें आयीं और उन पर थानाध्यक्ष चौबेपुर द्वारा तथा जनपद के अन्य अधिकारियों द्वारा क्या जांच की गयी व पाये गये तथ्यों के आधार पर क्या कार्यवाही की गयी इसका विस्तृत परीक्षण करना।

उन्होंने बताया कि एसआईटी यह जांच भी करेगी कि अभियुक्त विकास दुबे तथा उसके साथियों के विरूद्ध गैंगेस्टर एक्ट, गुंडा एक्ट, एनएसए आदि अधिनियमों के अन्तर्गत क्या कार्यवाही की गयी तथा यदि कार्यवाही किये जाने में लापरवाही रही तो किस स्तर पर लापरवाही रही? अभियुक्त विकास दुबे एवं उसके साथियों के पिछले एक वर्ष के सीडीआर का परीक्षण करना एवं उसके सम्पर्क में आये सभी पुलिस कर्मियों के विरुद्ध संलिप्तता की साक्ष्य मिलने की दशा में उपयुक्त एवं कडी कार्यवाही करनें की अनुशंसा करना भी एसआईटी की जांच के तहत शामिल होगा।

अवस्थी ने बताया कि एसआईटी पता लगाएगी कि घटना के दिन क्या अभियुक्तों के पास उपलब्ध हथियारों एवं उसके फायर पावर के विषय में सूचना संकलन में लापरवाही की गयी। यह किस स्तर पर हुई, क्या थानें में इसकी समुचित जानकारी नहीं थी। एसआईटी इस तथ्य की जांच करेगी और अगर कोई दोषी है तो उसे चिन्हित करेगी।

उन्होंने कहा कि एसआईटी यह जांच भी करेगी कि इतने अधिक अपराधों में संलिप्त रहने के बाद भी विकास और उसके साथियों का हथियार का लाइसेंस किसके द्वारा एवं कैसे दिया गया और लगातार अपराध करने के बाद भी यह लाइसेंस और हथियार उसके पास कैसे बना रहा?

अवस्थी ने बताया कि अभियुक्त विकास दुबे एवं उसके साथियों के द्वारा अवैध रूप से अर्जित सम्पत्ति, व्यापारों एवं आर्थिक गतिविधियों का परीक्षण करते हुए उनके संबंध में युक्तियुक्त अनुशंसाये करना तथा यह भी इंगित करना कि स्थानीय पुलिस ने इस मामले में किसी प्रकार की ढिलाई, लापरवाही या संलिप्तता तो प्रदर्शित नहीं की एवं यदि ऐसा हुआ है, तो किस स्तर के अधिकारी दोषी हैं … ये सब पहलू एसआईटी की जांच में शामिल होंगे ।

अपर मुख्य सचिव (गृह एवं सूचना) ने बताया कि एसआईटी पता लगाएगी कि अभियुक्त विकास दुबे एवं उसके साथियों द्वारा क्या सरकारी तथा गैर सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा किया गया है? यदि हां तो इसमें क्या अधिकारियों की भी भूमिका है तथा वे अधिकारी कौन हैं।

उल्लेखनीय है कि आठ पुलिसकर्मियों की हत्या का मुख्य आरोपी विकास उज्जैन से कानपुर लाये जाते समय शुक्रवार को मुठभेड में मारा गया था।

बिकरू कांड में पुलिस कर्मियों की हत्या में शामिल विकास दुबे के फरार सहयोगी मुंबई से गिरफ्तार attacknews.in

मुंबई, 11 जुलाई । महाराष्ट्र पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने पड़ोसी ठाणे से शनिवार को दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया जिसमें से एक कुख्यात अपराधी विकास दुबे का फरार सहयोगी है। यह जानकारी एक अधिकारी ने दी।

अधिकारी ने बताया कि दुबे का सहयोगी अरविंद उर्फ गुड्डन रामविलास त्रिवेदी (46) कानपुर जिले में कुख्यात अपराधी के घर छापेमारी के दौरान आठ पुलिसकर्मियों की हत्या में कथित तौर पर संलिप्त था। उन्होंने बताया कि साथ ही वह 2001 में उत्तर प्रदेश के नेता संतोष मिश्रा की हत्या में भी कथित तौर पर शामिल था।

एटीएस के पुलिस अधीक्षक विक्रम देशमाने ने कहा कि त्रिवेदी और उसके चालक सुशील उर्फ सोनू तिवारी (30) को ठाणे शहर के कोलशेट इलाके से गिरफ्तार किया गया।

एटीएस अधिकारी ने बताया कि त्रिवेदी की गिरफ्तारी से कानपुर में दुबे और उसके गिरोह की गतिविधियों के बारे में कुछ जानकारी मिल सकती है।

उन्होंने कहा कि पूछताछ के दौरान त्रिवेदी ने दावा किया कि वह पंचायत समिति का सदस्य है और अपने गृह राज्य में एक राजनीतिक दल से जुड़ा हुआ है।

उन्होंने कहा कि बिकरू गांव में घात लगाकर किये गए उस हमले के बाद दुबे एवं अन्य के साथ त्रिवेदी भी फरार हो गया था जिसमें एक पुलिस उपाधीक्षक सहित आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे।

देशमाने ने कहा कि एटीएस की जुहू इकाई को पता चला कि त्रिवेदी छिपने के लिए मुंबई आया हुआ है।

उन्होंने कहा कि मुंबई पुलिस के पूर्व ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ निरीक्षक दया नायक की अगुवाई में टीम ने कोलशेट से दोनों को गिरफ्तार कर लिया।

एसपी ने कहा कि प्रारंभिक पूछताछ में त्रिवेदी ने स्वीकार किया कि वह और दुबे 2001 में उत्तरप्रदेश में नेता संतोष मिश्रा की हत्या और कई अन्य अपराधों में शामिल थे।

उन्होंने कहा कि एटीएस ने उत्तरप्रदेश पुलिस के विशेष कार्यबल (एटीएफ) को गिरफ्तारी के बारे में सूचना दे दी है।

कानपुर कांड में शामिल दुबे शुक्रवार को एक कथित मुठभेड़ में मारा गया था।

एटीएस अधिकारी ने कहा कि त्रिवेदी दुबे का बहुत करीबी था और नियमित रूप से उसके निवास पर जाता था। उन्होंने कहा कि वह कानपुर में मारे गए अपराधी की गतिविधियों के बारे में पुलिस को महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकता है।

त्रिवेदी और तिवारी द्वारा अपनाये गए मार्ग पर, उन्होंने कहा कि कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों के मारे जाने के एक दिन बाद दोनों कार में कानपुर से निकले थे और मध्य प्रदेश में दतिया पहुंचे थे।

यह स्पष्ट नहीं है कि दुबे उनके साथ था या नहीं।

उन्होंने कहा, “दतिया से दोनों महाराष्ट्र के पुणे की ओर जा रहे एक ट्रक में सवार हो गए। पुणे में कुछ समय बिताने के बाद, वे दूसरे ट्रक में सवार होकर मुंबई पहुंच गए।’’

उन्होंने कहा कि मुंबई पहुंचने के बाद त्रिवेदी ने अपने कुछ रिश्तेदारों से संपर्क किया।

उन्होंने कहा कि दोनों को उनके गांव के एक व्यक्ति ने शरण दी, जो वर्तमान में कोलशेट में रह रहा है।

अधिकारी ने कहा, “त्रिवेदी ने शुरू में अनुरोध किया था कि उन्हें एक दिन के लिए वहां रहने दिया जाए, लेकिन वह और तिवारी चार दिन वहां रहे।”

उन्होंने कहा कि यूपी पुलिस द्वारा दुबे और उसके सहयोगियों पर नज़र रखने के लिए अभियान शुरू किया गया था, लेकिन एटीएस को अपने मुखबिरों के ज़रिए त्रिवेदी के ठिकाने के बारे में जानकारी मिली।

एटीएस की टीम का हिस्सा रहे अधिकारी ने कहा, “एटीएस की जुहू इकाई ने जाल बिछाया और शनिवार को दोनों को गिरफ्तार कर लिया।”

एक अन्य अधिकारी ने कहा कि त्रिवेदी ने जांचकर्ताओं को बताया कि वह बिकरू गांव में गोलीबारी की घटना के समय मौजूद था। अधिकारी ने कहा कि उसके दावों का सत्यापन किया जा रहा।

सोनिया गांधी की कांग्रेस के लोकसभा सांसदों के साथ बैठक मे राहुल गांधी को फिर से अध्यक्ष बनाने का समर्थन attacknews.in

नयी दिल्ली, 11 जुलाई । कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को पार्टी के लोकसभा सदस्यों के साथ डिजिटल बैठक की जिसमें ज्यादातर सांसदों ने यह मांग उठाई कि राहुल गांधी को फिर से पार्टी की कमान संभालनी चाहिए।

सूत्रों के मुताबिक, कोरोना वायरस महामारी और मौजूदा राजनीतिक हालात पर चर्चा के लिए बुलाई गई इस बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक के. सुरेश ने कहा कि राहुल गांधी को फिर से पार्टी का नेतृत्व संभालना चाहिए।

सुरेश की इस बात का ज्यादातर सांसदों ने समर्थन किया।

सूत्रों का कहना है कि सुरेश ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के समय राहुल गांधी लोगों के मुद्दों को आगे बढ़कर उठाते रहे हैं, ऐसे में इस निर्णायक समय में उन्हें कांग्रेस की कमान संभालने की जरूरत है।

एक सूत्र ने बताया, ‘‘बैठक में कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक ने राहुल गांधी को फिर से कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की मांग करते हुए यह भी कहा कि अगर वह फिर से पार्टी की कमान नहीं संभालना चाहते तो उनके लिए कोई वैकल्पिक पद तैयार किया जाए।’’

सुरेश के अलावा, मणिकम टैगोर, अब्दुल खालिक, गौरव गोगोई और कुछ अन्य सांसदों ने राहुल गांधी से आग्रह किया कि वह फिर से पार्टी की कमान संभालें।

सूत्रों ने बताया कि पार्टी सांसदों की इस मांग पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।

इससे पहले, शनिवार सुबह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी ट्वीट कर कहा कि अब राहुल गांधी को फिर से कांग्रेस का नेतृत्व करना चाहिए।

हाल ही में हुई कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी यह मांग उठाई थी जिसका कई नेताओं ने समर्थन किया था।

गौरतलब है कि पिछले साल लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद राहुल गांधी ने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद सोनिया गांधी को पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया था।

कांग्रेस के लोकसभा सदस्यों की बैठक में देश की वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति, कोरोना वायरस संकट और संसद के अगले सत्र में उठाए जाने वाले मुद्दों पर भी चर्चा की गई।

सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस संसद के आगामी सत्र में लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध और कोरोना वायरस संकट से निपटने के सरकार के तौर-तरीकों को लेकर उसे घेरने की तैयारी कर रही है।

बैठक में कांग्रेस सांसदों ने एक सुर में कहा कि कोरोना महामारी के चलते सांसद निधि को निलंबित किए जाने का निर्णय उचित नहीं था और ऐसे में यह निधि बहाल की जानी चाहिए।

भारत में बाघों की गणना ने विश्व के सबसे बड़े कैमरा ट्रैप वन्यजीव सर्वेक्षण होने का नया गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया attacknews.in

नईदिल्ली 11 जुलाई । देश के लिए अखिल भारतीय बाघ आकलन 2018 का चौथा चक्र, जिसके परिणाम प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा पिछले वर्ष वैश्विक बाघ दिवस के अवसर पर घोषित किए गए थे, दुनिया का सबसे बड़ा कैमरा ट्रैप वन्यजीव सर्वेक्षण होने का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है।

इस उपलब्धि को एक महान क्षण बताते हुए, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर ने अपने ट्वीट में कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत का जीता जागता उदाहरण है, जिसे प्रधानमंत्री के शब्दों में संकल्प से सिद्धि के माध्यम से प्राप्त किया गया है।

इसके आगे, पर्यावरण मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने अपने लक्ष्य से चार वर्ष पूर्व ही बाघों की संख्या दोगुनी करने वाले अपने संकल्प को पूरा कर लिया है।

नवीनतम गणना के अनुसार, देश में बाधों की अनुमानित संख्या 2,967 हैं। इस संख्या के साथ, भारत में बाघ वैश्विक संख्या का लगभग 75% निवास करते हैं और भारत द्वारा 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग में बाघों की संख्या दोगुनी करने वाले अपने संकल्प को निर्धारित लक्ष्य वर्ष 2022 से बहुत पहले ही प्राप्त किया जा चुका है।

गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड की वेबसाइट के प्रशस्ति पत्र में लिखा गया है- “2018-19 में किए गए सर्वेक्षण की चौथी पुनरावृत्ति- संसाधन और डेटा दोनों के हिसाब से अब तक का सबसे व्यापक रहा है। कैमरा ट्रैप (मोशन सेंसर्स के साथ लगे हुए बाहरी फोटोग्राफिक उपकरण, जो किसी भी जानवर के गुजरने पर रिकॉर्डिंग शुरू कर देते हैं) को 141 विभिन्न साइटों में 26,838 स्थानों पर रखा गया था और 1,21,337 वर्ग किलोमीटर (46,848 वर्ग मील) के प्रभावी क्षेत्र का सर्वेक्षण किया गया। कुल मिलाकर, कैमरा ट्रैप ने वन्यजीवों की 3,48,58,623 तस्वीरों को खींचा (जिनमें 76,651 बाघों के, 51,777 तेंदुए के; शेष अन्य जीव-जंतुओं के थे)। इन तस्वीरों के माध्यम से, 2,461 बाघों (शावकों को छोड़कर) की पहचान स्ट्राइप-पैटर्न- रिकॉग्नाइज सॉफ्टवेयर का उपयोग करके की गई।
अभूतपूर्व रूप से कैमरा ट्रैप का उपयोग करने के साथ-साथ, 2018 “स्टेटस ऑफ़ टाइगर्स इन इंडिया” का मूल्यांकन व्यापक फुट सर्वेक्षण के माध्यम से भी किया गया, जिसमें 522,996 किमी (324,975 मील) का सफर तय किया गया और वनस्पति और खाद्य गोबर वाले 317,958 निवास स्थलों को शामिल किया गया। यह अनुमान लगाया गया कि अध्ययन किए गए वन का कुल क्षेत्रफल 381,200 वर्ग किमी (147,181 वर्ग मील) था और कुल मिलाकर 620,795 श्रम-दिवस आंकड़ों का संग्रह और समीक्षा करने में लगाया गया।”

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा अखिल भारतीय बाघ आकलन को भारतीय वन्यजीव संस्थान के द्वारा तकनीकी समर्थन के साथ चलाया जाता है और राज्य वन विभागों और भागीदारों द्वारा इसे कार्यान्वित किया जाता है। 2018 के नवीनतम परिणामों से पता चलता है कि भारत में अब बाघों की कुल अनुमानित संख्या 2,967 है, जिनमें से 2,461 बाघों को व्यक्तिगत रूप से कैप्चर किया गया है, जो बाघों की संख्या का 83% है और सर्वेक्षण की व्यापकता की प्रकृति को रेखांकित करता है।

पूरे विश्व में, प्रोजेक्ट टाइगर जैसा केंद्रित प्रजाति उन्मुखित कार्यक्रम के समानांतर शायद ही कोई अन्य कार्यक्रम है, जिसकी शुरूआत 9 बाघ अभयारण्यों के साथ की गई थी और इसे वर्तमान में 50 बाघ अभयारण्यों में चलाया जा रहा है। बाघ संरक्षण में भारत ने अपने नेतृत्व की भूमिका मजबूती के साथ स्थापित कर ली है, जिसके बेंच मार्किंग प्रथाओं को दुनिया भर में स्वर्ण मानक के रूप में देखा जाता है।

निर्धारित समय से चार वर्ष पहले पूरा हुआ बाघों की संख्या दोगुना करने का लक्ष्य: जावडेकर

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण तथा वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने “संकल्प से सिद्धि” के तहत बाघों की संख्या दोगुनी करने के लक्ष्य को निर्धारित समय से चार वर्ष पहले पूरा करने और इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किये जाने को वन्यजीव सर्वेक्षण के लिए महान क्षण और आत्मनिर्भर अभियान का एक उत्कृष्ट उदाहरण बताया है।

देश में बाघों की गिनती के लिए 26,760 स्थानों पर 139 अध्ययन किए गए थे । इस सर्वे के दौरान साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा बाघों की फोटो ली गयी। देश में इस समय 2967 बाघ हैं। इस सर्वे ने एक नया रिकॉर्ड कायम किया है और इस विशाल सर्वे को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में स्थान मिला है।

श्री जावडेकर ने शनिवार को इस सर्वे को गिनीज बुक आफ वर्ल्ड में जगह मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए ट्वीट किया, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने “संकल्प से सिद्धि” के माध्यम से लक्ष्य से चार साल पहले बाघों की संख्या को दोगुना करने का संकल्प पूरा किया। ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन का सबसे बड़ा कैमरा ट्रैप अब गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकाॅर्ड में शामिल हुआ। वन्यजीव सर्वेक्षण के लिए वास्तव में यह एक महान क्षण और आत्मनिर्भर अभियान का एक उत्कृष्ट उदाहरण है ।”

भारतीय सेना का खुलासा:पाकिस्तान से 300 आतंकवादी घुसपैठ की फिराक में attacknews.in

बारामूला 11 जुलाई । भारतीय सेना के एक वरिष्ठ कमांडर ने शनिवार को कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के लांच पैड पर करीब 300 आतंकवादी मौजूद हैं जो नियंत्रण रेखा को पार कर उत्तर कश्मीर के विभिन्न इलाकों में घुसपैठ करने की फिराक में हैं।

सेना की इंफेंट्री डिविजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल वीरेंद्र वत्स ने हालांकि कहा कि नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ विरोधी ग्रिड पूरी तरह तैयार एवं चौकस है। हमारे सतर्क जवान भी आतंकवादियों के घुसपैठ के किसी भी प्रयास का मुंहतोड़ जवाब देने और उन्हें नाकाम करने को लेकर सजग हैं।

मेजर जनरल वत्स ने आज यहां संवाददाताओं से कहा,“ हमारे पास इनपुट्स हैं कि पीओके में लॉन्चपैड पूरी तरह से भरे हुए हैं। इन लॉन्चपैड्स में अभी मौजूद आतंकवादियों की संख्या 250 और 300 के बीच है। वे (आतंकवादी) इस तरफ घुसपैठ करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि हिमपात के कारण रास्ता बंद होने से पहले उनके पास लगभग गर्मी के के चार महीने बाकी हैं।”

सेना के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तानी सेना आतंकवादियों की घुसपैठ में मदद करने के उद्देश्य से बार-बार संघर्षविराम का उल्लंघन कर भारी गाेलाबारी करती रहती है। उन्होंने कहा,“यह रणनीति काम नहीं करेगी क्योंकि हमारे सैनिक किसी भी घुसपैठ के प्रयास को नाकाम करने के लिए हाई अलर्ट पर हैं।”

मेजर जनरल वत्स ने सेना शनिवार की सुबह घुसपैठ के प्रयास को नाकाम करने के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कुपवाड़ा में नौगाम सेक्टर में एलओसी पर तैनात जवानों ने इलाके में पाकिस्तानी चौकी की ओर से होने वाले संदिग्ध गतिविधि का पता लगाया। उन्होंने कहा,“ हमारे सैनिकों की उचित प्रतिक्रिया एवं तत्पर कार्रवाई से दो आतंकवादियों को मार गिराया गया, जो घुसपैठ रोधी बाड़ को काटकर भारत के इलाके में प्रवेश कर रहे थे।”

उन्होंने कहा कि मृत आतंकवादियों के पास से 12 भरी मैग्जिनों के साथ दो एके राइफलें, एक पिस्तौल, कुछ हथगोले तथा पिस्तौल की मैग्जीनें भी बरामद की गईं है। उन्होंने कहा,“हमने मुठभेड़ स्थल से भारतीय और पाकिस्तानी मुद्रा में लगभग डेढ़ लाख रुपये भी बरामद किये हैं।

सेना अधिकारी ने कहा कि मुठभेड़ स्थल के आस-पास के इलाकों में विस्फोटकों का पता लगाने के लिए तलाश अभियान अभी जारी है।

एम्स और आईसीएमआर ने कोरोना मरीजों के उपचार के उपयोग की दवाईयों के नामों का खुलासा करके दी जाने वाली खुराक के निर्देश देकर कोरोना के लक्षणों को वर्गीकृत किया attacknews.in

नईदिल्ली 11 जुलाई । कोविड-19 के उपचार की पद्धति काफी हद तक स्पर्शोन्मुख और सहायक देखभाल पर आधारित है, क्योंकि अभी तक इसका कोई इलाज नहीं है। शरीर में जल की आवश्यक मात्रा को बनाए रखना भी जरूरी है। लक्षणों की गंभीरता के आधार पर कोविड-19 को हल्का, मध्यम और गंभीर जैसे 3 समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है।

10.07.2020 को राज्यों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस और 10.07.2020 को ‘राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के उत्कृष्टता केंद्रों द्वारा कोविड मामले का उपचार’ विषय पर एक वर्चुअल बैठक में आईसीएमआर और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली ने इस बात पर जोर दिया कि इलाज के अभाव में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) के नैदानिक प्रबंधन प्रोटोकॉल में वर्णित हल्के, मध्यम और गंभीर मामलों के लिए देखभाल उपचार का मानक सबसे प्रभावी होगा।

प्रोटोकॉल के अनुसार, मध्यम और गंभीर मामलों के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन उपलब्ध कराना, उचित मात्रा में और समय से कौयगुलेंट रोधी देना और व्यापक रूप से उपलब्ध एवं सस्ती कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स को कोविड-19 चिकित्सा का मुख्य आधार माना जा सकता है। हल्के मामलों के लिए, जो कुल मामलों का लगभग 80 प्रतिशत है, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) की सिफारिश की गई है। देखभाल उपचार की रणनीतियों के मानक ने सकारात्मक नतीजे दिए हैं।

कोविड-19 के लिए एक प्रभावी उपचार की खोज के परिणामस्वरूप कई दवाओं का पुन: उपयोग किया गया है जो मुख्य नैदानिक प्रबंधन प्रोटोकॉल का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन ‘जांच चिकित्सा’ के रूप में इनका संकेत दिया गया है। इन दवाओं का रोगी को इसके बारे में बतलाकर और उनके साथ साझा निर्णय के आधार पर रोगियों के विशिष्ट उप-समूहों में उपयोग किया जा सकता है। इन दवाओं को अब भी ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) की स्वीकृति नहीं मिली है और इन्हें केवल कोविड-19 के लिए प्रतिबंधित इमरजेंसी उपयोग के लिए अनुमति दी गई है।

आईसीएमआर और एम्स ने राज्यों के साथ-साथ उत्कृष्टता केंद्र के रूप में नामित मेडिकल कॉलेज अस्पतालों को सावधान करते हुए याद उन्हें दिलाया कि इन दवाओं का अंधाधुंध उपयोग या इनका उन स्थितियों में उपयोग किया जाना जिसके लिए वे वांछनीय नहीं हैं, फायदे से अधिक नुकसान पहुंचा सकता हैं।

राज्यों को यह भी बताया गया कि रेमेडिसविर के लिए उपलब्ध साक्ष्य बताते हैं कि यह मध्यम से गंभीर मामलों में उपयोग किए जाने पर नैदानिक सुधार के समय को कम कर सकता है। हालांकि, मृत्यु दर कम करने के संदर्भ में इससे कोई लाभ नहीं हुआ है। जिगर और गुर्दे को चोट पहुंचाने सहित शरीर पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव डालने की इसकी क्षमता के कारण इसका उपयोग अत्यधिक सावधानी के साथ किया जाना चाहिए।

इसी तरह, टोसिलिज़ुमाब के लिए किए गए अध्ययन में इसका मृत्यु दर में कमी लाने में कोई लाभ नहीं दिखा है। हालांकि, गंभीर हालत में पहुंच चुके रोगियों के लिए इसका उपयोग किया जाना हो तो इसके लिए उसकी सूचित सहमति की आवश्यकता है। ‘साइकोटाइन स्टॉर्म’ में दवा का प्रभाव निर्देशित होने के कारण इसके बड़े पैमाने पर उपयोग को रोका जाना है।

सभी ‘जांच चिकित्सा’ केवल उचित स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं से युक्त अस्पतालों में ही की जानी चाहिए जहां रोगियों पर नजदीकी निगरानी रखना संभव है ताकि किसी भी संभावित जटिलताओं को दूर किया जा सके।

आईसीएमआर ने दृढ़ता से सिफारिश की है कि नैदानिक प्रबंधन का ध्यान ऑक्सीजन थेरेपी (उच्च प्रवाह नाक ऑक्सीजन सहित), स्टेरॉयड (जो व्यापक रूप से उपलब्ध और सस्ती है), उचित मात्रा में और समय पर कौयगुलेंट रोधी देने और रोगियों तथा उनके परिजनों को मानसिक स्वास्थ्य परामर्श, पहले से मौजूद बीमारी का उपचार और लक्षणों के उपशमन सहित उच्च गुणवत्ता वाले सहायक देखभाल मापदंडों पर बने रहना चाहिए।

कोरोना उपचार के लिए डीसीजीआई ने कोविड-19 के मध्यम से गंभीर रोगियों के लिए इटोलिज़ुमाब के प्रतिबंधित आपातकालीन उपयोग को मंजूरी दी attacknews.in

नईदिल्ली 11 जुलाई । इटोलिज़ुमाब (आरडीएनए मूल) एक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी है जिसे पहले से ही गंभीर पुरानी प्लेक सोरायसिस में उपयोग के लिए मंजूरी मिली हुई है। अब ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने क्लिनिकल ट्रायल डेटा के आधार पर इस इटोलिज़ुमाब के प्रतिबंधित आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी दी है।

मेसर्स बायोकॉन 2013 से अल्ज़ुमाब ब्रांड नाम से मध्यम से गंभीर पुरानी प्लेक सोरायसिस के रोगियों के उपचार के लिए इस दवा का निर्माण और विपणन कर रही है। इस स्वदेशी दवा को अब कोविड-19 के लिए पुनर्निर्मित किया गया है।

मेसर्स बायोकॉन ने कोविड-19 के रोगियों में उत्पन्न द्वितीय चरण नैदानिक परीक्षण के परिणाम डीसीजीआई के समक्ष प्रस्तुत किए हैं। इन परीक्षणों के परिणामों पर डीसीजीआई के कार्यालय की विषय विशेषज्ञ समिति में विवेचन किया गया।

मृत्यु दर के प्राथमिक समापन बिंदु, पीएओ2 और ऑक्सीजन (ओ2) संतृप्ति में सुधार जैसे फेफड़ों के कार्य के अन्य प्रमुख समापन बिंदु के विवरण प्रस्तुत किए गए। प्रमुख सूजन संबंधी चिन्ह आईएल-6, टीएनएफअल्फा आदि को भी पेश किया गया।

विस्तृत विचार-विमर्श के बाद और समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए डीसीजीआई ने कोविड-19 की वजह से मध्यस से गंभीर तीव्र श्वसन पीड़ा लक्षण (एआरडीएस) वाले रोगियों में साइटोकिन रिलीज सिंड्रोम (सीआरएस) के उपचार के लिए कुछ शर्तों जैसे रोगियों की सूचित सहमति, एक जोखिम प्रबंधन योजना, केवल अस्पताल में उपयोग किया जाना आदि, के अधीन दवा के प्रतिबंधित आपातकालीन उपयोग के तहत दवा का विपणन करने की अनुमति देने का फैसला किया है।

इस स्वदेशी दवा यानी इटोलिज़ुमाब के साथ उपचार की औसत लागत उन तुलनीय दवाओं की तुलना में कम है जो स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के कोविड-19 के लिए क्लिनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल में संकेतित ‘जांच चिकित्सा’ का हिस्सा हैं।

कोविड-19 की उत्पत्ति का पता लगाने चीन जाएंगे डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञ ,हांगकांग के वैज्ञानिक ने कहा: चीन को कोरोना वायरस की पहले से जानकारी थी attacknews.in

हांगकांग/बीजिंग ,11 जुलाई । विश्व भर में त्राहि-त्राहि मचाने वाली महामारी कोविड-19 को लेकर हांगकांग विषाणु वैग्यानिक लि.मेंग येन ने देश छोड़ने से पहले आरोप लगाया कि चीन को कोरोना वायरस के बारे में पहले से जानकारी थी और उसने इस जानकारी को छिपाया।

हांगकांग के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में वायरस विग्यान और इम्यूनॉलजी की विशेषग्य डॉ. येन ने हांगकांग छोड़ने से पहले फाक्स न्यूज को दिये साक्षात्कार में यह भी आरोप लगाया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसकी जानकारी होने के बावजूद इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा , “दिसंबर में ही पता चल गया था यह वायरस मनुष्य में फैल सकता है।”

कोविड-19 की उत्पत्ति का पता लगाने चीन जाएंगे डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञ

बीजिंग,से खबर है कि ,विश्व स्वास्थ्य संगठन के दो विशेषज्ञ कोविड-19 वैश्विक महामारी की उत्पत्ति का पता लगाने के एक बड़े अभियान के तहत जमीनी काम पूरा करने के लिए अगले दो दिन चीन की राजधानी बीजिंग में बिताएंगे।

संयुक्त राष्ट्र ने एक बयान में कहा कि एक पशु स्वास्थ्य विशेषज्ञ और एक महामारी विज्ञानी अपनी यात्रा के दौरान भविष्य के अभियान के लिए काम करेंगे जिसका मकसद यह पता लगाना है कि यह विषाणु पशुओं से मनुष्यों तक कैसे फैला।

वैज्ञानिकों का मानना है कि यह विषाणु चमगादड़ों से पैदा हुआ और फिर कस्तूरी बिलाव या पैंगोलिन जैसे अन्य स्तनधारी प्राणियों में फैला और इसके बाद पिछले साल के अंत में चीनी शहर वुहान के खाद्य बाजार में लोगों तक फैला।

भविष्य में महामारियों को फैलने से रोकने के लिए चीन ने वन्यजीवों के व्यापार पर कार्रवाई की और कुछ पशु बाजार बंद कर दिए।

डब्ल्यूएचओ का अभियान राजनीतिक रूप से संवेदनशील है क्योंकि उसे सबसे अधिक वित्त पोषण देने वाले अमेरिका ने इस महामारी से निपटने में नाकामी और चीन के प्रति पूर्वग्रह का आरोप लगाकर उसकी निधि में कटौती करने की धमकी दी है।

मई में विश्व स्वास्थ्य महासभा में 120 से अधिक देशों ने विषाणु की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए जांच की मांग की थी। चीन ने जोर दिया था कि डब्ल्यूएचओ जांच का नेतृत्व करे और इसके लिए महामारी के नियंत्रण में आने तक का इंतजार करे।

उत्तरप्रदेश पुलिस की फर्जी मुठभेड़ में मारा गया गैंगस्टर विकास दुबे; साथ चल रही पूरी मीडिया को आधा घंटे पहले ही रोक दिया गया; चश्मदीद आए सामने जिन्होंने मुठभेड़ की बात को नकारा attacknews.in

कानपुर/नईदिल्ली , 10 जुलाई ।कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के आरोपी एवं कुख्यात अपराधी विकास दुबे को मध्य प्रदेश के उज्जैन से लेकर कानपुर आ रहे पुलिस काफिले के साथ चल रहे मीडिया के वाहनो को संचेडी के पास कथित रूप से रोक दिया गया था, हालांकि पुलिस ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है ।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में यह दिख रहा है कि दुबे के साथ हुये मुठभेड़ स्थल से करीब तीस मिनट पहले ही मीडिया के वाहनों को रोक दिया गया था ।

एक पत्रकार ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि पुलिस काफिले के पीछे पीछे आ रहे मीडिया के वाहनों को पुलिस ने कई स्थानों पर रोका । पत्रकार ने बताया कि संचेडी इलाके में भी मीडिया के वाहनो को रोक दिया गया जिसके कुछ देर बाद ही भौती इलाके में दुबे के मुठभेड़ में मारे जाने की खबर आयी ।

इस बारे में जब कानपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार पी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनके पास इसकी कोई जानकारी नही कि विकास दुबे को लेकर आ रहे पुलिस के वाहन के पीछे आ रहे मीडियाकर्मियों के वाहनो को रोका गया था ।

उन्होंने कहा कि मीडिया के वाहनों को रोका नही गया था ।

एसटीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि शायद मीडिया के वाहनो को जांच के लिये रोका गया हो ।

सेल्फी प्वाइंट बना कथित मुठभेड़ स्थल और सामने आये चश्मदीद:

मुठभेड़ स्थल भौती, कानपुर (उप्र)से खबर है कि,कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के आरोपी दुर्दांत अपराधी विकास दुबे की शुक्रवार को कथित मुठभेड़ में मौत के बाद यह घटनास्थल लोगों के लिए सेल्फी प्वाइंट बन गया है।

दुबे शुक्रवार सुबह उज्जैन से कानपुर ले जाते वक्त रास्ते में भौती क्षेत्र में स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के साथ हुई कथित मुठभेड़ में मारा गया।

एसटीएफ के मुताबिक, दुबे को ले जा रहा वाहन भौती क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। दुबे ने मौके का फायदा उठाकर भागने की कोशिश की। एसटीएफ ने उसे आत्मसमर्पण करने के लिए कहा लेकिन उसने एसटीएफ के जवानों पर एक जवान से छीनी गई पिस्टल से गोली चलाई। जवाबी कार्रवाई में वह मारा गया।

वारदात के बाद वह घटनास्थल लोगों के कौतूहल का विषय बन गया है। उधर से गुजरने वाला हर शख्स यह जानने के लिए उत्सुक है कि किस जगह पर मुठभेड़ हुई और यह अंदाजा लगाने की कोशिश में है कि दुबे को कैसे मारा गया होगा।

यह कहना गलत नहीं होगा कि वह घटनास्थल सेल्फी प्वाइंट बन गया है। गुजरने वाला हर व्यक्ति मौका-ए-वारदात की तस्वीर को अपने मोबाइल फोन में कैद करने की कोशिश में है।

लोगों की भीड़ की वजह से भौती इलाके में उस जगह पर जाम की स्थिति बन रही है। ट्रक चालक और निजी वाहन से गुजर रहे लोग यह पूछते हुए दिख रहे हैं “क्या हुआ भैया यहां पर बहुत भीड़ है।” जिस जगह दुबे मारा गया, उसके दूसरी तरफ एक आटा मिल है। वहां काम करने वाले राहुल सिंह ने बताया “हमें गोली चलने की कोई आवाज नहीं सुनाई दी, क्योंकि हम फैक्ट्री के अंदर काम कर रहे थे, जहां मशीनें चलने की वजह से पहले ही काफी शोर था।” उसने बताया कि उसकी ड्यूटी सुबह सात बजे शुरू होती है और चूंकि सुबह छह बजे से काफी तेज बारिश हो रही थी, इस वजह से उसे घटना के बारे में देर से पता चला। मेरे एक वरिष्ठ साथी ने जब बताया तो मुझे पता चला कि सड़क के दूसरी ओर किसी को गोली मारी गई है।

घटनास्थल के आसपास रहने वाले लोग भी मुठभेड़़ के बारे में कुछ भी बताने से बच रहे हैं। वे बस इतना कह रहे हैं कि जब पुलिस की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हुई तो वह भी अन्य लोगों की तरह बाहर निकले थे।

आटा मिल में राहुल के साथ काम करने वाले अरुण कुमार ने भी कहा कि चूंकि फैक्ट्री के अंदर मशीनें चलने से काफी शोर हो रहा था, इसलिए उन्हें कुछ और नहीं सुनाई दिया और बारिश होने के कारण वह कुछ देख भी नहीं सके।

दुबे गत दो-तीन जुलाई की रात कानपुर के बिकरु गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी था। उस पर पांच लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था। उसे बृहस्पतिवार को मध्य प्रदेश स्थित उज्जैन में गिरफ्तार किया गया था। एसटीएफ उसे वहां से कानपुर ला रही थी। रास्ते में वह कथित मुठभेड़ में मारा गया।

पुलिस की मुठभेड़ की कहानी:कुख्यात अपराधी विकास दुबे मारा गया

कुख्यात अपराधी एवं कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले का मुख्य आरोपी विकास दुबे शुक्रवार सुबह कानपुर के भौती इलाके में पुलिस मुठभेड़ मे मारा गया। पुलिस अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी।

कानपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार ने बताया, ‘‘ तेज बारिश हो रही थी । पुलिस ने गाड़ी तेज भगाने की कोशिश की जिससे वह डिवाइडर से टकराकर पलट गयी और उसमें बैठे पुलिसकर्मी घायल हो गये। उसी मौके का फायदा उठाकर दुबे ने पुलिस के एक जवान की पिस्तौल छीनकर भागने की कोशिश की और कुछ दूर भाग भी गया। ’’

कुमार ने कहा, ‘‘ तभी पीछे से एस्कार्ट कर रहे एसटीएफ के जवानों ने उसे गिरफ्तार करने की कोशिश की और उसी दौरान उसने एसटीएफ पर गोली चला दी जिसके जवाब में जवानों ने भी गोली चलाई और वह घायल होकर गिर पड़ा। हमारे जवान उसे अस्पताल लेकर गये जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।’’

इस बीच पुलिस ने बयान जारी कर बताया कि यह दुर्घटना कानपुर के भौती इलाके में हुयी है ।

इससे पहले कानपुर के एडीजी जे एन सिंह ने बताया था कि पुलिस और एसटीएफ की गाड़ियां विकास को उज्जैन से लेकर आ रही थी, तभी अचानक एक गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गयी। उसमें बैठे विकास दुबे ने भागने की कोशिश की जिसके बाद पुलिस मुठभेड़ हुई और वह घायल हो गया।

सिंह ने बताया कि हादसे के बाद दुबे ने एक एसटीएफकर्मी की पिस्तौल छीन ली और भागने का प्रयास किया लेकिन पुलिस ने उसे घेर लिया और दोनों तरफ से हुयी गोलीबारी में वह घायल हो गया ।

उन्होंने बताया कि विकास को तुरंत हैलट अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस दुर्घटना में कई पुलिसकर्मी भी घायल हुये है।

विकास दुबे को बृहस्पतिवार को मध्य प्रदेश के उज्जैन से गिरफतार किया गया था।

विकास दुबे के मारे जाने से कुछ घंटे पहले न्यायालय में दायर याचिका में जताई गई थी उसकी हत्या की आशंका:

कुख्यात अपराधी विकास दुबे के शुक्रवार को कानुपर के पास पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे जाने से कुछ घंटे पहले उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस को उसकी जान की हिफाजत करने का निर्देश देने की मांग की गई थी, साथ ही यह सुनिश्चित करने की भी मांग की गई थी कि वह पुलिस के हाथों न मारा जाए।

याचिका में यह मांग भी की गई थी कि पिछले सप्ताह आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में कथित तौर पर दुबे के साथ शामिल रहे पांच सह-आरोपियों की मुठभेड़ में मारे जाने के सिलसिले में प्राथमिकी दर्ज की जाए और शीर्ष अदालत की निगरानी में सीबीआई से जांच कराई जाए।

कानपुर के चौबेपुर इलाके के बिकरू गांव में तीन जुलाई को देर रात में बदमाशों पर दबिश देने गए पुलिस दल पर अपराधियों ने हमला कर दिया था जिसमें पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे।

पुलिस के मुताबिक दुबे शुक्रवार सुबह उस समय मुठभेड़ में मारा गया जब उज्जैन से उसे लेकर कानपुर आ रही पुलिस की एक गाड़ी भऊती इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गई और उसने मौके से भाग जाने की कोशिश की।

कानपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल ने बताया कि दुर्घटना में नवाबगंज थाने के एक निरीक्षक समेत चार पुलिसकर्मी जख्मी हो गए।

दुबे को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। दुबे कानपुर कांड का मुख्य आरोपी था।

दुबे से पहले उसके पांच कथित सहयोगी पुलिस के साथ अलग-अलग मुठभेड़ में मारे गए।

वकील घनश्याम उपाध्याय की ओर से शीर्ष अदालत में दाखिल याचिका में मीडिया में आई खबरों का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि पुलिस द्वारा इन पांच सह-आरोपियों की मुठभेड़ में हत्या ‘‘न केवल अत्यंत गैरकानूनी और अमानवीय है, बल्कि अदालत की अंतरात्मा को भी झकझोरने वाली है और यह देश का तालिबानीकरण है जिसको बिल्कुल स्वीकार नहीं किया जा सकता।’’

उपाध्याय ने फोन पर न्यूज एजेंसी को बताया, ‘‘मैंने देर रात दो बजे इलेक्ट्रॉनिक तरीके से याचिका दाखिल की थी।’’

याचिका में दुबे के घर, वाहनों और अन्य संपत्तियों को ढहाने और तोड़ने के संबंध में भी प्राथमिकी दर्ज करने का उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस को निर्देश देने की मांग की गई थी।

उत्तरप्रदेश पुलिस की फर्जी मुठभेड़ में मारा गया गैंगस्टर विकास दुबे; साथ चल रही पूरी मीडिया को आधा घंटे पहले ही रोक दिया गया; चश्मदीद आए सामने जिन्होंने मुठभेड़ की बात को नकारा attacknews.in

कानपुर/नईदिल्ली , 10 जुलाई ।कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के आरोपी एवं कुख्यात अपराधी विकास दुबे को मध्य प्रदेश के उज्जैन से लेकर कानपुर आ रहे पुलिस काफिले के साथ चल रहे मीडिया के वाहनो को संचेडी के पास कथित रूप से रोक दिया गया था, हालांकि पुलिस ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है ।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में यह दिख रहा है कि दुबे के साथ हुये मुठभेड़ स्थल से करीब तीस मिनट पहले ही मीडिया के वाहनों को रोक दिया गया था ।

एक पत्रकार ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि पुलिस काफिले के पीछे पीछे आ रहे मीडिया के वाहनों को पुलिस ने कई स्थानों पर रोका । पत्रकार ने बताया कि संचेडी इलाके में भी मीडिया के वाहनो को रोक दिया गया जिसके कुछ देर बाद ही भौती इलाके में दुबे के मुठभेड़ में मारे जाने की खबर आयी ।

इस बारे में जब कानपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार पी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनके पास इसकी कोई जानकारी नही कि विकास दुबे को लेकर आ रहे पुलिस के वाहन के पीछे आ रहे मीडियाकर्मियों के वाहनो को रोका गया था ।

उन्होंने कहा कि मीडिया के वाहनों को रोका नही गया था ।

एसटीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि शायद मीडिया के वाहनो को जांच के लिये रोका गया हो ।

सेल्फी प्वाइंट बना कथित मुठभेड़ स्थल और सामने आये चश्मदीद:

मुठभेड़ स्थल भौती, कानपुर (उप्र)से खबर है कि,कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के आरोपी दुर्दांत अपराधी विकास दुबे की शुक्रवार को कथित मुठभेड़ में मौत के बाद यह घटनास्थल लोगों के लिए सेल्फी प्वाइंट बन गया है।

दुबे शुक्रवार सुबह उज्जैन से कानपुर ले जाते वक्त रास्ते में भौती क्षेत्र में स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के साथ हुई कथित मुठभेड़ में मारा गया।

एसटीएफ के मुताबिक, दुबे को ले जा रहा वाहन भौती क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। दुबे ने मौके का फायदा उठाकर भागने की कोशिश की। एसटीएफ ने उसे आत्मसमर्पण करने के लिए कहा लेकिन उसने एसटीएफ के जवानों पर एक जवान से छीनी गई पिस्टल से गोली चलाई। जवाबी कार्रवाई में वह मारा गया।

वारदात के बाद वह घटनास्थल लोगों के कौतूहल का विषय बन गया है। उधर से गुजरने वाला हर शख्स यह जानने के लिए उत्सुक है कि किस जगह पर मुठभेड़ हुई और यह अंदाजा लगाने की कोशिश में है कि दुबे को कैसे मारा गया होगा।

यह कहना गलत नहीं होगा कि वह घटनास्थल सेल्फी प्वाइंट बन गया है। गुजरने वाला हर व्यक्ति मौका-ए-वारदात की तस्वीर को अपने मोबाइल फोन में कैद करने की कोशिश में है।

लोगों की भीड़ की वजह से भौती इलाके में उस जगह पर जाम की स्थिति बन रही है। ट्रक चालक और निजी वाहन से गुजर रहे लोग यह पूछते हुए दिख रहे हैं “क्या हुआ भैया यहां पर बहुत भीड़ है।” जिस जगह दुबे मारा गया, उसके दूसरी तरफ एक आटा मिल है। वहां काम करने वाले राहुल सिंह ने बताया “हमें गोली चलने की कोई आवाज नहीं सुनाई दी, क्योंकि हम फैक्ट्री के अंदर काम कर रहे थे, जहां मशीनें चलने की वजह से पहले ही काफी शोर था।” उसने बताया कि उसकी ड्यूटी सुबह सात बजे शुरू होती है और चूंकि सुबह छह बजे से काफी तेज बारिश हो रही थी, इस वजह से उसे घटना के बारे में देर से पता चला। मेरे एक वरिष्ठ साथी ने जब बताया तो मुझे पता चला कि सड़क के दूसरी ओर किसी को गोली मारी गई है।

घटनास्थल के आसपास रहने वाले लोग भी मुठभेड़़ के बारे में कुछ भी बताने से बच रहे हैं। वे बस इतना कह रहे हैं कि जब पुलिस की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हुई तो वह भी अन्य लोगों की तरह बाहर निकले थे।

आटा मिल में राहुल के साथ काम करने वाले अरुण कुमार ने भी कहा कि चूंकि फैक्ट्री के अंदर मशीनें चलने से काफी शोर हो रहा था, इसलिए उन्हें कुछ और नहीं सुनाई दिया और बारिश होने के कारण वह कुछ देख भी नहीं सके।

दुबे गत दो-तीन जुलाई की रात कानपुर के बिकरु गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी था। उस पर पांच लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था। उसे बृहस्पतिवार को मध्य प्रदेश स्थित उज्जैन में गिरफ्तार किया गया था। एसटीएफ उसे वहां से कानपुर ला रही थी। रास्ते में वह कथित मुठभेड़ में मारा गया।

पुलिस की मुठभेड़ की कहानी:कुख्यात अपराधी विकास दुबे मारा गया:

कुख्यात अपराधी एवं कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले का मुख्य आरोपी विकास दुबे शुक्रवार सुबह कानपुर के भौती इलाके में पुलिस मुठभेड़ मे मारा गया। पुलिस अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी।

कानपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार ने बताया, ‘‘ तेज बारिश हो रही थी । पुलिस ने गाड़ी तेज भगाने की कोशिश की जिससे वह डिवाइडर से टकराकर पलट गयी और उसमें बैठे पुलिसकर्मी घायल हो गये। उसी मौके का फायदा उठाकर दुबे ने पुलिस के एक जवान की पिस्तौल छीनकर भागने की कोशिश की और कुछ दूर भाग भी गया। ’’

कुमार ने कहा, ‘‘ तभी पीछे से एस्कार्ट कर रहे एसटीएफ के जवानों ने उसे गिरफ्तार करने की कोशिश की और उसी दौरान उसने एसटीएफ पर गोली चला दी जिसके जवाब में जवानों ने भी गोली चलाई और वह घायल होकर गिर पड़ा। हमारे जवान उसे अस्पताल लेकर गये जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।’’

इस बीच पुलिस ने बयान जारी कर बताया कि यह दुर्घटना कानपुर के भौती इलाके में हुयी है ।

इससे पहले कानपुर के एडीजी जे एन सिंह ने बताया था कि पुलिस और एसटीएफ की गाड़ियां विकास को उज्जैन से लेकर आ रही थी, तभी अचानक एक गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गयी। उसमें बैठे विकास दुबे ने भागने की कोशिश की जिसके बाद पुलिस मुठभेड़ हुई और वह घायल हो गया।

सिंह ने बताया कि हादसे के बाद दुबे ने एक एसटीएफकर्मी की पिस्तौल छीन ली और भागने का प्रयास किया लेकिन पुलिस ने उसे घेर लिया और दोनों तरफ से हुयी गोलीबारी में वह घायल हो गया ।

उन्होंने बताया कि विकास को तुरंत हैलट अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस दुर्घटना में कई पुलिसकर्मी भी घायल हुये है।

विकास दुबे को बृहस्पतिवार को मध्य प्रदेश के उज्जैन से गिरफतार किया गया था।

विकास दुबे के मारे जाने से कुछ घंटे पहले न्यायालय में दायर याचिका में जताई गई थी उसकी हत्या की आशंका:

कुख्यात अपराधी विकास दुबे के शुक्रवार को कानुपर के पास पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे जाने से कुछ घंटे पहले उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस को उसकी जान की हिफाजत करने का निर्देश देने की मांग की गई थी, साथ ही यह सुनिश्चित करने की भी मांग की गई थी कि वह पुलिस के हाथों न मारा जाए।

याचिका में यह मांग भी की गई थी कि पिछले सप्ताह आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में कथित तौर पर दुबे के साथ शामिल रहे पांच सह-आरोपियों की मुठभेड़ में मारे जाने के सिलसिले में प्राथमिकी दर्ज की जाए और शीर्ष अदालत की निगरानी में सीबीआई से जांच कराई जाए।

कानपुर के चौबेपुर इलाके के बिकरू गांव में तीन जुलाई को देर रात में बदमाशों पर दबिश देने गए पुलिस दल पर अपराधियों ने हमला कर दिया था जिसमें पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे।

पुलिस के मुताबिक दुबे शुक्रवार सुबह उस समय मुठभेड़ में मारा गया जब उज्जैन से उसे लेकर कानपुर आ रही पुलिस की एक गाड़ी भऊती इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गई और उसने मौके से भाग जाने की कोशिश की।

कानपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल ने बताया कि दुर्घटना में नवाबगंज थाने के एक निरीक्षक समेत चार पुलिसकर्मी जख्मी हो गए।

दुबे को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। दुबे कानपुर कांड का मुख्य आरोपी था।

दुबे से पहले उसके पांच कथित सहयोगी पुलिस के साथ अलग-अलग मुठभेड़ में मारे गए।

वकील घनश्याम उपाध्याय की ओर से शीर्ष अदालत में दाखिल याचिका में मीडिया में आई खबरों का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि पुलिस द्वारा इन पांच सह-आरोपियों की मुठभेड़ में हत्या ‘‘न केवल अत्यंत गैरकानूनी और अमानवीय है, बल्कि अदालत की अंतरात्मा को भी झकझोरने वाली है और यह देश का तालिबानीकरण है जिसको बिल्कुल स्वीकार नहीं किया जा सकता।’’

उपाध्याय ने फोन पर न्यूज एजेंसी को बताया, ‘‘मैंने देर रात दो बजे इलेक्ट्रॉनिक तरीके से याचिका दाखिल की थी।’’

याचिका में दुबे के घर, वाहनों और अन्य संपत्तियों को ढहाने और तोड़ने के संबंध में भी प्राथमिकी दर्ज करने का उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस को निर्देश देने की मांग की गई थी।

भारत में प्रति दस लाख लोगों में कोरोना मामलों और मौतों की संख्या विश्व में सबसे कम attacknews.in

नयी दिल्ली,09 जुलाई। भारत आबादी के लिहाज से विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है लेकिन यहां प्रति दस लाख आबादी पर कोरोना के केसों और मौतों की संख्या विश्व में सबसे कम पाई जा रही है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के ओएसडी राजेश भूषण ने गुरूवार को एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि विश्व में प्रति दस लाख आबादी में कोरोना के औसत मामलों की संख्या 1497 हैं लेकिन भारत में यह आंकडा 538 हैं और चिली जैसे छोटे देश में प्रति दस लाख लोगों में कोरोना के15747 मामले पाए जा रहे हैं। अमेरिका में यह संख्या 8832 है और विश्व के अन्य देशों में यह ईरान(2925), ब्रिटेन (4218), रूस (4802), स्पेन(5393) हैं।

उन्होंने बताया कि ब्रिटेन और स्पेन में प्रति दस लाख आबादी में लोगों की होने वाली मौतों की संख्या भारत से 40 गुना अधिक है । विश्व में प्रति दस लाख की आबादी मेें कोरोना से होने वाली मौतों का औसत 69.3 लोग है लेकिन भारत में यह 15 व्यक्ति प्रति दस लाख हैं। स्पेन में प्रति दस लाख लोगों में 607.3 और ब्रिटेन में 653.9 लोगाें की कोरोना से मौत हुई हैं।

देश में अभी तक कोरोना के कुल सक्रिय मामलों की संख्या 269789 है और अब तक कोरोना के 476378 मरीज ठीक हो चुके हैं और कोरोना की रिकवरी दर 62.09 प्रतिशत हो गई है। देश में तीन मई को कोरोना रिकवरी दर 26.59 प्रतिशत थी जो 31 मई को बढ़कर 47.40 प्रतिशत हो गई और इसमें लगातार इजाफा हो रहा है।

उन्होंने बताया कि देश में 45 से 59 वर्ष के लोगों का आबादी में 15 प्रतिशत हिस्सा है लेकिन इस समूह में कोरोना से होने वाली मौतों का आंकडा 32 प्रतिशत है। इसके अलावा 60 से 74 आयुवर्ग के लोगों की आबादी में हिस्सेदारी आठ प्रतिशत है लेेकिन इस आयु समूह में कोरोना से होने वाली मौतों का आंकडा 39 प्रतिशत रहा है और 75 वर्ष से अधिक के लोगों की कोरोना से होने वाली मौतें 14 प्रतिशत हैं।

भारत में कोरोना से जितनी मौतें हुई हैं उनमें 10 प्रतिशत आबादी का योगदान 53 प्रतिशत है और इसमें 60 से 74 आयु वर्ग की हिस्सेदारी आठ प्रतिशत है और इस वर्ग में कोरोना से संबंधित मौतों का आंकडा 39 प्रतिशत रहा है और 75 वर्ष से अधिक की आबादी में हिस्सेदारी मात्र दो प्रतिशत है लेकिन इन लोगों की कोरोना से होने वाली मौतें 14 प्रतिशत हैं।

आखिरकार कानून के शिकंजे में फंस ही गया विकास दुबे जिसके लिए उत्तरप्रदेश पुलिस ने एक विशेष प्लान उसके लिए तैयार किया हुआ था attacknews.in

लखनऊ, 09 जुलाई ।उत्तर प्रदेश में कानपुर के चौबेपुर क्षेत्र के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने के बाद सात दिनों तक उत्तर प्रदेश की पुलिस की नींद हराम करने वाला पांच लाख का ईनामी हिस्ट्रीशीटर आखिरकार गुरूवार को मध्य प्रदेश के उज्जैन में धर दबोचा गया।

पुलिस की हर चाल में उससे दो कदम बढ़कर पासे फेंक रहे विकास की चाल को समझने में प्रदेश का समूचा खुफिया तंत्र और पुलिस एक हफ्ते तक माथापच्ची करते रहे लेकिन गुरूवार की सुबह पुलिस के लिये संतोष का पैगाम लेकर आयी जब दुर्दांत हिस्ट्रीशीटर के गैंग के दो सदस्य मुठभेड़ में मारे गये जबकि कुछ ही देर बाद मध्यप्रदेश के उज्जैन से आठ पुलिस वालों के हत्यारे के गिरफ्तार हो जाने की सूचना मिल गयी।

विकास दुबे को उत्तरप्रदेश पुलिस के हवाले किया गया

कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे को आज मध्यप्रदेश के उज्जैन में पुलिस ने हिरासत में लेने के बाद उसे सायं काल जिला कोर्ट में पेशी के बाद उत्तरप्रदेश पुलिस के सुपुर्द कर दिया।

पुलिस कर्मचारियों ने उसे अपनी हिरासत में ले लिया। इसकी सूचना तत्काल उत्तरप्रदेश पुलिस को दी गयी और देर शाम आरोपी विकास दुबे को उत्तरप्रदेश पुलिस के दल के हवाले कर दिया गया।

अभी भी हेकड़ी नहीं गयी विकास दुबे की

उज्जैन पुलिस की आज गिरफ्त में आने के बाद भी उत्तरप्रदेश के कुख्यात हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की हेकड़ी गयी नहीं है।

पुलिस सूत्रों के अनुसार विकास दुबे को सुबह यहां महाकाल थाना क्षेत्र परिसर से उस समय गिरफ्तार किया गया, जब वह कथित तौर पर महाकाल मंदिर में दर्शनों के लिए जा रहा था। गिरफ्तारी के बाद जब पुलिस के जवान उसे वाहन में बिठा रहे थे, तब वह भीड़ की तरफ मुखातिब होते हुए जोर से कह रहा है ”मैं विकास दुबे हूं कानपुर वाला।”

हम सरकार से अपील नहीं करेंगे जिनको करा है वह खुद करेंगे : सरला देवी( विकास की मां:

उत्तर प्रदेश में कानपुर के चौबेपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के आरोपी विकास दुबे की गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया देते हुये उसकी मां सरला देवी ने कहा कि वह अपने पुत्र को बचाने के लिये सरकार से कोई अपील नहीं करेंगी और हिस्ट्रीशीटर को राजनीतिक संरक्षण देने वाले ही उसका भला बुरा देखेंगे।

विकास की मां ने कहा “ घर के बच्चों ने टीवी पर विकास की गिरफ्तारी की खबर देखकर हमें बताया। हम सरकार से कोई अपील नहीं करेंगे, जिनको अपील करना है, वह लोग खुद अपील करेंगे कि विकास को क्या सजा दी जाये।

उन्होने कहा कि विकास की ससुराल मध्यप्रदेश में है और वह हर साल उज्जैन के महाकाल मंदिर दर्शन के लिये जाता था। उन्ही की कृपा से आज वह जिंदा है। ”

ऐसे हुआ विकास दुबे समेत तीन आरोपी उज्जैन से गिरफ्तार

उत्तरप्रदेश के कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे और उसके दो साथियों को आज मध्यप्रदेश के उज्जैन से गिरफ्तार कर लिया गया।

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि दुबे को यहां महाकाल पुलिस चौकी क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया। वह सुबह महाकाल मंदिर में प्रवेश करना चाह रहा था, तभी वहां सुरक्षा में तैनात कर्मचारियों की सतर्कता की वजह से वह पहचान लिया गया। सूचना मिलने पर पुलिस भी सक्रिय हुयी और उसे तथा उसके दो साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया।

पुलिस सूत्रों का कहना है कि उसने महाकाल मंदिर क्षेत्र से भागने की कोशिश भी की, लेकिन वहां मौजूद सुरक्षा कर्मचारियों ने उसे ऐसा करने से रोक दिया।

इस बीच राजधानी भोपाल में गृ़ह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने मीडिया से कहा कि विकास दुबे और उसके दो साथियों बिट़टू तथा सुरेश को गिरफ्तार किया गया है। तीनों उज्जैन पुलिस की गिरफ्त में हैं।तीन जुलाई को उत्तरप्रदेश के कानपुर जिले में आठ पुलिस अधिकारियों कर्मचारियों की हत्या के बाद से वह फरार था और उत्तरप्रदेश पुलिस उसकी जगह जगह तलाश कर रही थी।

विकास दुबे समेत तीन गिरफ्तार, आश्रयदाताओं को ध्यान में रखकर जांच जारी

उत्तरप्रदेश के कानपुर में आठ पुलिस अधिकारियों कर्मचारियों की हत्या के आरोपी एवं कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे समेत तीन आरोपियों को आज मध्यप्रदेश की उज्जैन पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

यहां उसे सख्त सुरक्षा प्रबंधों के बीच रखकर दिन में पूछताछ की गयी तो, शाम को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उसकी जज के सामने पेशी हुयी।

इस बीच उत्तरप्रदेश पुलिस का दल भी देर शाम तक उज्जैन पहुंचें । विकास को सुबह यहां प्रसिद्ध महाकाल मंदिर परिसर से गिरफ्तार किया गया। उसे मंदिर की सुरक्षा में लगे निजी कंपनी के कर्मचारियों ने पहचान लिया और इसकी सूचना पुलिस को दी गयी। पुलिस ने विकास की गिरफ्तारी के बाद दो अन्य आरोपियों बिट्टू तथा सुरेश को भी गिरफ्तार किया है।

पुलिस सूत्रों के अनुसार पुलिस ने एक लग्जरी कार को भी जब्त कर लिया है, जिससे कथित तौर पर विकास दुबे उज्जैन पहुंचा है। उसने मंदिर परिसर में प्रवेश करने के लिए छद्म नाम से पास बनवाया था। मंदिर परिसर में प्रवेश करने के बाद वह गिरफ्त में आ गया। पुलिस ने दिन में विकास से प्रारंभिक पूछताछ के बाद कुछ स्थानीय लोगों को हिरासत में लिया है, जिन्होंने विकास की मदद की।

इस बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विकास दुबे की गिरफ्तारी को उपलब्धि बताते हुए उज्जैन पुलिस को बधाई दी है। उन्होंने इस घटना के बाद उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी चर्चा की और कहा कि विकास को उत्तरप्रदेश पुलिस को सौंपा जाएगा।

वहीं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के नेताओं ने इस मामले में सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि विकास दुबे ने समर्पण किया है और इसमें एक नेता की भूमिका संदिग्ध नजर आती है।

कांग्रेस ने इस संपूर्ण मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। इस संबंध में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और अन्य नेताओं ने ट्वीट भी किए हैं।

विकास दुबे की गिरफ्तारी के तत्काल बाद राजधानी भोपाल में गृ़ह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने मीडिया से कहा कि विकास दुबे और उसके दो साथियों बिट़टू तथा सुरेश को गिरफ्तार किया गया है। तीनों उज्जैन पुलिस की गिरफ्त में हैं। उन्होंने भी उज्जैन पुलिस को बधाई देते हुए कहा कि पुलिस विधि अनुरूप अपना कार्य करेगी।

उन्होंने दावा किया कि जब से विकास दुबे फरार हुआ है, तब से ही राज्य पुलिस अलर्ट पर थी।

तीन जुलाई को उत्तरप्रदेश के कानपुर जिले में आठ पुलिस अधिकारियों कर्मचारियों की हत्या के बाद से वह फरार था और उत्तरप्रदेश पुलिस की अलग अलग टीम उसकी जगह जगह तलाश कर रही थीं।

इस बीच प्रारंभिक पूछताछ में विकास के राज्य के उज्जैन के अलावा ग्वालियर चंबल अंचल और शहडोल जिले से भी संबंध होने की जानकारियों के आधार पर तथ्यों की पड़ताल की कोशिश की गयी। पुलिस इन सभी तथ्यों को भी ध्यान में रखकर कार्रवाई कर रही है।

झांसी:शहीद सुल्तान के परिजनों ने विकास दुबे की गिरफ्तारी पर उठाये सवाल

झांसीसे खबर है कि,पिछले सात -आठ दिनों से उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ लुकाछिपी का खेल खेल रहे कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे की मध्य प्रदेश के उज्जैन से गिरफ्तारी को कोई पचा नहीं पा रहा है।

शहीद सिपाही सुल्तान सिंह के परिजनों ने भी इस गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए सीबीआई जांच की मांग की है।

शहीद सुल्तान की पत्नी उर्मिला और उसके परिजनों ने कहा कि गुरूवार सुबह उज्जैन के महाकाल मंदिर से विकास की गिरफ्तारी की सीबीआई जाचं होनी चाहिए। सीबीआई जांच में ही निकलकर सामने आएगा कि विकास के मददगार और देश के गद्दार आखिर कौन लोग हैं ?

विकास दुबे की पत्नी और बेटा भी गिरफ्तार

कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी विकास दुबे की बृहस्पतिवार को मध्य प्रदेश के उज्जैन में गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने लखनऊ के कृष्णानगर इलाके से उसकी पत्नी और बेटे को भी गिरफ्तार कर लिया है।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने विकास की पत्नी ऋचा और उसके बेटे को कृष्णा नगर से गिरफ्तार कर लिया है। साथ ही दुबे के नौकर को भी पकड़ लिया गया है।

ऋचा पर पति विकास दुबे के अपराधों में शामिल होने का आरोप है। वह आपराधिक घटनाओं में अपने पति का बढ़-चढ़कर साथ देती थी। यह भी आरोप है कि वह पिछले हफ्ते कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या की वारदात ने भी शामिल थी। वह घटना के फौरन बाद लापता हो गई थी।

सूत्रों के मुताबिक ऋचा ने गांव स्थित अपने घर में लगे सीसीटीवी कैमरा को अपने मोबाइल फोन से कनेक्ट कर रखा था जिससे वह गांव में मौजूद ना होने के बावजूद वहां होने वाली गतिविधियों पर नजर रखती थी।

एसटीएफ के सूत्रों के मुताबिक उसे भी कानपुर ले जाया गया जहां उसे उसके पति के सामने पूछताछ के लिए लाया जाएगा।

एसटीएफ और स्थानीय पुलिस पिछले हफ्ते दो बार कृष्णा नगर स्थित विकास दुबे के घर पर गई थी लेकिन ऋचा और उसका बेटा वहां नहीं मिले।

गौरतलब है कि आज सुबह ही पुलिस ने विकास दुबे को उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर से गिरफ्तार किया था। उत्तर प्रदेश पुलिस विकास को लेकर उज्जैन से रवाना हो गई है।

मध्यप्रदेश में कोरोना के 305 नए मामले मिलने से एक्टिव मरीजों की संख्या बढ़ी,संक्रमितों की संख्या 16,341 तक पहुंची ,कोरोना के रोकथाम व बचाव के दिशा-निर्देश जारी attacknews.in

भोपाल, 09 जुलाई । मध्यप्रदेश में लगातार बढ़ रहे कोरोना मरीजों की संख्या के बीच 305 नए मामले सामने आए, जिसके चलते एक्टिव मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है।

राज्य स्वास्थ्य संचालनालय द्वारा आज रात यहां जारी बुलेटिन के अनुसार पिछले चौबीस घंटों के दौरान प्रदेश भर में 305 नए मामले सामने आने के बाद कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 16341 तक पहुंच गयी। वहीं, कल 3420 एक्टिव मरीजों के मुकाबले आज इसकी संख्या बढ़कर 3475 तक पहुंच गयी। इस बीच 245 मरीज स्वस्थ भी हुए हैं, जिसके बाद इस बीमारी से अब तक 12232 मरीज पूरी तरह ठीक हो चुके हैं।

भोपाल में कोरोना के 59 नए मामले, कुल संख्या 3337 हुयी

भोपाल में आज कोरोना संक्रमण के 59 नए मामले सामने आने के बाद इनकी कुल संख्या 3337 हो गयी है। हालाकि अब तक 2541 व्यक्ति स्वस्थ हो चुके हैं।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार भोपाल जिले में अब तक 115 कोरोना संक्रमितों की मौत हो चुकी है। इसके पहले कल रात 53 व्यक्ति काेरोना संक्रमित मिले थे और इसके बाद संख्या बढ़कर 3278 हो गयी थी। आज सुबह 59 कोरोना संक्रमित मिलने के बाद संख्या बढ़कर 3337 हो गयी है। भोपाल जिले में पांच सौ से अधिक कोरोना संक्रमितों का अस्पताल, क्वारेंटाइन सेंटर और होम आइसोलशन में इलाज चल रहा है।

इंदौर जिले में कोरोना के मामले पाँच हजार पार

इंदौर जिले में ‘कोविड 19’ के 45 नये मामले आने के बाद कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या 5,043 तक जा पहुंची है। राहत की खबर है कि अब तक इनमें से 3,903 संक्रमित रोगी स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ प्रवीण जड़िया ने कल रात बुलेटिन जारी कर बताया कि जांचे गये 1392 सैम्पलों में कल 45 संक्रमित पाये गये हैं, जबकि जांच के लिए 2295 सैम्पल प्राप्त हुये हैं। उन्होंने बताया कि अब तक कुल 97,482 जांच रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी हैं, जिसमें कुल संक्रमितों की संख्या 5043 है।

सीएमएचओ ने बताया कि कोरोना वायरस से हुयी तीन मौतों को दर्ज किया गया है, जिसमें से एक मौत अप्रैल माह की 16 तारीख की है। इसके बाद वायरस से मौतों की संख्या 255 तक जा पहुंची है।

वर्तमान में अस्पताल में उपचारत रोगियों की संख्या 885 है। अब तक संस्थागत क्वारेंटाइन केंद्रों से 4697 संदेहियों को स्वस्थ होने पर छुट्टी दी जा चुकी है।

मध्यप्रदेश में किल कोरोना अभियान के अच्छे परिणाम: शिवराज

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में ‘किल कोरोना’ अभियान के अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। इसके अंतर्गत अभी तक प्रदेश में लगभग 4 करोड़ व्यक्तियों का यानि 58 प्रतिशत सर्वे पूर्ण कर लिया गया है।

आधिकारिक जानकारी में श्री चौहान आज यहां मंत्रालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश में कोरोना की स्थिति एवं व्यवस्थाओं की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, प्रमुख सचिव स्वास्थ्य फैज अहमद किदवई उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि अभियान के दौरान 47 हज़ार 690 व्यक्तियों के सैंपल लिए गए हैं, जिनमें 599 पॉजिटिव आए हैं।पॉजिटिविटी का प्रतिशत 1.26 प्रतिशत जो स्पष्ट रूप से बताता है कि प्रदेश में कम्युनिटी स्प्रेड जैसी कोई स्थिति नहीं है।

कोरोना के रोकथाम व बचाव के दिशा-निर्देश जारी

मध्यप्रदेश में गृह विभाग ने कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम और बचाव के सिलसिले में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं। प्रदेश के सभी कलेक्टर्स को जारी निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने को कहा गया है।

गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव एस एन मिश्रा द्वारा जारी निर्देशों में कहा गया है कि कोविड के प्रभावी प्रबंधन के लिये यह जरूरी है कि आम लोग सोशल डिस्टेंसिंग रखें तथा फेस कवरिंग का पालन करें। अनेक शहरों में रविवार के दिन प्राय: शहर के विभिन्न भागों में अधिक भीड़ हो जाने और आवश्यक सावधानियाँ नहीं बरती जाने को भी रेखांकित किया गया है। कोविड संक्रमण को नियंत्रित करने की दृष्टि से लोगों को घरों से अनावश्यक रूप से बाहर निकलने के लिये हतोत्साहित किये जाने की जरूरत बताई गई है।