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ओ री चिरैया कहां तू चली गई:अब भी उपयुक्त कदम नहीं उठाया तो गौरैया की बातें दादी नानी की कहानियों तक ही सीमित रह जायेंगी;पिछले 40 साल में गौरैया की संख्या में करीब 60 प्रतिशत की कमी आई attacknews.in

मेरठ/इटावा 21 मार्च । बढ़ती आबादी के दबाव में छोटे और पक्के मकानों ने गौरैया के घरौंदे को इस तरह नुकसान पहुंचाया कि वह आज लुप्त होने के कगार पर पहुंच गई है और उसकी चहचहाहट सुनने के लिये कान तरसने लगे हैं।

आम जुबान में गौरैया या चिरैया के नाम से जाने जानी वाली इस घरेलू चिड़िया ने इंसानों के साथ जीना सीख लिया था। साथ रहने से उसकी खाने पीने और अपनी आबादी बढ़ाने की तमाम जरूरतें जो पूरी हो रही थीं।

ग्यारह हजार साल के इस साथ में उस समय से विकट स्थिति आ गई जब तेजी से बढ़ती इंसानी आबादी की वजह से लोगों के रहने सहने का ढंग बदलने लगा।

इसके नतीजे में छोटे पक्के मकानों ने बड़े और कच्चे मकानों की जगह ले ली।

आंकड़े बताते हैं कि पिछले 40 साल में गौरैया की संख्या में करीब 60 प्रतिशत की कमी आई है।

विश्व गौरेया दिवस पर संस्था हरितिमा की ओर से यहां इंडियन मेडिकल एसोसिएशन हॉल में गौरैया संरक्षण पर एक कार्यक्रम किया गया।

उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र के मुख्य वन संरक्षक एनके जानू ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए गौरैया संरक्षण के लिये एक कार्य योजना की घोषणा की।

उन्होंने कहा कि सिर्फ घोंसले बनाने से ही काम नहीं चलेगा बल्कि उनके लिये दाने और पानी की भी व्यवस्था की जानी चाहिये।

श्री जानू ने कहा कि अगर अब भी उपयुक्त कदम नहीं उठाया गया तो गौरैया की बातें दादी नानी की कहानियों तक ही सीमित रह जायेंगी।

उन्होंने कहा कि इस छोटी चिड़िया के लुप्त होने से हमारा पारिस्थितिकी तंत्र पूरी तरह बिगड़ जायेगा।

इस अवसर पर बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री साइंटिस्ट, मुम्बई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा रजत भार्गव ने आवाहन किया कि आज हमें नन्हीं गौरैया को इस धरा पर चहकने के लिये एक आदर्श वातावरण देने का संकल्प लेना चाहिये।

इस अवसर पर डा भार्गव की एक पुस्तक ‘ओ री चिरैया’ का विमोचन भी किया गया।

संकटग्रस्त गौरैया चिड़िया का सबसे बड़ा संरक्षक बना इटावा

इधर गौरैया चिड़िया भले ही देश दुनिया से गायब नजर आ रही हो लेकिन उत्तर प्रदेश के इटावा में घर घर मे गौरैया की मौजूदगी ने हर किसी को बेहद खुश कर दिया है।

ऐसा कहा जा रहा है कि गौरैया चिड़िया को लेकर हर ओर उनके संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करने की पहल का व्यापक असर कही अगर देखना है तो फिर इटावा आना पड़ेगा ।

फ्रैंडस कालौनी मुहाल मे रहने वाले वकील विक्रम सिंह यादव के घर गौरैया चिडिया नेे लाॅकडाउन के दरम्यान दो अंडे दिये । जिनमे से अब बच्चे बाहर आ चुके है । बच्चों की सुरमयी चहचहाट से गदगद विक्रम ने कहा कि वो बेहद खुश इस बात से बने हुए है कि उनका परिवार गौरैया संरक्षण की सही भूमिका अदा कर रहा है ।
अखिलेश सरकार में गौरैया के संरक्षण की दिशा में चलाए गए प्रदेश व्यापी अभियान का यह असर हुआ लोगो को यह समझ आ गया कि गौरैया गायब हो रही है । उसको बचाने की दिशा में घोसले आदि लगाने से भी काफी कुछ बदलाव हुआ है । आज उन्ही घोसले मे दो सैकडा के आसपास घरो मे गौरैया अंडे देने के बाद बच्चे दे रही है ।

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