नयी दिल्ली, नौ नवंबर । अयोध्या मामले पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि दशकों तक चली लंबी न्यायिक प्रक्रिया के बाद यह विधिसम्मत और ‘अंतिम निर्णय’ हुआ है और अब अतीत की बातों को भुलाकर सभी को मिलकर भव्य राममंदिर का निर्माण करना है
उन्होंने हालांकि काशी और मथुरा के सवाल पर सीधे जवाब नहीं देते हुए कहा ,‘‘आंदोलन करना संघ का काम नहीं है ।’’
उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को अयोध्या में विवादित स्थल राम जन्मभूमि पर मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करते हुये केन्द्र सरकार को निर्देश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण के लिये पांच एकड़ भूमि आवंटित की जाये।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस व्यवस्था के साथ ही करीब 130 साल से चले आ रहे इस संवेदनशील विवाद का पटाक्षेप कर दिया।
भागवत ने अयोध्या मामले पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के कुछ घंटे बाद ही पत्रकार वार्ता में कहा ,‘‘ रामजन्मभूमि के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस देश की जनभावना , आस्था और श्रद्धा को न्याय देने वाले निर्णय का संघ स्वागत करता है । दशकों तक चली लंबी न्यायिक प्रक्रिया के बाद यह विधिसम्मत अंतिम निर्णय हुआ है ।’’
उन्होंने देशवासियों से संयम बनाये रखने की अपील करते हुए कहा ,‘‘ इस निर्णय को जय, पराजय की दृष्टि से नहीं देखना चाहिये ।’’
संघ प्रमुख ने कहा ,‘‘संपूर्ण देशवासियों से अनुरोध है कि विधि और संविधान की मर्यादा में रहकर संयमित और सात्विक रीति से अपने आनंद को अभिव्यक्त करें ।’’
भागवत ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि इस विवाद के समापन की दिशा में न्यायालय के निर्णय के अनुरूप परस्पर विवाद को समाप्त करने वाली पहल सरकार की ओर से शीघ्र होगी ।
उन्होंने कहा ,‘‘अतीत की सभी बातों को भुलाकर हम सभी मिलकर रामजन्मभूमि पर भव्य राममंदिर के निर्माण में अपने कर्तव्य का पालन करेंगे ।’’
अयोध्या के बाद काशी और मथुरा में भावी योजना के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा ,‘‘ संघ आंदोलन नहीं करता , संघ का काम मनुष्य निर्माण है । कुछ ऐतिहासिक पृष्ठभूमि रही है , मेरे अखिल भारतीय पदाधिकारी बनने के पहले , उसके कारण संघ इस (रामजन्मभूमि) आंदोलन में एक संगठन के नाते जुड़ गया जो एक अपवाद है ।’’
उन्होंने कहा ,‘‘ आगे हम मनुष्य निर्माण के कारण में जुड़ जायेंगे । आंदोलन के विषय हमारे विषय नहीं रहते तो हम इस बारे में कुछ नहीं कह सकते ।’’
पांच एकड भूमि सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने के न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया के सवाल पर संघ प्रमुख ने कहा ,‘‘यह न्यायालय का निर्णय है । इसे हम स्वीकार करते हैं । मैने विजयादशमी के भाषण में भी कहा था कि हम फैसला मानेंगे और हम मान रहे हैं । हमें विवाद समाप्त करना है ।’’
मस्जिद अयोध्या में ही किसी प्रमुख स्थल पर बनाने के न्यायालय के फैसले से क्या वह सहमत है , इस बारे में पूछने पर भागवत ने कहा,‘‘ न्यायालय ने जो बताया है, उसका अर्थ निकालेंगे , अध्ययन करेंगे । सरकार जमीन के बारे में तय करेगी ।’’
उन्होंने कहा ,‘‘ विवाद को समाप्त करने की पहल सरकार की तरफ से हो । एक जगह पूजा भी हो और दूसरा भी… । हमें इस पर कोई दुविधा नहीं है लेकिन समाज एक दूसरे पर चलता है । यह बात समाप्त होनी चाहिये । यह हमारी इच्छा थी, जो पूरी हो गई । आगे की प्रक्रिया सरकार देखेगी ।’’
यह पूछने पर कि इस विवाद का हल आपसी सहमति से भी निकल सकता था, उन्होंने कहा कि इसकी पहल पहले हुई थी लेकिन सफल नहीं हुई और तभी यहां तक बात आई । उन्होंने कहा कि ठीक है देर आये, दुरूस्त आये ।
मुस्लिमों के लिये उनका क्या संदेश होगा, इस सवाल पर भागवत ने कहा,‘‘ भारत का नागरिक तो भारत का नागरिक है , उसमें हिंदू मुस्लिम के लिये अलग संदेश क्यों । हम सबको मिलकर रहना है, देश को आगे बढा़ना है । यह सदा सर्वदा के लिये हमारा संदेश है ।’’
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी ने न्यायालय के फैसले पर असंतोष जताते हुए कहा है कि इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर करने पर विचार किया जाएगा। इस बारे में पूछने पर भागवत ने कोई प्रतिक्रिया नहीं देते हुए कहा ,‘‘जिन्होंने कहा है, आप उनसे पूछिये ।’’
रामजन्मभूमि न्यास के भविष्य के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि सभी पक्षों को मिलकर राममंदिर बनाने के लिये काम करना है ।
उन्होंने कहा ,‘‘ आगे की गतिविधि जैसे बनती जायेगी, उसके रास्ते निकलते जायेंगे । हमने कोई आग्रह नहीं किया है । रामजन्मभूमि न्यास को मंदिर के लिये स्थान दिया गया है और सरकार को न्यास बनाने के लिये कहा है । हम सभी को मिलकर काम करना है ।’’
विश्व हिंदू परिषद की भूमिका के सवाल पर उन्होंने कहा ,‘‘ विहिप अपनी भूमिका खुद तय करेगा ।’’