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सोशल मीडिया पर कडी निगरानी के साथ लागू होने जा रहे हैं कड़े कानूनी नियम attacknews.in

नयी दिल्ली, 31 दिसंबर । कॉमिक सीरिज ‘स्पाइडर-मैन’ से लोकप्रिय हुई कहावत ‘बड़ी ताकत, बड़ी जिम्मेदारी लाती है’ व्हाट्सएप और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सटीक बैठती है, जो भारत में विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रही हैं।

उन पर फर्जी खबरों और नफरत फैलाने वाले संदेशों का वाहक बनने का आरोप है, जिसके चलते भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मौत के घाट उतारे जाने की घटनाएं हुयी। अब उनके लिए सरकारी नियमों में सख्ती, अधिक जवाबदेही और कड़ी नियामकीय जांच पड़ताल की प्रक्रिया से गुजारे जाने की संभावना है।

साल 2018 को इसलिये इतिहास में याद रखा जायेगा क्योंकि इस दौरान सोशल मीडिया मंचों ने देश की जरुरतों को ध्यान में रखते कई बदवाल किये। जिनमें एक संदेश को फॉरवर्ड करने की सीमा निर्धारित करना और फर्जी खबरों के खिलाफ जन जागरूकता अभियान चलाना जैसी चीजें शामिल हैं। यही नहीं ये प्लटेफॉर्म भारतीय उपयोगकर्ताओं के आंकड़ों (डेटा) को भी भारत में संग्रहित करने पर राजी हुये हैं।

इस साल की शुरुआत में डेटा लीक मामले में फेसबुक की जमकर आलोचना हुयी थी। इससे करीब 8.7 करोड़ उपयोगकर्ता प्रभावित हुये थे। ब्रिटेन की डेटा एनालिटिक्स और राजनीति से जुड़े परामर्श देने वाली कंपनी क्रैंबिज एनालिटिका पर बिना उपयोगकर्ताओं की अनमुति के उनकी फेसबुक जानकारियां जुटाने का आरोप है।

कानून एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने डेटा चोरी के जरिये चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश करने पर फेसबुक को कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है। यही नहीं, जरूरत पड़ने पर सीईओ मार्क जुकरबर्ग को भी बुलाने की धमकी दी है।

इन सबके के बीच फेसबुक ने 2019 में होने वाले चुनावों को देखते हुये राजनीतिक विज्ञापनों में पारदर्शिता लाने के लिये कदम उठाये हैं। इसके तहत इस तरह के विज्ञापन देने के लिये विज्ञापनदाता को अपनी पहचान और स्थान की जानकारी देनी होगी।

माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर ने भी झूठी खबरों और फर्जी खातों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। ट्विटर संदिग्ध खातों को हटा रहा है।

वहीं, फेसबुक के स्वामित्व वाले व्हॉट्सएप को लेकर सबसे ज्यादा आलोचना हो रही है। फर्जी खबरों और नफरत फैलाने वाले संदेशों के लिये व्हॉट्सएप का ज्यादा प्रयोग किया है, जिसके चलते देशभर में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मौत के घाट उतारे जाने की कई घटनाएं हुयी। सरकार की चेतावनी के बाद कंपनी ने भारत के लिये एक शिकायत अधिकारी की नियुक्ति की है।

सोशल मीडिया पर अविश्वसनीय सामग्री को लेकर उच्चतम न्यायालय की ओर से चिंता जताये जाने के बाद सरकार ने आईटी अधिनियम के नियमों में बदलाव का प्रस्ताव किया।

इन बदलावों पर चर्चा के लिये आईटी मंत्रालय के अधिकारियों ने फेसबुक, गूगल, ट्विटर और अन्य के साथ चर्चा के लिये बैठक की। इस पर 15 जनवरी तक सार्वजनिक टिप्पणी मांगी है।

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