नई दिल्ली 11 जुलाई । सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को ताजमहल के संरक्षण को लेकर उठाए गए कदमों को लेकर केंद्र और उसके प्राधिकारियों की जमकर फटकार लगाते हुए कहा कि इस ऐतिहासिक इमारत के संरक्षण को लेकर कोई उम्मीद नजर नहीं आती है। अदालत ने कहा, ‘या तो आप इसे बंद कर दें, ध्वस्त कर दें या इसको संरक्षण दें।’ कोर्ट ने स्मारक के संरक्षण के तरीके पर पर्यावरण मंत्रालय और वन की प्रतिक्रिया पर असंतोष व्यक्त किया।
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि उत्तर प्रदेश सरकार ताज महल की सुरक्षा और उसके संरक्षण को लेकर दृष्टि पत्र लाने में विफल रही है। साथ ही केंद्र को कोर्ट ने निर्देश दिया कि इस महत्वपूर्ण स्मारक के संरक्षण को लेकर क्या कदम उठाए गए हैं और किस तरह की कार्रवाई की जरूरत है, इस बारे में वह विस्तृत जानकारी पेश करे।
जस्टिस एमबी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि ताजमहल के संरक्षण के बारे में संसद की स्थाई समिति की रिपोर्ट के बावजूद सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। केंद्र ने पीठ को बताया कि आईआईटी-कानपुर ताजमहल और उसके आसपास वायु प्रदूषण के स्तर का आकलन कर रहा है और चार महीने में अपनी रिपोर्ट देगा।
केंद्र ने यह भी बताया कि ताजमहल और उसके इर्दगिर्द प्रदूषण के स्रोत का पता लगाने के लिए एक विशेष समिति का भी गठन किया गया है जो इस विश्व प्रसिद्ध स्मारक के संरक्षण के उपाय सुझाएगी। पीठ ने कहा कि 31 जुलाई से वह इस मामले पर प्रतिदिन सुनवाई करेगी।attacknews.in