नयी दिल्ली, 22 फरवरी । उच्चतम न्यायालय द्वारा शाहीन बाग के प्रदर्शन पर बातचीत के लिए नियुक्त किए गए वार्ताकारों और प्रदर्शनकारियों के बीच शनिवार को चौथे दिन भी सहमति नहीं बन पायी।
वरिष्ठ वकील साधना रामचंद्रन आज अकेले यहां आई और बातचीत शुरू की लेकिन प्रदर्शनकारियों ने फिर से नागरिकता संशोधन कानून वापस लेने तक प्रदर्शन स्थल पर बने रहने की बात दोहराई।
शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त मध्यस्थता पैनल में शामिल श्रीमती रामचंद्रन ने कहा है कि वह यहां शाहीन बाग के धरने प्रदर्शन को खत्म कराने के लिए नहीं आए हैं। वह सिर्फ यहां रास्ता खुलवाने के लिए आए हैं।
बातचीत के दौरान प्रदर्शनकारियों ने एक तरफ की सड़क खोलने के लिए कुछ शर्तें रखी हैं। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि उन्हें 24 घंटे सुरक्षा मुहैया कराई जाए और उच्चतम न्यायायलय इस संबंध में आदेश जारी करे। दिल्ली पुलिस आयुक्त को उनकी सुरक्षा को लेकर लिखित आश्वासन दिया जाय।
प्रदर्शन में शामिल शाहीन कौसर ने बताया कि पिछले चार दिन से वार्ताकार सड़क खुलवाने को लेकर उन लोगों से बातचीत कर रहे हैं लेकिन अभी तक समाधान नहीं निकल पाया है। उन्होंने कहा कि यहां बैठी ज्यादातर महिलाओं ने एक तरफ की सड़क खोलने को लेकर श्रीमती रामचंद्रन के समक्ष अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने का मुद्दा उठाया और इस संबंध में लिखित आश्वासन की मांग की है।
श्रीमती कौसर के अनुसार श्रीमती रामचंद्रन ने उन लोगों की बातों को सुनने के बाद कहा कि उनकी मांगों को अदालत के समक्ष प्रस्तुत कर दिया जाएगा।
प्रदर्शनकारियों की मांग है कि शाहीन बाग और जामिया के छात्रों और स्थानीय लोगों के खिलाफ दर्ज मामले को वापस लिए जाए। उन्होंने कहा कि पिछले दो महीनों में हुई हर घटना की जांच होनी चाहिए। इसके साथ ही प्रदर्शन स्थल की सुरक्षा के लिए स्टील शीट का उपयोग किया जाए।
प्रदर्शनकारी वार्ताकारों के समक्ष पहले दिन से ही कह रहे हैं कि सड़क पर यातायात रोकने के लिए पूरी तरह दिल्ली पुलिस जिम्मेदार है। पुलिस ने नोएडा फरीदाबाद मार्ग को अवरुद्ध करने के महामाया फ्लाईओवर के पास ही बैरिकेट लगा रखी है।
सड़क को एक तरफ से खोले जाने को लेकर यहां के लोगों के बीच राय बंटी हुई है। कुछ लोगों ने साफ तौर पर कहा कि आम लोगों को परेशान करने का उनका कभी मकसद नहीं रह है इसलिए सुरक्षा सुनिश्चितता के साथ सड़क को एक तरफ से खोल दिया जाना चाहिए। वहीं एक दूसरा समूह जिसका मानना है पुलिस ने शुरुआत से ही बैरिकेट लगाकर सड़क को बंद किया है इसलिए सड़क खोलना सुरक्षित नहीं है। उन्होंने कहा कि चूंकि पुलिस ने सुरक्षा का बहाना बनाकर ही कई सड़कों को बंद कर यातायात रोक रखा है इसलिए इसे कैसे खोला जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को वहां से हटने को राजी कराने के लिए 17 फरवरी को वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े को वार्ताकार नियुक्ति किया तथा मामले की सुनवाई 24 फरवरी तक के लिए टाल दी थी।
गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून, राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर,और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के खिलाफ दक्षिणी दिल्ली को नोएडा से जोड़ने वाले कालिंदी कुंज सड़क पर पिछले सत्तर दिनों से अधिक समय से दिनरात विरोध प्रदर्शन चल रहा है। प्रदर्शन के चलते यह सड़क बंद है जिससे आसपास के स्थानीय लोगों समेत यहाँ से गुज़रने वाले राहगीरों को आवाजाही में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
कालिंदी कुंज से नोएडा जाने वाली सड़क खुली
नागरिकता (संशोधन) कानून के खिलाफ 70 दिनों से बंद पड़ी कालिंदी कुंज से नोएडा जाने वाली सड़क को अब खोल दिया गया है, हालांकि धरना यहां जारी है।
जामिया, अबुल फजल, कालिंदी कुंज होकर नोएडा जाने वाली सड़क को आज शाम पांच बजे के बाद खोल दिया गया है। कालिंदी कुंज से सरिता विहार की ओर जाने वाली सड़क पर धरना-प्रदर्शन चल रहा है।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि पिछले चार दिन से वार्ताकारों के साथ बातचीत में लोगों ने यही कहा कि पुलिस की जगह बैरिकेडिंग की गयी है।
शुक्रवार को कुछ घंटे के लिए इस सड़क को खोल गया था और उसके बाद बंद कर दिया गया था।
इस पर वार्ताकार वरिष्ठ वकील हेगड़े ने दुख जताते हुए कहा था कि जिसने भी दोबारा सड़क को बंद किया है, उसे उच्चतम न्यायालय को जवाब देना होगा।
लोगों का मानना है इसी को देखते हुए पुलिस ने दोबारा इस मार्ग को खोल दिया है। इसके खुलने से मथुरा रोड पर यातायात का भार थोड़ा कम हो सकता है और लोगों को जाम से राहत भी मिलने की उम्मीद है।
गौरतलब है कि सीएए के विरोध में जब कालिंदी कुंज को मथुरा रोड से जोड़ने वाली सड़क पर आंदोलन शुरू किया गया था तब पुलिस ने कालिंदी कुंज से नोएडा जाने वाली सड़क को भी सुरक्षा कारणों से बंद कर दिया।