उज्जैन 28 सितम्बर । दि राजपूत परस्पर साख सहकारिता संस्था मर्या. उज्जैन की 62 वीं वार्षिक साधारण सभा संस्थाध्यक्ष राजेश सिंह कुशवाह की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई।
साधारण सभा में वरिष्ठ समाज सेवी श्री वीरेन्द्र सिंह परिहार एडवोकेट, श्री संजय सिंह ठाकूर जिला उपाध्यक्ष भाजपा, भी संग्राम सिंह भाटी पार्षद एवं झोन अध्यक्ष व श्रीमती आशिमा गौरव सिंह सेंगर पार्षद अतिथि के रूप में सम्मिलित हूए।
साधारण सभा में सर्वप्रथम अतिथियों द्धारा प्रभू श्री राम जी व संस्थापंक स्व. श्री चन्द्रभान सिंह जी भदौरिया के चित्रों के सम्मुख दीप प्रज्जवलित किया गया।
अतिथियों का स्वागत संचालक मण्ड़ल के सदस्यगण मीना सिंह चैहान उपाध्यक्ष, राजकुमारी राठौर, जयवीर सिंह सेंगर, बलवीर सिंह पंवार, अरविंद सिंह चैहान, राजेश सिंह भदौरिया, चन्द्रभान सिंह, उदयपाल सिंह सेंगर आदि ने किया।
इस अवसर पर अतिथियों द्धारा अपने उद्बोधन में कहा की वर्ष 1961 से निरंतर 62 वर्षो से संस्था चलायमान रहना भी एक उपलब्धि है। समाज के पिछडे, निर्धन, जरूरतमंद को कम ब्याज पर वित्तीय ऋण उपलब्ध कराना भी एक पुनीत कार्य है। संस्था सहकारिता के माध्यम से अपने उद्देश्यों की पूर्ति कर रही है। क्षत्रिय राजपूत समाज के समस्त प्रभावशाली व आर्थिक रूप से सपन्न व्यक्तियों को संस्था को सहयोग प्रदान करना चाहिए।
प्रतिवर्षानुसार संस्था के वरिष्ठ सदस्यों एवं ऋण वसुली में सहयोग करने वाले सदस्यों सर्व श्री सुंदर सिंह चैहान, चन्द्रपाल सिंह भदौरिया, लल्लू सिंह पंवार, सुधा चैहान, सीमा भदौरिया, शक्ति सिंह बैस, नाथूसिंह पंवार व सहकारिता विभाग के अधिकारी श्री अशोक सिंह चैहान को शाॅल श्रीफल से सम्मनित किया गया।
अध्यक्षीय उद्बोधन देते हूए संस्थाध्यक्ष श्री राजेश सिंह कुशवाह ने कहा कि, दि राजपूत परस्पर साख सहकारी सं. मर्या. उज्जैन शहर की सबसे प्राचीन साख संस्था के रूप में संचालित है यह गौरव की बात है सभी सदस्यगण आपनी जमा राशियाॅ नियमित रूप से प्राथमिकता मानकर जमा करना प्रारंभ कर दें तो संस्था को एक नई उर्जा प्राप्त हो सकेगी। हमारे पूर्वजों ने समाज की सबसे पिछली पंक्ति के व्यक्ति/परिवार की वित्तीय सहायता हेतू इस संस्था को प्रारम्भ किया था उनके इसी पवित्र भाव को आगे बढ़ाने हेतू हम कृत संकल्पित होकर कार्य कर रहें है। जो सदस्य ऋण लेकर नियमित किश्त जमा नहीं कर रहे है उनके विरूद्ध कड़े निर्णय भी लिए जावेगें जिससे होने वाली आसुविधा व अपमान से बचने हेतू कृपया अपना बकाया जमा करना प्रारंभ करे।
साधारण सभा में गत वर्ष की प्रोसिंडींग की पुष्टि की गई। वित्तिय वर्ष 2022-23 के वित्तीय (आय-व्यय) पत्रक का अनुमोदन किया गया वर्ष- 2023-2024 के प्रस्तावित बजट की स्वीकृति प्रदान की गई।
संस्था के वरिष्ठ सदस्यगण सर्वश्री ब्रजबिहारी सिंह चैहान, वीरबहादूर सिंह कुशवाह, विशम्बर सिंह भदौरिया, जीतेन्द्र सिंह भदौरिया आदि ने भी अपने सुझाव रखे। कार्यक्रम का संचालन ऋषिवंत सिंह तोमर ने किया तथा आभार अंगद सिंह भदौरिया उपाध्यक्ष ने व्यक्त किया।
क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री राजेश सिंह कुशवाह का बयान:समस्त राजनैतिक दलो द्वारा क्षत्रिय राजपूत समाज को योजनाबद्ध रूप से सुनियोजित तरीके से दबाने का षड़यंत्र किया जा रहा है attacknews.in
उज्जैन 23 अगस्त ।अ.भा. क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय प्रमुख महामंत्री श्री राजेश सिंह कुशवाह ने कहा हैं कि, अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा समाज हित में कार्य करने वाला सबसे पुराना सामाजिक संगठन है। क्षत्रिय समाज नेतृत्वकर्ता था है और सदैव रहेगा। समस्त राजनैतिक दलो द्वारा क्षत्रिय राजपूत समाज को योजनाबद्ध रूप से सुनियोजित तरीके से दबाने का षड़यंत्र किया जा रहा है जिसे हमें एकता के साथ संघर्ष कर सफल नहीं होने देना है। क्षत्रियों की जागरूकता ही हर समस्या का निदान हमारे सामने अपने वर्तमान के साथ-साथ अपने गौरव शाली महापुरूषो को भी अब अन्य लोगो द्वारा अपना बताकर इतिहास को भी बदलने का कुचक्र प्रारम्भ कर दिया है।
उक्त विचार श्री कुशवाह के अलावा उपस्थित अन्य अतिथियों द्वारा व्यक्त किए गए। अ.भा. क्षत्रिय महासभा द्वारा आयोजित नव नियुक्त पदाधिकारियों के सम्मान समारोह में श्री कुशवाह के साथ श्री जगदीश सिंह तोमर पूर्व क्षैत्रिय अधिकारी बीज निगम श्री उपेन्द्र सिंह सेंगर पूर्व निरिक्षक म.प्र. पुलिस, श्री प्रकाश सिंह कुशवाह, पूर्व निरीक्षक म.प्र. पुलिस, श्रीमति उषा पंवार राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अ.भा. क्षत्रिय महिला महासभा, श्रीमति शकुन्तला कुशवाह प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष अ.भा. क्षत्रिय महिला महासभा अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
सम्मान समारोह में राष्ट्रीय कार्यकारिणी के निर्वाचन में श्री अंगदसिंह भदौरिया राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री राजेश सिंह कुशवाह, राष्ट्रीय प्रमुख महामंत्री तथा प्रदेशाध्यक्ष श्री राजकुमार सिंह सिकरवार द्वारा मनोनित उज्जैन के श्री अर्जुन सिंह राठौर, प्रदेश उपाध्यक्ष, श्री विजय सिंह भदौरिया प्रदेश सचिव, महेन्द्र सिंह बैस प्रदेश उपाध्यक्ष एवं युवा विंग में शिवसिंह परिहार राष्ट्रीय महामंत्री, राजेशसिंह भदौरिया प्रदेश सचिव, अशोक सिंह गेहलोत उज्जैन संभाग अध्यक्ष आकाश सिंह ठाकुर संभाग उपाध्यक्ष, पुष्पेन्द्र सिंह सिकरवार संभागीय महामंत्री तथा श्री प्रदीप सिंह जादौन व श्री करण सिंह चौहान को संरक्षक मनोनित किए जाने पर सभी पदाधिकारियों का अतिथियों द्वारा सम्मान कर नियुक्त पत्र प्रदान किए गए। समारोह को बांसवाडा राजस्थान से पधारे श्री रमेश सिंह चौहान ने भी संबोधित किया।
अतिथियों का स्वागत श्रीमती उपमा चौहान, मीरा सिकरवार, विवेक सिंह हाडा, उदय पाल सिंह सेंगर आदि ने किया।
दि राजपुत साख सह. संस्था के सभागार में आयोजित इस समारोह का संचालन श्री अंगदसिंह भदौरिया ने किया तथा आभार श्री अरविंद सिंह चौहान ने व्यक्त किया।
श्रीमती कलावती यादव और राजेश सिंह कुशवाह भारत स्काउट एवं गाइड जिला संघ उज्जैन के आजीवन सदस्य निर्वाचित attacknews.in
उज्जैन 23 अगस्त ।भारत स्काउट एवं गाइड जिला संघ उज्जैन के आजीवन सदस्य प्रतिनिधियों के निर्वाचन ,निर्वाचन अधिकारी रामसिंह बनिहार के निर्देशन में सम्पन्न हुए।
यह जानकारी देते हुए हेडक्वार्टर कमिश्नर श्री नरेश शर्मा ने बताया की प्रति पांच वर्ष में होने वाले निर्वाचन के प्रथम चरण में आजीवन सदस्य प्रतिनिधियों के निर्वाचन भारत स्काउट एवं गाइड म.प्र. राज्य मुख्यालय भोपाल के निर्देशानुसार सम्पन्न हुए। जिसमें उज्जैन जिला संघ के आजीवन सदस्य प्रतिनिधियों की निर्वाचन प्रक्रिया में संघ के 111 आजीवन सदस्यों में से दस प्रतिनिधियों के निर्वाचन हेतू निर्वाचन कार्यक्रम नियमानुसार घोषित किया गया था।
111 सदस्यों में दस नामांकन प्राप्त होने पर उन्हें (1) श्रीमती पुष्पा शर्मा (2) श्रीमती कलावती यादव (3) श्री तरूण उपाध्याय (4) श्री हेमन्त लुल्ला (5) श्री राजेश सिंह कुशवाह (6) श्री अभय कुमार (7) श्री रमेश श्रीवैय्या (8) श्री राजेश शर्मा (9) श्री हेमचन्द शर्मा व (10) श्री राजेंद्र शर्मा को निविर्रोध निर्वाचित घोषित किया गया।
ये सभी आजीवन सदस्य प्रतिनिधि अपने मे से एक सदस्य को भारत स्काउट एवं गाइड जिला संघ, उज्जैन की जिला कार्यकारिणी में प्रतिनिधित्व हेतू प्रतिनिधि निर्वाचित करेंगे एवं जिला कार्यकारिणी के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के निर्वाचन में मतदान कर सकेंगे।
नरेश शर्मा
हेडक्वार्टर कमिश्नर
भारत स्काउट एवं गाइड जिला संघ, उज्जैन
9425195600
उत्तरप्रदेश का माफिया मुख्तार अंसारी व भीम सिंह को दस-दस साल की सजा;गैंगस्टर के मामले में माना गया दोषी attacknews.in
गुरुवार को एमपी एमएलए कोर्ट के जज दुर्गेश ने 1996 में गैंगस्टर के मुकदमे में मुख्तार अंसारी को दोषी माना। बनारस में पूर्व विधायक अजय राय के भाई अवधेश राय की हत्या के बाद जिले की पुलिस ने गैंगस्टर का मुकदमा दर्ज किया था। इसके बाद यहीं सुनवाई हुई।
गाजीपुर के मुकदमे में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये कराई गई पेशी :
गाजीपुर जिले के एक मुकदमे में गुरुवार को माफिया मुख्तार की पेशी ईडी कार्यालय में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए कराई गई। अदालत ने मुख्तार के मुकदमे में फैसला सुनाया गया है।
वीडियो कान्फ्रेंसिंग के लिए बुधवार को ही जरूरी इंतजाम ईडी कार्यालय में किया गया था।
माफिया मुख्तार के खिलाफ यूपी, दिल्ली, पंजाब के विभिन्न थानों में 40 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं।
मुख्तार को पंजाब से बांदा जेल में ट्रांसफर किए जाने के बाद ईडी ने उसके परिवार पर भी शिकंजा कसा है।
नौ दिन ईडी की कस्टडी में रहेगा माफिया मुख्तार :
बाहुबली माफिया मुख्तार अंसारी आगामी नौ दिनों तक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कस्टडी में रहेगा। कस्टडी रिमांड की अर्जी पर सुनवाई करते हुए जिला जज संतोष राय ने अभियुक्त को 14 दिसंबर दोपहर एक बजे से लेकर 23 दिसंबर की दोपहर दो बजे तक ईडी को कस्टडी में रखने का आदेश दिया है।
अदालत ने यह भी कहा कि हिरासत अवधि समाप्त होने पर न्यायिक अभिरक्षा के समय मेडिकल परीक्षण कराया जाए।
कस्टडी रिमांड मिलने के बाद कड़ी सुरक्षा के बीच माफिया मुख्तार को ईडी कार्यालय ले जाकर पूछताछ शुरू की गई। इसी मामले में मुख्तार का बेटा विधायक अब्बास व साला आतिफ रजा भी जेल में बंद हैं।
बता दें कि कोर्ट में पेशी के दौरान मुख्तार अंसारी की सुरक्षा को लेकर पुलिस की ओर से पुख्ता इंतजाम किए गए थे। कचहरी से लेकर ईडी कार्यालय तक पुलिस और पीएसी के जवान तैनात रहे। पेशी के दौरान सुरक्षा में क्राइम ब्रांच को भी लगाया गया था। ईडी कार्यालय व आसपास सुरक्षा के दृष्टिगत कई पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई।
राष्ट्र-चिंतन: मोदी के लिए भस्मासुर हैं जेपी नड्डा ? मोदी के 2024 मिशन के खलनायक साबित होंगे नड्डा □ विष्णुगुप्त
नरेन्द्र मोदी के अभियान 2024 के लिए नड्डा भस्मासुर साबित होंगे, खलनायक साबित होंगे, कमजोर कड़ी साबित होंगे? नड्डा के अंहकार, जातिवादी मानसिकताएं, अति महत्वाकांक्षाएं अब मोदी और भाजपा के लिए भारी नुकसान के कारण बन रहीं हैं। दिल्ली नगर निगम और हिमाचल में भाजपा की हार को नड्डा की कारस्तानी मानी जा रही है।
भाजपा के वर्तमान केन्द्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के संबंध में दो उदाहरणों को देखिये। पहला उदाहरण यह है, जब कद छोटा होता है, अनुभव छोटा होता है, निम्न और सीमित होता है, प्रबंधन कौशल औसत के नीचे होता है तथा प्रतिद्वंदी-प्रतिस्पर्द्धा में फिसड्डी होता है तब कोई करिशमा और चमत्कार करने या फिर कुशल नेतृत्व देने की उम्मीद ही नहीं बनती है।
दूसरा उदाहरण यह है, एक बार जंगल का राजा एक बंदर को चुन लिया गया। जंगल के परमपरागत राजा शेर को यह स्वीकार नहीं हुआ, स्वीकार भी कैसे होता,यह उसकी शक्ति के खिलाफ थी और उसके लिए अपमानजनक बात थी। उसने बंदर को राजा चुनने में मुख्य भूमिका निभाने वाले शियार के बच्चे को उठा लिया। शियार शिकायत लेकर राजा बंदर के पास पहुंचा, बंदर बोला मैं कुछ कर रहा हूं, बंदर की शक्ति शेर से टकराने की तो नहीं थी, वह कैसे टकराता, उसने एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर दौड लगाने की भूमिका निभानी शुरू कर दी, यह देख कर शियार बोला, आप यहां उछल-कूद कर रहे हैं वहां शेर हमारे बच्चे को खा रहा होगा, इस पर शियार बोला कि हम उछल-कूद कर प्रयास तो कर रहे हैं अब शेर से मैं कैसे टकरा सकता हूं?
इन दोनों उदाहरणों का साफ संदेश है कि अक्षम और अनुभवहीन व्यक्ति को कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल जाती है तो फिर वह उस जिम्मेदारी के साथ न्याय तो कर ही नहीं सकता और इसके अलावा जिम्मेदारी से संबंधित कोई प्रेरणादायी उदाहरण प्रस्तुत कर सकता है, प्रतिपर्द्धी को पराजित करने की बात दूर रही।
सत्ताधरी पार्टी का केन्द्रीय अध्यक्ष होना एक बहुत बडी बात है और बहुत बड़ी उपलब्धि है। पर नड्डा अपनी जिम्मेदारी के साथ न्याय नहीं कर पा रहे हैं, नड्डा की घोर स्वच्छंता और जातिवादी मानसिकताएं भाजपा के उपर हावी हो रही हैं और भाजपा के लिए नुकसानकुन भी साबित हो रही हैं। दिल्ली के नगर निगम चुनाव में अरविन्द केजरीवाल की जीत और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की जीत की कसौटी पर नड्डा खलनायक के तौर पर ही सामने हैं।
नड्डा अक्षम और अनुभवहीन क्यों और कैसे हैं? नड्डा हिमाचल प्रदेश जैसे छोटे राज्य की राजनीति के अनुभव रखते थे। छोटे प्रदेश की राजनीति और बड़े प्रदेश की राजनीति का अनुभव में जमीन-आसमान का अंतर होता है, विशेषकर केन्द्रीय राजनीति की कसौटी पर छोटे राज्य की राजनीति कोई उल्लेखनीय नहीं होती है। छोटे प्रदेश की राजनीति में भी नड्डा की राजनीति कोई बेहद ईमानदार, कर्मठ और प्रेरणादायी नहीं रही है। उनकी राजनीति ऐसी नहीं रही थी कि उन्हें केन्द्रीय राजनीति में इस तरह के प्रभावशाली और सर्वश्रेष्ठ पद को सुशोभित करने का पात्र समझ लिया जाये। ये हिमाचल प्रदेश में मंत्री थे। मंत्री के रूप में इनकी छवि कर्मठ और बेहद ईमानदार की नहीं रही थी। जब ये मंत्री थे तभी हिमाचल प्रदेश में भाजपा सत्ता में कमजोर हुई थी।
केन्द्रीय मंत्री के तौर पर इनका कामकाज औसत ही था। ये चरणवंदना संस्कृति के राजनीतिज्ञ हैं, इन्होंने चरणवंदना की शक्ति पहचानी। ये कभी हिमाचल प्रदेश का मुख्यमंत्री बनना चाहते थे। इनके लिए अवसर था। धूमल विधान सभा चुनाव हार चुके थे। लेकिन ये मुख्यमंत्री नहीं बन सके। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बन गये।
इन्होंने यह खबर उड़ायी थी कि ब्राम्हण होने के कारण उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया। भाजपा के लोग कहते हैं कि इन्होंने हिमाचल प्रदेश में भाजपा के ठाकुरों की राजनीतिक शक्ति को जमींदोज करने की कसमें खायी थी। जयराम ठाकुर की हार के बाद नड्डा के प्रतिज्ञा पूरी हो गयी।
हिमाचल प्रदेश में भाजपा की हार के लिए नड्डा को ही भस्मासुर और खलनायक माना जा रहा है। नड्डा पर सरेआम आरोप लग रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के भाजपा नेताओं से पूछ लीजिये आपको पता लग जायेगा, नड्डा के खिलाफ भाजपा नेताओं की भस्मासुर वाली प्रतिक्रिया आपको सुनने के लिए मिल जायेगी। नड्डा ही नहीं बल्कि अनुराग ठाकुर भी भस्मासुर की श्रेणी में थे।
आपको याद होना चाहिए कि हिमाचल प्रदेश में भाजपा के कमजोर होने और सत्ता से बाहर होने के खतरे का अहसास काफी पहले से किया जा रहा था। मीडिया और भाजपा में हमेशा इस बात को लेकर चर्चा हो रही थी। जयराम ठाकुर ईमानदार मुख्यमंत्री थे। लेकिन नड्डा के हस्तक्षेप और विरोधियों के संरक्षण देने के कारण लाचार थे। वे गुटबाजी पर लगाम लगा नहीं पा रहे थे। गुटबाजी पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी केन्द्रीय नेतृत्व को थी। लेकिन केन्द्रीय नेतृत्व ने समय पर विरोधियों को सबक सिखाने या फिर उनकी शिकायतों को दूर करने की जिम्मेदारी नहीं निभायी। इसका दुष्परिणाम क्या हुआ, यह भी देख लीजिये। कोई एक नहीं बल्कि 22 बागी चुनाव में खडे हो गये। ये बागी भाजपा को हराने में बड़ी भूमिकाएं निभायी। बागियों पर नियंत्रण करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आगे आना पड़ा था। तब तक बहुत देर हो चुकी थी। नरेन्द्र मोदी ने एक बागी को बैठने के लिए खुद कॉल किया था। यह पहला अवसर था जब प्रधानमंत्री ने किसी बागी को बैठने के लिए खुद कॉल किया था, इसके पहले नरेन्द्र मोदी बड़े से बड़े बागी को मनाने की परवाह तक नहीं की थी। वह बागी चुनाव में खड़ा रहा, इतना ही नहीं बल्कि उसने नड्डा के खिलाफ भी बहुत वीभत्स भड़ास निकाली थी।
हिमाचल प्रदेश में चुनाव में मंत्रियों को हराने की परम्परा है, इसलिए जयराम ठाकुर सभी मंत्रियों का टिकट काटना चाहते थे। लेकिन केन्द्रीय नेतृत्व ने बात नहीं मानी। जयराम ठाकुर मंत्रिमंडल के एक मंत्री को छोड़कर सभी मंत्री हार गये।
दिल्ली नगर निगम की हार के लिए भी नड्डा का ब्राम्हणवादी दृष्टिकोण रहा है। दिल्ली नगर निगम चुनाव का टिकट फाइनल नड्डा ने ही किया था। नड्डा ने दिल्ली प्रदेश के कुचर्चित संगठन महामंत्री सिद्धार्टन के साथ मिल कर टिकट बांटा था। कोई एक दो नहीं बल्कि लगभग पचास टिकट ब्राम्हण जाति को दिया था। 250 में 50 टिकट ब्राम्हणों को मिला था। यानि कि भाजपा का हर पाचवां उम्मीदवार ब्राम्हण था। इसका संकेत गलत गया। खासकर पिछडी और कमजोर राजनीति में यह प्रश्न काफी मुखर था। इस प्रश्न का लाभ अरविंद केजरीवाल खूब उठाया। भाजपा का परमपरागत वोट भी भाजपा के ब्राम्हणवाद के खिलाफ चला गया। दिल्ली में हार पर प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता का इस्तीफा तो ले लिया गया पर दिल्ली और हिमाचल प्रदेश में हार पर नड्डा नैतिक जिम्मेदारी लेकर इस्तीफा क्यों नहीं दिया ? यह प्रश्न आज भाजपा के समर्पित कार्यकर्ताओं में खूब घूम रहा है।
उत्तराखंड में भी ब्राम्हण बनाम ठाकुर की राजनीति में भाजपा का नाश करने की पूरी कोशिश की गयी। ठाकुर जाति के बर्चस्व को समाप्त कर ब्राम्हण राजनीति स्थापित करने की पूरी कोशिश की गयी। पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत और फिर तीरथ सिंह रावत की हवा खराब की गयी। लेकिन कांग्रेस अपनी करतूतों के कारण हार गयी। अब पुस्कर सिंह धामी के खिलाफ भाजपा के केन्द्रीय कार्यालय से अनोली-बालोनी ब्राम्हण लॉबी सक्रिय है। उस बा्रम्हण लॉबी व नेता को नड्डा का संरक्षण और समर्थन भी प्राप्त है। भाजपाई और गैर भाजपाई ब्राम्हण पत्रकार भी उत्तराखंड में ठाकुरों की राजनीति को जमींदोज कर ब्राम्हण मुख्यमंत्री बनवाने के लिए अति सक्रिय है। यह सब मीडिया के लोगों को मालूम है।
भाजपा का केन्द्रीय कार्यालय स्वच्छंदता का प्रतीक बन गया है और जातिवाद का ही नहीं बल्कि मोदी विरोधियो का अड्डा भी बन गया है। विष कन्याओं, प्रोफेशनरों और जातिवादी तथा मोदी विरोधियों को भाजपा केन्द्रीय कार्यालय में विशेष सुविधाएं मिलती है। मीडिया विभाग में जाकर कोई इसका अध्ययण कर सकता है। गुजरात में नड्डा की कारस्तानी और जातिवादी हस्तक्षेप इसलिए नहीं चल सका कि नरेन्द्र मोदी और अमित शाह खुद चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी संभाली थी।
भाजपा कभी मध्य प्र्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ और महाराष्ट में हार चुकी थी। हरियाणा में भी भाजपा को बहुमत नहीं मिला था। अभी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ और राजस्थान में विधान सभा चुनाव होने वाले हैं। फिर 2024 में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। इसलिए नरेन्द्र मोदी खुशफहमी में नहीं रहें, किसी संगठन के भरोसे नहीं रहें। अन्यथा 2024 में बहुमत से वंचित भी हो सकते हैं। नड्डा निसंकोच भाजपा और मोदी के लिए भस्मासुर और खलनायक साबित हो सकते हैं।
संपर्क
विष्णुगुप्त
— VISHNU GUPT
COLUMNIST
NEW DELHI
खुद को ‘पैगंबर’ बताते हुए कर ली 20 शादी, बेटी को भी बनाया बीवी:20 बीवियों वाला सैमुअल गिरफ्तार attacknews.in
वाशिंगटन 5 दिसम्बर ।अमेरिका के अरीजोना में बहुविवाह की पैरवी करने वाले सैमुअल रैपली बेटमैन नाम के कट्टरपंथी की 20 बीवियाँ निकली हैं।
आरोपित खुद को ‘पैगंबर’ बताते हुए अपनी बेटी से शादी कर चुका है। उसने ज्यादातर शादियाँ 15 साल से कम उम्र की लड़कियों से की है।
उसके ऊपर व्यभिचार, वयस्कों और बच्चों से ग्रुप सेक्स, बाल यौन तस्करी जैसे आरोप हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार सैमुअल ने 2019 में 50 लोगों का एक छोटे समूह का नेतृत्व शुरू किया था। समूह का नाम फंडामेंटालिस्ट चर्च ऑफ जीसस क्राइस्ट ऑफ लेटर-डे सेंट्स हैं। वो इस समूह को कंट्रोल करते-करते ही खुद को ‘पैगंबर’ बताने लगा। एक समय आया जब उसने अपनी ही बेटी से शादी करने की इच्छा व्यक्त की।
इसके अलावा उसने अपने तीन फॉलोवर्स को ये तक कहा कि वो लोग भी उसकी बेटियों के साथ सेक्स करें वो भी तब जब उनमें से एक लड़की सिर्फ 12 की थी।
सैमुअल लड़कियों से भी कहता था कि वो अपनी इज्जत ईश्वर के नाम पर त्यागें। ईश्वर फिर से उनके शरीर को सही कर देगा और उनके शरीर में दोबारा वो झिल्ली आ जाएगी।
एफबीआई दस्तावेजों के मुताबिक 46 साल का सैमुअल अब तक 20 औरतों से शादी कर चुका है। इनमें अधिकतर 15 से कम की थीं।
जब पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया उस समय भी राज्य में गाड़ियों से लड़कियों को इधर-उधर लेकर जा रहा था। गाड़ी में एक सोफा और टॉयलेट की बाल्टी थी। तब, पुलिस ने उसे पकड़ा था।
पुलिस ने कहा था कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि वो अरीजोना, उताह, नेवादा में लड़कियों को ट्रांस्पोर्ट कर रहा था। जब पुलिस ने उसकी गाड़ी रोकी तो उसमें दो लड़कियाँ थीं। इसके बाद ही पुलिस ने बाल शोषण करने पर उस पर मुकदमा दर्ज कर लिया।
पहले उसे इस केस में बेल मिल गई। लेकिन उसे दोबारा अन्य आरोपों में पकड़ा गया। सबूत जुटाने के लिए पुलिस ने छापेमारी की और 9 पीड़ितों को अपने संरक्षण में ले लिया।
एफबीआई ने छापेमारी के बाद उसको अरीजोना जेल में डाल दिया। सितंबर से उसके विरुद्ध सबूत जुटाए जा रहे हैं कि उसने कम उम्र की औरतों से शादी की और उनसे शारीरिक संबंध बनाए।
भारत के chief justice of India डीवाई चंद्रचूड़ शुरुआती दिनों में रेडियो जॉकी के तौर पर करते थे मूनलाइटिंग attacknews.in
नईदिल्ली 5 दिसम्बर ।भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने खुलासा किया कि वह ऑल इंडिया रेडियो (AIR) में एक रेडियो जॉकी के तौर मूनलाइटिंग कर चुके हैं।
सीजेआई ने शनिवार (3 दिसंबर, 2022) को इंडिया इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ लीगल एजुकेशन एंड रिसर्च, गोवा के पहले शैक्षणिक सत्र का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने ‘प्ले इट कूल, ए डेट विद यू और संडे रिक्वेस्ट’ जैसे कार्यक्रमों को भी होस्ट किया था।
डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, “बहुत से लोग इस बारे में नहीं जानते हैं कि मैं अपने शुरुआती दिनों (20वें दशक) में रेडियो जॉकी के तौर पर मूनलाइटिंग भी करता था। संगीत के लिए मेरा प्यार आज भी कायम है। कानून के क्षेत्र में संगीत सुनना मुश्किल होता है। इसलिए जब भी मैं अपने काम से फ्री होकर घर जाता हूँ, तो संगीत का आनंद जरूर लेता हूँ।”
उनकी वीडियो क्लिप को बार एंड बेंच ने अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया है। इस कार्यक्रम में उन्होंने 20 के दशक की शुरुआत में अपने जीवन, कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (CLAT) के अलावा कई और मुद्दों पर भी चर्चा की।
उन्होंने कहा कि शायद नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज के सामने एक समस्या यह थी कि वे कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (CLAT) को क्रैक करने के लिए छात्रों की क्षमता को जाँचते हैं। उनके अनुसार, जरूरी नहीं है कि जिन छात्रों ने सीएलएटी (CLAT) क्रैक कर लिया हो, वे कानून की पढ़ाई के लिए सही सोच रखते हों।
क्या है मूनलाइटिंग?
मूनलाइटिंग (Moonlighting), यानि एक समय में एक से अधिक कंपनी के लिए काम करना। विप्रो के चेयरमैन ऋषद प्रेमजी ने इसको लेकर सितंबर 2022 में ट्वीट किया था।
उन्होंने ‘मूनलाइटिंग’ की तुलना धोखाधड़ी से करते हुए अपने ट्वीट में लिखा था, “तकनीक उद्योग में मूनलाइटिंग करने वाले लोगों के बारे में बहुत सारी बकवास है। सादा और सरल भाषा में यह धोखा है।”
वहीं, ऋषद प्रेमजी से उलट ‘टेक महिंद्रा’ के सीईओ सीपी गुरनानी ने ‘मूनलाइटिंग (Moonlighting)’ का समर्थन करते हुए लिखा था, “समय के साथ बदलते रहने के लिए मूनलाइटिंग जरूरी है।”
पशु क्रुरता के विरूद्ध जनजागरण आवश्यक निगम परिषद हॉल में हुई पशु निगरानी समिति की बैठक
उज्जैन 9 नवम्बर : नगर निगम परिषद हॉल में पशु निगरानी समिति की बैठक आयुक्त श्री अंशुल गुप्ता की उपस्थिति में समिति सदस्यों ने पशुओं पर होने वाली क्रुरता की रोकथाम के उपायों पर चर्चा की।
बैठक में आयुक्त श्री अंशुल गुप्ता ने कहा कि पशु प्रेम, पशु सुरक्षा और पशुओं को क्रुरता से बचाने के लिए जन जागरण की आवश्यकता है। इसके लिए सोशल मीडिया का भी उपयोग किया जाना चाहिए। पशु चिकित्सा के सिलसिले में चिकित्सकगण की अतिरिक्त सेवाएं ली जाना चाहिए।
बैठक में महंत श्री रामेश्वर गुरू द्वारा व्यक्त किया गया कि सड़कों पर घूमने वाले पशुओं को आवारा नहीं बल्कि असहाय कहना चाहिए और हर प्रकार के पशुओं के विरूद्ध होने वाली क्रूरता को रोका जाना चाहिए।
बैठक में डॉ. एम.एल. परमार, डॉ. मुकेश जैन, प्रति जैन, श्री बालकृष्ण दास, सुश्री कुनप्रिया देवताले, डॉ.गुंजन पारिक राना, श्रीमती प्रिंयका बुधोलिया, श्री खैलेन्द्र राठौर एवं डॉ. अमृता सोनी ने अपने विचार रखे ।
निगम की ओर से आयुक्त के अतिरिक्त अपर आयुक्त श्री मनोज पाठक, श्री राधेश्याम मण्डलोई, उपायुक्त श्री संजेश गुप्ता, स्वास्थ्य अधिकारी श्री संजय कुलश्रेष्ठ ने निगम की कार्ययोजना और किये जाने वाले कार्यो पर प्रकाश डाला।
मध्यप्रदेश के धार जिले में युवतियों को दी गई ‘तालीबानी’ सजा;बाल पकड़कर घसीटा,लात घूंसों से मारपीट,शरीर पर बेरहमी से लाठियों से प्रहार करते रहे attacknews.in
इंदौर, 04 जुलाई । मध्यप्रदेश के धार जिले के टांडा थाना क्षेत्र में दो युवती के साथ बर्बर तरीके से कई युवाओं द्वारा सार्वजनिक स्थान पर मारपीट कर ”तालीबानी” तरीके से सजा दिए जाने का एक वीडियो साेशल मीडिया पर वायरल होने के बाद इस शर्मनाक मामले ने तूल पकड़ लिया है।
इंदौर संभाग के अधीन आने वाले धार जिले के पीपलवा गांव का यह वीडियो बताया गया है। लगभग 43 सैकंड के इस वीडियो में तीन चार युवक एक युवती को बाल पकड़कर घसीटते हुए, लात घूंसों से मारपीट करते हुए और उसके शरीर पर बेरहमी से लाठियों से प्रहार करते हुए देखे जा रहे हैं।
शर्मनाक करने वाली इस घटना के वीडियो में रहम की भीख मांग रही इस युवती को बचाने कोई भी नहीं आया, जबकि आसपास दर्जनों युवक खड़े हुए दिखायी दे रहे हैं। और तो और कुछ लोग इसका वीडियो बनाते रहे। युवक जमीन पर गिर गयी युवती के साथ भी बर्बर व्यवहार करते रहे।
अलीराजपुर में युवती के साथ हुई बर्बरता का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि धार जिले के टांडा थाना के तहत ग्राम पीपलवा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है जिसमें दो युवतियों के साथ जमकर बर्बरता की गई. वहां मौजूद लोग युवतियों को जमकर लाठी-डंडों से पीटा गया और उनके साथ जानवरों जैसा बर्ताव किया गया।
बताया जा रहा है कि मारने वाले युवतियों के चचेरे भाई हैं परिवार के लोगों ने ही युवतियों के साथ बर्बरता की. इतना ही नहीं मौजूद लोगों ने इस घटना का वीडियो मोबाइल में कैद किया लेकिन किसी ने उन्हें बचाने की ज़हमत नहीं उठाई।
वीडियो में युवतियां चिल्लाती रही लेकिन इंसानों से हैवान बने लोगों का दिल नहीं पसीजा, लड़कियां उनसे रहम की भीख मांगती रही लेकिन उन्हें लाठी डंडों से पिटाई मिली. वीडियो में युवतियों को न केवल युवकों के ज़रिए पीटा जा रहा है बल्कि महिलाओं के द्वारा भी जमकर लाठियां पत्थरों और लात घुसो से पीटा गया।
वीडियो कुछ दिनों पुराना बताया जा रहा है. बर्बरता की शिकार दोनों युवतियां रिश्ते में चचेरी बहनें हैं और दोनों का रिश्ता अलीराजपुर के जोबट में हुआ है लड़कियों का आरोप है कि मौजूद लोगों ने स्कूल के पास रोककर उन्हें पूछा कि आप मामा परिवार के दो लड़कों से फोन पर बातचीत क्यों करती हो जिसके बाद लड़कियों पर जमकर डंडे बरसाए गए. महज फोन पर बात करने की बात को लेकर लोगों ने बवाल खड़ा कर दिया और दोनों को जमकर पीटा गया दोनों लड़कियां डर गई. जिस वजह से उन्होंने शिकायत तक दर्ज नहीं करवाई।
टांडा थाना प्रभारी विजय वास्कले ने बताया कि वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने नोटिस लिया और मुआयना किया. युवतियों को थाने लाए जहां पर पूछताछ करने पर उन्होंने बताया कि उनके साथ परिवार वालों के ज़रिए ही मारपीट की गई. जिसके बाद पुलिस ने परिवार के ही 7 लोगों पर मामले दर्ज कर सभी को गिरफ्तार किया।
कृषि उपभोक्ताओं को छोड़कर सभी उपभोक्ताओं के यहां लगेंगे प्रीपेड स्मार्ट बिजली मीटर,विद्युत वितरण के लिए सभी डिस्कॉम्स/विद्युत विभागों की स्थिति सुधारने “पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना” को मंजूरी दी attacknews.in
नईदिल्ली 4 जुलाई । केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने एक सुधार-आधारित और परिणाम-से जुड़ी, पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना को स्वीकृति दे दी है।
इस योजना का उद्देश्य आपूर्ति बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए डिस्कॉम्स को सशर्त वित्तीय सहायता प्रदान करते हुए निजी क्षेत्र के डिस्कॉम्स के अलावा सभी डिस्कॉम्स/विद्युतविभागों की परिचालन क्षमता और वित्तीय स्थिरता में सुधार करना है।
यह सहायता पूर्व-योग्यता मानदंडों को पूरा करने के साथ-साथ वित्तीय सुधारों से जुड़े निर्धारित मूल्यांकन ढांचे के आधार पर मूल्यांकित किए गए डिस्कॉम द्वारा बुनियादी स्तर पर न्यूनतम मानकों की उपलब्धि हासिल करने पर आधारित होगी।
योजना का कार्यान्वयन “सभी के लिए अनुकूल एक व्यवस्था” दृष्टिकोण के बजाय प्रत्येक राज्य के लिए तैयार की गई कार्य योजना पर आधारित होगा।
इस योजना का परिव्यय 3,03,758 करोड़ रुपये होगा, जिसमें केंद्र सरकार की ओर से 97,631 करोड़ रुपये का अनुमानित जीबीएस होगा।
यह प्रस्तावित है कि जम्मू और कश्मीर (जेएंडके) और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों के लिए पीएमडीपी-2015 के साथ आईपीडीएस, डीडीयूजीजेवाई की योजनाओं के तहत वर्तमान में जारी स्वीकृत परियोजनाओं को इस योजना में शामिल किया जाएगा, और उनकी जीबीएस की बचत (लगभग 17,000 करोड़ रुपये) मौजूदा नियमों और शर्तों के तहत 31 मार्च, 2022 को समाप्त होने तक पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना के कुल परिव्यय का हिस्सा होंगी।
इन योजनाओं के तहत धनराशि को आईपीडीएस के तहत और पहचान की गई परियोजनाओं के लिए और 31 मार्च, 2023 तक आईपीडीएस और डीडीयूजीजेवाई के तहत केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हेतु प्रधानमंत्री विकास कार्यक्रम (पीएमडीपी) के तहत चल रही स्वीकृत परियोजनाओं के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।
पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना का उद्देश्य पूर्व-योग्यता मानदंडों को पूरा करने और बुनियादी न्यूनतम उपलब्धि हासिल करने के आधार पर आपूर्ति बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए डिस्कॉम्स को परिणाम से जुड़ी वित्तीय सहायता प्रदान करके उनकी परिचालन क्षमता और वित्तीय स्थिरता में सुधार लाना है। यह योजना वर्ष 2025-26 तक उपलब्ध रहेगी।
योजना के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के लिए आरईसी और पीएफसी को नोडल एजेंसियों के रूप में नामित किया गया है।
योजना के उद्देश्य
2024-25 तक अखिल भारतीय स्तर पर एटी एंड सी हानियों को 12-15% तक कम करना।
2024-25 तक एसीएस-एआरआर अंतराल को घटाकर शून्य करना।
आधुनिक डिस्कॉम्स के लिए संस्थागत क्षमताओं का विकास करना।
वित्तीय रूप से टिकाऊ और परिचालन रूप से कुशल वितरण क्षेत्र के माध्यम से उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता, विश्वसनीयता और सामर्थ्य में सुधार करना।
विवरण
यह योजना एटी एंड सी हानियों, एसीएस-एआरआर अंतरालों, बुनियादी ढांचे के उन्नयन संबंधित प्रदर्शन, उपभोक्ता सेवाओं, आपूर्ति के घंटे, कॉर्पोरेट प्रशासन, आदि सहित पूर्व-निर्धारित और तय प्रदर्शन के संकेतों के मामले मेंडिस्कॉम के प्रदर्शन का वार्षिक मूल्यांकन प्रदान करती है।
डिस्कॉम को न्यूनतम 60 प्रतिशत अंकों का स्कोर करना होगा और उस वर्ष में योजना के तहत वित्त पोषण के लिए पात्र होने के लिए कुछ मापदंडों के संबंध में न्यूनतम व्यवस्थाओं को पूरा करना होगा।
इस योजना में किसानों के लिए बिजली की आपूर्ति में सुधार लाने और कृषि फीडरों के सौरकरण के माध्यम से उन्हें दिन के समय बिजली उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान दिया गया है।
इस योजना के तहत, लगभग 20,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के माध्यम से 10,000 कृषि फीडरों को अलग करने का कार्य किया जाएगा, यह उन किसानों के लिए अत्यधिक लाभकारी साबित होंगे, जो इन समर्पित कृषि फीडरों तक पहुंच प्राप्त करते हुए इनके माध्यम से विश्वसनीय और गुणवत्तापूर्ण बिजली प्राप्त कर सकेंगे।
यह योजना प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) योजना के साथ कार्य करती है, जिसका उद्देश्य सभी फीडरों को सौर ऊर्जायुक्तबनाना और किसानों को अतिरिक्त आय के अवसर प्रदान करना है।
इस योजना की एक प्रमुख विशेषता प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग के माध्यम से सार्वजनिक-निजी-साझेदारी (पीपीपी) मोड को लागू करने के लिए उपभोक्ता सशक्तिकरण को सक्षम बनाना है।इससे स्मार्ट मीटर उपभोक्ता मासिक आधार के बजाय नियमित आधार पर अपनी बिजली की खपत की निगरानी कर सकेंगे, जो उन्हें अपनी जरूरतों के अनुसार और उपलब्ध संसाधनों के संदर्भ में बिजली के उपयोग में मदद कर सकता है।
इस योजना अवधि के दौरान 25 करोड़ स्मार्ट मीटर स्थापित करने की योजना के पहले चरण में प्रीपेड स्मार्ट मीटर को मिशन मोड में स्थापित करने को प्राथमिकता दी जाएगी जिसके तहत (i) 15% एटी एंड सी हानियों के साथ 500 अमृत शहरों के सभी विद्युत खंड (ii) सभी केंद्र शासित प्रदेश (iii) एमएसएमई और अन्य सभी औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ता (iv) ब्लॉक स्तर और उससे ऊपर के सभी सरकारी कार्यालय (v) उच्च नुकसान वाले अन्य क्षेत्र। इसके पहले चरण में दिसंबर, 2023 तक लगभग 10 करोड़ प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने का प्रस्ताव है।
प्रीपेड स्मार्ट मीटर की स्थापना की प्रगति की करीबी निगरानी की जाएगी, विशेष रूप से सरकारी कार्यालयों में, ताकि समयबद्ध तरीके से उन्हें लगाने की व्यवस्था को सक्षम बनाया जा सके।
कृषि कनेक्शनों की अलग-अलग स्थिति और बस्तियों से उनकी दूरी को देखते हुए, कृषि कनेक्शनों को केवल फीडर मीटर के माध्यम से कवर किया जाएगा।
उपभोक्ताओं के लिए प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग के समयबद्ध कार्यान्वयन के साथ-साथ पीपीपी मोड में संचार सुविधा के साथ फीडर और डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर (डीटी) स्तर पर सिस्टम मीटरिंग करने का भी प्रस्ताव है।
सिस्टम मीटर, प्रीपेड स्मार्ट मीटर सहित आईटी/ओटी उपकरणों के माध्यम से उत्पन्न डेटा का विश्लेषण करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का लाभ उठाया जाएगा ताकि हर महीने सिस्टम द्वारा तैयार खाता रिपोर्ट तैयार की जा सके और इसके माध्यम से डिस्कॉम को नुकसान में कमी, मांग का पूर्वानुमान, दिन का समय (टीओडी), टैरिफ, नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) एकीकरण और अन्य संभावित विश्लेषण पर निर्णय लेने में सक्षम बनाया जा सके। यह डिस्कॉम्स की परिचालन दक्षता और वित्तीय स्थिरता बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा योगदान देगा।
योजना के तहत निधि का उपयोग वितरण क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग से संबंधित अनुप्रयोगों के विकास के लिए भी किया जाएगा। इससे देश भर में वितरण क्षेत्र में स्टार्टअप्स के विकास को बढ़ावा मिलेगा।
प्रमुख घटकः
i) उपभोक्ता मीटर और सिस्टम मीटर
ए.कृषि उपभोक्ताओं को छोड़कर सभी उपभोक्ताओं के लिए प्रीपेड स्मार्ट मीटर।
बी.25 करोड़ उपभोक्ताओं को प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग के दायरे में लाया जाएगा।
सी.प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग के लिए शहरी क्षेत्रों, केंद्र शासित प्रदेशों, अमृत शहरों और उच्च हानि वाले क्षेत्रों को प्राथमिकता देते हुए यानि 2023 तक ~10 करोड़ प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाए जाएगें, शेष को अन्य चरणों में लगाया जाएगा।
डी.ऊर्जा परिकलन को सक्षम करने के लिए सभी फीडरों और वितरण ट्रांसफार्मरों के लिए सूचनीय एएमआई मीटर प्रस्तावित, जिससे डिस्कॉम द्वारा नुकसान में कमी के लिए बेहतर योजना बनाई जा सके।
ई.प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने से डिस्कॉम को उनकी परिचालन क्षमता में सुधार करने में मदद मिलेगी और उपभोक्ता को बेहतर सेवा प्रदान करने के लिए डिस्कॉम की व्यवस्था को मजबूती प्रदान होगी।
ii) फीडर का वर्गीकरण
ए.यह योजना असंबद्ध फीडरों के लिए फीडर वर्गीकरणहेतु वित्त पोषण पर भी ध्यान केंद्रित करती है, जो कुसुम के तहत सौरकरण को सक्षम बनाएगा।
बी.फीडरों के सौरकरण से सिंचाई के लिए दिन में सस्ती/निःशुल्क बिजली मिलेगी और किसानों को अतिरिक्त आय होगी।
iii)शहरी क्षेत्रों में वितरण प्रणाली का आधुनिकीकरण
ए.सभी शहरी क्षेत्रों में पर्यवेक्षी नियंत्रण और डेटा अधिग्रहण (एससीएडीए)
बी.100 शहरी केंद्रों में डीएमएस
iv)ग्रामीण और शहरी क्षेत्र प्रणाली का सुदृढ़ीकरण
विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए प्रावधान:
पूर्वोत्तर राज्यों केसिक्किम और जम्मू एवं कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों सहित सभी विशेष श्रेणी के राज्यों को विशेष श्रेणी के राज्यों के रूप में माना जाएगा।
प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग के लिए, 900 रुपये का अनुदान या पूरी परियोजना के लिए प्रति उपभोक्ता मीटर की लागत का 15%, जो भी कम हो, “विशेष श्रेणी के अलावा” राज्यों के लिए उपलब्ध होगा। “विशेष श्रेणी” राज्यों के लिए, संबंधित अनुदान रु 1,350 या प्रति उपभोक्ता लागत का 22.5%, जो भी कम हो, होगा।
इसके अलावा, डिस्कॉम्स यदि दिसंबर, 2023 तक लक्षित संख्या में स्मार्ट मीटर स्थापित करते हैं तो उपरोक्त अनुदान के 50% के अतिरिक्त विशेष प्रोत्साहन का भी लाभ उठा सकते हैं।
स्मार्ट मीटरिंग के अलावा अन्य कार्यों के लिए, “विशेष श्रेणी के अलावा” राज्यों के डिस्कॉम्स को दी जाने वाली अधिकतम वित्तीय सहायता स्वीकृत लागत का 60% होगी, जबकि विशेष श्रेणी के राज्यों में डिस्कॉम्सके लिए, अधिकतम वित्तीय सहायता स्वीकृत लागत राशि का 90% होगी।
भारत में कोविड प्रभावित क्षेत्रों के लिए कर्ज गारंटी योजना (एलजीएससीएएस) और आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के विस्तार को स्वीकृति attacknews.in
नईदिल्ली 4 जुलाई । केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कोविड-19 की दूसरी लहर से विशेष रूप से स्वास्थ्य क्षेत्र में आई बाधाओं को देखते हुए स्वास्थ्य/चिकित्सा अवसंरचना से संबंधित परियोजनाओं के विस्तार (ब्राउनफील्ड) और ग्रीनफील्ड परियोजनाओं को वित्तीय गारंटी कवर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 50,000 करोड़ के वित्तपोषण में सक्षम बनाने के लिए कोविड प्रभावित क्षेत्रों के लिए कर्ज गारंटी योजना (एलजीएससीएएस) को स्वीकृति दे दी है।
मंत्रिमंडल ने बेहतर स्वास्थ्य से संबद्ध अन्य क्षेत्रों/ऋणदाताओं के लिए एक योजना शुरू करने को भी स्वीकृति दे दी है।बदलते हालात के आधार पर विस्तृत तौर-तरीकों को अंतिम रूप दिया जाएगा।
इसके अलावा, मंत्रिमंडल ने आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के तहत 1,50,000 करोड़ रुपये तक के अतिरिक्त वित्तपोषण को भी स्वीकृति दे दी है।
लक्ष्य :
एलजीएससीएएस : यह योजना 31 मार्च 2022 तक स्वीकृत सभी पात्र कर्जों या 50,000 करोड़ रुपये तक स्वीकृत धनराशि तक, जो भी पहले हो, पर लागू होगी।
ईसीएलजीएस : यह लगातार जारी रहने वाली योजना है। योजना 30 सितम्बर 2021 तक गारंटेड इमरजेंसी क्रेडिट लाइन (जीईसीएल) के तहत या जीईसीएल के तहत चार लाख 50 हजार करोड़ रुपये की धनराशि तक स्वीकृत कर्जों, जो भी पहले हो, पर लागू होगी।
प्रभाव :
एलजीएससीएएस: कोविड-19 की दूसरी लहर के मद्देनजर पर्याप्त स्वास्थ्य इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी देखने को मिली। ऐसे असाधारण हालात से निपटने के लिए विशेष प्रतिक्रिया के रूप में एलजीएससीएएस तैयार की गई है। स्वीकृत योजना से रोजगार के ज्यादा अवसरों के सृजन के साथ ही स्वास्थ्य इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने में मदद मिलने की उम्मीद है। एलजीएससीएएस का मुख्य उद्देश्य आंशिक रूप से कर्ज जोखिम (मुख्य रूप से निर्माण जोखिम) खत्म करना है और सस्ती ब्याज दरों पर बैंक कर्ज उपलब्ध कराना है।
ईसीएलजीएस: यह निरंतर चलने वाली योजना है और हाल में, कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के चलते अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में आए व्यवधान को देखते हुए, सरकार ने ईसीएलजीएस के दायरे को बढ़ा दिया है। इस विस्तार से ऋणदाता संस्थानों को कम लागत पर 1.5 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त कर्ज उपलब्ध कराने के लिए प्रोत्साहन के द्वारा अर्थव्यवस्था के विविध क्षेत्रों को बहुप्रतीक्षित राहत मिलने का अनुमान है, जिससे व्यावसायिक उपक्रमों के लिए अपनी परिचालन जिम्मेदारियां पूरी करना और अपने कारोबार को जारी रखना संभव होगा। मौजूदा अप्रत्याशित हालात में कामकाज जारी रखने के लिए एमएसएमई को समर्थन देने के अलावा, इस योजना से अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ने और उसके पुनर्जीवन में मदद मिलने का अनुमान है।
पृष्ठभूमि :
एलजीएससीएएस: सरकार ने कोविड-19 महामारी के चलते पैदा संकट से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं। महामारी की दूसरी लहर के चलते यह संकट और बढ़ गया है। इस लहर से स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ ही कई क्षेत्रों में आजीविकाओं और व्यावसायिक उपक्रमों पर दबाव खासा बढ़ गया है। इस लहर से स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकारी और निजी निवेश की जरूरत काफी बढ़ गई है। यह मेट्रो शहरों से लेकर श्रेणी-4 और 5 शहरों के साथ ग्रामीण इलाकों तक पूरे देश में आवश्यक है। इन आवश्यकताओं में अतिरिक्त अस्पताल बिस्तर, आईसीयू, डायग्नोस्टिक सेंटर, ऑक्सीजन सुविधाएं, टेलीफोन या इंटरनेट आधारित स्वास्थ्य परामर्श और पर्यवेक्षण, जांच सुविधाएं और आपूर्ति, वैक्सीनों के लिए कोल्ड चेन सुविधाएं, दवाइयों और वैक्सीनों के लिए आधुनिक वेयरहाउस, मरीजों के लिए आइसोलेशन सुविधाएं, सीरिंज और इंजेक्शन आदि जैसी सहायक आपूर्तियों के उत्पादन में बढ़ोतरी आदि शामिल है। प्रस्तावित एलजीएससीएएस का उद्देश्य देश में विशेष रूप से वंचित इलाकों को लक्षित करके चिकित्सा अवसंरचना में विस्तार करना है। एलजीएससीएएस 8 मेट्रोपोलिटन टियर 1 शहरों (श्रेणी एक्स शहरों) को छोड़कर शहरी या ग्रामीण इलाकों में स्थापित ब्राउनफील्ड परियोजनाओं को 50 प्रतिशत और नई यानी ग्रीनफील्ड परियोजनाओं को 100 करोड़ रुपये तक के स्वीकृत कर्ज के लिए 75 प्रतिशत तक गारंटी उपलब्ध कराई जाएगी। आकांक्षी जिलों के लिए, दोनों ब्राउनफील्ड विस्तार और ग्रीनफील्ड परियोजनाओं के लिए 75 प्रतिशत गारंटी कवर मिलेगा।
ईसीएलजीएस: हाल में भारत में कोविड-19 महामारी की फिर से मार और स्थानीय/क्षेत्रीय स्तर पर अपनाए गए रोकथाम के उपायों से नई अनिश्चितताएं पैदा हुई हैं तथा शुरुआती स्तर पर आर्थिक पुनरुद्धार प्रभावित हुआ है। इस माहौल में व्यक्तिगत कर्ज लेने वाले और एमएसएमई कर्ज लेने वालों की सबसे संवेदनशील श्रेणी है, जिनके लिए भारत सरकार ने लक्षित नीतिगत प्रतिक्रिया के रूप में ईसीएलजीएस की पेशकश की है। ईसीजीएलएस के डिजाइन से उभरती जरूरतों पर तुरंत प्रतिक्रिया के लिए लचीलापन मिलता है, जो ईसीएलजीएस 2.0, 3.0 और 4.0 की पेशकश के साथ ही 30 मई 2021 को घोषित बदलावों में नजर आया है। ये सभी 3 लाख करोड़ रुपये की सीमा के भीतर उपलब्ध थे। वर्तमान में, ईसीएलजीएस के तहत लगभग 2.6 लाख करोड़ रुपये के कर्ज स्वीकृत किए जा चुके हैं। हाल में घोषित बदलावों, आरबीआई द्वारा 04 जून 2021 को 50 करोड़ रुपये की एकमुश्त रिस्ट्रक्चरिंग की सीमा के विस्तार और कोविड के उपक्रमों पर जारी नकारात्मक प्रभाव के चलते इसमें फिर से तेजी आने का अनुमान है।
नौवहन उत्पाद निर्माता कंपनी गार्मिन ने भारत में ‘नाविक’ युक्त उपकरण लांच किया,इससै जमीनी और समुद्री,आपदा प्रबंधन, वाहनों की निगरानी और कारवां प्रबंधन, यात्रियों को दिशा सूचक सेवा मिलेगी attacknews.in
बेंगलुरु, चार जुलाई । नौवहन उत्पाद निर्माता कंपनी गार्मिन ने भारत में ‘नाविक’ युक्त उपकरण लांच किया है। यह जानकारी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने दी।
भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (आईआरएनएसएस) को ‘नाविक’ कहा जाता है। यह स्वतंत्र क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली है जिसका विकास भारत ने किया है। अंतरिक्ष एजेंसी ने गार्मिन द्वारा अपने उपकरण जीपीएसएमएपी 66 एसआर और जीपीएसएमएपी 65एस में नाविक को शामिल करने पर आभार व्यक्त करते हुए कंपनी से आह्वान किया कि वह उपग्रह नौवहन आधारित अपने सभी उपकरणों में नाविक को अभिन्न हिस्सा बनाए।
इसरो ने कहा, ‘‘नाविक सटीक जानकारी देता है और इसके सिग्नल पहाड़ी और सघन बसे शहरी इलाकों में भी उपलब्ध रहते हैं। नाविक युक्त उपकरणों से इसका लाभ मिल सकता है।’’ नाविक का विकास भारत में और इसकी सीमा से बाहर 1500 किलोमीटर के दायरे में स्थित जगहों के बारे में उपयोगकर्ताओं को सटीक जानकारी देने के लिए किया गया है।
इसरों के मुताबिक आईआरएनएसएस दो तरह की सेवाएं प्रदान करता है, पहला मानक स्थिति निर्धारण सेवा (एसपीएस) जो सभी उपयोगकर्ताओं को मुहैया कराई जाती है और दूसरी, प्रतिबंधित सेवा (आरएस) जो केवल अधिकृत उपयोगकर्ताओं को ही दी जाती है। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि प्राथमिक सेवा क्षेत्र में आईआरएनएसएस प्रणाली के 20 मीटर के दायरे के बराबर सटीक जानकारी देने का अनुमान है।
इस प्रणाली का इस्तेमाल जमीनी और समुद्री दिशा सूचक प्रणाली, आपदा प्रबंधन, वाहनों की निगरानी और कारवां प्रबंधन, यात्रियों को दिशा सूचक सेवा प्रदान करने, चालकों के लिए दृश्य व ध्वनि आधारित दिशा सूचक जैसी सेवा देने के लिए किया जा सकता है। इस प्रणाली को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘नाविक’ नाम दिया है।
केरल में फेसबुक पर मजाक ने तीन की जान ली:आनंदु बनकर महिला को जाल में फंसाने वाली निकली ननंद और भांजी,खुलासे से पहले कर ली आत्म-हत्या,नवजात शिशु की भी मौत attacknews.in
तिरुवनंतपुरम, चार जुलाई । फेसबुक पर रिश्तेदारों के बीच एक खौफनाक मजाक ने तीन लोगों की जान ले ली। मरने वालों में एक नवजात बच्चा भी शामिल है। एक परित्यक्त बच्चे के संबंध में केरल पुलिस की जांच में यह खुलासा हुआ।
केरल के कोल्लम जिले में इस साल जनवरी में जन्म के महज कुछ घंटे बाद एक नवजात बच्चा सूखे पत्तों की ढेर में मिला था। नवजात को अस्पताल में भर्ती कराया गया जिसने बाद में दम तोड़ दिया। पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि कोल्लम के कल्लूवथुक्कल गांव की निवासी रेशमा नवजात की माता है। महिला को जून में गिरफ्तार किया गया।
जांच के दौरान रेशमा ने पूछताछ में बताया कि फेसबुक पर आनंदू नामक व्यक्ति से उसकी दोस्ती हुई और व्यक्ति के साथ रहने के लिए उसने बच्चे को मरने के लिये छोड़ दिया था। हालांकि वह व्यक्ति से कभी मिली नहीं थी।
पुलिस के अनुसार महिला की शादी विष्णु नामक व्यक्ति से हुई थी। महिला ने उसे या परिवार के किसी सदस्य को कभी नहीं बताया था कि वह मां बनने वाली है। महिला के फेसबुक मित्र की जांच के दौरान पुलिस ने महिला की ननद आर्या और भांजी ग्रीष्मा को पूछताछ के लिए बुलाया।
पुलिस ने उन्हें इसलिए तलब किया क्योंकि रेशमा अपने कई फेसबुक अकाउंट में से एक को आर्या के नाम पर लिए गए सिम से चलाती थी। हालांकि इस घटना में रोचक मोड़ तब आया जब दोनों महिलाओं (आर्या और ग्रीष्मा) ने कथित रूप से नदी में कूदकर जान दे दी।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि बाद में पुलिस ने ग्रीष्मा के एक पुरूष मित्र से पूछताछ की जिसने खुलासा किया कि आर्या और ग्रीष्मा ने आनंदू नाम से एक फर्जी फेसबुक अकाउंट बनाया था और वे रेशमा से मजाक करती थीं।
पुलिस को पता चला कि कथित रूप से आत्महत्या से पहले आर्या ने अपनी सास को इस मजाक के बारे में बताया था।
आर्या के पति ने बाद में मीडिया को बताया कि वह पुलिस का शुक्रगुजार है जिसने यह पता लगाया कि उसकी पत्नी ने आखिर जान क्यों दी।
उसने बताया कि उसे इस मजाक के बारे में कोई भनक नहीं थी।
रेशमा की गिरफ्तारी की खबर सुनकर विदेश से लौटे उसके पति ने बताया कि अगर उसे किसी ने भी इस बारे में बताया होता तो शायद वह ऐसा होने से रोक सकता।
पुलिस ने बताया कि वर्तमान में कोविड-19 से संक्रमित पाये जाने के बाद रेशमा एक पृथक-वास केंद्र में न्यायिक हिरासत में है।
उतराखण्ड में कद्दावर नेताओं की नापसंद के बाद भी पुष्कर सिंह धामी को सबसे कम आयु का मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने काफी सोच-समझकर चुनाव से ठीक पहले सिसासी दांव खेला attacknews.in
देहरादून, 04 जुलाई । उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी के मौजूदा शासनकाल में तीन बार मुख्यमंत्री बनाये जाने से देश-विदेश में पार्टी के बड़े नेताओं की कार्यशैली पर भी उंगली उठने लगी हैं। राज्य में वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव होंगे।
वर्ष 2000 में गठित इस राज्य में अब तक कुल चार आम विधानसभा चुनाव हुए हैं। आम तौर पर प्रत्येक राज्य में एक विधानसभा निर्वाचन के बाद एक मुख्यमंत्री पूरे पांच वर्ष अपना कार्य करता है, लेकिन उत्तराखंड में अभी तक एक ही मुख्यमंत्री ऐसा रहा, जिसने अपने कार्यकाल पूरा किया हो। वह मुख्यमंत्री विकास पुरुष के रूप में विख्यात कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण दत्त तिवारी रहे।
इसके विपरीत कांग्रेस की वर्ष 2012 में बनी सरकार में क्रमशः विजय बहुगुणा और हरीश रावत ने यह पद संभाला। भाजपा इनसे दो कदम आगे रही। उसके शासनकाल में हर बार तीन-तीन मुख्यमंत्री बनाये गये।
इस कालखण्ड में रविवार को एक बार फिर भाजपा के प्रचंड बहुमत वाली राज्य सरकार में पुष्कर सिंह धामी ने ग्यारहवें मुख्यमंत्री के तौर पर पद संभाला है। वह मात्र 45 वर्ष के हैं, साथ ही राज्य में अब तक बने सभी मुख्यमंत्रियों में सबसे कम आयु के हैं। बस यही बात भाजपा के राज्य स्तरीय बड़े और कद्दावर नेताओं को रास नहीं आ रही है।
श्री धामी का नाम विधान मंडल दल के नेता के रूप में जब शनिवार को तय हुआ तब किसी भी स्थानीय बड़े नेता ने खुलकर उनके नाम पर आपत्ति नहीं की। इसके बावजूद दिन निकलते-निकलते निवर्तमान मन्त्रिमण्डल के सदस्य बिशन सिंह चुफाल ने श्री धामी के नाम पर अपनी खिन्नता पार्टी अध्यक्ष से व्यक्त कर दी।
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, श्री चुफाल ने प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को फोन कर श्री धामी के नाम पर अपनी नाराजगी व्यक्त की। उनके अलावा, कभी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले निवर्तमान कैबिनेट मंत्री हरक सिंह और सतपाल महाराज के भी नाखुश होने की अटकलें चलती रहीं। इसके बाद, श्री धामी द्वारा निवर्तमान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और भुवन चंद खण्डूरी के साथ सतपाल महाराज के घर जाकर उनसे आशीर्वाद लेने के साथ सभी अटकलों पर विराम लग गया। शाम को शपथ ग्रहण कार्यक्रम में मंत्रिमण्डल में सभी कथित असंतुष्टों के शपथ लेने के साथ सुबह से चल रही सभी आशंकाएं निर्मूल साबित हो गईं।
धामी को कमान सौंपकर भाजपा ने साधे एक तीर से कई निशाने
उत्तराखंड की राजनीति के शिखर पर पहुंचे नवनियुक्त मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को यहां तक पहुंचने में अपनी मेहनत के साथ ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) का विशेष वरदहस्त प्राप्त हुआ है।
महाराष्ट्र के राज्यपाल एवं खांटी संघी भगत सिंह कोश्यारी का भी उन्हें बेहद करीबी माना जाता है और माना जा रहा है कि उन्हीं की कृपा से वे सत्ता के शीर्ष पर पहुंचे हैं। भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) उनकी राजनीति की प्रथम पाठशाला रही है।
श्री धामी मूल रूप से पिथौरागढ़ जिले में कनालीछीना के ग्राम सभा टुण्डी, तहसील डीडीहाट में जन्म 16 सितंबर 1975 को हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा उधमसिंह नगर जिले के साथ ही लखनऊ में हुई है। यहीं से उनके जीवन में राजनीतिक सफर की शुरूआत हुई। इसी दौरान वह भाजपा के प्रखर नेता भगत सिंह कोश्यारी के सम्पर्क में आये और लगातार राजनीति की सीढ़ी चढ़ते गये। संघ से बेहद अच्छे रिश्ते रखने वाले श्री धामी (45) को केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह का करीबी माना जाता है।
पुष्कर सिंह धामी को सत्ता की कमान सौंपने के फैसले से थोड़ी असहजता जरूर दिख रही है, लेकिन पार्टी ने काफी सोच-समझकर चुनाव से ठीक पहले यह सिसासी दांव खेला है।
चार महीने पहले तीरथ सिंह रावत को सत्ता की बागडोर सौंपने के बाद नए फैसले पर सवाल भले ही उठ रहे हों, लेकिन धामी पर बाजी लगाकर पार्टी ने प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं की खेमेबाजी से निपटने की एक कोशिश जरूर की ही है, लगे हाथ विपक्षी कांग्रेस की राजनीति को भी हिलाने की चाल चल दी है। मोटे तौर पर देखें तो भाजपा नेतृत्व के इस फैसले के पीछे पांच तरह के गणित लग रहे हैं।
गढ़वाल और कुमाऊं की सियासत में संतुलन:
जानकारों की मानें तो पार्टी ने 21 साल के उत्तराखंड के 11वें मुख्यमंत्री के तौर पर पुष्कर सिंह धानी का नाम आगे बढ़ाकर प्रदेश की राजनीति के सबसे अहम फैक्टर गढ़वाल-कुमाऊं के बीच बैलेंस स्थापित करने की कोशिश की है। क्योंकि, निवर्तमान सीएम तीरथ सिंह रावत और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन सिंह कौशिक दोनों गढ़वाल से आते हैं। ऐसे में बीजेपी ने मुख्यमंत्री का पद कुमाऊं को देकर दोनों जगह अपनी राजनीतिक गोटी को सेट करने का प्रयास किया है। यह कुमाऊं के लोगों के लिए चुनाव से पहले एक बड़ा संदेश है, जिस क्षेत्र की 29 सीटों में से 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 23 सीटें जीती थी।
ठाकुर-ब्राह्मण की राजनीति में संतुलन:
उत्तरखंड की राजनीति में एक और फैक्टर महत्वपूर्ण है। ठाकुर और ब्राह्मण की राजनीति। प्रदेश अध्यक्ष की कमान पहले से ही कौशिक के पास है, जो कि ब्राह्मण हैं। इसलिए धामी को सीएम बनाकर भाजपा ने एक राजपूत की जगह सिर्फ दूसरे राजपूत का चेहरा भर बदला है। राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि ‘धामी को चुनने के पीछे निश्चित रूप से इस बात को ध्यान में रखा गया है कि वो ठाकुर हैं, जिससे ठाकुर मतदाताओं का बड़ा हिस्सा चुनाव से पहले नाखुश ना हो जाएं…’ क्योंकि, तीरथ सिंह रावत भी ठाकुर हैं।
भविष्य के लिए युवा नेतृत्व पर दांव
धामी को चेहरा बनाकर बीजेपी ने न केवल आज की राजनीति को साधने की कोशिश की है, बल्कि उसने आने वाले तीन दशकों की राजनीति का एक खाका तैयार करने की कोशिश की है। 16 सितंबर, 1975 को पिथौरागढ़ जिले के कनालीछीना गांव में जन्मे पुष्कर सिंह धामी को उनकी पार्टी ने राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री के तौर पर चुना है।
भाजपा ने राजनीति के लिए मोटे तौर पर 75 वर्ष की उम्र की जो एक सीमा तय कर रखी है, उसके मुताबिक धामी के पास अभी कम से कम 30 वर्षों का सियासी करियर बचा हुआ है। ऐसे में वो प्रदेश में पार्टी को लंबे समय तक नेतृत्व दे सकते हैं और इस एक स्टैंड से पार्टी ने वरिष्ठ नेताओं की गुटबाजी से निपटने की भी चाल चली है। धामी शुरू में विधार्थी परिषद से भी जुड़े रह चुके हैं और भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं, इसलिए बीजेपो को उम्मीद है कि युवा वोटरों में उनकी अपील काफी मायने रखेगी।
कांग्रेस की राजनीति की धार कुंद करने की भी कोशिश
2017 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार के खिलाफ लड़कर राज्य की 70 में से 57 सीटें जीत ली थीं। उस चुनाव में पूर्व सीएम हरीश सिंह रावत कांग्रेस के चेहरा थे और इस समय भी वही प्रदेश में पार्टी के सबसे बड़े नेता हैं। कांग्रेस की एक और कद्दावर नेता इंदिरा हृदयेश का पिछले महीने ही निधन हो चुका है। ये दोनों नेता कुमाऊं क्षेत्र से ही आते हैं, जहां से धामी आते हैं। वो ऊधम सिंह नगर की खटीमा विधानसभा सीट से लगातार दो बार चुनाव जीतकर आए हैं। इसलिए, जिस कुमाऊं मंडल में अबकी बार कांग्रेस भाजपा को घेरने की तैयारी में थी, वहां पार्टी ने उसके खिलाफ ऐसा तीर मारा है कि कांग्रेस को अपनी रणनीति फिर से दुरुस्त करनी पड़ेगी।
सेना से जुड़ा पारिवारिक बैकग्राउंड
उत्तराखंड देश का एक सीमावर्ती राज्य है, जहां के अधिकतर युवाओं के लिए सेना में जाना पहली पसंद होती है। इस राज्य में सेना के बैकग्राउंड से जुड़े परिवारों का अपना ही सम्मान है। गौर फरमाइए कि सीएम के तौर पर नाम घोषित होने के बाद धामी ने मीडिया से अपनी पहली ही टिप्पणी में क्या कहा है, ‘पार्टी का सामान्य कार्यकर्ता हूं, एक सैनिक का बेटा हूं और पिथौरागढ़ के दूर-दराज बॉर्डर इलाके में पैदा हुआ हूं।’ यही नहीं, धामी को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का भी आशीर्वाद प्राप्त है और पूर्व सीएम और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की नजदीकियों का भी फायदा मिलने की उम्मीद है। दिलचस्प तथ्य ये है कि कोश्यारी भी कुमाऊं के ही बागेश्वर से आते हैं।
वरिष्ठ भाजपा विधायकों की नाराजगी दूर करने के बाद पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड के सबसे युवा नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली
वरिष्ठ भाजपा विधायकों की नाराजगी दूर करने के बाद पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली ।
यहां राजभवन में आयोजित एक समारोह में राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई । धामी के शपथ लेने के बाद 11 अन्य कैबिनेट मंत्रियों ने भी शपथ ली जिनमें से कुछ शनिवार से नाराज चल रहे थे ।
उत्तराखंड के 11 वें मुख्यमंत्री बने, उधमसिंह नगर जिले के खटीमा से विधायक 45 वर्षीय धामी उत्तराखंड के अब तक के सबसे युवा मुख्यमंत्री हैं ।
शपथ ग्रहण समारोह से पहले दिन भर रूठे विधायकों को मनाने की कवायद चलती रही जिसमें धामी खुद सतपाल महाराज के यहां डालनवाला स्थित आवास पर जाकर मिले और उन्हें गुलदस्ता भेंट कर समय रहते मना लिया । माना जा रहा था कि महाराज शनिवार को हुए फैसले के बाद से नाराज चल रहे थे । हांलांकि, महाराज ने अपनी नाराजगी को लेकर कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया ।
पार्टी मामलों के प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम प्रदेश पार्टी अध्यक्ष मदन कौशिक के साथ उनके यहां यमुना कॉलोनी स्थित आवास में कुछ अन्य विधायकों की नाराजगी दूर करने के प्रयास में लगे रहे जिससे शपथ ग्रहण समारोह में कोई विघ्न न आए ।
शपथ लेने के बाद संवाददाताओं द्वारा इस संबंध में पूछे जाने पर धामी ने कहा कि कहीं कोई नाराजगी नहीं है । उन्होंने उल्टा सवाल दागते हुए कहा, ‘आपको यहां कोई नाराज दिखा क्या ?’ तय समय से 10 मिनट देर से आरंभ हुए समारोह में धामी के साथ शपथ लेने वाले उनके मंत्रिमंडल में सभी पुराने चेहरों को बरकरार रखा गया है और इसमें एकमात्र परिवर्तन यही किया गया है कि सभी मंत्रियों को कैबिनेट दर्जा दिया गया है । धामी मंत्रिमंडल में कोई भी राज्य मंत्री नहीं है ।
त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत मंत्रिमंडल की तरह सतपाल महाराज को पुष्कर मंत्रिमंडल में भी नंबर दो पर रख गया है । अन्य मंत्रियों में डा. हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल, यशपाल आर्य, बिशन सिंह चुफाल, बंशीधर भगत, रेखा आर्य, स्वामी यतीश्वरानंद, अरविंद पाण्डेय, गणेश जोशी और धनसिंह रावत शामिल हैं ।
धामी मंत्रिमंडल में रेखा आर्य, धनसिंह रावत और यतीश्वरानंद का कद बढाया गया है । पिछले मंत्रिमंडल में ये राज्य मंत्री थे । शपथ ग्रहण समारोह के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और त्रिवेंद्र सिंह रावत, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक, कई विधायकों और अधिकारियों के अलावा धामी की मां बिश्ना देवी और पत्नी गीता धामी सहित अन्य परिजन भी मौजूद थे ।
उल्लेखनीय है कि पौड़ी संसदीय क्षेत्र से सांसद और निवर्तमान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार देर रात्रि मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया था। इसका कारण उनको विधायक न होना था।
संवैधानिक कारणों से राज्य सरकार का कार्यकाल एक वर्ष से कम होने के कारण विधानसभा का उपचुनाव नहीं कराया जा सकता था। इससे पूर्व, 09 मार्च को तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाकर श्री तीरथ मुख्यमंत्री बनाये गये थे।
उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत से बनी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार का कार्यकाल पूरा होने से लगभग आठ महीने पहले तीसरी बार नये मुख्यमंत्री के रूप में विधायक पुष्कर सिंह धामी को शनिवार को विधायक का चुन लिया गया।
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और भाजपा के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम की उपस्थिति में अपराह्न तीन बजे विधानमंडल दल की बैठक पार्टी के प्रदेश कार्यालय में शुरू हुई। इसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों त्रिवेंद्र सिंह रावत, तीरथ सिंह रावत सहित भाजपा सांसद और विधायक भी उपस्थित रहे।
लगभग तीस मिनट तक चली इस बैठक में खटीमा से विधायक धामी को विधायक दल का नेता सदन चुन लिया गया।
श्री तोमर ने बैठक कक्ष के बाहर एकत्रित संवाददाताओं को इसकी जानकारी दी। श्री धामी को नेता सदन चुने जाते ही फूल-मालाओं से लाद दिया गया।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश में अस्पताल प्रबंधन के कार्य से चिकित्सकों को हटाने के निर्देश दिए,अस्पतालों के प्रबंधन के लिए प्रबंधन के व्यक्तियों को नियुक्त किया जाए attacknews.in
कोरोना की तीसरी लहर के लिए सभी तैयारियां सर्वश्रेष्ठ रखने के निर्देश
बिस्तरों, दवाओं, ऑक्सीजन, सीटी स्केन, आईसीयू, पीआईसीयू,चिकित्सकों, स्टाफ की पर्याप्त व्यवस्था हो
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने ‘अस्पताल प्रबंधन तथा संसाधन की उपलब्धता’ संबंधी मंत्री समूह की बैठक ली
उज्जैन 03 जुलाई। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में कोरोना की संभावित तीसरी लहर के लिए सभी तैयारियां सर्वश्रेष्ठ हों। सभी जिलों में बिस्तरों, दवाओं, ऑक्सीजन, सीटी स्केन, आईसीयू, पीआईसीयू, चिकित्सकों, स्टाफ आदि की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में यदि तीसरी लहर आती है तो हमें संक्रमण की रोकथाम के साथ ही हर मरीज को सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करानी है, जिससे कि पहले तो मरीज को अस्पताल जाने की आवश्यकता ही न पड़े और यदि अस्पताल जाना पड़ता है तो वह जल्दी से जल्दी स्वस्थ होकर घर वापस आ जाए।
मुख्यमंत्री श्री चौहान गत दिवस मंत्रालय में ‘अस्पताल प्रबंधन तथा संसाधन की उपलब्धता’ संबंधी मंत्री समूह की बैठक ले रहे थे। बैठक में चिकित्सा मंत्री श्री विश्वास सारंग, लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री श्री भारत सिंह कुशवाह, स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री इंदर सिंह परमार, मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस, स्वास्थ्य आयुक्त श्री आकाश त्रिपाठी आदि उपस्थित थे।
दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता है
प्रस्तुतीकरण में बताया गया कि प्रदेश में कोरोना के उपचार के लिए दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता है। नि:शुल्क होम किट्स के लिए सभी दवाइयाँ पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं, रेमडेसिविर इंजेक्शन लगभग एक लाख हैं। एम्फोटेरेसिन-बी, टोसीजोमान इंजेक्शन के लिए रेट कान्टेक्ट किया जा रहा है। सभी दवाओं की मेडिकल कॉलेज तथा जिलावार उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। 2डी ऑक्सीडी दवा की भी व्यवस्था की जा रही है। प्रदेश के सभी 11 हजार उप स्वास्थ्य केन्द्रों में कोविड मेडिकल किट के डिपो स्थापित किए गए हैं।
वर्तमान में 68 हजार बेड्स
प्रस्तुतीकरण में बताया गया कि वर्तमान में मध्यप्रदेश में कोरोना के इलाज के लिए कुल 68 हजार 22 बिस्तर चिन्हांकित हैं, जिनमें 54 हजार 130 शासकीय तथा 13 हजार 892 निजी अस्पतालों में हैं। इनके अंतर्गत 4 हजार बिस्तर प्रायवेट मेडिकल कॉलेजेस में चिन्हांकित किए गए हैं। आयुष्मान योजना अंतर्गत शासकीय एवं निजी चिकित्सालयों में कुल 31 हजार 11 बिस्तर चिन्हांकित हैं। प्रत्येक जिले के शासकीय एवं निजी अस्पतालों में बिस्तर बढ़ाए जाने के संबंध में कार्ययोजना बनाई गई है। अधिक से अधिक संख्या में सामान्य बेड्स को ऑक्सीजन बेड्स एवं आईसीयू बेड्स में परिवर्तित करने का कार्य भी किया जा रहा है।
चिकित्सकों एवं स्टाफ को प्रशिक्षण
प्रदेश में 7523 चिकित्सक, 15 हजार 999 स्टाफ नर्स, 26 हजार 301 आयुष चिकित्सक सहित अन्य विभागीय 34439 मैदानी कार्यकर्ताओं, 6003 वॉलेन्टीयर्स, 51 हजार 684 आशा कार्यकर्ता तथा 14 हजार 217 ए.एन.एम. को प्रशिक्षण दिया गया है।
शिशुओं के उपचार की गाइड लाइन जारी
प्रदेश में विशेषज्ञों की समिति द्वारा गहन अध्ययन के पश्चात शिशुओं के उपचार की विस्तृत प्रोटोकॉल गाइड लाइन जारी की गई है। साथ ही अभिभावक बच्चों के साथ वार्ड में रह सकें, इसके लिए भी निर्देश जारी किए गए हैं। होम आयसोलेशन में रहने वाले बच्चों के अभिभावकों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
कुल 1002 एम्बुलेंस
कोरोना रोगियों को निर्बाध रूप से अस्पतालों तक ले जाने के लिए एम्बुलेंस नेटवर्क का सुदृढ़ीकरण किया गया है। कुल 1002 एम्बुलेंस इस कार्य के लिए चिन्हांकित की गई हैं, जिनमें 167 ए.एल.एस. (एडवांस लाइफ सपोर्ट) तथा 835 बी.ए.एस. (बेसिक लाइफ सपोर्ट) एम्बुलेंस हैं।
170 पी.एस.ए प्लांट स्थापित होंगे
मध्यप्रदेश में भारत सरकार, राज्य सरकार एवं अन्य स्त्रोतों से कुल 170 पी.एस.ए प्लांट स्थापित होंगे, जिनकी कुल क्षमता 200 मेट्रिक टन है। इनमें से 21 पी.एस.ए प्लांट लग गए हैं तथा शेष सितम्बर माह तक स्थापित हो जाएंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इन्हें जल्दी से जल्दी पूर्ण किए जाने के निर्देश दिए।
जिला अस्पतालों एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में 78 ऑक्सीजन प्लांट
प्रदेश के 78 जिला अस्पतालों व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में कुल 78 पी.एस.ए प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं। चिकित्सा महाविद्यालयों में लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की क्षमता में 121 मीट्रिक टन की वृद्धि की जा रही है। जिला अस्पतालों में 11 हजार 184 ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड्स बनाए गए हैं, 3063 नवीन ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड्स बनाए जा रहे हैं। साथ ही चिकित्सा महाविद्यालयों में 751 ऑक्सीजन बेड्स बढ़ाए जा रहे हैं।
आई.सी.यू. बेड्स में वृद्धि
प्रदेश में 813 आई.सी.यू. बेड्स स्थापित किए गए हैं। आगामी कार्य-योजना में 650 नए आई.सी.यू. बेड्स स्थापित किए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त चिकित्सा महाविद्यालयों में 345 आई.सी.यू. बेड्स बढ़ाए जा रहे हैं।
डेढ़ हजार ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर एन.आर.सी. में
जिलों को दिए गए 6190 कंसन्ट्रेटर्स में से बच्चों के पोषण पुनर्वास केन्द्रों में 1500 ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इसके अलावा जिलों को 5100 ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर अतिरिक्त रूप से प्रदाय किए जा रहे हैं।
प्रत्येक जिला चिकित्सालय में शिशु आईसीयू
प्रत्येक जिले में शिशु आईसीयू की व्यवस्था की जा रही है। प्रदेश में 320 शिशु आईसीयू के बिस्तर नियोजित किए गए हैं, जिनमें 200 बिस्तरों की संख्या अतिरिक्त रूप से स्थापित की जा रही है। इसके अतिरिक्त चिकित्सा महाविद्यालयों में 380 शिशु आईसीयू बिस्तरों की वृद्धि की जा रही है।
904 विशेषज्ञ चिकित्सकों की भर्ती शीघ्र
प्रदेश में 904 विशेषज्ञ चिकित्सकों की भर्ती के लिए मंत्रि-परिषद ने अनुमोदन कर दिया है, भर्ती शीघ्र पूर्ण की जाएगी। लोक सेवा आयोग द्वारा चिकित्सा अधिकारियों के 866 पदों पर भर्ती की कार्रवाई जारी है। मेडिकल कॉलेजेस में 863 चिकित्सकों की नियुक्ति की कार्रवाई जारी है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में भी हों अच्छी व्यवस्थाएँ
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में भी कोरोना उपचार की अच्छी से अच्छी व्यवस्थाएँ की जानी चाहिये। बताया गया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में चिकित्सा विशेषज्ञों की पदस्थापना की जा रही है। साथ ही 500 ऑक्सीजन बिस्तर तथा 78 पीएसए ऑक्सीजन प्लांट सितम्बर तक स्थापित हो जाएंगे।
हर मेडिकल कॉलेज व जिला अस्पताल आदर्श हो
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि प्रदेश का हर मेडिकल कॉलेज एवं जिला अस्पताल आदर्श हो, जिससे आस-पास के क्षेत्रों के व्यक्तियों को वहीं अच्छे से अच्छा इलाज मिल जाए। इलाज के लिए बड़े शहरों में न जाना पड़े।
अस्पतालों का प्रबंधन चिकित्सकों के पास न रहे
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि अस्पतालों के प्रबंधन के लिए प्रबंधन के व्यक्तियों को नियुक्त किया जाए। अस्पताल प्रबंधन के कार्य में चिकित्सकों को न लगाया जाए।
शीघ्र प्रारंभ हो जिला अस्पतालों में सीटी स्केन व्यवस्था
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि प्रदेश के सभी जिला चिकित्सालयों एवं चिकित्सा महाविद्यालयों में सीटी स्केन व्यवस्था शीघ्र प्रारंभ की जाए। बताया गया कि वर्तमान में 14 जिला चिकित्सालयों में यह सुविधा प्रारंभ हो गई है, शेष सभी जिला चिकित्सालयों एवं चिकित्सा महाविद्यालयों में आगामी अक्टूबर माह तक प्रारंभ हो जाएगी।